हरियाणा पुलिस ने नूंह हिंसा की एफआईआर में कांग्रेस विधायक मामन खान का नाम पीछे की तारीख से जोड़ने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया है.
नूंह में दंगों के बाद सुनसान पड़ा एक इलाकातस्वीर: Altaf Qadri/AP/picture alliance
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कांग्रेस नेता मामन खान नूंह विधानसभा क्षेत्र से सटे हुए फिरोजपुर झिरका विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. उन्होंने फरवरी, 2023 में जुनैद और नासिर नाम के दो युवकों की हत्या में शामिल होने के आरोपों का सामना कर रहे मोहित यादव, उर्फ 'मोनू मानेसर', को हरियाणा विधान सभा में चुनौती दी थी.
31 जुलाई को नूंह में हुई सांप्रदायिक हिंसाको भी भड़काने के आरोपों का सामना कर रहे 'मोनू मानेसर' को हरियाणा पुलिस ने फरवरी वाले मामले में मंगलवार, 12 सितंबर को गिरफ्तार किया. उसके बाद उसे राजस्थान पुलिस को सौंप दिया गया. राजस्थान की एक अदालत के आदेश पर उसे 15 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
विधायक के खिलाफ आरोप
हरियाणा सरकार ने खान की गिरफ्तारी से एक दिन पहले पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट को बताया था कि एफआईआर में नामित 52 मुल्जिमों में से एक तौफीक को नौ अगस्त को गिरफ्तार किया था और खान को तौफीक के बयान पर गिरफ्तार किया गया है.
हिंसा के जख्मों से कराहता नूंह
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सरकार के मुताबिक खान हिंसा से पहले 29 और 30 जुलाई को उस जगह के पास ही थे जहां से 31 जुलाई को हिंसा शुरू हुई. हिंसा से पहले उनके फोन नंबर से तौफीक के नंबर पर कई बार बात भी की गई.
सरकार ने खान को गिरफ्तार करने के पीछे कुछ सोशल मीडिया पोस्टों का हवाला भी दिया. इसके अलावा यह भी कहा कि उन्हें पूछताछ के लिए पुलिस के सामने आने का समन भी जारी किया गया था, लेकिन वो नहीं आये.
अदालत से की थी अपील
अगस्त में खान ने दावा किया था कि सरकार ने उनकी सुरक्षा के लिए तैनात दो पुलिस कांस्टेबलों को हटा दिया है और अब उनकी जान को खतरा है. उन्होंने फिर से सुरक्षा मुहैया कराये जाने की मांग की थी.
दिलचस्प बात यह है कि गिरफ्तार किये जाने से एक ही दिन पहले खान को हाई कोर्ट में उन्हीं के द्वारा दायर की गई एक अपील पर सुनवाई के दौरान यह जानकारी मिली थी कि नूह हिंसा में उन्हें भी मुल्जिम बना दिया गया है.
उन्होंने अपनी याचिका में अपील की थी कि नूह हिंसा की जांच के लिए एक उच्च-स्तरीय एसआईटी का गठन किया जाए. अदालत ने राज्य सरकार को इस पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए नोटिस भी जारी किया है.
भारत में लगातार हो रही है सांप्रदायिक हिंसा
2020 के दिल्ली दंगों के बाद भी भारत के कई राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा देखने को मिली है. गुजरात से लेकर त्रिपुरा तक और दिल्ली से लेकर कर्नाटक तक, जानिये कहां कहां भड़की हिंसा.
तस्वीर: IANS
बेंगलुरु, 2020
अगस्त 2020 में एक फेसबुक पोस्ट को लेकर दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी. हिंसा में पुलिस स्टेशन भी जला दिए गए थे और पुलिस की फायरिंग में तीन लोग मारे गए थे. 200 से भी ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
तस्वीर: AFP/M. Kiran
त्रिपुरा, 2021
अक्टूबर 2021 में बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान हुई हिंसा के विरोध में विश्व हिंदू परिषद ने त्रिपुरा में कई जगह रैलियां निकालीं, जिनके दौरान कई मुस्लिमों के घर और दुकानें जला दी गईं और चार मस्जिदों पर हमला किया गया.
तस्वीर: Panna Ghosh/AP Photo/picture alliance
कर्नाटक, 2021
कर्नाटक के कई इलाकों में 2021 में चर्चों, पादरियों और आम ईसाईयों पर हमले किये गए. एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरे साल में कर्नाटक में इस तरह के हमलों के कम से कम 30 मामले सामने आये. कई अन्य राज्यों को मिला कर इस तरह के 300 से ज्यादा मामले दर्ज किये गए.
तस्वीर: Altaf Qadri/AP/picture alliance
कर्नाटक, 2022
फरवरी, 2022 में कर्नाटक में कॉलेजों में मुस्लिम छात्राओं की हिजाब पहनने की आजादी को लेकर विवाद खड़ा हो गया था, जिसे लेकर कई महीनों तक राज्य में तनाव बना रहा. कई स्थानों पर सांप्रदायिक हिंसा भी हुई.
तस्वीर: DW
कई राज्य, 2022
अप्रैल 2022 में रामनवमी पर निकाली गई यात्राओं के बीच गुजरात, मध्य प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान और कर्नाटक में हिंसक झड़पें हुईं, जिनमें कई लोग घायल हो गए. गुजरात में हिंसा के दौरान एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई. दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रामनवमी पर मांसाहारी भोजन खिलाए जाने को लेकर छात्र परिषद्व और एबीवीपी के बीच हिंसक झड़प हो गई जिसमें 16 छात्र घायल हो गए.
तस्वीर: PRABHAKAR/DW
अयोध्या, 2022
अयोध्या पुलिस ने बताया कि 11 लोगों ने मिल कर शहर में सांप्रदायिक तनाव बनाने के लिए शहर की कई मस्जिदों में आपत्तिजनक पोस्टर, सूअर का मांस और कुरान के फटे हुए पन्ने डाल दिए थे. पुलिस ने इस मामले में सात लोगों को गिरफ्तार भी किया था.
तस्वीर: Narinder Nanu/AFP/Getty Images
दिल्ली, 2022
दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में अप्रैल 2022 में ही हनुमान जयंती पर निकाली गई एक यात्रा के दौरान हुई झड़प ने सांप्रदायिक हिंसा का रूप ले लिया. हिंसा में पुलिसकर्मियों समेत कई लोग घायल हो गए.
तस्वीर: Amarjeet Kumar Singh/AA/picture alliance
पैगम्बर पर टिप्पणी विवाद, 2022
मई 2022 में भारतीय जनता पार्टी की प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद पर आयोजित एक टीवी डिबेट में हिस्सा लेते हुए पैगंबर मोहम्मद पर कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. टिप्पणी को लेकर कई हफ्तों तक देश के कई राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा हुई. कई मुस्लिम देशों ने भी शर्मा की टिप्पणी की निंदा की.
तस्वीर: Ajay Aggarwal/Hindustan Times/imago
राजस्थान, 2022
मई, 2022 में राजस्थान के जोधपुर में ईद के ठीक पहले अलग अलग झंडे लगाने को लेकर दो समुदाय के लोगों के बीच हिंसक झड़प हो गई. पथराव के बीच कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हुए जिसके बाद इलाके में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं.
तस्वीर: ANI/REUTERS
महाराष्ट्र, 2023
फिल्म 'द केरला स्टोरी' पर छिड़े विवाद की वजह से देश में कई स्थानों पर हिंसा हुई. महाराष्ट्र के अकोला में विवाद ने दंगे का रूप ले लिया जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई घायल हो गए.
तस्वीर: Payel Samanta/DW
मणिपुर, 2023
मार्च 2023 में मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने पर विचार करने के लिए कहा था, जिसके बाद से राज्य में तनाव पैदा हो गया. अप्रैल में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसक झड़पें शुरू हो गए. जुलाई तक हिंसा में 100 से भी ज्यादा लोग मारे गए और हजारों विस्थापित हो गए.
तस्वीर: ADNAN ABIDI/REUTERS
हरियाणा, 2023
हरियाणा के नूंह में 31 जुलाई को एक धार्मिक यात्रा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी, जो धीरे धीर सोहना, पलवल, गुरुग्राम समेत कई इलाकों तक फैल गई. कम से कम छह लोग मारे भी गए, कई दुकानों और एक मस्जिद को जला दिया गया और कई मस्जिदों पर हमले किये गए.