एक नए अध्ययन ने बढ़ते तापमान और खाद्य असुरक्षा के सीधे संबंध का पता लगाया है. अध्ययन में पता चला है कि ज्यादा गर्मी की वजह से सिर्फ कुछ ही दिनों में करोड़ों लोग भोजन से वंचित हो सकते हैं.
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दुनियाभर में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी के हालात के बीच इस नए अध्ययन में पाया गया है कि गर्मी अगर ज्यादा हो तो सिर्फ कुछ ही दिनों में उसकी वजह से दिहाड़ी कमाई पर जी रहे करोड़ लोग भुखमरी में धकेले जा सकते हैं.
उदाहरण के तौर पर भारत में अगर चरम तापमान एक हफ्ते तक रहा तो मुमकिन है कि उसकी वजह से 80 लाख अतिरिक्त लोगों को गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़े. अध्ययन के नतीजे 'नेचर ह्यूमन बिहेवियर' पत्रिका में छपे हैं.
आय पर असर तुरंत
अध्ययन के लिए 150 देशों का निरीक्षण किया गया, विशेष रूप से ऐसे देशों का जो ट्रॉपिकल और सब-ट्रॉपिकल इलाकों में स्थित हैं. चरम गर्मी के दिनों में अगर भोजन ना मिलने की संभावना में एक प्रतिशत से भी कम की बढ़ोतरी हो तो उसकी वजह से इन 150 देशों में लाखों, पुरुषों, महिलाओं और बच्चों पर भूख का सायामंडरा सकता है.
इस बार गर्मी इतनी तबाही क्यों मचा रही है
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विश्व बैंक का अनुमान है कि 2022 में वैश्विक आबादी के करीब 30 प्रतिशत हिस्से को मध्यम दर्जे से लेकर गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा. अभी तक खाने की उपलब्धता पर गर्मी का असर फसलों की पैदावार कम होने तक ही सीमित था, जिसका असर महीनों या सालों बाद दिखता था.
लेकिन इस नए अध्ययन ने दिखाया है कि इस असर को अगर आय से जोड़ कर देखा जाए तो असर तुरंत देखा जा सकता है. अध्ययन के मुख्य लेखक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के कैरोलिन क्रोगर कहते हैं, "अगर आज गर्मी हो जाए तो संभव है कि कुछ ही दिनों के अंदर लोगों के काम ना कर पाने की वजह से खाद्य असुरक्षा पैदा हो जाएगी. वो कमा नहीं पाएंगेऔर खाना खरीद नहीं पाएंगे."
इस तरह के नतीजे उन तरह के कामों में सबसे ज्यादा दिखाई देते हैं जिनमें आय उत्पादकता से बहुत करीब से जुड़ी होती है, जैसे खेतों में फसलों की कटाई या ऐसा काम जिसमें किसी भी उत्पाद के एक एक टुकड़े को बनाने के हिसाब से आय मिलती है.
जितनी गर्मी, उतना नुकसान
उदाहरण के तौर पर पश्चिम बंगाल में ईंट ढोने वाली महिलायें एक दिन में जितनी ईंटें उठाती हैं उन्हें उसके हिसाब से पगार मिलती है. जिस दिन गर्मी की वजह से मजबूर हो कर वो कम ईंटें उठाती हैं, उस दिन उनकी आय में 50 प्रतिशत तक का नुकसान हो जाता है.
कुछ और रिपोर्टों की मदद से इस अध्ययन के नतीजों को समझा जा सकता है. सीरिया में रहने वाले लोहार मुराद हद्दाद सुबह जल्दी उठते हैं और फिर वो और उनके पांच भाई बारी बारी से भारी काम करते हैं ताकि दिन में होने वाले तेज तापमान से बचा जा सके.
हद्दाद कहते हैं, "यह गर्मी हमारी जान ले रही है. मेरे छह बच्चे हैं और मैं मुश्किल से उनका ख्याल रख पा रहा हूं. लेकिन अगर मैं काम नहीं करूंगा तो बिल्कुल भी गुजारा नहीं हो पाएगा."
क्रोगर कहते हैं, "कम आय, ज्यादा कृषि आधारित रोजगार और ज्यादा संवेदनशील रोजगार वाले देशों में और मजबूत असर दिखाई देता है."
क्रोगर ने पाया कि ऐसे लोग जिन्होंने हाल ही में एक गर्मी भरे हफ्ते का अनुभवकिया है उनके स्वास्थ्य समस्याओं और "मौजूदा आय पर जीने में दिक्कतों" का सामना करने की ज्यादा संभावना है.
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पोषण पर भी असर
इससे उनकी आय काफी गिर जाती है. ये असर क्युमुलेटिव हैं, यानी एक हफ्ते में जितने ज्यादा गर्म दिन होंगे असर उतना ही तेज होगा. 2021 में 470 अरब संभावित श्रम घंटे - जो दुनियाभर में प्रति व्यक्ति लगभग डेढ़ हफ्तों के काम के बराबर है - चरम गर्मी की भेंट चढ़ गए.
जून 2023: दुनिया के सबसे गर्म दिन
दुनिया का बड़ा हिस्सा झुलसाने वाली गर्मी से जूझ रहा है. आंकड़े बताते हैं कि जून 2023 के शुरुआती दिन, साल के इन दिनों के पुराने सभी रिकॉर्ड्स से ज्यादा गर्म रहे. आंकड़ों की मानें तो 1950 से अब तक ऐसी गरमी नहीं पड़ी है.
तस्वीर: Andrea Comas/AP/picture alliance
8 और 9 जून रहे खासतौर पर गर्म
जून 2023 के शुरुआती दिनों में जितनी गर्मी पड़ी, वो इस दौरान दर्ज किए गए बीते सालों के तापमान की तुलना में सबसे ज्यादा थी. 'कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस' (सी3एस) के मुताबिक, 8 और 9 जून की तारीख खासतौर पर गर्म थी. ये दोनों दिन पिछले सालों के मुकाबले 0.4 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म थे.
तस्वीर: Alberto Lingria/Xinhua/picture alliance
दुनिया ने देखा सबसे गर्म जून
सी3एस, ईयू के कोपरनिकस कार्यक्रम के तहत एक सेवा है जो यूरोप और बाकी दुनिया के अतीत और वर्तमान के साथ भविष्य की जलवायु स्थितियों से जुड़े अनुमान भी बताता है. सी3एस की उप निदेशक समांथा बरजेस ने बताया, "विश्व ने अभी तक का सबसे गर्म जून देखा है, हालांकि मई में भी गर्मी कम नहीं थी. सबसे गर्म मई के मुकाबले इस बार तापमान केवल 0.1 डिग्री सेल्सियस ही कम था."
तस्वीर: Andrea Comas/AP/picture alliance
भविष्य के आसार भी बेहतर नहीं
आने वाले दिनों में भी राहत की उम्मीद नहीं दिखती. इसकी वजह है अल नीनो, जो 2018-2019 के बाद फिर लौटा है. इसके असर से तापमान और ज्यादा बढ़ने की आशंका है. हाल ही में कोपरनिकस ने यह खुलासा किया था कि मई में महासागरों का तापमान भी बीते किसी मई से ज्यादा रहा.
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पेरिस जलवायु समझौता
जून 2023 के शुरुआती दिनों में वैश्विक तापमान, औद्योगिक क्रांति के पहले के स्तरों के मुकाबले डेढ़ डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा. यह बात ध्यान खींचने वाली है क्योंकि 2015 के पेरिस समझौते में इस तापमान को ग्लोबल वॉर्मिंग के लिए सबसे महत्वाकांक्षी सीमा माना गया था.
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मायने रखती है एक-एक डिग्री
जहां जून में इस सीमा का उल्लंघन पहली बार हुआ है, वहीं हालिया सालों में सर्दी और वसंत के मौसमों में ऐसा कई बार हो चुका है. बरजेस बताती हैं, "अगर हमें जलवायु परिवर्तन के गंभीर नतीजों से बचना है, तो एक-एक डिग्री का एक-एक अंश मायने रखता है."
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अल नीनो का असर
अल नीनो, जलवायु से जुड़ा एक पैटर्न है जो औसतन हर दो से सात साल पर आता है. स्पैनिश भाषा में अल नीनो का मतलब होता है, लिटिल बॉय यानी छोटा लड़का. दुनिया के कुछ सबसे गर्म दर्ज सालों के पीछे इसका असर माना जा सकता है.
तस्वीर: ingimage/IMAGO
और बढ़ेगा तापमान
वैज्ञानिकों को डर है कि अल नीनो के कारण सिर्फ इस बरस गर्मी में ही नहीं, बल्कि अगले साल भी जमीन और समुद्र में रिकॅार्ड तापमान दिख सकता है.
तस्वीर: YASIN AKGUL/AFP
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यह नतीजे ऐसे समय में आये हैं जब खाद्यान्न के दाम लगातार बरकरार रहने वाली महंगाई की चपेट में हैं. इसके अलावा दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातक देश भारत ने फसलों को हुए नुकसान की वजह से निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. लेकिन सिर्फ आपूर्ति और दाम ही समस्या नहीं हैं.
शोधकर्ताओं ने यह भी पता लगाया है कि बढ़ते तापमान की वजह से ऐसी कई मुख्य फसलों और दालों में आवश्यक पोषक तत्वों की भी कमी हो सकती है जिन पर दुनिया के अधिकांश हिस्से निर्भर हैं.
क्रोगर कहते हैं, "बीते एक या दो सालों में गर्मी के कई रिकॉर्ड टूटे, इसलिए मुझे पूरा विश्वास है कि जो चीजें हमने देखीं उनमें से कुछ तो और खराब हो सकती हैं. लेकिन कुछ ऐसी चीजें भी हैं, जिनसे मदद मिल सकती है, जैसे माइक्रो-बीमा और श्रम कानून. तराजू अभी भी झुक सकता है."
संयुक्त राष्ट्र के आईपीसीसी जलवायु विज्ञान सलाहकार समिति के मुताबिक, संभव है कि 2080 तक करोड़ों लोग हर साल कम से कम 30 कथित "घातक गर्म दिनों" से प्रभावित होंगे. अगर दुनिया ग्लोबल वार्मिंग को दो डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के पेरिस जलवायु लक्ष्य को हासिल भी कर ले तब भी ऐसा हो सकता है.
सीके/एए (एएफपी)
झुलसाती गर्मी में तप रहे हैं लोग
यूरोप, एशिया और उत्तरी अमेरिका के कुछ इलाके सूखा और रिकॉर्डतोड़ ऊंचे तापमान में झुलस रहे हैं. इनसे तत्काल राहत की उम्मीद नहीं दिख रही है. सरकारों के लिए लोगों को राहत दे पानी एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है.
तस्वीर: Kazuhiro Nogi/AFP via Getty Images
अमेरिका में डेथ वैली का तापमान 52 डिग्री तक पहुंच गया
अमेरिकी मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों में गर्मी की लहर चरम पर होगी. इससे 8 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे. रविवार दोपहर को कैलिफोर्निया की डेथ वैली का तापमान लगभग रिकॉर्ड 52 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया. यह पृथ्वी पर सबसे गर्म स्थानों में से एक है.
तस्वीर: Jay Janner/USA TODAY Network/IMAGO
दक्षिणी कैलिफोर्निया जंगलों में लगी आग
दक्षिणी कैलिफोर्निया जंगलों में लगी आग से त्रस्त है. इसमें रिवरसाइड काउंटी की एक आग भी शामिल है, जिसने 7,500 एकड़ से ज्यादा जमीन को जला दिया है.
तस्वीर: David Swanson/REUTERS
चीन में तापमान का रिकॉर्ड टूटा
चीन में रविवार को बढ़ते तापमान को देखते हुए चेतावनी जारी की गई है. शिनजियांग प्रांत के रेगिस्तानी इलाके में तापमान 40-45 डिग्री सेल्सियस तक जाने की चेतावनी दी गई है. शिनजियांग के सानबाओ गांव में पिछले दिनों तापमान 52.2 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया जो रिकॉर्ड है. छह साल पहले यहां पहली बार तापमान 50.6 डिग्री सेल्सियस तक गया था.
तस्वीर: Reuters
ग्लोबल वार्मिंग के गंभीर नतीजे
धरती के उत्तरी हिस्से में चिलचिलाती गर्मी ने सोमवार को रिकॉर्ड तोड़ दिया. यह ग्लोबल वार्मिंग के गंभीर नतीजों में से एक है. बारिश की अनियमितता, जंगल की आग, सूखा और बढ़ता तापमान धरती को इसके नतीजे में बहुत कुछ झेलना पड़ रहा है.
तस्वीर: Stringer/AFP
गर्मी की वजह से पर्यटन प्रभावित
ग्रीस के शीर्ष पर्यटक आकर्षणों में से एक, एथेंस के एक्रोपोलिस को गर्मी की वजह से लगातार तीसरे दिन बंद रखा गया.
वैटिकन में 5,000 लोगों ने भीषण तापमान का सामना किया
वैटिकन में पोप फ्रांसिस की प्रार्थना सुनने के लिए रविवार को 15,000 लोगों ने भीषण तापमान का सामना किया. इस दौरान, उन्होंने छतरियों और पंखों का इस्तेमाल किया.
तस्वीर: Yara Nardi/REUTERS
रिकॉर्ड तोड़ते तापमान
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा है कि यूरोप में इस हफ्ते इटली के सिसिली और सार्डिनिया द्वीपों पर अब तक का सबसे ऊंचा तापमान दर्ज किया जा सकता है, जहां अधिकतम तापमान 48 डिग्री सेल्सियस होने का अनुमान है.
तस्वीर: Rebecca Noble/AFP
इटली के 16 शहरों में रेड अलर्ट घोषित
इटली में "अब तक की सबसे तीव्र लू में से एक" के लिए लोगों को तैयार रहने की चेतावनी दी गई. स्वास्थ्य मंत्रालय ने रोम, बोलोग्ना और फ्लोरेंस सहित 16 शहरों के लिए रेड अलर्ट घोषित कर दिया है. यहां इस हफ्ते तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की आशंका है जो अगस्त 2007 के 40.5 सेल्सियस के रिकॉर्ड को तोड़ देगा.
तस्वीर: Igor Petyx/REUTERS
जापान में चार दशकों का रिकॉर्ड टूटा
जापान की मौसम एजेंसी के अनुसार, रविवार को कुछ स्थानों पर चार दशकों से भी अधिक समय में सबसे अधिक तापमान रहा, जिसमें फुकुशिमा प्रान्त का हिरोनो शहर भी शामिल है.