जर्मनी की आबादी में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है. इसके कारण जर्मनी के कई शहरों में घरों की किल्लत देखी जा रही है. कई शहरों का बुनियादी ढांचा और प्राशासनिक व्यवस्थाएं आबादी में अप्रत्याशित वृद्धि के कारण भारी दबाव में हैं.
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इमिग्रेशन बढ़ने के कारण जर्मनी की आबादी में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है. 2022 के अंत तक जनसंख्या बढ़कर करीब साढ़े आठ करोड़ के हो गई है. यह जानकारी 19 जनवरी को जारी सरकारी आंकड़ों से मिली.
डेटा जारी करते हुए जर्मनी के फेडरल स्टैटिस्टिकल ऑफिस ने बताया, "इसका मतलब है कि 2022 के अंत तक देश में इतने लोग रह रहे हैं, जितने पहले कभी नहीं रहे." अनुमान है कि 2022 में ही करीब 14.2 से 14.5 लाख ज्यादा लोग जर्मनी आए.
आप्रवासियों का रिकॉर्ड रखने की परंपरा
जर्मनी में आबादी का रिकॉर्ड रखने की परंपरा 1950 में शुरू हुई. तब से लेकर अब तक, इमिग्रेशन की यह दर सबसे ज्यादा है. इसकी संभावित वजह पर सांख्यिकी ने बताया, "यूक्रेन युद्ध के कारण आने वाले शरणार्थियों के अलावा दूसरे देशों से आने वाले लोगों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है."
फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद लाखों शरणार्थी यूरोप आए. शरणार्थियों की बड़ी संख्या जर्मनी भी पहुंची. दिसंबर 2022 तक करीब 10 लाख यूक्रेनी शरणार्थी जर्मनी आ चुके थे. "वेल्ट अम जोन्टाग" की एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब दो लाख शरणार्थियों ने असाइलम के लिए भी आवेदन किया. इनमें ज्यादातर लोग सीरिया, अफगानिस्तान, तुर्की और इराकी नागरिक हैं.
इससे पहले जर्मनी में शरणार्थियों की इतनी बड़ी संख्या 2015 में देखी गई थी, जब सीरिया में चल रहे युद्ध से भागकर लोग यहां आए थे. मगर 2015 के मुकाबले 2022 में करीब 35 फीसदी ज्यादा इजाफा देखा गया है. इसके कारण जर्मनी के कई शहरों में घरों की किल्लत देखी जा रही है. कई शहरों का बुनियादी ढांचा और प्रशासनिक व्यवस्थाएं आबादी में अप्रत्याशित वृद्धि के कारण भारी दबाव में हैं. कई जानकार इसे जर्मनी का नया माइग्रेंट संकट बता रहे हैं.
जर्मनी में एक गांव को बचाने का संघर्ष
पश्चिमी जर्मनी का गांव लुत्सेराथ पर्यावरण कार्यकर्ताओं और भूरे कोयले के समर्थकों के बीच विवाद का प्रतीक बन गया है. पर्यावरण कार्यकर्ता लुत्सेराथ को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं तो पुलिस आंदोलनकारियों को हटा रही है.
तस्वीर: Ina Fassbender/AFP
हार-थक कर खाली कर दिया गांव
लुत्सेराथ गांव के निवासियों ने सरकार और ऊर्जा कंपनी के सामने घुटने टेक दिए और बहुत पहले गांव को खाली कर दिया. गांव के नीचे पड़े कोयले का भंडार पाने के लिए बिजली कंपनी आरडब्ल्यूई ने गांव वालों को कहीं और बसाया.
तस्वीर: picture alliance / Jochen Tack
कार्यकर्ताओं ने नहीं मानी हार
लेकिन स्थानीय और देश के दूसरे इलाकों के कार्यकर्ताओं ने हार नहीं मानी. उन्होंने ग्रामीणों के जाने के बाद गांव पर कब्जा कर लिया और कोयला खनन के विरोध में आंदोलन करने लगे. लुत्सेराथ खराब किस्म के लिग्नाइट कोयले के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक बन गया.
तस्वीर: Michael Probst/AP Photo/picture alliance
यूक्रेन युद्ध का असर
यूक्रेन पर रूस के हमले ने जर्मनी में ऊर्जा आपूर्ति की हालत खराब कर दी है. तेल, बिजली और गैस की कीमत बहुत बढ़ गई है. ऊर्जा सुरक्षा के लिए बंद किए जाने का फैसला हो जाने के बावजूद कुछ परमाणु और कोयला बिजली घरों को चलाने का फैसला लिया गया है.
तस्वीर: Federico Gambarini/picture alliance/dpa
लुत्सेराथ बना इसका शिकार
इस स्थिति का शिकार लुत्सेराथ भी बना है. वहां नीचे पड़े कोयले को निकालने के लिए गांव को खाली कराने का फैसला लिया गया. पुलिस के दस्ते लुत्सेराथ पहुंचे, लेकिन उन्हें पर्यावरण कार्यकर्ताओं के भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है.
तस्वीर: Thilo Schmuelgen/REUTERS
आंदोलनकारियों ने की नाकेबंदी
आंदोलन में शामिल लोगों ने गांव की नाकेबंदी कर रखी है, जिसकी वजह से पुलिस का आगे बढ़ना मुश्किल हो रहा है. नाकेबंदी को हटाने और गांव को खाली कराने के लिए पुलिस ने आस-पड़ोस के प्रांतों से अतिरिक्त पुलिसकर्मियों को बुला लिया है.
तस्वीर: Henning Kaiser/dpa/picture alliance
पुलिस कार्रवाई का कड़ा प्रतिरोध
पर्यावरण कार्यकर्ता गांव को खाली कराए जाने के प्रयासों का कड़ा प्रतिरोध कर रहे हैं. अब तक आंदोलन आम तौर पर शांतिपूर्ण रहा है. प्रदर्शनकारी विरोध के दौरान गीत संगीत का आयोजन कर रहे हैं. लेकिन पुलिस को हिंसा होने की आशंका है.
तस्वीर: Henning Kaiser/dpa/picture alliance
कड़ाके की ठंड में आंदोलन
जर्मनी में इस समय कड़ाके की सर्दी है और बरसात भी हो रही है. ठंडे मौसम के बावजूद आंदोलनकारी इलाका छोड़ने को तैयार नहीं हैं. एक पुराने फार्म पर बैनर लगा है, 1.5 डिग्री सेल्सियस का मतलब: लुत्सेराथ रहेगा.
तस्वीर: Henning Kaiser/dpa/picture alliance
पेरिस के पर्यावरण लक्ष्यों की दुहाई
आंदोलनकारियों का कहना है कि अगर लुत्सेराथ खत्म हो जाता है तो जर्मनी, पेरिस के पर्यावरण लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाएगा. सरकार का कहना है कि जब तक यूक्रेन युद्ध चलता रहता है, जर्मनी को लुत्सेराथ के कोयले की जरूरत है.
तस्वीर: Ina Fassbender/AFP/Getty Images
गांव को खाली कराने की शुरुआत
पुलिस ने 10 जनवरी से गांव को खाली कराने की शुरुआत कर दी. नाकेबंदियों को हटाया गया और प्रदर्शनकारियों को धरने की जगह से बाहर लाना शुरू हुआ. कुछ आंदोलनकारियों ने तो खुद को जमीन में गाड़ लिया है, ताकि पुलिस उन्हें हटा न पाए.
तस्वीर: INA FASSBENDER/AFP
सैकड़ों पुलिसकर्मी तैनात
आंदोलनकारियों को हटाने के लिए लुत्सेराथ में सैकड़ों पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है. पुलिस बाड़ों को हटाते हुए आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है और आंदोलनकारी बार- बार पुलिस की राह में बाधा डालने की कोशिश कर रहे हैं.
तस्वीर: Michael Probst/AP Photo/picture alliance
ग्रेटा थुनबर्ग का समर्थन
प्रसिद्ध पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थुनबर्ग ने आंदोलनकारियों के लिए अपना समर्थन जताया है. वे 14 जनवरी को आंदोलनकारियों के समर्थन के लिए लुत्सेराथ पहुंचेंगी और प्रदर्शन में हिस्सा लेंगी. वे पहले भी लुत्सेराथ जा चुकी हैं और 2021 में संसदीय चुनाव से पहले प्रदर्शन में भाग ले चुकी हैं.