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विकलांगों के लिए ज्यादा खतरनाक है लू

२६ जून २०२३

शारीरिक दिक्कतें लू यानी हीटवेव के दिनों में कई तरह से परेशानियां बढ़ा सकती हैं. इसके सामाजिक और मानसिक पहलुओं पर चर्चा भी नहीं होती.

लू से विकलांगों को होने वाली मुश्किलों पर चर्चा भी नहीं होती
विकलांगों के लिए ज्यादा मुश्किल है लू झेलना (प्रतीकात्मक तस्वीर)तस्वीर: picture alliance/Zoonar

दुनिया के कई हिस्से गर्मियों में हीटवेव यानी भीषण लू की चपेट में आते हैं. जबरदस्त तपिश से जूझना सभी के लिए चुनौतीपूर्ण है लेकिन विकलांग लोगों के लिए ये चुनौती कहीं ज्यादा गंभीर हो सकती है. अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूरोप में हीटवेव विकलांग लोगों के लिए ज्यादा मुसीबतें पैदा करती है.

इसके पीछे शारीरिक कारण तो हैं ही लेकिन सामाजिक, आर्थिक और सरकारी योजनाओं में उनकी अनदेखी भी बड़ी वजह बनती है. इसलिए जरूरी हो जाता है कि सरकारी व्यवस्थाएं जरूरतमंदों को मदद देने के लिए बेहतर काम करें. ये रिपोर्ट स्पेन के एंडलूसिया क्षेत्र में किए गए एक अध्ययन पर आधारित है. हालांकि शोधकर्ताओं का कहना है कि रिपोर्ट में कही गई बातें बाकी यूरोपीय देशों पर भी लागू की जा सकती है क्योंकि यूरोप दुनिया में सबसे तेजी से गर्म हो रहा महाद्वीप है.

गर्मी से परेशान यूरोपवासीतस्वीर: Cristina Quicler/AFP

विकलांगता और भीषण तपिश

रिपोर्ट के मुताबिक भयंकर तपिश वाले दिन विकलांग लोगों के लिए गंभीर शारीरिक, सामाजिक और मानसिक खतरे लेकर आते हैं. खासकर तब जब लोग इन दिनों का सामना अकेले कर रहे हों. घर पर रहने की मजबूरी उन्हें समाज और समुदाय से कट कर रहने पर मजूबर कर सकती है. यही नहीं कई बार लोग ऐसी बीमारी के साथ जी रहे होते हैं या दवाइयां ले रहे होते हैं जो इंसानी शरीर के गर्मी से मुकाबला करने की क्षमता पर असर डालती है. इन दिक्कतों से निपटने की दिशा में एक बड़ी कमी यह है कि हीटवेव इमर्जेंसी प्लान बनते भी हैं तो उनमें विकलागों की आवाज शामिल नहीं होती.

एचआरडब्ल्यू के मुताबिक 2022 में स्पेन में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी के मद्देनजर एक राष्ट्रीय योजना बनाई गई ताकि बदलते मौसम के हिसाब से कदम उठाए जा सकें. इसमें सबसे ज्यादा खतरे में जीने वाली जनता को बचाने की बात कही गई लेकिन विकलांगों के लिए किसी तरह के खास उपायों का जिक्र नहीं था. जाहिर है कि उनकी विशेष जरूरतें सरकारी योजनाओं में जगह नहीं बना पातीं. एंडलूसिया इलाके में 33 लोगों के साथ हुई इस बातचीत में लोगों ने कहा कि हीटवेव के दौरान उनकी अनदेखी की गई.

स्पेन और कई दूसरे यूरोपीय देशों में गर्मी लोगों को हलकान कर रही हैतस्वीर: Marcelo del Pozo/REUTERS

यूरोप में लू की आफत

दुनिया भर में बढ़ते तापमान के चलते आम जनजीवन के लिए दिक्कतें, यहां तक कि मौत का खतरा भी तेजी से बढ़ा है. इंटरगर्वनमेंटल पैनल ऑन क्लामेट चेंज (आईपीसीसी) के मुताबिक आने वाले वक्त में दक्षिणी यूरोप में हीटवेव का ज्यादा असर देखने को मिलेगा. जून से अगस्त 2022 के बीच स्पेन समेत कई यूरोपीय देशों में गर्मी की भयंकर लहर चली लेकिन इस तरह का कोई डाटा मौजूद नहीं है जो ये बता सके कि भयंकर तापमान के चलते कितने विकलांग लोगों की मौत हुई.

सरकारी स्तर पर जुटाए जाने वाले आंकड़ों में विकलांगता कोई श्रेणी नहीं है जबकि तपिश के दिन उनके लिए ब्रेन फॉग, उचाट नींद और संक्रमण जैसे खतरे ही नहीं लाते बल्कि गर्मी में घर पर रहने की मजबूरी मानसिक सेहत पर भी गहरा नकारात्मक असर डालती है. गरीबी के हालात में रहने वालों के लिए समस्याएं और बड़ी हो जाती हैं जब घर हवादार ना हों और आसपास हरी-भरी जगह भी नदारद हो.  इसके अलावा मदद से जुड़ी सूचनाएं लोगों तक पहुंचाने की व्यवस्था भी विकलांग लोगों को खास जरूरतों और हकों का ध्यान रखकर ना बनी हो तो लोग उनका फायदा नहीं उठा पाते.

यानी बढ़ते तापमान के हिसाब से विकलांग लोगों के जीवन में आसानियां पैदा करने के लिए रणनीति बहुआयामी ना हो और उनके अनुभवों को शामिल किए बिना ही बना दी जाएं तो बहुत से लोग उसके दायरे में आएंगी ही नहीं.  

एसबी/एनआर (रॉयटर्स)

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