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केंद्र ने बनाई नई एमएसपी समिति

चारु कार्तिकेय
१९ जुलाई २०२२

किसान आंदोलन के महीनों बाद केंद्र सरकार ने एमएसपी पर एक नई समिति गठित की है. यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार सरकारों द्वारा जनता को मुफ्त सेवाएं देने के खिलाफ संदेश दे रहे हैं.

Indien Landwirtschaft Affen-Schreck
तस्वीर: Malan Raut

कृषि मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक यह 26 सदस्यीय समिति एमएसपी व्यवस्था को अधिक "प्रभावी और पारदर्शी" बनाने के सुझावों पर विचार करेगी. यह कृषि उत्पादों के दाम सुझाने वाली सरकारी समिति सीएसीपी को अधिक स्वायत्तता देने पर भी विचार करेगी.

समिति को शून्य-बजट आधारित कृषि को बढ़ावा देने, फसलों का विविधीकरण करने, देश की बदलती जरूरतों के हिसाब से कृषि मार्केटिंग को मजबूत करने और प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने पर भी विचार करने के लिए कहा गया है. हालांकि अधिसूचना में समिति द्वारा एमएसपी की कानूनी गारंटी पर विचार करने की कोई बात नहीं है.

कौन कौन है समिति में

यह कानूनी गारंटी जून 2020 में सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानून के खिलाफ संघर्ष कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा की प्रमुख मांग थी. एक साल से ज्यादा समय तक तीनों कानूनों के खिलाफ किसानों के निरंतर आंदोलन के बाद तीनों कानूनों को वापस ले लिया गया था.

किसान आंदोलन से एमएसपी की कानूनी गारंटी देने की मुख्य मांग उठी थीतस्वीर: Hindustan Times/IMAGO

नई समिति की अध्यक्षता पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल को सौंपी गई है. इसमें संयुक्त किसान मोर्चा के तीन प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है लेकिन अभी उनके नाम तय नहीं किए गए हैं. इनके अलावा समिति में नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद, कृषि अर्थशास्त्री सीएससी शेखर और सुखपाल सिंह और सीएसीपी के सदस्य नवीन पी सिंह को शामिल किया गया है.

किसानों का प्रतिनिधित्व करने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किसान भारत भूषण त्यागी, किसान नेता गुणवंत पाटिल, कृष्णबीर चौधरी, प्रमोद कुमार चौधरी, गुनी प्रकाश और सैयद पाशा पटेल को भी समिति में शामिल किया गया है.

क्या होगा एमएसपी का

इनके अलावा सहकारी संगठन इफको के चेयरमैन दिलीप संघाणी और सीएनआरआई के महासचिव विनोद आनंद को भी समिति में रखा गया है. कृषि विश्वविद्यालयों के वरिष्ठ सदस्य, केंद्र सरकार के पांच विभागों/मंत्रालयों के सचिव और कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, सिक्किम तथा ओडिशा के मुख्य सचिवों को भी समिति में शामिल किया गया है.

समिति में संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से किसी का नाम नहीं तय किया गया हैतस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS

इस समिति का गठन ऐसे समय में किया गया है जब प्रधानमंत्री मोदी बार बार अपने भाषणों में अलग अलग सरकारों द्वारा चलाई जा रही मुफ्त या दाम में छूट वाली सेवाओं की आलोचना कर चुके हैं.

कुछ ही दिनों पहले उन्होंने झारखंड में बीजेपी की एक रैली के दौरान कहा कि आजादी के बाद से आज तक सत्ता में रहने वाली पार्टियों ने देश में वोट पाने के लिए लोक लुभावने वादे कर 'शॉर्ट कट' की राजनीति की है और और लोगों को इस तरह की राजनीति से दूर रहने के लिए कहा.

उसके कुछ ही दिनों बाद उन्होंने जालौन में कहा कि लोगों को वोट लेने के लिए 'रेवड़ी' बांटने की राजनीति करने वालों से बच कर रहना चाहिए. उनके इन बयानों से अंदाजा लगाया जा रहा है कि आर्थिक मोर्चे पर कई चुनौतियों से जूझ रही केंद्र सरकार जल्द ही विभिन्न सरकारी समर्थन योजनाओं को रद्द या उनका दायरा छोटा कर सकती है.

ऐसे में देखना होगा कि समिति एमएसपी को लेकर किस निष्कर्ष पर पहुंचती है और देश के किसान उसे स्वीकार करते हैं या नहीं.

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