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समाज

फ्रांस: हिजाब पहनने को लेकर लड़कियों का संघर्ष

६ मई २०२१

फ्रांस में सार्वजनिक जगहों पर 18 साल से कम उम्र की लड़कियों के हिजाब पहनने पर रोक लगाने को लेकर सीनेटरों के एक प्रस्ताव का विरोध हो रहा है. सोशल मीडिया पर इससे जुड़ा हैशटैग जमकर वायरल हो रहा है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa/Maxppp/F. Dubray

16 साल की मरियम चौरक अपने आपको सच्चा मुसलमान मानती हैं और हिजाब पहनने को पैगंबर मोहम्मद के प्रति अपने लगाव की अभिव्यक्ति के तौर पर देखती है. लेकिन फ्रांसीसी सीनेटरों का एक प्रस्ताव जल्द ही उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर ऐसा करने की आजादी से वंचित कर सकता है.

फ्रांस के 'अलगाववाद विरोधी' बिल में संशोधन का मकसद फ्रांस के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को मजबूत करना है. 'एंटी सेपरेटिज्म' बिल में सार्वजनिक जगहों पर 18 साल से कम उम्र की लड़कियों के हिजाब पहनने पर रोक लागू करने का प्रावधान है. इस प्रस्ताव का विरोध ना केवल सोशल मीडिया पर हो रहा है बल्कि यह फ्रांस की सीमा को भी पार कर गया है. सोशल मीडिया पर #HandsOffMyHijab इन दिनों जमकर वायरल हो रहा है.

मरियम चौरक कहती हैं, "यह मेरी पहचान का हिस्सा है. मुझे इसे हटाने के लिए मजबूर करना अपमानजनक होगा." वे आगे कहती हैं, "मुझे समझ में नहीं आता वे ऐसा कानून क्यों पारित करना चाहते हैं जिससे भेदभाव होगा." फ्रांस में धार्मिक स्थल और सार्वजनिक रूप से पहने जाने वाले धार्मिक पहनावे को लेकर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है. फ्रांस एक धर्मनिरपेक्ष देश है और यह मुस्लिम अल्पसंख्यकों का यूरोप में सबसे बड़ा ठिकाना है.

फ्रांस ने 2004 में सरकारी स्कूलों में स्कार्फ पहनने पर रोक लगा दी थी. 2010 में फ्रांस की सरकार ने पार्कों, गलियों, सार्वजनिक परिवहन और प्रशासनिक भवनों में नकाब पहनने पर रोक लगा दी थी. नया संशोधन सभी धर्म से जुड़े प्रतीक चिन्ह पहनने से संबंधित है, हालांकि विरोधियों का कहना है कि यह मुसलमानों को लक्षित करता है. सीनेटर क्रिश्चियन बिल्हाक ने अप्रैल में सांसदों से कहा कि इससे युवाओं की सुरक्षा होगी. उन्होंने ऊपरी सदन में कहा था, "माता-पिता को अपने बच्चों पर हठधर्म नहीं थोपना चाहिए."

फ्रांस की युवा लड़कियां इस प्रस्ताव के खिलाफ सोशल मीडिया पर अभियान चला रही हैं. उन्हें सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर, एक अमेरिकी सांसद और हिजाब पहनकर ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली अमेरिकी खिलाड़ी से समर्थन हासिल है. 

25 साल की मेडिकल की छात्रा मोन अल मशलोए कहती हैं, "वे (नेता) हमारा उद्धार करना चाहते हैं, वे हमें इस काल्पनिक उत्पीड़न से बचाना चाहते हैं, लेकिन यही वे हैं जो अत्याचार कर रहे हैं." फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों पहले ही कह चुके हैं कि हिजाब फ्रांस के धर्मनिरपेक्ष आदर्शों से मेल नहीं खाता है.

एए/सीके (रॉयटर्स)

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