रहस्यमय और जादुई क्यों मानी जाती रही हैं काली बिल्लियां
३१ अक्टूबर २०२५
सर्दियों की आमद के साथ दिन का उजाला कम हो रहा है. यह साल का सबसे अंधेरा समय है. आप बाहर टहल रहे हैं. सूरज ढल चुका है. अचानक, किसी अंधेरे कोने से निकलकर एक काली बिल्ली आपकी राह में आ जाती है. अगर आप अंधविश्वासी हैं, तो मुमकिन है आप घबराकर पीछे हट जाएं. कई लोग काली बिल्लियों को दुर्भाग्य का संकेत मानते हैं, खासकर अगर बिल्ली "रास्ता काटकर" बाएं से दाएं जाए.
उनकी तेज भेदती हुई आंखें, गहरे चमकदार बाल, और बड़े शानदार तरीके से दबे पांव चलने की अदा, काली बिल्लियां अपने-आप में एक चलती-फिरती रहस्य लगती हैं. दुनिया की कई संस्कृतियों में उन्हें अलौकिक शक्तियों (सुपरनैचुरल) का एक प्रतीक माना जाता है.
हर साल 31 अक्टूबर को, हैलोवीन के आसपास भयावह और डरावनी चीजों का जश्न मनाया जाता है. हैलोवीन पास आते ही काली बिल्लियां मानो हर जगह नजर आने लगती हैं. सजावट के तौर पर, फिल्मी किरदारों के रूप में, और यहां तक कि काली बिल्ली का गेटअप भी खूब दिखाई देता है. लेकिन, काली बिल्ली डर और रहस्य का इतना बड़ा प्रतीक कैसे बन गई?
कहां से आया हैलोवीन त्योहार, जिसमें लोगों को कद्दू से डराया जाता है!
ब्लैक कैट: 'चुड़ैलों' की साथी से लेकर हैलोवीन का मुख्य आकर्षण
काली बिल्लियों की डरावनी छवि का इतिहास मध्य युग से जुड़ा है. उस समय, उन्हें जैसे 'बलि का बकरा' बना दिया गया. जबकि वो खुद बुराई, अमंगल और दुष्टता जैसे डरों का शिकार थीं. 'विच हंट' के दौरान, लोग मानते थे कि काली बिल्ली असल में 'चुड़ैल' होती है और भेष बदलकर रात के अंधेरे में चुपके से लोगों का अनिष्ट करने निकलती है.
'शैतानी' जीव माने जाने के कारण, काली बिल्लियों को भी अक्सर 'चुड़ैल' ठहरा दी गईं महिलाओं के साथ जला दिया जाता था. उस समय की कई कलाकृतियों और चित्रों में 'चुड़ैलें' काली बिल्लियों के साथ दिखाई गई हैं.
18वीं शताब्दी तक, फ्रांस के कुछ हिस्सों में, गर्मी की आमद के मौके पर जलाई जाने वाली अलाव में 13 काली बिल्लियों को जिंदा जला देने की प्रथा थी. फ्रांसीसी पत्रकार जीन-लुईस ह्यू ने बिल्लियों पर एक किताब लिखी है. इसमें वे बताते हैं कि बेल्जियम के यप्रेस में काली बिल्लियों को चर्च की मीनार से नीचे फेंक दिया जाता था.
यूरोप के वो शुरुआती लोग जो दूसरी जगहों पर गए, वो अपने अंधविश्वास भी साथ ले गए. 19वीं सदी में हैलोवीन, संयुक्त राज्य अमेरिका में एक लोकप्रिय लोक उत्सव बन रहा था. काली बिल्ली इस परंपरा का एक प्रमुख हिस्सा बन रही थी.
वो परंपराएं आज तक चली आ रही हैं. रात के अंधेरे की तरह स्याह रंग, उभरी हुई पीठ और चमकती-रहस्यमय आंखों वाली काली बिल्लियां अब भी हैलोवीन के ग्रिटिंग कार्ड्स पर, नक्काशी किए जाने वाले कद्दुओं और घर के बाहर की जाने वाली खास सजावटों (टूम्बस्टोन्स) पर नजर आती हैं.
कई संस्कृतियों में अच्छी किस्मत का भी प्रतीक है काली बिल्ली
हालांकि, हर कोई काली बिल्ली को दुर्भाग्य लाने वाला नहीं मानता. ब्रिटेन और आयरलैंड में मान्यता है कि काली बिल्ली रास्ता काटे, या घर में घुस जाए तो वो सौभाग्य लाती है. स्कॉटलैंड में, आपके घर के दरवाजे पर काली बिल्ली का आना आने वाली समृद्धि का संकेत माना जाता है.
जापान में काली बिल्ली भाग्य और धन का प्रतीक हैं. साथ ही, यह भी माना जाता है कि वो बुरी सेहत से रक्षा करती हैं. जापान में "मनेकी-नेको" रखने का भी रिवाज है. ये बिल्ली की एक छोटी सी मूर्ति होती है, खिलौने जैसी. माना जाता है कि यह अच्छी किस्मत, खुशी और संपन्नता लाती है. पारपंरिक तौर पर ये मूर्तियां काले रंग की होती हैं, यानी काली बिल्ली. मान्यता है कि यह 'बुरी शक्तियों' को दूर भगाती है. यह भी कहा जाता है कि जिस महिला के पास काली बिल्ली होती है, उसे पुरुषों को आकर्षित करने में ज्यादा सफलता मिलती है.
काली बिल्लियां समुद्री जहाजों पर भी काफी लोकप्रिय थीं. उन्हें शुभ संकेत के रूप में देखा जाता था, जो न सिर्फ तूफानों को शांत रखती थीं, बल्कि नाविकों की सुरक्षित वापसी भी सुनिश्चित करती थीं. और हां, वे जहाजों को चूहों से बचाने का अपना काम भी बखूबी करती थीं.
प्राचीन मिस्र में देवी बस्तेत को गर्भवती महिलाओं, मांओं और बच्चों की रक्षक के रूप में पूजा जाता था. वह आनंद, संगीत और नृत्य की भी संरक्षक थीं. शुरुआती चित्रों में उन्हें बिल्ली के सिर वाली एक महिला के रूप में दिखाया गया है. बाद में उन्हें अक्सर पूरी तरह से बिल्ली के रूप में चित्रित किया जाने लगा. उनका रंग हमेशा काला ही रहता था.
काली बिल्लियां किस वजह से काली होती हैं?
एक लोक मान्यता के मुताबिक, ईश्वर ने कौवे को बनाने से पहले काली बिल्ली को बनाया था. इसलिए, उसे सबसे खरा काला रंग मिला. विज्ञान की नजर से देखें, तो यह गहरा रंग किसी चमत्कार या जादू के कारण नहीं है, बल्कि यह तो आनुवंशिकी का नतीजा है.
साइप्रस में छह महीने में तीन लाख बिल्लियों की मौत
बिल्लियों में पाया जाने वाला 'बी' जीन, यूमेलेनिन नाम के एक पिगमेंट को बनाना शुरू करता है. यही पिगमेंट बिल्लियों के फर के साथ-साथ कभी-कभी उसकी नाक और पंजों को भी काला रंग देता है.
एक और दिलचस्प बात यह है कि अधिकांश ब्लैक कैट्स नर होते हैं. ऐसा इसलिए है कि बी जीन, एक्स क्रोमोजोम पर पाया जाता है. नरों में सिर्फ एक एक्स क्रोमोसोम होता है, जबकि मादाओं में दो होते हैं. इसका मतलब है कि मादा को पूरी तरह काला होने के लिए उसके दोनों क्रोमोसोम में 'बी जीन' का होना जरूरी है.
कला और संस्कृति में ब्लैक कैट्स की लंबी विरासत
काली बिल्लियों का कला और संस्कृति में एक लंबा इतिहास रहा है. साल 1843 में, एडगर एलन पो ने अपनी एक लघु कहानी "द ब्लैक कैट" काली बिल्लियों को समर्पित की थी. यह हत्या और 'पागलपन' की कहानी है.
क्या डरावनी फिल्मों से बढ़ेगा समाज में अंधविश्वास?
वक्त के साथ काली बिल्ली पॉप कल्चर में कूल, आजाद और बगावती स्वभाव की एक प्रतीक बनकर उभरी. अमेरिकी टीवी सीरीज "सबरीना द टीनएज विच" (1996) में व्यंग्यात्मक बातें करने वाली सलेम नाम की बिल्ली, लोगों में बहुत लोकप्रिय हुई. सलेम एक कल्ट आइकॉन बन गई.
एनिमे सीरीज "सेलर मून" में, लूना नाम की बात करने वाली काली बिल्ली है. इसके माथे पर आधा चांद बना है. लूना, नायकों की मार्गदर्शक और रक्षक की भूमिका निभाती है. वह महिलाओं के सहज-ज्ञान और समझदारी का भी प्रतीक है.
फिल्म निर्देशक टिम बर्टन की "द नाइटमेयर बिफोर क्रिसमस" और "कॉर्प्स ब्राइड" जैसी फिल्मों में, काली बिल्लियों का इस्तेमाल उनके खास विजुअल स्टाइल का हिस्सा है. ये बिल्लियां जितनी खूबसूरत दिखती हैं, उतनी ही उदासी से भरी भी लगती हैं.
सुपरहीरो फिल्म "ब्लैक पैंथर" (2018) की सफलता के बाद, कई लोगों ने काली बिल्लियों को गोद लिया. उनका नाम फिल्म के पात्रों, जैसे कि टी'चाल्ला या शूरी के नाम पर रखा.
रॉक और गॉथ कल्चर में काली बिल्ली को व्यक्तित्व, रहस्यमय आकर्षण, शालीनता, अलगाव और गर्व के प्रतीक के रूप में देखा जाता है.
हैलोवीन के मौके पर, अगर हम याद करें कि काली बिल्लियां अपने अंदर कितने अलग-अलग मतलब और गुण समेटे होती हैं, तो हम उन्हें सिर्फ डर के प्रतीक के तौर पर नहीं देखेंगे. बल्कि, हम उन्हें उस तरह देख पाएंगे, जैसी वो सच में हैं- सुंदर, रहस्यमय, आजाद, और शायद थोड़ी सी जादुई भी.