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राजनीतिसंयुक्त राज्य अमेरिका

चीन का गुप्त पुलिस थाना चलाने वाले ने जुर्म कबूला

१९ दिसम्बर २०२४

अमेरिका के मैनहैटन में एक गुप्त चीनी थाना चलाने वाले एक व्यक्ति ने अदालत में गुनाह कबूल लिया है. ऐसे थाने अमेरिका और यूरोप के कई देशों में सामने आए हैं.

न्यूयॉर्क में चीन का गुप्त पुलिस थाना
मैनहटन की वह जगह, जहां गुप्त थाना चलाया जा रहा थातस्वीर: Bing Guan/REUTERS

न्यूयॉर्क के मैनहैटन में एक गुप्त चीनी पुलिस थाना चलाने वाले एक व्यक्ति ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है. 60 वर्षीय चेन जिनपिंग ने अमेरिकी अदालत में कबूल किया कि वह चीनी सरकार का अवैध एजेंट बनकर काम कर रहा था.

यह मामला अमेरिकी न्याय विभाग की कोशिशों का हिस्सा है, जो विदेशी सरकारों, खासकर चीन, की अंतरराष्ट्रीय दमनकारी गतिविधियों को रोकने के लिए काम कर रहा है.

छानबीन और सबूत मिटाने की कोशिश

मैनहैटन के चाइना टाउन में बने इस गुप्त स्टेशन को चेन और उसका साथी लू जियानवांग (जिसे "हैरी लू" भी कहा जाता है) ने स्थापित किया था. आरोप है कि इसे चीन के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय के निर्देश पर खोला गया. सहायक अटॉर्नी जनरल मैथ्यू ओल्सेन ने कहा, "यह स्टेशन जनता की सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि चीन के दमनकारी एजेंडे को बढ़ाने और अमेरिकी संप्रभुता का उल्लंघन करने के लिए खोला गया था." 

हालांकि यह स्टेशन चीनी नागरिकों को ड्राइविंग लाइसेंस जैसी सेवाएं देता था, पर जांच में सामने आया कि इसका असली मकसद लोकतंत्र समर्थकों और असंतुष्टों की निगरानी, उत्पीड़न और डराना था. 

यह गुप्त स्टेशन 2022 के अंत में एफबीआई की जांच के बाद बंद कर दिया गया. अधिकारियों ने बताया कि चेन और लू ने सबूत मिटाने के लिए चीनी अधिकारियों के साथ अपने संदेशों को डिलीट किया. इसके बावजूद, जांचकर्ताओं ने पर्याप्त सबूत जुटाए और मामला अदालत में ले गए. 

चेन को 5 साल की सजा हो सकती है. उसकी सजा का फैसला 30 मई 2025 को होगा. लू ने खुद को निर्दोष बताया है और उनके मुकदमे की सुनवाई फरवरी में शुरू होगी. 

वैश्विक नेटवर्क का हिस्सा

2024 में ऐसे मामले कई देशों में सामने आए थे. विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला चीनी सरकार की अंतरराष्ट्रीय दमनकारी रणनीतिका एक हिस्सा है. ऐसे ही गुप्त चीनी पुलिस स्टेशन कनाडा, यूरोप और अन्य जगहों पर भी पाए गए हैं. ये स्टेशन अक्सर कांसुलर सेवाओं की आड़ में चलते हैं, लेकिन असल में असंतुष्टों को डराने और चीन लौटने के लिए मजबूर करने का काम करते हैं. 

मैनहटन में इस इमारत से चल रहा था थानातस्वीर: Bing Guan/REUTERS

मानवाधिकार संगठन 'सेफगार्ड डिफेंडर्स' ने सबसे पहले इन स्टेशनों के बारे में खुलासा किया था. रिपोर्ट के मुताबिक, ये स्टेशन धमकाने और दबाव बनाने जैसे तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई के डायरेक्टर क्रिस्टोफर रे ने चेतावनी दी थी कि चीन सरकार स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक नेताओं पर प्रभाव बनाने की कोशिश कर रही है.

उन्होंने 2022 में कहा था, "चीन समझता है कि आज के छोटे नेता भविष्य में बड़े पदों पर पहुंच सकते हैं, और वे ऐसे नेताओं को पहले ही प्रभावित करना चाहते हैं." 

सरकारी प्रयास और विवाद

अमेरिकी सरकार ने हाल के वर्षों में चीन के खिलाफ कई मामले दर्ज किए हैं, जिनमें असंतुष्टों का पीछा करना, उन्हें चीन लौटने के लिए मजबूर करना और अमेरिकी नीतियों को प्रभावित करने की कोशिशें शामिल हैं. हालांकि, इन कोशिशों को लेकर आलोचना भी हुई है. कुछ लोगों ने चीनी-अमेरिकी समुदाय के साथ भेदभाव और नागरिक अधिकारों के उल्लंघन की चिंता जताई है. एमनेस्टी इंटरनेशनल का आरोप है कि चीन विदेशों में पढ़ रहे चीनी छात्रों को निशाना बना रहे हैं.

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इन गुप्त स्टेशनों का खुलासा दुनिया भर में चर्चा का विषय बना है. कनाडा और यूरोपीय देशों ने भी अपने यहां ऐसे स्टेशनों की जांच शुरू की है. चीन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ये स्टेशन केवल सामान्य सेवाएं, जैसे ड्राइविंग लाइसेंस का नवीनीकरण, प्रदान करते हैं. 

फ्रीडम हाउस की रिसर्च डायरेक्टर याकिउ वांग ने अमेरिका की इन कोशिशों की तारीफ की, लेकिन कहा कि ऐसी कार्रवाई सोच-समझकर और संतुलित होनी चाहिए ताकि चीनी-अमेरिकी समुदाय पर गलत प्रभाव न पड़े.

वीके/सीके (एपी, एएफपी)

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