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बेहतर जिंदगी की तलाश में जान गंवाते पाकिस्तानी

हारून जंजुआ (इस्लामाबाद से)
१ जुलाई २०२३

बहुत सारे पाकिस्तानी यूरोप पहुंचने की चाह लिए अपनी जिंदगी खतरे में डालते हैं. काम की कमी और बेहतर जिंदगी की आस के आगे जान गंवाना भी गवारा है.

जून महीने में ग्रीस की समुद्री सीमा में कालामाटा के पास नाव पलटने से कम-से-कम 78 लोगों की जान गई
जून महीने में ग्रीस की समुद्री सीमा में कालामाटा के पास नाव पलटने से कम-से-कम 78 लोगों की जान गईतस्वीर: Angelos Tzortzinis/Pool/AFP/Getty Images

14 जून की शाम को, मुहम्मद गुलफाम अपने घर पर थे जब उनके चचेरे भाई ने उन्हें फोन पर यह सूचना दी कि प्रवासियों से भरी एक नाव ग्रीस के तट पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई है. उनका घर उत्तरी पाकिस्तान के एक पहाड़ी ग्रामीण इलाके में है.उनका छोटा भाई आकाश गुलजार भी इसी नाव पर सवार था. आकाश गुलजार बेरोजगार था और आर्थिक दिक्कतें झेल रहे पाकिस्तान में उसे कोई भविष्य दिखाई नहीं दे रहा था. उसने मन बना लिया कि करीब एक महीने लंबी हजारों किलोमीटर की जमीनी और समुद्री के जरिए वो इटली जाएगा और इसके लिए तस्करों को पैसा देगा.यात्रा सस्ती नहीं थी और गुलजार के परिवार ने मानव तस्करों के जरिए उसे यूरोप पहुंचाने के लिए सात हजार यूरो का इंतजाम किया. उन्हें उम्मीद थी कि गुलजार वहां बेहतर जिंदगी गुजार सकेगा.

मार्च की एक शाम को गुलजार ने अपनी मां और भाइयों से गले लगकर विदा ली और यूरोप की यात्रा पर निकल पड़ा. डीडब्ल्यू से बातचीत में गुलफाम कहते हैं, "हम नहीं चाहते थे कि यह अंतिम विदाई हो, हम उसे दोबारा देखना चाहते थे और हमें उम्मीद है कि वो उन घायलों में से एक है जो अस्पताल में भर्ती हैं.” गुलजार की मां नसीम बेगम कहती हैं कि उन्होंने अपने बेटे से उस समय फोन पर बात की थी जब वो जहाज पर चढ़ने ही वाला था. बेगम कहती हैं, "मेरे बेटे ने फोन पर दुआ मांगी और कहा कि मैं अपनी मंजिल पर पहुंचते ही आपको फोन करूंगा.”

यूरोप पहुंचने की आस लिए पाकिस्तानी युवक तस्करों का सहारा ले रहे हैंतस्वीर: IOS/picture alliance

पाकिस्तान की प्रवासन समस्या

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि जिस नाव से गुलजार जा रहा था वो करीब एक मछली पकड़ने वाली तीस मीटर लंबी नाव थी जिस पर करीब 700 लोग सवार थे. यह लीबिया से चली थी और वहां से करीब 80 किमी आयोनियन सागर में ग्रीस के एक छोटे तटीय शहर पाइलोस के तट पर डूब गई. गुलजार अभी भी लापता है और माना जा रहा है कि उसकी मौत हो चुकी है. गुलजार की मां बेगम ने अपने डीएनए नमूने भेज दिए हैं ताकि उनके बेटे के अवशेष मिलने पर उसकी पहचान की जा सके. पाकिस्तान के गृह मंत्रालय के मुताबिक, उस नाव में 350 लोग पाकिस्तानी नागरिक थे.

ये उन हजारों लोगों में से थे जो पाकिस्तान में आर्थिक संकट के चलते बिना किसी उम्मीद के देश छोड़कर भाग रहे हैं. यूरोपियन यूनियन बॉर्डर एंड कोस्ट गार्ड एजेंसी फ्रॉन्टेक्स के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल मई तक यानी महज पांच महीनों के भीतर ‘केंद्रीय भूमध्य मार्ग' पर करीब पांच हजार पाकिस्तानियों की पहचान की गई जो कि एक रिकॉर्ड है.

यूनाइटेड स्टेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ पीस, अमेरिका की एक संघीय एजेंसी है. पाकिस्तान में इस एजेंसी के निदेशक इमरान खान कहते हैं, "हम जानते हैं कि यह बेहतर काम की कमी और देश के भविष्य के बारे में लोगों के मोहभंग का संयुक्त प्रभाव है जो कि युवा पाकिस्तानियों को बेहतर जीवन की तलाश के लिए खतरनाक और अवैध प्रवासन की ओर धकेलता है. दुर्घटनाग्रस्त हुई नाव पर सवार लोगों को यह अच्छी तरह पता था कि वो जोखिम ले रहे हैं.”

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डीडब्ल्यू से बातचीत में इमरान खान आगे कहते हैं, "यदि पाकिस्तान में उन्हें बेहतर रोजगार के मौके, आर्थिक सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता मिलती तो दुर्घटना में मारे गए ये लोग आज जीवित होते.”उत्तरी पाकिस्तान में गुलजार के घर के पास के एक गांव में जिला स्तर के एक अधिकारी सरदार मुश्ताक अहमद बताते हैं कि नाव दुर्घटना के बाद इस इलाके 24 युवा लापता हैं. इन युवकों के रिश्तेदारों ने अपने डीएनए नमूने दे दिए हैं ताकि बरामद शवों से उन लोगों की पहचान हो सके.

लापता लोगों में 31 साल के साजिद यूसुफ भी हैं जो कि स्थानीय बाजार में एक क्रॉकरी की दुकान चलाते थे लेकिन गुजारा नहीं कर पाते थे. यूसुफ के दो भाई पहले से ही इटली में रह रहे हैं जिनमें से एक भाई भूमध्यसागर के इसी रास्ते से होकर इटली आया था. साजिद के पिता मुहम्मद यूसुफ बताते हैं, "हमने साजिद को इटली भेजने के लिए तस्करी एजेंट 7100 यूरो का भुगतान किया था. इटली में मेरे दो अन्य बेटे पहले से ही रह रहे हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं.” पाकिस्तानी आव्रजन और शरणार्थी कानून के जानकार ओसामा मलिक ने डीडब्ल्यू को बताया कि ऐसे कई कारण हैं जो कि लोगों को यूरोप जाने के लिए तमाम जोखिम लेने पर विवश करते हैं.

ग्रीस में नाव दुर्घटना में लापता एक पाकिस्तानी प्रवासी की पत्नीतस्वीर: Ali Kaifee/DW

मलिक कहते हैं, "दुनिया की दूसरी मुद्राओं की तुलना में पाकिस्तानी मुद्रा पहले से ही कमजोर है. पिछले 18 महीनों में इसकी कीमत में आई तेज गिरावट शायद इसके पीछे एक बड़ा कारण है. इसके अलावा राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितता ने भी पाकिस्तानी युवकों में हताशा पैदा कर दी है. ज्यादातर युवा विदेश जाकर बेहतर जीवन जीने की आशा में अपनी बचत का निवेश करने, पैसा उधार लेने और यहां तक कि अपनी जान को भी जोखिम में डालने को तैयार हैं. और अब तो तमाम महिलाएं भी ऐसा कर रही हैं.”

पाकिस्तान में कैसे काम करते हैं तस्कर?

2022 में हुए एक सर्वे के मुताबिक, हाल के वर्षों में इटली पहुंचने वाले करीब 90 फीसद पाकिस्तानियों ने यहां आने के लिए मानव तस्करों की मदद ली. यह सर्वे यूरोप स्थित एक प्रवासी शोध समूह मिक्स्ड माइग्रेशन सेंटर ने किया है. तस्कर और मध्यस्थ यानी दलाल गांवों-कस्बों के गरीब लोगों को बहकाते हैं और यूरोप में एक बेहतर भविष्य का सपना दिखाते हैं और इसके बदले में उनसे 6000-10,000 यूरो तक यह कहकर वसूलते हैं कि यह पैसा उन्हें यूरोपियन देशों में बैठे अपने बॉसेस को देना है. गुलजार और यूसुफ के परिजनों ने डीब्ल्यू को बताया कि उन लोगों ने कई स्थानी ‘ट्रैफिकिंग एजेंट्स' से मोलभाव करके इटली में रह रहे एक बॉस को इस यात्रा के लिए पैसा दिया था.

बेहतर काम की कमी और देश में आर्थिक तंगी लोगों को अपना घर-बार छोड़ने पर मजबूर करती हैतस्वीर: Stelios Misinas/REUTERS

इन्हीं ‘एजेंट्स' में से एक ने नाम न छापने की शर्त पर डीडब्ल्यू को बताया कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लड़खड़ाने के बाद से मानव तस्करी में काफी तेज बढ़ोत्तरी हुई है और पाकिस्तानी रुपये के मुकाबले विदेशी मुद्रा की कीमत बढ़ी है. वो बताते हैं, "जो लोग यूरोप जाने के इच्छुक हैं, उन्हें इन कठिनाइयों, जान के जोखिम और खतरों के बारे में अच्छी तरह पता होता है, लेकिन फिर भी वे लोग इन चीजों को नजरअंदाज करते हैं और यात्रा का विकल्प चुनते हैं.”

मानव तस्करी पर नकेल

जैसे जैसे प्रवासियों की संख्या बढ़ती जा रही है, खासकर, हाल में हुई त्रासदी को देखते हुए सरकार ने पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी को तस्करों और एजेंट्स पर कार्रवाई करने को कहा है. प्रवक्ता अब्दुल गफूर ने डीडब्ल्यू को बताया, "हमने देश भर में 27 मानव तस्करों को गिरफ्तार किया है और इन तस्करों के खिलाफ 70 केस दर्ज किए गए हैं.” पाकिस्तान ने मानव तस्करी रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय संधि पर भी हस्ताक्षर किए हैं और साल 2018 में एक कानून भी पारित किया है लेकिन यह अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी गिरोहों पर अंकुश लगाने में नाकाम रहा है.

आप्रवासियों के मामले में नया समझौता कर रहा यूरोपीय संघ

प्रवासन मामलों के जानकार मलिक कहते हैं, "पिछले कुछ वर्षों में कानून में सुधार हुआ है लेकिन इसका क्रियान्वयन काफी निराशाजनक रहा है और यदि पाकिस्तान को अपने नागरिकों को तस्करी से बचाना है तो इसमें सुधार करने की जरूरत है.”वो कहते हैं कि इन कानूनों के चलते सिर्फ छोटे बिचौलिये पकड़ लिए जाते हैं जबकि इन कामों में लिप्त कुछ सरकारी अधिकारी और तस्कर गिरोहों के सरगना पर आंच नहीं आती. वो कहते हैं, "ये तो मानव-तस्करी माफिया के पैदल सैनिक हैं जो कि कभी-कभी ही गिरफ्तार होते हैं लेकिन इन मामलों में भी उन्हें सजा शायद ही कभी मिल पाती हो. मानव तस्करी गिरोहों के मध्य पंजाब के कुछ रसूखदार लोगों से भी बहुत अच्छे संबंध हैं. यही नहीं, इनके संपर्क सेना और नौकरशाही में भी हैं.”

जहाज बना प्रवासियों का आशियाना

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वो आगे कहते हैं, "पाकिस्तान के लिए इस समस्या का प्रमुख समाधान यह है कि यहां शासन को बेहतर किया जाए, कानून के शासन का पालन हो और अर्थव्यवस्था बेहतर हो ताकि युवाओं को जान जोखिम में डालकर दूसरे देशों में जाने की जरूरत न महसूस हो.”

 

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