ओबामा के राज में ग्वांतानामो जेल से सबसे बड़ी रिहाई
१६ अगस्त २०१६पेंटागन ने बताया है कि ग्वांतानामो बे की जेल से एक साथ 15 कैदियों को निकाल कर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) भेज दिया गया है. क्यूबा की इस अमेरिकी जेल से ओबामा के शासन काल में हुआ यह आज तक का सबसे बड़ा ट्रांसफर है. इस विवादित जेल में कैदियों की संख्या को कम करने की कोशिश में यमन के 12 और अफगानिस्तान के तीन कैदियों को संयुक्त अरब अमीरात स्थानांतरित किया गया.
इस बार रिहा किये गये कैदियों को बिना किसी आरोप के करीब 14 साल से भी लंबे वक्त से ग्वांतानामो में रखा गया था. अमेरिकी सरकार की छह एजेंसियों के प्रतिनिधियों की सदस्यता वाले पीरियॉडिक रिव्यू बोर्ड ने उनकी रिहाई की मंजूरी दी थी.
पहली बार राष्ट्रपति बनने के समय से ही अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा का उद्देश्य इस जेल को बंद कराना रहा है. पेंटागन के अनुसार अब ग्वांतानामो में 61 कैदी बाकी बचे हैं. यह हिरासत केंद्र जनवरी 2002 में तालिबान या अल कायदा जैसे आतंकवादी संगठन से संबद्ध होने के संदेह के आधार पर विदेशी लड़ाकों को रखने के लिए खोली गयी थी. राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के शासन काल में ग्वांतानामो से 532 कैदियों की रिहाई हुई थी, जिन्हें बड़े बड़े समूहों में अफगानिस्तान और सऊदी अरब भेजा गया था.
यूएई अमेरिका का एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय सैन्य सहयोगी है. इराक और सीरिया में कट्टरपंथी गुट इस्लामिक स्टेट के आतंकियों पर हवाई हमले करने के लिए अमेरिकी सैनिक यूएई में ही स्थित हैं. दुबई के जेबेल अली बंदरगाह में अमेरिकी नौसेना की दुनिया में सबसे ज्यादा गतिविधियां होती हैं.
अमेरिकी सरकार की ओर से ग्वांतानामो बंदी के विशेष दूत ली वोलोस्की ने बताया कि अमेरिकी सरकार संयुक्त अरब अमीरात का आभारी है कि उसने 15 कैदियों को स्वीकार किया और इस तरह जेल को बंद करने में मदद की.
एमनेस्टी इंटरनेशनल यूएसए की राष्ट्रीय सुरक्षा और मानवाधिकार निदेशक नौरीन शाह ने कहा कि यह ट्रांसफर "इस बात के महत्वपूर्ण संकेत देता है कि राष्ट्रपति ओबामा ऑफिस छोड़ने से पहले ग्वांतानामों को बंद करवाने के लिए वाकई गंभीर हैं."
वहीं ऑफिस ऑफ दि डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस का मानना है कि ओबामा के काल में अब तक छोड़े गए कुल कैदियों में से पांच फीसदी लोग फिर से आंतकी गतिविधियों से जुड़ गए और इसके अलावा आठ फीसदी पर ऐसा करने का संदेह है. वहीं बुश काल में रिहा हुए 21 फीसदी ने दोबारा आंतकी गतिविधियां की थीं और 14 फीसदी अतिरिक्त लोगों को इसका संदेह है. कैदियों को वापस उनके देश यमन नहीं भेजा गया क्योंकि देश पिछले दो सालों से गृह युद्ध से जूझ रहा है. सऊदी अरब के नेतृत्व वाले सुन्नी मुसलमानों की गठबंधन सेना का हिस्सा यमन, सऊदी अरब और यूएई भी हैं. ये हूथी और उनके सहयोगियों जैसे शिया विद्रोहियों के खिलाफ युद्ध लड़ रहे हैं.