हरियाणा में, जहां की पुलिस के पास अपराधों की शिकायतों की संख्या देश में दूसरी सबसे ज्यादा है, अब बीफ रोको अभियान चल रहा है. पुलिस वालों को निर्देश हैं कि बीफ की बिक्री किसी भी हालत में नहीं होनी चाहिए.
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गोमांस को लेकर भारत भर में जारी विवाद का अगला केंद्र हरियाणा हो सकता है. यहां की सरकार बीफ के खिलाफ मुहिम शुरू कर रही है और पुलिसवालों की ड्यूटी लगाई जा रही है कि बिरयानी की जांच करें. यह जांच खासकर मेवात इलाके में हो रही है जहां मुसलमानों की आबादी ज्यादा है. इस बात का विरोध भी हो रहा है लेकिन सरकार की सफाई है कि यह मुद्दा कानून और व्यवस्था से जुड़ा है और पुलिस का काम है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखे. हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने पुलिसिया जांच का बचाव किया है.
ईद आने वाली है और उससे ठीक पहले मेवात में पुलिस वाले बिरयानी के नमूने जमा करते घूम रहे हैं. ये नमूने फॉरेंसिक लैब में भेजे जा रहे हैं, यह पता लगाने के लिए कि बिरयानी में कहीं गोमांस तो नहीं है. अनिल विज ने पुलिसवालों की इस तरह की ड्यूटी लगाए जाने को सही ठहराया है. उन्होंने कहा, "पुलिस की जिम्मेदारी है कानून को लागू करना. भारत में बीफ खाना अवैध है, इसलिए पुलिसवालों का काम है कि देखें, कोई बीफ तो नहीं खा रहा है."
भारत में बहुत लोग बीफ खाते हैं, ये देखिए
ये हैं भारत के बीफ खाने वाले
भारत में खानपान की आदतें केवल व्यक्तिगत पसंद नहीं बल्कि धर्म, जाति, क्षेत्र और आय पर आधारित एक जटिल समीकरण से जुड़ी हैं. देखिए सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में कौन लोग गाय या भैंस का मांस खाते हैं.
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राष्ट्रीय सैंपल सर्वे ऑफिस एनएसएसओ के 2011-12 के आंकड़ें दिखाते हैं कि भारत में करीब 8 करोड़ लोग बीफ या भैंस का मीट खाता है.
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आंकड़ों के अनुसार बीफ यानि गौमांस और भैंस का मीट खाने वाले ये लोग सभी धर्मों और राज्यों में पाये जाते हैं. इन 8 करोड़ लोगों में करीब सवा करोड़ हिन्दू हैं.
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एनएसएसओ के आंकड़ों से हाल के सालों में मीट की खपत बढ़ने का पता चलता है. इस सर्वे में करीब एक लाख लोगों से आंकड़ें इकट्ठे किए गए. देखा गया कि हफ्ते और महीने की औसत अवधि में एक परिवार खाने की किन चीजों पर कितना खर्च करता है.
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विश्व में मांस की खपत का लेखाजोखा करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था एफएओ की 2007 में जारी 177 देशों की सूची में भारत को अंतिम स्थान मिला. 43 किलो के विश्व औसत के मुकाबले भारत में प्रति व्यक्ति सालाना मांस की खपत मात्र 3.2 किलो दर्ज हुई.
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एफएओ बताता है कि दुनिया भर में लोगों की क्रय क्षमता बढ़ने, शहरीकरण और खानपान की आदतें बदलने के कारण मांस की खपत बढ़ी है. भारत में खपत विश्व औसत से काफी कम है लेकिन वह बीफ, भैंस के मांस और काराबीफ का सबसे बड़ा निर्यातक है.
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भारत में धर्म के आधार पर गाय या भैंस का मांस खाने वाला सबसे बड़ा समुदाय 6 करोड़ से अधिक मुसलमानों का है. संख्या के मामले में इसके बाद सबसे अधिक हिन्दू समुदाय आता है. जबकि प्रतिशत के अनुसार मुसलमानों के बाद ईसाई आते हैं.
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मुसलमानों के अलावा अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी/एसटी) गाय या भैंसों का मीट खाने वाला सबसे बड़ा तबका है. हिन्दुओं में इसे खाने वाले 70 फीसदी से अधिक लोग एससी/एसटी, 21 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग और करीब 7 फीसदी उच्च जातियों से आते हैं.
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मेवात मुस्लिम बहुल इलाका है. यहां के बाजार में करीब 10 हजार ठेले और रेस्तरां हैं जो बिरयानी बेचते हैं. बकरीद पर धंधा सबसे अच्छा होता है. ठेले वालों के लिए यह सबसे अहम वक्त है क्योंकि कमाई इसी वक्त होनी है. ऐसे में पुलिसवाले आ धमकते हैं और बिरयानी के नमूने जमा करने लगते हैं. इसका असर सीधा धंधे पर होता है. और किसी ठेलेवाले के धंधे पर असर का मतलब है, चूल्हे पर असर, पेट पर असर.
लेकिन गोरक्षा के लिए प्रतिबद्ध सरकार इस पूरे मसले को बहुत ही सख्त कानूनी पैमाने पर तौलती है. राज्य की बीजेपी सरकार ने सत्ता में आते ही बीफ पर बैन का कानून पास कर दिया था. गाय के कल्याण के लिए एक आयोग बनाया गया है. उसके प्रमुख भनी राम मंगला ने मंगलवार को मेवात का दौरा किया था. उसके बाद ही पुलिस को निर्देश दिए गए कि बीफ-बिरयानी की बिक्री किसी हालत में नहीं होनी चाहिए. गो कल्याण आयोग का दावा है कि उसके पास गोमांस बेचे जाने की शिकायतें आ चुकी हैं.
गोरक्षा के लिए एक स्पेशल पुलिस टास्क फोर्स बनाई गई है. उसकी अफसर भारती अरोड़ा ने बताया कि मांस की जांच की जा रही है. उन्होंने एनडीटीवी को बताया, "पुलिस को उन गांवों से बिरयानी के नमूने जमा करने के निर्देश दिए गए हैं जहां इसकी बिक्री होती है. जांच करनी है कि बिरयानी बनाने के लिए कौन सा मांस इस्तेमाल किया जा रहा है."
तस्वीरें देखिए और सोचिए, गोहत्या पर हत्या कितनी जायज
गौहत्या पर हत्या कितनी जायज?
दादरी में गोमांस रखने की अफवाह के बाद भीड़ ने एक व्यक्ति का कत्ल कर डाला. इस घटना पर हमने लोगों से पूछी उनकी राय. जवाब परेशान करने वाले हैं.
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50 साल के मोहम्मद अखलाक की जान एक अफवाह के कारण गयी, जो वॉट्सऐप के जरिए फैली. वॉट्सऐप संदेशों में लिखा गया कि उसने गाय को काटा है. फेसबुक पर कई लोगों ने इस हत्या को जायज बताया है. हालांकि कुछ ऐसे समझदार भी मिले जो मिलजुलकर रहने का आग्रह कर रहे हैं.
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योगेंद्र पांडेय ने लिखा है, "दादरी मे जो कुछ हुआ, वह किसी भी सभ्य समाज मे स्वीकार्य नहीं है, पर क्या यह सच्चाई नहीं है कि इसी तरह ईशनिंदा की अफवाह उड़ाकर हर साल सैकड़ों निर्दोष पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अरब मुल्कों में मौत के घाट उतार दिए जाते हैं? क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती ही है."
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फरीद खान ने लिखा है, "इन कट्टरवादी ताकतों का मुकाबला मिलजुल कर और आपसी ऐतेमाद कायम करके ही किया जा सकता है. आजकल जिस तरह उकसावे की राजनीति करके मुसलमानों के साथ व्यवहार किया जा रहा है, वह ना तो किसी प्रकार उचित है, न ही इस देश की एकता व अखंडता के लिए शुभ संकेत है. कल को अगर यही मजलूम मुसलमान मजबूर होकर हथियार उठा ले, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?"
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कुलदीप कुमार मिश्र ने बीफ के निर्यात की ओर ध्यान दिलाते हुए सवाल किया है, "गोमांस के निर्यात में भारत ने विश्व रिकार्ड बना डाला! ब्राजील को पीछे छोड़ कर पहले स्थान पर कब्जा! (2015 का आंकड़ा दिया जा रहा है!) और देश में गाय का मांस खाने पर प्रतिबंध लगता है."
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अजय राज सिंह ठाकुर की टिप्पणी, "भीड़ ने जो किया, वह निश्चित ही बहुत गलत और असभ्य था. कुछ भी करने से पहले उस बात कि सच्चाई को जानना चाहिए था. गौ माता और नारियां, दोनों का समान रूप से सम्मान होना चाहिए. ऐसा व्यवहार बहुत ही खेदजनक और शर्मनाक है!!"
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कमलकिशोर गोस्वामी लिखते हैं, "हजारों बार देखा है मैंने भारतीय लोकतंत्र को तार तार होते. सत्तर बरस की आजादी लाखों बरस की सभ्यता और ऐसा जंगलीपन. सौ लोगों की भीड़ जो अब कई गांवों में तब्दील हो गई है. सोशल मिडिया पर लोग इतना गंद लिख रहे हैं एक दूसरे के खिलाफ पर कुछ नहीं हो रहा. क्या कहें ऐसे लोकतंत्र पर और क्या कहें उन महानुभवों को जिन्होंने हमें ऐसे लोकतंत्र का तोहफा दिया."
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हरिओम कुमार का कहना है, "जिन देशों की आबादी ज्यादा होती है उन देशो में लोकतंत्र काम नहीं करता. खासकर जिन देशों की एक बहुत बड़ी आबादी अनपढ़ हो." इसी तरह रली रली ने लिखा है, "लगाया था जो उसने पेड़ कभी, अब वह फल देने लगा; मुबारक हो हिन्दुस्तान में, अफवाहों पे कत्ल होने लगा." गोपाल पंचोली ने एक अहम बात कही, "गाय और सूअर, फिर आ गई अंग्रेजों वाली राजनीति!"
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सरकार के इस कदम का कई हल्कों में विरोध हो रहा है. विपक्षी इंडियन नेशनल लोकदल के विधायक जाकिर हुसैन ने तो इसे डर का माहौल बनाने की कवायद बताया है. उन्होंने कहा, "मेवात के लोग ना गायों की तस्करी करते हैं, ना गोकशी में शामिल हैं. सरकार को बिरयानी के नमूने जमा करने की यह कवायद फौरन बंद करनी चाहिए."
कांग्रेस नेता आफताब आलम भी इस कार्रवाई की आलोचना कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "ऐसा लगता है कि सरकार के पास कोई काम नहीं बचा है. मुझे हैरत है कि अब पुलिस वाले बिरयानी जमा करते घूम रहे हैं."
हरियाणा का गोरक्षा कानून देश के सबसे सख्त कानूनों में से एक है. यहां गोकशी के लिए 10 साल तक की जेल हो सकती है. गोमांस के व्यापार में शामिल पाए जाने पर पांच साल तक की जेल का प्रावधान है.
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