गुरुत्वाकर्षण से 20 गुना ज्यादा ताकत से उछलता है मकड़ा
२६ अप्रैल २०२२
चीनी वैज्ञानिकों के एक दल ने पता लगाया है कि जाले बनाने वाले कुछ मकड़े सेक्स के बाद छलांग मारकर खुद को मादा से अलग करते हैं ताकि मादा उन्हें मारकर खा ना जाए.
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मकड़ियों के बीच यौन संबंध बनते हैं लेकिन नर मकड़ियां सेक्स खत्म होते ही भागने की तैयारी में रहती हैं. सेक्स खत्म होते ही वे छलांग मारकर दूर हटती हैं क्योंकि उन्हें खतरा होता है कि मादा मकड़ी उन्हें जान से मारकर खा जाएगी.
करंट बायोलॉजी नामक पत्रिका में छपे एक अध्ययन में पहली बार इन संबंधों की जटिलता को विस्तार से समझाया गया है. शोधकर्ताओं ने लिखा है कि नर मकड़ियां अपनी अगली टांगों का इस्तेमाल करके सेकंड से भी कम समय में बहुत जोर से उछलती हैं.
सैंकड़ों मकड़ियों पर अध्ययन
मुख्य शोधकर्ता शिचांग जांग वूहान की हूबेई यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं. वह बताते हैं कि शोध के लिए उन्होंने हाई स्पीड कैमरे लगाकर मकड़ियों का गहन अध्ययन किया. जांग और उनकी टीम ने ‘फिलोपोनेला प्रोमीनेन' नामक प्रजाति की मकड़ियों का अध्ययन किया है जो लगभग 300 के समूहों में रहती हैं. अपने अध्ययन में उन्होंने 155 यौन संबंधों को परखा. इनमें 152 बार उन्होंने मकड़ियों को उछलकर भागते देखा. बाकी तीन मकड़ियां भाग नहीं पाईं और मादा मकड़ी उन्हें मार कर खा गई.
दुनिया के सबसे जहरीले जीव
रोएंदार पैरों वाली विशाल मकड़ी गोलायथ से लेकर 2.5 फीट के कोमोडो ड्रैगन तक दुनिया के सबसे जहरीले जीव यह सब शामिल हैं. पृथ्वी पर 20,000 से ज्यादा कीड़े, सांप, बिच्छू और दूसरे ऐसे जीव है जिन्हें विषैला माना जाता है.
तस्वीर: Trustees of Natural History Museum, London, Goliath Vogelspinne
गोलियाथ फोगल स्पिन्ने
तस्वीर: Trustees of Natural History Museum, London, Goliath Vogelspinne
फ्लॉवर अर्चिन
तस्वीर: Trustees of Natural History Museum, London
ब्लैक विडो मकड़ी
तस्वीर: Trustees of Natural History Museum, London, Falsche schwarze Witwe
कोस्टल ताइपान
तस्वीर: Trustees of Natural History Museum, London, Coastal Taipan
स्कॉर्पियन
तस्वीर: Trustees of Natural History Museum, London
गाबोन वाइपर
तस्वीर: Trustees of Natural History Museum, London, Gabon Viper
मून जेलीफिश
तस्वीर: Trustees of Natural History Museum, London, Moon Jellyfish, Mondqualle
लेसर वीवर फिश
तस्वीर: Trustees of Natural History Museum, London, Lesser Weever Fish
तारंतुला हॉक वैस्प
तस्वीर: Trustees of Natural History Museum, London
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शोध बताता है कि नर मकड़ियां छह बार तक एक ही मकड़ी के साथ संबंध बना सकती हैं. वे एक रेशमी तार के जरिए मादा मकड़ी तक पहुंचती हैं और संबंध बनाकर वापस भाग जाती हैं. वैज्ञानिकों ने अपने शोध के दौरान 30 नर मकड़ियों को उछलने से रोकने के लिए उनके पीछे एक ब्रश रख दिया. इस कारण वे भाग नहीं पाईं और सबकी सब मार डाली गईं.
गजब की ताकत
नर मकड़ियां गुरुत्वाकर्षण से बीस गुना ज्यादा ताकत से उछलती हैं. जांग बताते हैं, "मुझे नहीं पता कि और कोई भी प्रजाति है जो इस तरह की छलांग लगा सकती है.” इस छलांग का औसत 65 सेंटीमीटर प्रति सेंकड तक था. छलांग के दौरान ये मकड़ियां 175 चक्कर प्रति सेकंड की रफ्तार से अपनी धुरी पर घूमती हुईं उछली थीं.
मकड़ी एक कीड़ा है या नहीं?
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जांग का अनुमान है कि मादा मकड़ियां उछलने की ताकत के आधार पर ही नर मकड़ियों को परखती हैं. वह कहते हैं, "उछलने के जरिए नर मकड़ी अपनी जान बचा सकती है. और मादा मकड़ी उच्च गुणवत्ता वाले नरों को चुन सकती है क्योंकि छलांग की ऊर्जा सीधे तौर पर नर की शारीरिक क्षमता से जुड़ी होती है. ऐसे में संभव है कि मादाएं उसी नर के शुक्राणु स्वीकार करें जो इस परीक्षा पर खरा उतरा हो.”
मकड़ियों की कई प्रजातियों में यौन संबंधों के बाद मादाओं द्वारा नरों को मार देने की प्रवृत्ति देखी गई है. मारे जाने से बचने के लिए नर मकड़ियां अलग-अलग तरीके के हथकंडे अपनाती हैं. जैसे एक तरह की मकड़ी सेक्स करने से पहले मादा मकड़ी को जाल में बांध देती है.
वीके/सीके (एएफपी)
कहीं आपको भी कोई फोबिया तो नहीं
फोबिया यानि डर कई तरह के होते हैं. लोगों को कुत्ते, बिल्ली, कीड़े, परिंदे और यहां तक कि इंसानों से भी डर लगता है. जितने अजीब ये डर हैं, उतने ही अजीब उनके नाम भी हैं.
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एरेकनोफोबिया
मकड़ी से डर सबसे आम तरह का फोबिया है और इसके शिकार एक तिहाई लोग अमेरिका में हैं. हालांकि मकड़ी की 40,000 में से केवल 20 ही प्रजातियां इंसान को नुकसान पहुंचाने लायक जहरीली होती हैं.
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ओफिडियोफोबिया
दूसरे नंबर पर है सांप का डर. रिसर्चर इसे एक सर्वाइवल इंस्टिंक्ट यानि जीवित रहने के लिए इंसानों में कुदरत द्वारा डाला गया एक जरूरी डर बताते हैं. दुनिया की एक तिहाई आबादी को सांप से डर लगता है.
ऊंचाई से डर. 100 में से करीब पांच लोगों को इस तरह का फोबिया होता है. कई बार डर की हद यह हो जाती है कि वह पैनिक अटैक में तब्दील हो जाता है. ऐसे में सांस लेना तक मुश्किल हो सकता है.
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एगोराफोबिया
ऐसे लोगों को खुली जगह और भीड़ भाड़ दोनों से डर लगता है. किसी खुले खेत में जा कर उन्हें लग सकता है कि वे वहां खो जाएंगे और कभी बाहर नहीं आ सकेंगे. ऐसे लोग अक्सर डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं.
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सायनोफोबिया
कुत्ते से डर ज्यादातर महिलाओं को लगता है. इस डर की शुरुआत बचपन में ही हो जाती है. सांप और मकड़ी के बाद जानवरों से डर के मामले में कुत्तों का डर सबसे आम है.
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एस्ट्राफोबिया
ऐसे लोगों को बिजली के कड़कने और बादलों के गरजने से डर लगता है. यह डर ज्यादातर बच्चों में पाया जाता है. इंसानों के अलावा जानवरों में भी ऐसा डर देखा गया है.
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क्लॉस्ट्रोफोबिया
तंग जगहों का डर. इस तरह के डर के कारण लोग लिफ्ट में जाने से कतराते हैं. एमआरआई मशीन में जाना उनके लिए नामुमकिन होता है. हालांकि इसे दूर किया जा सकता है लेकिन बहुत कम ही लोग अपना इलाज करवाते हैं.
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मायजोफोबिया
कीटाणुओं का डर. ऐसे लोग बार बार नहाते हैं, अपने हाथ धोते हैं, सैनिटाइजर लगाते हैं, लोगों से हाथ मिलाने से कतराते हैं. इस तरह के लोगों को अक्सर ओसीडी यानि ऑब्सेसिव कम्पल्जिव डिसऑर्डर भी होता है.
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एरोफोबिया
उड़ान से डर. जिन लोगों को काम के सिलसिले में काफी यात्रा करनी होती है, उनके करियर पर इस डर का प्रभाव पड़ता है. फ्लाइट लेने के ख्याल से ही सांस फूलने लगती है और चक्कर आने लगता है.
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डेंटोफोबिया
डेंटिस्ट के पास जाने से बहुत लोग कतराते हैं. जिन्हें डेंटोफोबिया होता है उन्हें दांतों में ड्रिल से डर लगता है. हालांकि आधुनिक तकनीक में दांतों को पहले की तरह ड्रिल नहीं किया जाता लेकिन डर बरकरार है.
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त्रिसकेडेकाफोबिया
नंबर 13 से डर. बहुत लोग 13 नंबर को अशुभ मानते हैं. दुनिया के कई मशहूर लेखक और संगीतकार भी इससे डरते रहे हैं. यहां तक कि कई इमारतों में तो इस डर के कारण 13वां माला ही नहीं होता.
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कार्सिनोफोबिया
यह है कैंसर से डर. ऐसे लोग अपने खान पान पर जरूरत से ज्यादा ध्यान देते हैं. उन्हें डर लगा रहता है कि कहीं वे कुछ ऐसा ना खा लें जिससे उन्हें कैंसर हो जाए.
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ग्लॉसोफोबिया
एक अच्छा वक्ता लोगों को मंत्रमुग्ध कर सकता है लेकिन ऐसे भी बहुत लोग होते हैं जिनके स्टेज पर जाते ही पसीने छूट जाते हैं. इसी को ग्लॉसोफोबिया कहा जाता है.
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मोनोफोबिया
अकेलेपन से डर. ऐसे लोगों को जीवन में अकेले छूट जाने का डर तो होता ही है, साथ ही अकेले बैठ कर खाना खाना या फिर बिस्तर में अकेले सोना भी इनके लिए मुमकिन नहीं होता.
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ऑर्निथोफोबिया
परिंदों से डर. जरूरी नहीं कि इन्हें जानवरों या कीड़ों से भी डर लगता हो. ऐसे लोग अक्सर कुत्ते, बिल्लियों से काफी प्यार करते हैं. इन्हें बस परिंदों का अपने इर्द गिर्द उड़ना बर्दाश्त नहीं होता.
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टेलेगफोनोफोबिया
ऐसे लोगों को फोन पर बात करने से डर लगता है. वे एसएमएस या फिर ईमेल के जरिये बात करना पसंद करते हैं. बाकी कई डरों की तरह यह भी बेतुका है लेकिन सच है.
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कैटोपट्रोफोबिया
आईने से डर. ऐसे लोग खुद को आईने में देखने से डरते हैं. अधिकतर वे खुद को बदसूरत या मोटा समझते हैं. एक कमरे में अगर बहुत सारे आईने हों, तो उन्हें पैनिक अटैक भी हो सकता है.
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टोकोफोबिया
ऐसी महिलाओं को गर्भावस्था और बच्चे को जन्म देने से डर लगता है. डॉक्टर मानते हैं कि इस डर को अधिकतर संजीदगी से नहीं लिया जाता, जबकि महिलाओं की मानसिक स्थिति पर इसका काफी बुरा असर हो सकता है.
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सोमनीफोबिया
ऐसे लोगों को नींद से डर लगता है. उन्हें लगता है कि उनके सोने के बाद उनके साथ कुछ ऐसा बुरा हो सकता है जिसका नींद के कारण वे सामना नहीं कर पाएंगे. इसलिए वे जगे रहते हैं. इस स्थिति को इनसोमनिया कहते हैं.
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निक्टोफोबिया
ऐसे लोगों को अंधेरे से डर लगता है. वे रात में बत्ती जला कर सोना पसंद करते हैं. अक्सर बच्चों में ऐसा डर देखने को मिलता है.