21 साल के स्टीफन हॉकिंग को डॉक्टरों ने बताया कि अब उनके पास जिंदगी के केवल 2 साल शेष हैं. लेकिन 74 साल के स्टीफन अब ब्रह्मांड का नक्शा खींचने की तैयारी कर रहे हैं.
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1963 में उस समय स्टीफन हॉकिंग की उम्र महज 21 साल थी जब पता चला कि वे बेहद कम लोगों में पाई जाने वाली एक बीमारी एम्योट्रोफिक लैटेरल स्क्लैरोसिस या मोटर न्यूरोन डिजीज है. डॉक्टरों ने उन्हें बताया उनके पास अब केवल दो साल का समय है. लेकिन भौतिक विज्ञान और गणितीय समीकरणों में गहरे डूबे इस व्यक्ति के हौसलों से पार पाना इस रोग के बस में नहीं था.
बिग बैंग और ब्लैकहोल से जुड़े ब्रह्मांड के कई रहस्यों को सुलझा चुका यह वैज्ञानिक अब 74 साल की उम्र में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में बनाए गए अपने सुपरकंप्यूटिंग सेंटर से ब्रह्मांड का अब तक का ज्ञात नक्शा खींचने की योजना बना रहा है. हॉकिंग के इस अभियान में कॉस्मॉस कंप्यूटर उन लाखों आकाशगंगाओं, ब्लैकहोलों, तारों और ऐसी दूसरी ब्रह्मांडीय संरचनाओं की स्थिति और गतिविधियों का खाका खींचेगा जिनके बारे में अब तक जानकारियां जुटाई जा सकी हैं.
हॉकिंग स्पेन के टेनेरीफ में सोमवार को शुरू हो रही स्टारमस साइंस कांफ्रेंस में सुपर मैप की इस योजना के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं.
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में कॉस्मोलॉजी के प्रोफेसर और कॉस्मॉस कंप्यूटर सेंटर के निदेशक पॉल शेलार्ड बताते हैं कि इस योजना में यूरोपीय स्पेस ऐजेंसी के प्लैंक उपग्रह से खींची गई बिगबैंग के दौर के विकीरण की तस्वीरों का इस्तेमाल, शुरुआती ब्रह्मांड का नक्शा खींचने के लिए किया जाएगा. वह कहते हैं, ''सबसे शुरूआत में कैसे द्रव्य का वितरण हुआ और बाद में कैसे यह आधुनिक ब्रह्मांड की संरचना में तब्दील हुआ, प्लैंक हमें इन सबकी शानदार तस्वीरें देता है."
डार्क एनर्जी सर्वे से मिले आंकड़ों की मदद से अरबों आकाशगंगाओं को रेखांकित करने और ब्रह्मांड के विस्तार को बढ़ाने वाली डार्क एनर्जी की प्रकृति को सामने लाने के लिए इन तस्वीरों को संवर्धित किया जाएगा. इसके लिए चिली में 13 फुट व्यास वाला टेलिस्कोप लगाया गया है. शेलार्ड कहते हैं जब 2020 में यूरोपीय स्पेस ऐजेंसी का यूक्लिड प्रोब लांच किया जाएगा तो नक्शा और भी परिष्कृत हो सकता है.
आरजे/ओएसजे (पीटीआई)
हमारी प्यारी पृथ्वी का अंत
पृथ्वी, जिसे हम अपनी धरती कहते हैं उसकी उम्र भी सीमित है. अब धरती के पास सिर्फ 3 से 5 अरब साल बचे हैं. तब तक इंसान बचेगा या नहीं, यह कहना मुश्किल है.
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कैसे की गई गणना
धरती बीते 4.5 अरब साल से लगातार बदल रही है. सौरमंडल में उसकी जगह बदल रही है. धरती के भीतर भी विशाल भूखंड एक दूसरे से जुड़ और अलग हो रहे हैं. ब्रह्मांड की गतिविधियों, सैटेलाइट डाटा और पृथ्वी की भीतरी हलचल के आधार पर वैज्ञानिक धरती का भविष्य बताते हैं.
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पृथ्वी का संघर्ष
सौरमंडल के ठंडे कोनों से निकलकर पृथ्वी लगातार सूर्य के करीब जा रही है. सूर्य के गुरुत्व बल से होने वाले इस खिंचाव को धीमा करने के लिए परिक्रमा करती धरती अपना रूप बदलती रहती है. महाद्वीप लगातार यात्रा कर रहे हैं. इसी के चलते हिमालय जैसा पहाड़ बना. हजारों झीलें बनीं.
टेक्टॉनिक मूवमेंट के चलते महाद्वीप इधर उधर होते हैं. धरती का गर्भ, बाहरी सतह की तुलना में बहुत गरम है. वहां का तापमान 10,000 डिग्री फारेनहाइट के बराबर है. ज्वालामुखी के अलावा जहां से यह गर्मी बाहर आती है, उसे रिंग ऑफ फायर कहा जाता है. यह गर्मी चुंबकीय क्षेत्र को बदलती है और सूर्य और चंद्रमा की ताकतों को हल्का करती है.
परिक्रमा करने में छटपटाहट
सूर्य और चंद्रमा लगातार अपनी गुरुत्वीय ताकतों से पृथ्वी की परिक्रमा को रोकने की कोशिश करते हैं. वैसे जिस दिन यह परिक्रमा रुकेगी, उसी दिन जीवन तो करीब करीब खत्म हो जाएगा.
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सूर्य से शुरुआत, सूर्य से अंत
सूर्य, ब्रह्मांड में मौजूद इस महातारे की मदद से धरती पर जीवन फलता है. लेकिन वक्त गुजरने के साथ यही सूर्य धरती का पूरा विनाश भी करेगा.
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बूढ़ा होता सूर्य
सूरज भी बुढ़ापे की ओर बढ़ रहा है. उसकी हाइड्रोजन पूरी तरह खत्म हो जाएगी और फिर हीलियम जलने लगेगी. वैज्ञानिक यह साबित कर चुके हैं कि बुढ़ापे की ओर बढ़ते तारों का तापमान उनकी मौत तक बढ़ता जाता है. खगोलविदों के मुताबिक सूर्य लगतार बड़ा और पहले से ज्यादा गर्म होता जा रहा है.
तस्वीर: AP
लाल हो जाएगी धरती
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 1.75 से 5 अरब साल बाद सूर्य की बाहरी सतह नेब्यूला (तस्वीर में) में बदल जाएगी. इससे निकलने वाली अथाह गर्मी और विकिरण धरती पर मौजूद जीवन को जलाने लगेगा. हालात ऐसे होंगे कि समुद्र तक सूख जाएंगे.
तस्वीर: NASA, ESA/Hubble and the Hubble Heritage Team
सब कुछ भस्म
इसके बाद सूर्य इतना बड़ा हो जाएगा कि वह धरती के करीब आ जाएगा. जमीन पूरी तरह लावे में बदल जाएगी. सूर्य में होने वाले अंदरूनी विस्फोट धरती को भी अपनी आगोश में ले लेंगे. फिलहाल जिसे हम भीतरी सौरमंडल कहते हैं, वह पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगा.
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आगे का पता नहीं
धीरे धीरे वक्त के साथ सूर्य धरती के बराबर छोटा हो जाएगा. तब से सिर्फ चमकीला तारा बचेगा. इसमें दूसरे को ऊर्जा देने लायक ताकत नहीं बचेगी. फिर धीरे धीरे बुझ जाएगा. अगर धरती बच भी गई तो वक्त के साथ बेहद ठंडी हो जाएगी.
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कहां छुपे इंसान
वैज्ञानिक रूप से इन दावों की पुष्टि के चलते ही इंसान मंगल जैसे ग्रहों पर इंसानी बस्ती बनाने की सोच रहा है. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि निकट भविष्य में तकनीक इतनी आगे पहुंच जाएगी कि इंसान आराम से कहीं और बस सकेगा.