सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी के सिविल कोर्ट को ज्ञानवापी मस्जिद सर्वेक्षण मामले की सुनवाई टालने को कहा है. इस मामले में एक हिंदू वादी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने एक दिन के लिए स्थगन की मांग की थी.
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वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर वीडियो सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में गुरुवार को जमा करा दी गई. वाराणसी कोर्ट द्वारा नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह ने समाचार चैनल एनडीटीवी को बताया कि रिपोर्ट तीन फोल्डरों में है और उसमें फोटो और कई घंटों की वीडियोग्राफी है. रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में जमा कराई गई है.
ज्ञानवापी मस्जिद का दूसरा सर्वे 14, 15 और 16 मई को हुआ था. पहला सर्वे 6 और 7 मई को एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्र द्वारा किया गया था. हालांकि, उन्हें कोर्ट ने सर्वे से जुड़े मामले से हटा दिया है. मीडिया में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि 12 पन्नों की दूसरी रिपोर्ट में वजूखाने में शिवलिंग मिलने का जिक्र है, रिपोर्ट में कमल, डमरू के निशान मिलने का जिक्र है. साथ ही सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि तहखाने में त्रिशूल मिलने का जिक्र भी दूसरी रिपोर्ट में किया गया है.
वहीं पहली रिपोर्ट में खंडित देव विग्रह, दीवारों पर हिंदू चिन्हों का जिक्र, मलबे में खंडित मूर्तियों का जिक्र और दीया जलाने की जगह मिलने की बात कही गई है. यह रिपोर्ट 18 मई को कोर्ट में जमा कराई गई थी.
जिस ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण कराया गया है, वहां मस्जिद है और मस्जिद के बिल्कुल बगल में काशी विश्वनाथ मंदिर है. ऐसा कहा जाता है कि औरंगजेब ने मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाई और पूरा विवाद इसी बात को लेकर है. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने से पहले मंदिर और मस्जिद बिल्कुल एक साथ लगे दिखते थे लेकिन कॉरिडोर बनने के बाद दोनों परिसर साफ तौर पर अलग दिखाई देने लगे हैं.
दूसरी ओर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले की सुनवाई पर वाराणसी कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निचली अदालत शुक्रवार तक कोई आदेश जारी नहीं करेगी. सुप्रीम कोर्ट में अब इस मामले पर शुक्रवार दोपहर तीन बजे सुनवाई होगी.
17 मई को सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी को लेकर सुनवाई हुई थी. साथ ही कोर्ट ने वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट से उस क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए कहा था जहां वीडियो सर्वे के दौरान कथित शिवलिंग पाए जाने का दावा किया गया था. कोर्ट ने साथ ही मस्जिद में नमाज अदा करने की छूट दी थी.
देखिए विश्व की 10 सबसे बड़ी मस्जिदें
मॉस्को में यूरोप की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक जुमा मस्जिद है. इस छह मंजिला मस्जिद में 20,000 वर्गमीटर के क्षेत्र में 10,000 लोगों के लिए नमाज पढ़ने की जगह है. दुनिया की कुछ बड़ी मस्जिदों पर एक नजर.
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जुमा मस्जिद, मॉस्को
मॉस्को की केंद्रीय मस्जिद जुमा मस्जिद या कैथीड्रल मस्जिद के नाम से भी जानी जाती है. 1904 में बनी यह मस्जिद यूरोप की सबसे बड़ी मस्जिदों में शामिल है और जीर्णोद्धार के बाद यहां 10,000 लोग एक साथ नमाज पढ़ सकते हैं.
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अल हरम मस्जिद, मक्का
इस्लाम धर्म की सबसे महत्वपूर्ण और साढ़े तीन लाख वर्गमीटर में फैली दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिद है अल हरम. मूल रूप से 16वीं सदी में बनी इस मस्जिद में 9 मीनारें हैं. मस्जिद के अंदर काबा है जो इस्लाम का मुख्य पवित्रस्थल है.
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पैगंबर मस्जिद, मदीना
मक्का की अल हरम मस्जिद के बाद मदीने की मस्जिद इस्लाम का दूसरी सबसे पवित्र स्थल है. यहां पैगंबर मुहम्मद की कब्र है. यह मस्जिद 622 ईस्वी में बनी थी. इस मस्जिद में 600,000 श्रद्धालु एक साथ नमाज अदा कर सकते हैं.
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अल अक्सा मस्जिद, येरूशलम
येरूशलम में टेंपल माउंट पर स्थित अल अक्सा मस्जिद 5,000 जगहों के साथ दुनिया की छोटी मस्जिदों में शुमार होती है, लेकिन सोने के गुंबद वाली 717 ईस्वी में बनी यह मस्जिद विश्वविख्यात है और इस्लाम की तीसरी सबसे महत्वपूर्ण मस्जिद है.
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हसन मस्जिद, कासाब्लांका
सीधे अटलांटिक सागर तट पर बनी मस्जिद का नाम मोरक्को के पूर्व शाह हसन द्वितीय के नाम पर है. इसे 1993 में उनके जन्म की 60 वीं सालगिरह पर बनाया गया था. इसकी 210 मीटर ऊंची मीनार मस्जिदों में विश्व रिकॉर्ड बनाती है.
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शेख जायद मस्जिद, अबू धाबी
इस मस्जिद का उद्घाटन 2007 में हुआ. यह दुनिया की 8वीं सबसे बड़ी मस्जिद है. यह 224 मीटर लंबे और 174 मीटर चौड़े इलाके पर बनी है और मीनारों की ऊंचाई 107 मीटर है. मुख्य गुंबद का व्यास 32 मीटर है जो विश्व रिकॉर्ड है.
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जामा मस्जिद, दिल्ली
मुगल सम्राट शाह जहां द्वारा बनवाई गई जामा मस्जिद भारत की प्रसिद्ध मस्जिदों में शामिल है. 1656 में बनकर पूरी हुई पुरानी दिल्ली की यह मस्जिद दुनिया की 9वीं सबसे बड़ी मस्जिद है. यहां 25,000 लोग एक साथ नमाज अदा कर सकते हैं.
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रोम की मस्जिद
कैथोलिक धर्म की राजधानी कहे जाने वाले रोम में भी एक विशाल मस्जिद है. 30,000 वर्गमीटर जगह वाली यह मस्जिद यूरोप की सबसे बड़ी मस्जिद होने का दावा करती है. दस साल में बनी इस मस्जिद का उद्घाटन 1995 में किया गया था.
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अखमत कादिरोव मस्जिद, ग्रोज्नी
यह मस्जिद भूतपूर्व मुफ्ती और चेच्न्या के राष्ट्रपति रहे कादिरोव के नाम पर बनी है. वे 2004 में एक हमले में मारे गए थे. मस्जिद का निर्माण कार्य चेच्न्या युद्ध के कारण कई बार रोकना पड़ा. इसे 2008 में आम लोगों के लिए खोला गया.
इस मस्जिद का नाम रूसी अधिग्रहण से पहले कजान के आखिरी इमाम के नाम की याद दिलाता है. पड़ोस में स्थित कैथीड्रल के साथ इसे तातर जाति के मुसलमानों और ऑर्थोडॉक्स ईसाइयों के शांतिपूर्ण सहजीवन का सूत माना जाता है.