हरियाणा के नूंह और गुरुग्राम जिलों में सांप्रदायिक हिंसा के एक हफ्ते बाद मुस्लिम व्यापारी डरे हुए हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि कई पंचायतों ने उनके बहिष्कार का ऐलान किया है.
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हरियाणा के महेंद्रगढ़, झज्जर और रेवाड़ी की 50 से अधिक पंचायतों ने नूंह में हुई हिंसा के बाद मुस्लिम दुकानदारों के बहिष्कार का ऐलान करते हुए पत्र जारी किया था. अब दो गांवों के सरपंचों ने कहा है कि वे अपने उस पत्र को वापस ले रहे हैं.
बुधवार को मीडिया में इससे जुड़ी खबरें भी छपी थीं. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि महेंद्रगढ़ के सैदपुर के सरपंच अपने उस पत्र से पीछे हट गए हैं. उन्होंने इस बारे में कानूनी सलाह ली जिसके बाद कहा, "धर्म के आधार पर किसी समुदाय को अलग करना अवैध और असंवैधानिक है."
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50 पंचायतों ने प्रवेश पर रोक का ऐलान किया था
इस बीच हरियाणा के एक मंत्री ने कहा है कि मुसलमानों के खिलाफ फरमान जारी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. हरियाणा के विकास और पंचायत मंत्री और जेजेपी नेता देवेंद्र सिंह बबली ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि कई ग्राम पंचायतों ने समुदाय विशेष के सदस्यों का "बहिष्कार" करने और उनके प्रवेश पर रोक लगाने के प्रस्तावों पर हस्ताक्षर किए हैं.
उन्होंने कहा, "मुझे इस मामले की जानकारी है. कुछ स्थानों पर कुछ लोगों ने इस प्रकार के प्रस्ताव पारित किये हैं. लेकिन मैंने ऐसे सभी स्थानों के जिला प्रशासनों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ऐसा कृत्य कानून के तहत स्वीकार्य नहीं है और अगर कोई व्यक्ति ऐसे फरमान जारी करने में लिप्त है तो ऐसे लोगों के खिलाफ कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी."
खास समुदाय को निशाना बनाने के लिए पत्र
नूंह में हुई हिंसा के बाद एक तरफ जहां समुदाय विशेष की दुकानें और घर तोड़े जा रहे थे वहीं दूसरी तरफ कई महापंचायतें बैठी और मुसलमानों के सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार का ऐलान किया गया था.
यह महापंचायत प्रशासन की अनुमति के बिना हुई थी. एक और महापंचायत गुरुग्राम के उसी सेक्टर 57 में आयोजित की गई थी, जहां एक भीड़ ने एक मस्जिद में तोड़फोड़ की थी और उसके इमाम की हत्या कर दी थी.
हिंदू संगठनों ने भी मुस्लिमों के बहिष्कार की घोषणा की थी, जिसके बाद गुरुग्राम में मुस्लिम दुकानदारों में गहरी चिंता है. सुरक्षा चिंताओं के चलते कुछ मुस्लिम कर्मचारी गुरुग्राम जाने से बच रहे हैं. हालांकि पुलिस ने उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है.
नूंह से कांग्रेस विधायक आफताब अहमद ने मीडिया से कहा, "हमारे संविधान और कानून के तहत ऐसे प्रस्ताव हमारे संघीय ढांचे के लिए खतरा हैं. भारत के संविधान और राज्य के साथ-साथ देश में कानून के शासन की रक्षा के लिए ऐसी गतिविधियों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. ऐसे कृत्यों से राष्ट्र और उसके संविधान की मूल अवधारणा दूषित होती है."
पंचायतों के फरमान जारी होने के बाद झज्जर के डीसी शक्ति सिंह ने कहा है कि यह असंवैधानिक है और उन्होंने इस बारे में पंचायतों को एक भी खत लिखा है. कई राजनीतिक दलों और मुस्लिम संगठनों ने पंचायतों की इस अपील की निंदा की है. पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कोर्ट से इस मामले में दखल देने की गुहार लगाई है.
भारत में लगातार हो रही है सांप्रदायिक हिंसा
2020 के दिल्ली दंगों के बाद भी भारत के कई राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा देखने को मिली है. गुजरात से लेकर त्रिपुरा तक और दिल्ली से लेकर कर्नाटक तक, जानिये कहां कहां भड़की हिंसा.
तस्वीर: IANS
बेंगलुरु, 2020
अगस्त 2020 में एक फेसबुक पोस्ट को लेकर दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी. हिंसा में पुलिस स्टेशन भी जला दिए गए थे और पुलिस की फायरिंग में तीन लोग मारे गए थे. 200 से भी ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
तस्वीर: AFP/M. Kiran
त्रिपुरा, 2021
अक्टूबर 2021 में बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान हुई हिंसा के विरोध में विश्व हिंदू परिषद ने त्रिपुरा में कई जगह रैलियां निकालीं, जिनके दौरान कई मुस्लिमों के घर और दुकानें जला दी गईं और चार मस्जिदों पर हमला किया गया.
तस्वीर: Panna Ghosh/AP Photo/picture alliance
कर्नाटक, 2021
कर्नाटक के कई इलाकों में 2021 में चर्चों, पादरियों और आम ईसाईयों पर हमले किये गए. एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरे साल में कर्नाटक में इस तरह के हमलों के कम से कम 30 मामले सामने आये. कई अन्य राज्यों को मिला कर इस तरह के 300 से ज्यादा मामले दर्ज किये गए.
तस्वीर: Altaf Qadri/AP/picture alliance
कर्नाटक, 2022
फरवरी, 2022 में कर्नाटक में कॉलेजों में मुस्लिम छात्राओं की हिजाब पहनने की आजादी को लेकर विवाद खड़ा हो गया था, जिसे लेकर कई महीनों तक राज्य में तनाव बना रहा. कई स्थानों पर सांप्रदायिक हिंसा भी हुई.
तस्वीर: DW
कई राज्य, 2022
अप्रैल 2022 में रामनवमी पर निकाली गई यात्राओं के बीच गुजरात, मध्य प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान और कर्नाटक में हिंसक झड़पें हुईं, जिनमें कई लोग घायल हो गए. गुजरात में हिंसा के दौरान एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई. दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रामनवमी पर मांसाहारी भोजन खिलाए जाने को लेकर छात्र परिषद्व और एबीवीपी के बीच हिंसक झड़प हो गई जिसमें 16 छात्र घायल हो गए.
तस्वीर: PRABHAKAR/DW
अयोध्या, 2022
अयोध्या पुलिस ने बताया कि 11 लोगों ने मिल कर शहर में सांप्रदायिक तनाव बनाने के लिए शहर की कई मस्जिदों में आपत्तिजनक पोस्टर, सूअर का मांस और कुरान के फटे हुए पन्ने डाल दिए थे. पुलिस ने इस मामले में सात लोगों को गिरफ्तार भी किया था.
तस्वीर: Narinder Nanu/AFP/Getty Images
दिल्ली, 2022
दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में अप्रैल 2022 में ही हनुमान जयंती पर निकाली गई एक यात्रा के दौरान हुई झड़प ने सांप्रदायिक हिंसा का रूप ले लिया. हिंसा में पुलिसकर्मियों समेत कई लोग घायल हो गए.
तस्वीर: Amarjeet Kumar Singh/AA/picture alliance
पैगम्बर पर टिप्पणी विवाद, 2022
मई 2022 में भारतीय जनता पार्टी की प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद पर आयोजित एक टीवी डिबेट में हिस्सा लेते हुए पैगंबर मोहम्मद पर कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. टिप्पणी को लेकर कई हफ्तों तक देश के कई राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा हुई. कई मुस्लिम देशों ने भी शर्मा की टिप्पणी की निंदा की.
तस्वीर: Ajay Aggarwal/Hindustan Times/imago
राजस्थान, 2022
मई, 2022 में राजस्थान के जोधपुर में ईद के ठीक पहले अलग अलग झंडे लगाने को लेकर दो समुदाय के लोगों के बीच हिंसक झड़प हो गई. पथराव के बीच कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हुए जिसके बाद इलाके में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं.
तस्वीर: ANI/REUTERS
महाराष्ट्र, 2023
फिल्म 'द केरला स्टोरी' पर छिड़े विवाद की वजह से देश में कई स्थानों पर हिंसा हुई. महाराष्ट्र के अकोला में विवाद ने दंगे का रूप ले लिया जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई घायल हो गए.
तस्वीर: Payel Samanta/DW
मणिपुर, 2023
मार्च 2023 में मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने पर विचार करने के लिए कहा था, जिसके बाद से राज्य में तनाव पैदा हो गया. अप्रैल में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसक झड़पें शुरू हो गए. जुलाई तक हिंसा में 100 से भी ज्यादा लोग मारे गए और हजारों विस्थापित हो गए.
तस्वीर: ADNAN ABIDI/REUTERS
हरियाणा, 2023
हरियाणा के नूंह में 31 जुलाई को एक धार्मिक यात्रा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी, जो धीरे धीर सोहना, पलवल, गुरुग्राम समेत कई इलाकों तक फैल गई. कम से कम छह लोग मारे भी गए, कई दुकानों और एक मस्जिद को जला दिया गया और कई मस्जिदों पर हमले किये गए.