दुनिया कोरोना वायरस से परेशान है और उस पर काबू पाने की कोशिशों के बीच डिजीटल साधनों का इस्तेमाल बढ़ाया जा रहा है. ग्रेटा थुनबर्ग ने अपने समर्थकों से डिजीटल स्ट्राइक की मांग की है.
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कोरोना महामारी के फैलने के बीच ग्रेटा थुनबर्ग ने फ्राइडे फॉर फ्यूचर आंदोलन के अपने समर्थकों से इंटरनेट में पर्यावरण सुरक्षा आंदोलन करने की मांग की है. एक ओर उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों की सलाह मानने और बड़े समारोहों में भाग न लेने की सलाह दी है तो दूसरी ओर आंदोलन को इंटरनेट पर ले जाने की अपील की है. ग्रेटा थुनबर्ग ने कहा, "हम युवा लोग इस वायरस से ज्यादा प्रभावित नहीं हैं, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि हम खतरे में पड़े लोगों के साथ एकजुटता दिखाएं और अपने समाज के बेहतरीन हितों में काम करें."
फ्राइडे फॉर फ्यूचर आंदोलन की शुरुआत करने वाली स्वीडन की एक्टिविस्ट ने कहा कि पर्यावरण संकट दुनिया का सबसे बड़ा संकट है. कोरोना वायरस की वजह से फैली महामारी को देखते हुए उन्होंने पर्यावरण परिवर्तन की ओर लोगों का ध्यान दिलाने के लिए नई राहें खोजने की जरूरत बताई. उन्होंने अपने समर्थकों से सोशल मीडिया पर #DigitalStrike का इस्तेमाल करने की अपील की और हड़ताल की तस्वीरें पोस्ट करने को कहा है.
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए विभिन्न सरकारों द्वारा बड़े आयोजन न करने की सलाह दी गई है. इसका असर फ्राइडे फॉर फ्यूचर आंदोलन पर भी पड़ा है और कई जगहो पर प्रदर्शनों को रद्द कर दिया गया है. जर्मनी के बवेरिया प्रांत में हो रहे स्थानीय चुनावों से पहले भी कई शहरों में प्रदर्शनों की योजना थी लेकिन उन्हें रद्द कर दिया गया है. वहां प्रदर्शनों का आयोजन कर रहे लोगों ने आंदोलन को इंटरनेट पर ले जाने का आह्वान किया है.
एमजे/एए (एएफपी)
टाइम के कवर पर छाने वाले चेहरे
हर साल कुछ लोग या अभियान ऐसे होते हैं, जो दुनिया को एक नए दौर में ले जाते हैं. कुछ आशा बनते हैं और कुछ निराशा. अमेरिका की मशहूर टाइम मैगजीन साल के अंत में ऐसे ही अहम चेहरे चुनती हैं. एक नजर बीते 10 साल के अहम चेहरों पर.
तस्वीर: Reuters/Time
2019: ग्रेटा थुनबर्ग
स्वीडन की 16 साल की ग्रेटा थुनबर्ग पर्यावरण और जलवायु संकट का अहम चेहरा बन चुकी हैं. 2018 में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर लोगों में जागरुकता पैदा करने के लिए ग्रेटा ने स्वीडन की संसद के बाहर विरोध-प्रदर्शन के लिए हर शुक्रवार अपना स्कूल छोड़ा था जिसे देखकर कई देशों में #FridaysForFuture के साथ एक मुहिम शुरू हो गई.
तस्वीर: Reuters/Time
2018: जमाल खशोगी
इस साल टाइम मैगजीन ने उम पत्रकारों को सम्मानित किया जो अपने देश में सरकार या मजबूत ताकतों के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं. वॉशिंगटन पोस्ट के सऊदी स्तंभकार जमाल खशोगी को भी पत्रिका ने श्रद्धांजलि दी. साथ ही में कई अन्य देशों के पत्रकारों को भी टाइम ने इस सम्मान के लिए चुना.
तस्वीर: Reuters/Time Magazine
2017: साइलेंस ब्रेकर
वो लोग जिन्होंने यौन शोषण, उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाई, जो मीटू आंदोलन में मुखर रहे, उन्हें इस साल टाइम के कवर पर जगह मिली. इनमें एक्टर एश्ले जूड, सिंगर टेलर स्विफ्ट, सॉफ्टवेयर इंजीनियर सुजन फाउलर भी शामिल थे.
तस्वीर: Time
2016: डॉनल्ड ट्रंप
हिलेरी क्लिंटन को हराकर, डॉनल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति पद इसी साल संभाला. ट्रंप "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन" के नारे के साथ चुनाव मैदान में उतरे थे. सक्रिय राजनीति के अनुभव के बिना एक कारोबारी का इस तरह जीतना एक नई बात थी.
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2015: अंगेला मैर्केल
2005 से जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल, ग्रीस के आर्थिक संकट और यूरोप में प्रवासियों के संकट पर प्रभावशाली नेता बनकर दुनिया के सामने उभरीं. वह यूरोप की सबसे प्रभावशाली राजनीतिक हस्ती भी हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Time Magazine
2014: इबोला फाइटर्स
ये शब्द उन स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिये प्रयोग किया गया जिन्होंने इबोला वायरस के प्रसार को रोकने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी. इसमें सिर्फ डॉक्टर, नर्स ही शामिल नहीं हैं, बल्कि एंबुलेंस कर्मचारी, मृत लोगों को दफनाने वाले कर्मचारी तक शामिल हैं.
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2013: पोप फ्रांसिस
इस साल पोप बेनेडिक्ट के इस्तीफे के बाद पोप फ्रांसिस को रोमन कैथोलिक चर्च के पोप चुने गए. यह पहला मौका था जब वेटिकन में बतौर पोप, दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप के व्यक्ति की नियुक्ति हुई.
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2012: बराक ओबामा
मिट रॉमनी को हराकर बराक ओबामा दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए.
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2011: आंदोलनकारी
अरब क्रांति, टी पार्टी आंदोलन, जैसे आंदोलन में हिस्सा लेने वाले लोगों को इस साल टाइम मैगजीन ने अपना कवर पेज पर उतारा.
2010: मार्क जकरबर्ग
फेसबुक के सह संस्थापक मार्क जुकरबर्ग टाइम मैगजीन के कवर पेज पर रहे. मार्क ने फेसबुक की शुरुआत 2004 में की और आज दुनियाभर में इसके 241 करोड़ एक्टिव यूजर हैं.