गोरे लोगों में नस्लभेद की भावना आज भी बहुत ज्यादा है
२३ मई २०२३
तमाम आर्थिक, सामाजिक प्रगतियों और शिक्षा के बावजूद इंसान के मन से नस्ली भेदभाव का कांटा नहीं निकल सका है. ऐसी सोच नहीं रखने का दावा करने वाले गोरे लोगों में यह और ज्यादा है. वैज्ञानिक रिसर्चों ने इस बात की पुष्टि की है.
विज्ञापन
अगर कोई एक चीज है जिस पर सबलोग सहमत हैं तो वह यह है कि सारे इंसान एक ही प्रजाति के हैं. इस प्रजाति का नाम है, होमो सेपियेंस. हालांकि एक नई रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि इस बात को सच मानने वाले लोग वास्तव में उतने हैं नहीं जितने कि दावा करते हैं.
द प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में सोमवार को छपी यह रिपोर्ट हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और टफ्ट्स यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों की टीम ने 60,000 लोगों पर 13 प्रयोगों से हासिल नतीजों के आधार पर तैयार की है.
प्रयोग में शामिल लोगों में 90 फीसदी ने साफ तौर पर यह माना कि गोरे हो या काले सबलोग इंसान हैं जो एक ही प्रजाति के हैं. हालांकि अमेरिका और दूसरे देशों के गोरे लोगों ने मानव शब्द का मतलब दूसरे समूह के लोगों की तुलना में अपने समूह के लोगों को ज्यादा समझा है.
इसके उलट काले, एशियाई और हिस्पानियाई प्रतिभागियों ने इस तरह का कोई पूर्वाग्रह नहीं दिखाया. वो अपने समूह के साथ ही गोरे लोगों को भी "इंसान" मानते हैं.
रिपोर्ट की प्रमुख लेखक किर्स्टेन मोरहाउस हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रही हैं. समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में उन्होंने कहा, "मेरे लिए सबसे बड़ी जानकारी तो यह है कि सदियों से जो भावनाएं हमारे आस पास रही हैं हम आज भी उनसे एक नये रूप में उलझ रहे हैं."
मानव सभ्यता के पूरे इतिहास में दूसरी नस्लों को इंसान नहीं समझना गैरबराबरी के व्यवहार की पूर्वशर्त रही है. यही गैरबराबरी का अहसास पुलिस की क्रूरता से लेकर जनसंहार तक को जन्म देता है.
विज्ञापन
इंप्लिसिट एसोसिएशन टेस्ट
यह रिसर्च में इंप्लिसिट एसोसिएशन टेस्ट, आइएटी का सहारा लिया गया है. यह एक उपकरण है जिसे 1990 के दशक में विकसित किया गया था और इस क्षेत्र में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है. कंप्यूटर आधारित यह उपकरण दो विचारों के बीच सहयोग की ताकत को मापता है. उदाहरण के लिए काले और गोरे लोग या गे और स्ट्रेट लोग और दो लक्षण जैसे कि अच्छा और बुरा.
विचार यह है कि आसानी से जुड़ने का मतलब है कि दिमाग में सहयोग मजबूत है. जुड़ने के लिए आपको की बोर्ड पर उंगलियां चलानी होती हैं. उंगलियां तेज चलीं तो मतलब सहयोग मजबूत है और धीमें चलीं तो जुड़ना मुश्किल है.
रिसर्चरों का मानना है कि आईएटी के परीक्षणों ने उस रवैये को दिखाया है जिसे लोक सार्वजनिक नहीं करना चाहते या फिर चेतना के स्तर पर उसके प्रति जागरूक हैं. सारे प्रयोगों के दौरान गोरे लोगों में से 61 फीसदी प्रतिभागियों ने गोरे लोगों को "इंसानों" से ज्यादा जोड़ा जबकि काले लोगों को "जानवरों" से. इससे भी बड़ी संख्या लगभग 69 फीसदी उन लोगों की थी जिन्होंने गोरे लोगों को तो इंसानों से जोड़ा लेकिन एशियाई लोगों को जानवरों से. गोरे और हिस्पानियाई लोगों के बीच हुए परीक्षणों का नतीजा भी यही रहा.
इन नतीजों पर लोगों की उम्र, धर्म और शिक्षा का कोई असर नहीं था लेकिन लिंग और राजनीतिक रुझानों का असर जरूर था. खुद को रुढ़िवादी मानने वाले लोगों ने गोरे लोगों और इंसानों के बीच रिश्तों को ज्यादा मजबूत माना.
अश्वेत लोगों में भी पूर्वाग्रह
अश्वेत लोगों में अपने समूहों की तुलना में गोरे लोगों के प्रति इस तरह का नस्ली पूर्वाग्रह नहीं दिखाई दिया. हालांकि जब उन्हें गोरे लोगों और दूसरे अल्पसंख्यक समूहों के प्रति उनका परीक्षण किया गया तो उन्होंने गोरे लोगों को काले लोगों के तुलना में ज्यादा इंसान माना.
कार्टून के सहारे रंगभेद से लड़ाई
तुर्की से लेकर ईरान और ब्राजील से लेकर बेल्जियम तक दुनिया भर के कार्टूनिस्ट अपनी कला का इस्तेमाल नस्लवाद का विरोध करने में कर रहे हैं.
सबके लिए रंगीन दुनिया
रंगीन दुनिया में कुछ लोगों को जरूर खोना पड़ता है. दक्षिण कोरियाई कलाकार योंग सिक ओह के इस कार्टून में यही दिखाया गया है. इंसान अब भी नस्लवाद या रंगभेद को मिटाने में सफल नहीं हो सका है. भेदभाव ना सिर्फ काले लोगों के साथ है बल्कि समलैंगिक, महिला या फिर दूसरे धर्मों के साथ भी. यह इस पर निर्भर है कि आप रहते कहां हैं.
थोड़ा और रंग भी चलेगा
जर्मन पेयर वेडरविले के इस कार्टून में दो काले पक्षी एक पेड़ की शाखा पर बैठे हैं और उनके पीछे काली और सफेद जमीन है. सामने की शाखा पर एक रंगीन पक्षी को बैठे देख कर एक पक्षी दूसरे से कहता है कि विदेशी अच्छे से घुलते मिलते नहीं हैं, देखने में भी.
तस्वीर: -
नस्लवादी कंपोजर
एबनी और आइवरी (काले सफेद की) जब मेरे पियानों में साथ साथ रह सकते हैं तो हे भगवान हम क्यों नहीं? बीटल फेम गायक पॉल मैक्कार्टनी ने अपने मशहूर गीत "एबनी एंड आइवरी" में यही गाया. बेल्जियम के किम डूषाटू ने इस कार्टून को बनाते वक्त निश्चित रूप से यही सवाल अपने आप से पूछा होगा. एक पियानो वादक को जरूर यह जानना चाहिए कि काली और सफेद दोनों तरह के बटन के बगैर उसके पास सिर्फ शोर ही बचेगा.
यूरोपीय राष्ट्रगान में व्यथा
ओड टू जॉय दुनिया भर में मशहूर है. इसे फ्रीडरीष शिलर ने 1785 में लिखा था और बेथोफन ने अपनी नाइंथ सिंफनी में इसे संगीत में ढाला. यह 1985 से ही यूरोपीय संघ का राष्ट्रगान है. इस कार्टून में भगोड़े गीत के छंदों में फंसे हुए दिखाई देते हैं जो कांटेदार तार का प्रतीक हैं और नीचे लिखा है, "सारे लोग भाई बन जाएंगे." इसमें यूरोप की सीमा पर शरणार्थियों के साथ होने वाला व्यवहार दिखाया गया है.
शर्त के साथ स्वागत
लोगों के अपने देश छोड़ने के पीछे कई वजहें हैं, जैसे कि जंग, दमन या गरीबी. हालांकि इन शरणार्थियों का दूसरी जगह भी स्वागत नहीं होता है. ऐसे में वो किसी और ठिकाने की ओर जाने की कोशिश करते हैं, गैरकानूनी रूप से कभी पैदल तो कभी रबड़ की नावों में. यान टॉमाशॉफ का कार्टून यह दिखाता है कि जो देश शरणार्थियों के लिए खुले हैं वहां भी उन्हें पहले नए देश के लिए उपयोगी साबित होना पड़ता है.
आम आदमी का पर्दा
लोकतांत्रिक समाज किसी भी तरह के रंगभेद या भेदभाव पर संविधान के जरिए रोक लगाते हैं. हालांकि सम्मानित लगने वाले कुछ लोग अपने धुर दक्षिणपंथी विचारों को आम आदमी के पर्दे की आड़ में छिपा लेते हैं जैसा कि बर्न्ड पोलेंज ने इस कार्टून में दिखाया है. यहां सूट पहने इस आदमी के सिर में एक छोटा सा गंजा आदमी है जो बेसबॉल की बैट हाथों में लिए आंख से बाहर निकल कर झांक रहा है जैसे कि वो कोई झांकने वाली छेद हो.
तस्वीर: -
गुप्त नस्लभेदी समाज
ईरानी कार्टूनिस्ट साएद सादेगी के इस कार्टून में पेंसिलों की कतार है, और सिर्फ एक की नोक सफेद है जिसमें आंखों की भी छेद है, निश्चित रूप से यह कू क्लक्स क्लैन की आकृति है. यह गुप्त समाज इस सच्चाई को स्वीकार नहीं करता कि अमेरिकी गृहयुद्ध के बाद से ही वहां गुलामी खत्म हो चुकी है. इसके सदस्यों ने योजनाबद्ध तरीके से पहले काले लोगों और फिर यहूदियों, कम्युनिस्टों और समलैंगिकों को निशाना बनाया.
रोजा पार्क्स को श्रद्धांजलि
अमेरिकी कलाकार लोरेन फिशमैन ने रंगभेद से लड़ने वाली काली रोजा पार्क्स को श्रद्धांजलि दी है. अफ्रीकी अमेरिकी पार्क्स को 1955 में गिरफ्तार किया गया क्योंकि वो बस में एक गोरे के लिए अपनी सीट से उठने को तैयार नहीं थीं. सात दशकों बाद भी रंगभेद आज अमेरिका में प्रमुख मुद्दा है. कार्टून में एक काली महिला वाशिंग मशीन के सामने खड़ी है जिन पर काले और सफेद धुलाई के विकल्प है और सोचती है: "भाड़ में जाए..."
जिंदगी रंगीन है
डाइवर्सिटी जिंदगी को रंगीन बनाती है. इसे दिखाने के लिए गीडो कुह्न ने योहानेस फेरमेयर की मशहूर पेंटिंग की "गर्ल विद द पर्ल ईयररिंग्स" को दिखाया है. यहां इसे मोनालिसा ऑफ द नॉर्थ कहा जाता है. इसमें तीन अलग अलग रंगों की मुस्कुराती बहनें हैं. तस्वीर के नीचे जो लिखा है उसमें सब बयान हो जाता है.
तस्वीर: -
काल्पनिक आदर्श
तुर्क कार्टूनिस्ट बुराक एर्गिन समाज में और ज्यादा सहनशीलता की अपील करते हैं. प्रदर्शनकारियों को पीटती पुलिस अकसर सुर्खियां बटोरती है लेकिन इस कार्टून में पुलिस अधिकारी और प्रदर्शनकारी हाथों में फूल ले कर एक दूसरे की तरफ बांहें फैलाए बढ़ रहे हैं. सच्चाई भले ही अलग हो लेकिन उनका कार्टून सामंजस्य का एक काल्पनिक आदर्श दिखाता है.
दुनिया के रंग
कार्टूनिस्ट फ्रीलाह के देश ब्राजील में सारे रंग है वो इन्हें एथनो कलर्स नाम देते हैं. कई देशों के लोगों ने यहां के मूल निवासियों के साथ शादियां की हैं और हर रंग के ब्राजीलियाई लोग देश की समृद्ध संस्कृति की विरासत के रूप में मौजूद हैं हालांकि इसके बाद भी काले और सांवले रंग वाले लोगों के साथ नस्लभेद यहां जारी है.
यिन और यांग
अगर लोग चीनी लोगों के यिन और यांग के सिद्धांत को अपना लें तो नस्लभेद का मुद्दा बाकी नहीं बचेगा इसके मुताबिक दो विपरीत ताकतें एक दूसरे की ओर आकर्षित होती हैं इनमें तो कोई बड़ा होता है ना कोई छोटा. इसमें एक संतुलन होता है ये दोनों आधे आधे हैं जो आपस में मिल कर पूरे होते है. इस कार्टून के सहारे क्यूबा के मिगेल मोरालेस ने साफ कहा है, "नस्लवाद को ना है."
12 तस्वीरें1 | 12
मोरहाउस इन नतीजों को इस सच्चाई से जोड़ती हैं कि गोरे लोग अमेरिका में आर्थिक और सामाजिक रूप से ज्यादा दबदबा रखते हैं. प्रयोग में शामिल 85 फीसदी लोग अमेरिका के ही थे. उनका कहना है कि तीसरे पक्ष के रूप में इन समूहों का गोरे लोगों के प्रति आग्रह "दिखाता है कि ये सामाजिक वर्णक्रम कितना ताकतवर है." उन्होंने यह भी कहा कि भले ही इस परीक्षण के नतीजे कुछ लोगों को असहज कर देंगे लेकिन पुरानी छवियों को तोड़ने के लिए जागरूगता सबसे पहला कदम है.