हरियाणा में भी अब दूसरे कई राज्यों की तर्ज पर सरकार धर्मांतरण विरोधी कानून लाने जा रही है. कई और राज्य पहले से ही ऐसे कानून ला चुके हैं लेकिन इनमें मनमानी कानूनी कार्रवाई की आशंकाओं को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
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हरियाणा गैरकानूनी धर्मांतरण निषेध बिल, 2022 के मसौदे को राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी है. अब विधेयक को मार्च में विधान सभा के मानसून सत्र में लाया जाएगा. 90 सदस्यों के सदन में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन बहुमत में है, इसलिए अनुमान लगाया जा रहा है की विधेयक पास हो जाएगा.
मसौदे का उद्देश्य "बहका कर, जबरन, अनुचित प्रभाव, लालच दे कर, धोखा दे कर, शादी कर या शादी के लिए धर्मांतरण कराने" को अपराध घोषित करना है.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक मसौदे में लिखा है, "धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार से धर्म बदलने का सामूहिक अधिकार नहीं मिल सकता...इसके बावजूद व्यक्तिगत और बड़ी संख्या में धर्मांतरण के कई मामले सामने आए हैं."
मसौदे में यह भी लिखा है कि ऐसे कई "छद्म सामाजिक संगठन हैं जिनका छिपा हुआ एजेंडा है दूसरे धर्मों के कमजोर तबकों का धर्मांतरण करवाना."
विधेयक के मुताबिक "हाल ही में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जिनमें कुछ लोग अपने धर्म की शक्ति को बढ़ाने के लिए दूसरे धर्मों के लोगों के साथ धोखे से शादी कर लेते हैं और शादी के बाद दूसरे व्यक्ति को उनका धर्म अपनाने के लिए मजबूर कर देते हैं."
आगे लिखा है कि ऐसे कृत्य "न सिर्फ धर्म परिवर्तन कराए जाने वाले व्यक्ति की धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हैं बल्कि हमारे समाज के धर्म निरपेक्ष ताने बाने पर भी प्रतिकूल असर डालते हैं."
अंतर-धार्मिक विवाह रद्द भी हो सकते हैंतस्वीर: Nasir Kachroo/NurPhoto/imago images
विधेयक का सबसे दिलचस्प पहलू शायद यह है कि जिसके खिलाफ धोखे से या जबरन धर्मांतरण कराने का आरोप लगाया जाएगा खुद को बेगुनाह करने की जिम्मेदारी उसी की होगी. भारतीय कानून में सैद्धांतिक रूप से 'बर्डन ऑफ प्रूफ' यानी प्रमाण देने की जिम्मेदारी दावा करने वाले की होती है, न कि जिसके खिलाफ दावा किया गया हो उसकी.
इसके अलावा नए कानून के तहत एक प्राधिकरण नियुक्त किया जाएगा जिसे हर धर्म बदलने वाले व्यक्ति को यह जानकारी देने होगी कि वो अपनी मर्जी से धर्म बदल रहा है या नहीं.
प्राधिकरण फिर इन दावों की जांच भी करेगा. विशेष रूप से अंतर-धार्मिक शादियों के मामले में धर्मांतरण इस कानून के हिसाब से अवैध पाए जाने पर इस प्राधिकरण के पास शादी को रद्द करने की शक्ति भी होगी.
"लव जिहाद" पर राज्यों में सख्त से सख्त कानून बनाने की होड़!
अंतरधार्मिक शादियों के खिलाफ बीजेपी शासित राज्य सख्त से सख्त कानून बना रही हैं. उनका कहना है कि लड़की पर जबरन दबाव डालकर शादी कर ली जाती है और फिर उसका धर्म परिवर्तन करा दिया जाता है.
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"लव जिहाद" क्या वाकई होता है?
4 फरवरी 2020 को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने लोकसभा को बताया कि "लव जिहाद" शब्द मौजूदा कानूनों के तहत परिभाषित नहीं है. साथ ही उन्होंने संसद को बताया कि इससे जुड़ा कोई भी मामला केंद्रीय एजेंसियों के संज्ञान में नहीं आया. रेड्डी ने कहा था कि संविधान का अनुच्छेद 25 किसी भी धर्म को स्वीकारने, उसका पालन करने और उसका प्रचार-प्रसार करने की आजादी देता है.
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बीजेपी के एजेंडे पर "लव जिहाद"!
भले ही केंद्र सरकार कहे कि "लव जिहाद" कानून में परिभाषित नहीं है लेकिन बीजेपी के नेताओं, मंत्रियों और सरकारों ने अंतरधार्मिक प्रेम और शादियों के खिलाफ पिछले कुछ समय में कड़ा रुख अपनाया है. नेता बयान दे रहे हैं और उन पर समाज में नफरत का माहौल बनाने के आरोप लग रहे हैं. वहीं बीजेपी शासित राज्य सरकारें जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ सख्त कानून बना रही हैं.
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यूपी में कितना सख्त है कानून?
यूपी में धर्मांतरण रोधी कानून को लागू हुए एक महीना पूरा हो चुका है. 27 नवंबर 2020 को राज्यपाल ने "विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020" को मंजूरी दी थी जिसके बाद यह कानून बन गया. इस कानून में कड़े प्रावधान बनाए गए हैं. धर्म परिवर्तन के साथ अंतरधार्मिक शादी करने वाले को साबित करना होगा कि उसने इस कानून को नहीं तोड़ा है, लड़की का धर्म बदलकर की गई शादी को शादी नहीं माना जाएगा.
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यूपी में एक महीने में क्या हुआ?
यूपी में धर्मांतरण रोधी कानून को लागू होने के एक महीने के भीतर पुलिस ने प्रदेश में इसके तहत 14 मामले दर्ज किए. पुलिस ने 51 लोगों को गिरफ्तार किया जिनमें 49 लोग जेल में बंद किए गए. इन मामलों में 13 मामले कथित तौर पर हिंदू महिलाओं से जुड़े हैं और आरोप लगाया कि उन पर इस्लाम कबूल करने का दबाव बनाया गया. सिर्फ दो ही मामले में महिला खुद शिकायतकर्ता है.
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हाईकोर्ट का सहारा
यूपी में लागू कानून के आलोचकों का कहना है कि यह व्यक्तिगत आजादी, निजता और मानवीय गरिमा जैसे मौलिक अधिकारों का हनन है. इस कानून को चुनौती देने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है. इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतरधार्मिक विवाह वाले युवक युवती को साथ रहने की इजाजत दी थी. हाईकोर्ट ने कहा था, "महिला अपने पति के साथ रहना चाहती है और वह किसी भी तीसरे पक्ष के दखल के बिना रहने को आजाद है."
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मध्य प्रदेश में भी "लव जिहाद"?
मध्य प्रदेश की कैबिनेट ने मंगलवार 29 दिसंबर 2020 को "धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश 2020" को मंजूरी दी है. प्रदेश में जो कानून बनने जा रहा है उसके मुताबिक जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कर शादी करने वालों को अधिकतम 10 साल की सजा और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान किया जाएगा.
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किस राज्य का कानून ज्यादा सख्त?
अध्यादेश के मुताबिक मध्य प्रदेश में प्रलोभन, धमकी, शादी या किसी अन्य कपट पूर्ण तरीके द्वारा धर्म परिवर्तन कराने वाले या फिर उसकी कोशिश या साजिश करने वाले को पांच साल के कारावास के दंड और 25,000 रुपये से कम जुर्माना नहीं होगा. वहीं यूपी ने इसके लिए 15,000 के जुर्माने का प्रावधान रखा है लेकिन वहां भी सजा का प्रावधान अधिकतम पांच साल तक है.
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हिमाचल प्रदेश
प्रदेश में 2007 से ही जबरन या फिर छल-कपट से धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून लागू है. कुछ दिनों पहले धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया गया था. इसके तहत किसी भी शख्स को धर्म परिवर्तन करने से पहले प्रशासन को इसकी सूचना देनी होगी. ऐसा ही कानून जब 2012 में कांग्रेस की सरकार लेकर आई थी तब हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक और मौलिक अधिकारों के हनन वाला बताया था.
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