भारत सरकार ने संसद में कहा है कि साल 2021 में 1.63 लाख से अधिक लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ी है. नागरिकता छोड़ विदेशों में बसने वालों की पहली पसंद अमेरिका है.
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2015 से लेकर 2021 के बीच सात साल की अवधि में 9.24 लाख से अधिक लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ी है. संसद में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा पेश आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में सबसे अधिक 1,63,370 लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ी है. लोकसभा में गृह मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से पता चला है कि नागरिकता छोड़ने वाले लगभग आधे भारतीयों ने अमेरिका को चुना. अमेरिकी नागरिक बनने वालों की संख्या 78,284 थी.
पिछले तीन साल के आंकड़े की बात करें तो नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या 3.9 लाख से अधिक है. अमेरिका उन 103 देशों में शीर्ष पसंद के रूप में उभर रहा है जहां प्रवासी भारत छोड़ जा बस रहे हैं.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि साल 2020 में 85,256 और साल 2019 में 1,44,017 लोगों ने नागरिकता छोड़ी. अमेरिका के बाद भारतीयों के पंसदीदा देशों की सूची में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और यूके हैं. अमेरिका के बाद बाद 23,533 लोगों ने ऑस्ट्रेलिया में नागरिकता ली जबकि कनाडा में 21,597 और यूके में 14,637 लोग जा बसे.
भारत दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता है. चीन में रहने वाले 362 भारतीयों ने भी चीनी नागरिकता हासिल की है. वहीं पाकिस्तान में 41 भारतीय नागरिकों ने भी 2020 भारतीय नागरिकता छोड़ दी. एक साल पहले यह संख्या सात थी.
लगभग 326 भारतीयों ने पिछले साल संयुक्त अरब अमीरात में रहते हुए अपनी नागरिकता त्याग दी थी. उन्होंने अल्बानिया, फ्रांस, माल्टा, पाकिस्तान, फिलीपींस, पुर्तगाल, एंटीगुआ, बारबुडा, बहरीन, बेल्जियम, साइप्रस, आयरलैंड, ग्रेनाडा, जॉर्डन, मॉरीशस, नॉर्वे, सिंगापुर, स्पेन, श्रीलंका, वानुअतु जैसे देशों में नागरिकता के लिए आवेदन किया.
मंगलवार और पिछले साल फरवरी में सरकार द्वारा संसद में जारी किए आंकड़ों से पता चलता है कि कुल मिलाकर, 9,32,276 भारतीयों ने 2015 और 2021 के बीच अन्य देशों के पक्ष में अपनी नागरिकता का त्याग किया.
सबसे शक्तिशाली देश
सक्रिय सैन्य शक्ति के विभिन्न मानकों जैसे सैनिकों की संख्या, कुदरती संसाधन, एयरपोर्ट और बजट आदि पर परखने के बाद थिंक टैंक 'ग्लोबल फायर पावर' ने सबसे शक्तिशाली देशों की सूची बनाई है. टॉप 10 देश हैं...
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सबसे शक्तिशाली है अमेरिका
अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर देश है. उसका रक्षा बजट 801 अरब डॉलर का है. उसके पास करीब 14 लाख से ज्यादा सैनिक हैं, जो दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना है.
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रूस
विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सैन्य ताकत रूस के पास 10 लाख से ज्यादा सैनिकों की जमात है. उसके पास हथियारों का विशाल जखीरा है.
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चीन
चीन को सैन्य शक्ति के रूप में तीसरे नंबर पर रखा गया है. उसकी सेना दुनिया में सबसे बड़ी है. चीन के पास लगभग 22 लाख सक्रिय सैनिक हैं.
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भारत
कुल सैन्य शक्ति में भारत चीन से थोड़ा ही पीछे माना गया है. चौथे नंबर की शक्ति भारत के पास परमाणु हथियारों का भी फायदा है.
जापान के पास सैनिकों की संख्या भले ही ज्यादा ना हो लेकिन वह दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी सैन्य शक्ति है, अपनी तकनीक और हथियारों के बल पर. उसके पास एक हजार के करीब तो लड़ाकू विमान हैं. 2021 में उसका रक्षा बजट दुनिया में छठा सबसे बड़ा था.
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दक्षिण कोरिया
उत्तर कोरिया से युद्ध का खतरा झेलना वाला दक्षिण कोरिया भी बड़ी सैन्य शक्ति के रूप में तैयार है. उसके पास करीब छह लाख सक्रिय जवान हैं, जो दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी सेना बनाते हैं.
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फ्रांस
फ्रांस हथियारों के निर्माण में सबसे बड़े देशों में से एक फ्रांस के आधुनिक हथियार उसे सातवीं सबसे बड़ी शक्ति बनाते हैं.
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ब्रिटेन
रक्षा बजट के मामले में टॉप 5 देशों में शामिल ब्रिटेन की सेना दुनिया की सबसे पुरानी सेनाओं में से एक है. हालांकि उसके पास सक्रिय जवानों की बहुत बड़ी संख्या नहीं है लेकिन परमाणु और अन्य आधुनिक हथियार उसे ताकत देते हैं.
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पाकिस्तान
भारत का पड़ोसी और प्रतिद्वन्द्वी पाकिस्तान नौवें नंबर पर है. उसके पास भी परमाणु हथियार हैं जो उसे शक्तिशाली देशों में शामिल करते हैं.
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ब्राजील
ब्राजील दुनिया का दसवां सबसे ताकतवर देश माना गया है. उसके पास चार लाख से कम सक्रिय सैनिक हैं और विदेशों से खरीदे व घरेलू स्तर पर बनाए गए उसके ताकतवर हथियार उसकी ताकत हैं.
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वहीं, नवंबर 2021 में गृह मंत्रालाय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों में कहा गया है कि 2016 और 2020 के बीच 10,645 विदेशी नागरिकों ने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया, जिनमें से अधिकतम 7,782 पाकिस्तान से और 795 अफगान नागरिक थे. इनमें से 4,177 लोगों को सरकार द्वारा भारतीय नागरिकता प्रदान की गई. गृह मंत्रालय के मुताबिक 2016 और 2020 के बीच 452 "स्टेटलेस" व्यक्तियों ने भी भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया था. यह ज्ञात नहीं है कि कितने लोगों को भारतीय नागरिकता दी गई और उन्होंने किस क्षेत्र से नागरिकता के लिए आवेदन किया था.
जानकारों का मानना है कि अक्सर लोग बेहतर जीवन, अच्छी शिक्षा और रोजगार के अवसरों की तलाश में विदेश में बसने का फैसला लेते हैं. 1987 में इस बारे में एक विस्तृत अध्ययन हुआ था कि लोग भारत छोड़ अमेरिका को किन वजहों से चुनते हैं. अमेरिका में बसे भारतीयों पर गहन अध्ययन करने वाले आर्थर डबल्यू हेलवेग ने अपने इस अध्ययन में पाया कि भारत छोड़ने के पीछे धन सिर्फ एक वजह है. उनके मुताबिक यूनिवर्सिटी की पढ़ाई, नौकरी, बच्चों को लालन-पालन, करियर के मौके और रिटारयमेंट जैसे कारणों पर विचार के बाद ही लोग भारत छोड़ने का फैसला करते हैं.
8,000 अमीर लोग भारत छोड़ने की तैयारी में
हेनली ग्लोबल सिटिजंस रिपोर्ट कहती है कि भारत उन टॉप 10 देशों में शामिल है जहां के सबसे ज्यादा अमीर लोग 2022 में देश छोड़ विदेशों में बसने की तैयारी कर रहे हैं.
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भारत छोड़ने की तैयारी
अमीरों को विदेशों का वीजा दिलाने में मदद करने वाली कंपनी हेनली ऐंड पार्टनर्स की रिपोर्ट कहती है कि इस साल आठ हजार से ज्यादा धनी लोग भारत छोड़ विदेशों में बस जाएंगे.
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टॉप 10 में भारत
जिन देशों के सबसे ज्यादा धनी लोग विदेशों में बसने की तैयारी कर रहे हैं वे हैं रूस, चीन, हांगकांग, भारत, यूक्रेन, ब्राजील, ब्रिटेन, मेक्सिको, सऊदी अरब और इंडोनेशिया.
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कहां जाएंगे ये अमीर
रिपोर्ट के मुताबिक इन धनी लोगों के सबसे पसंदीदा ठिकाने हैः यूएई, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, इस्राएल, स्विट्जरलैंड, अमेरिका, पुर्तगाल, ग्रीस, कनाडा और न्यूजीलैंड.
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तीन एम का जलवा
रिपोर्ट के मुताबिक तीन देश ऐसे हैं जिनमें अमीरों ने विशेष दिलचस्पी दिखाई है. वे हैं माल्टा, मॉरिशस और मोनैको.
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ब्रिटेन और अमेरिका नहीं
रिपोर्ट कहती है कि अमीरों के पारंपरिक ठिकाने रहे ब्रिटेन और अमेरिका अब पसंदीदा देशों की सूची से बाहर हो चुके हैं. यहां के अमीर लोग भी पलायन कर रहे हैं. 2022 में 1,500 ब्रिटिश अमीरों के देश छोड़ जाने की संभावना है.
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चीन से सर्वाधिक पलायन
रिपोर्ट के मुताबिक चीन से लगभग दस हजार अति-धनी लोग इस साल पलायन कर जाएंगे, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है. देश के बाकी दुनिया से खराब होते रिश्ते और धन बढ़ने में लगातार कमी को इसकी मुख्य वजह बताया गया है.
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भारत में अमीर बढ़ेंगे
रिपोर्ट ने अनुमान लगाया है कि जितने अमीर भारत छोड़ेंगे, उनसे ज्यादा वहां सूची में जुड़ जाएंगे. 2031 तक देश में अमीरों की वृद्धि दर 80 प्रतिशत रहेगी.