ब्रिटेन के लेस्टर शहर में हिंदू-मुस्लिम हिंसा की पूरी कहानी
स्वाति बक्शी
२२ सितम्बर २०२२
ब्रिटेन के लेस्टर शहर में हुई सांप्रदायिक झड़पों और हिंसा की घटनाओं के चलते तनाव बरकरार है. पुलिस ने किसी नई घटना की पुष्टि नहीं की है लेकिन पूर्वी लेस्टर इलाके में पट्रोलिंग लगातार जारी है.
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बुधवार को लेस्टरशर पुलिस के अस्थायी चीफ कॉन्स्टेबल रॉब निक्सन ने एक खुला पत्र लिखकर स्पष्ट किया कि अधिकारियों की तरफ से पर्याप्त कार्रवाई की गई है और आगे भी गिरफ्तारियां होंगी. बीते शनिवार और रविवार को हिंदू व मुसलमान समुदायों के बीच हिंसक झड़पें हुईं जिसके बाद पुलिस को स्थिति संभालने के लिए खासी मेहनत करनी पड़ी. अगस्त के अंत से शुरू हुए इस तनाव के मद्देनजर अब तक 47 लोगों को हिरासत में लिया गया है. शनिवार को हुई उग्र घटनाओं में कम से कम 15 पुलिसकर्मियों समेत पुलिस के एक कुत्ते के घायल होने की खबर है. साथ ही 20 साल के एक लड़के को हथियार रखने के मामले में सजा सुनाई गई है.
लेस्टर से शुरू हुई हिंसा के बर्मिंघम तक पहुंचने की खबर भी है जहां एक मंदिर के बाहर प्रदर्शन की खबरों ने ये जता दिया कि स्थिति फिलहाल नाजुक है. लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग ने औपचारिक बयान जारी कर भारतीय समुदाय और हिंदू धर्मस्थल व धार्मिक प्रतीकों के खिलाफ हुई हिंसा की निंदा की.
कब और कैसे उपजा तनाव
लेस्टर ब्रिटेन के उन शहरों में है जहां सबसे ज्यादा संख्या में गैर-ब्रिटिश आबादी रहती है. पूर्वी लेस्टर में तनाव का ताजा दौर 28 अगस्त को हुए भारत-पाक टी20 मैच के बाद शुरू हुआ. एशिया कप के दौरान हुए इस मैच में भारत की जीत के बाद समर्थक जश्न मनाने के लिए शहर के बेलग्रेव इलाके में सड़क पर उतरे. वहां उन लोगों ने नारेबाजी की और जश्न हिंसक झड़पों में बदल गया.
पूरा ब्रिटेन जब महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार की तैयारी में लगा था तब लेस्टर में तनाव सुलग रहा था जिसका नतीजा शनिवार को दिखा. पुलिस के मुताबिक करीब 200 लोग शहर के ग्रीन लेन इलाके में सड़क पर मार्च करने के लिए उतरे जिसके बाद हिंसा भड़की, गाड़ियां तोड़ी गईं और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया.
पुलिस को इस अघोषित प्रदर्शन की ना जानकारी थी, ना ही उससे निपटने के लिए पर्याप्त बल मौजूद था नतीजतन पुलिसकर्मी चोटिल हुए. इसके बाद रविवार को 100 लोगों की भीड़ प्रदर्शन करने के लिए एकजुट हुई और पुलिस ने 18 लोगों को गिरफ्तार किया. नाजुक स्थिति को देखते हुए फिलहाल पुलिस की सक्रियता जारी है और अगले कुछ हफ्तों में कई गिरफ्तारियां होने की आशंका है. द गार्डियन अखबार में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक हिंसा भड़काने के लिए लंदन के दूसरे इलाकों से लोगों के लेस्टर पहुंचने की सूचना है.
पूर्वी लेस्टर सीट से सांसद क्लॉडिया वेबी ने 28 अगस्त को मैच के बाद पैदा हुए तनाव के संबंध में चीफ कॉन्स्टेबल के नाम लिखे अपने पत्र में कहा कि ऐसा लगता है कि "हिंसा राष्ट्रवाद की भावना से ओत-प्रोत थी लेकिन कुछ आम नागरिकों से ये पता चला है कि ये कोई छिट-पुट घटना नहीं थी बल्कि यह लेस्टर के एक समुदाय में इस्लामोफोबिक भावनाओं का नतीजा है”.
शहर में डर के माहौल और हिंसा को रोकने की कोशिशों के मद्देनजर हिंदू और मुसलमान समुदाय की तरफ से एक संयुक्त बयान जारी किया गया है. लेस्टर में इस्कॉन मंदिर के अध्यक्ष प्रद्युम्न दास ने एक मस्जिद के सामने बयान पढ़ते हुए कहा कि "हम दो धर्मों के लोग आधी शताब्दी से इस सुंदर शहर में रह रहे हैं. हम एक वक्त पर यहां आए, एक जैसी चुनौतियां झेलीं, जातीय भेद-भाव का सामना किया...यहां शांति भंग करने की कोशिश करने वालों को हमारा संदेश साफ है, हम तुम्हे जीतने नहीं देंगे”. हिंसा के इस दौर के पीछे क्रिकेट राष्ट्रवाद हो या धार्मिक ध्रुवीकरण, माहौल को बिगाड़ने में सोशल मीडिया ने बेहद नकारात्मक किरदार निभाया.
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सोशल मीडिया और झूठी खबरें
सांसद वेबी, चीफ कॉन्सटेबल निक्सन समेत लेस्टर के मेयर सर पीटर सोल्सबी ने भी ये रेखांकित किया कि शहर में तनाव भड़काने में जिस एक चीज की भूमिका सबसे ज्यादा खतरनाक रही है, वो है सोशल मीडिया. ट्विटर पर घूम रहे वीडियो इस हिंसक माहौल के लिए गंभीर रूप से जिम्मेदार हैं. जैसे एक वीडियो में एक व्यक्ति को मंदिर पर चढ़कर झंडा नीचे गिराते हुए देखा जा सकता है. इसी तरह के एक और अपुष्ट वीडियो में एक व्यक्ति झंडा जलाता हुआ दिख रहा है जबकि ये साफ नहीं है कि ये वीडियो लेस्टर से संबंधित है या नहीं.
भारत में इन मुद्दों से खड़ा हुआ विवाद
भारत में बीते कुछ अर्से से हर रोज एक नया विवाद जन्म ले रहा है. ज्यादातर विवाद दो धर्मों के बीच होते हैं. खान-पान, पहनावा और प्रार्थना स्थल को लेकर देश के कई हिस्सों में विवाद पैदा हो चुके हैं.
तस्वीर: Anushree Fadnavis/REUTERS
कर्नाटक का हिजाब विवाद
जनवरी 2022 में कर्नाटक के उडुपी में एक कॉलेज में छह छात्राओं के हिजाब पहनकर आने से रोकने पर विवाद खड़ा हो गया था. कॉलेज प्रशासन ने लड़कियों को हिजाब पहनकर कॉलेज में आने से मना कर दिया. जिसके खिलाफ लड़कियों ने विरोध प्रदर्शन किया. मामला कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं है.
तस्वीर: Money SHARMA/AFP
मस्जिदों के लाउडस्पीकर पर मचा शोर
महाराष्ट्र में अप्रैल के महीने में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों में प्रार्थनाओं की आवाज को सीमा के भीतर रखने को लेकर अभियान चलाया था. उन्होंने कहा था कि अगर मस्जिदों ने ऐसा नहीं किया तो उनके समर्थक विरोध जताने के लिए मस्जिदों के बाहर हिंदू मंत्रोच्चार करेंगे. महाराष्ट्र की करीब 900 मस्जिदों ने अजान की आवाज कम करने की सहमति दी थी.
तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Mahyuddin
उत्तर प्रदेश में लाउडस्पीकरों पर कार्रवाई
उत्तर प्रदेश में सभी धार्मिक स्थलों से करीब 1.29 लाख लाउडस्पीकर उतारे गए या फिर उनकी आवाज को तय मानकों के मुताबिक कम किया गया. यूपी सरकार ने 23 अप्रैल को धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने के आदेश जारी किए थे. इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश पर राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश में यह अभियान चलाया. सरकारी कार्रवाई मंदिर, मस्जिद और अन्य संस्थानों के लाउडस्पीकरों पर हुई.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Sharma
हिंसक घटनाएं
रामनवमी और हनुमान जयंती के दौरान दो समुदायों के बीच कई जगहों पर हिंसक झड़प हो गई थी. दिल्ली के जहांगीरपुरी में दो समुदायों के बीच झड़प हुई और माहौल तनावपू्र्ण हो गया. इसके अलावा मध्य प्रदेश के खरगोन, मुंबई की आरे कॉलोनी में एक धार्मिक यात्रा के दौरान दो समुदायों के लोगों के बीच हिंसा हुई. कर्नाटक के हुबली में भी एक व्हाट्सऐप संदेश को लेकर बवाल मच गया था.
तस्वीर: Charu Kartikeya/DW
बुलडोजर पर सवाल
उत्तर प्रदेश में हाल के महीने में कई मामले सामने आए जिनमें ऐसे आरोपियों के घर पर प्रशासन ने बुलडोजर चलवा दिया जिनका नाम किसी तरह के मामले में दर्ज हुआ. बुलडोजर चलाने को लेकर सवाल भी खड़े हुए और मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा. कोर्ट में यूपी सरकार ने हलफनामा देकर कहा कि नियमों के मुताबिक कार्रवाई की गई है.
तस्वीर: Ritesh Shukla/REUTERS
यूपी की तर्ज पर एमपी में भी बुलडोजर चला
मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी पर दंगों के बाद प्रशासन ने कई मकान और दुकानों पर बुलडोजर चलवाकर तोड़ दिया. खरगोन प्रशान ने दंगों के एक दिन बाद 12 अप्रैल को कम से 45 मकानों और दुकानों पर बुलडोजर चलाकर कार्रवाई की थी. यहां भी सवाल उठे कि बिना नोटिस के प्रशासन ने कार्रवाई क्यों की.
तस्वीर: Charu Kartikeya/DW
पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी
एक टीवी बहस के दौरान बीजेपी की प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी की जिसके बाद अरब जगत से इस पर विरोध दर्ज कराया गया. इसके बाद बीजेपी ने नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल को पार्टी से निकाल दिया और बयान से किनारा कर लिया. टिप्पणी के विरोध में कई जगहों पर हिंसक घटनाएं हुईं.
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मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी
दिसंबर 2021 में हरिद्वार में एक धर्म संसद हुई थी और इस धर्म संसद में देश के मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयान दिए गए. इस धर्म संसद में हिंदू राष्ट्र की स्थापना की बात कही गई और मीडिया और कोर्ट के खिलाफ भी आपत्तिजनक बयान दिए गए थे.
तस्वीर: Hindustan Times/imago images
कन्हैयालाल का कत्ल
राजस्थान के उदयपुर में 28 जून को एक दर्जी कन्हैयालाल को इस सिर्फ दो मुसलमान व्यक्तियों ने धारदार हथियार से मार डाला क्योंकि उन्होंने नूपुर शर्मा के समर्थन में व्हॉट्सऐप स्टेटस लगाया था. कन्हैयालाल इस मामले में गिरफ्तार हो चुके थे और शिकायतकर्ता और उनके बीच पुलिस ने समझौता करा लिया था, उन्होंने पुलिस से जान मारने की धमकी मिलने की शिकायत की थी. हत्या के विरोध में राजस्थान में तनाव का माहौल बन गया.
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इस तरह की सामग्री ने लोगों, ख़ासकर युवाओं के दिमाग पर गहरा असर डाला है. गिरफ्तार किए गए लोगों में से सजा पाने वाले तीन युवा लड़कों में शामिल यूसुफ नाम के लड़के ने सोशल मीडिया के असर की बात कही. यूसुफ ने अधिकारियों को बताया कि वह अपने घर के पास हो रही इन घटनाओं के बारे में सोशल मीडिया पर आ रही सामग्री देखकर विचलित था. हालात बिगड़ने के कारणों पर मीडिया से बातचीत में हेड कॉन्सटेबल निक्सन ने कहा कि लेस्टर से बाहर रहने वाले लोग सोशल मीडिया पर इस बात की चर्चा कर रहे हैं कि लेस्टर जाकर बढ़-चढ़कर इस हिंसा में हिस्सेदारी की जाए. शायद इन्हीं लोगों की बयानबाजी ने लोगों को बाहर से लेस्टर आने के लिए भड़काया है.
इसी तरह भ्रामक बातों और गलत सूचनाओं ने भी आग में घी का काम किया है. ऐसी अफवाहें सामने आईं कि एक मस्जिद पर हमला हुआ है जिसे बाद में पुलिस ने खंडित करते हुए अपील की कि लोग वो बिल्कुल ना लिखें जो हुआ नहीं है. मेयर सोल्सबी ने बीबीसी से बातचीत में जोर देकर कहा कि इस हिंसा का कोई स्थानीय कारण नहीं है. चिंगारी को हवा कुछ बेहद विकृत किस्म के सोशल मीडिया ने दी है जिसमें से कुछ तो बिल्कुल झूठी बातें हैं.
ब्रिटेन में हिंदू-मुसलमान समुदाय
ब्रिटेन में क्रिश्चिन समुदाय के बाद मुसलमान और हिंदू धार्मिक समुदाय के लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है. 2017 के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हिंदुओं की संख्या 10 लाख 21 हजार 449 है जबकि मुसलमानों की आबादी 33 लाख 72 हजार 966 है. दोनों ही समुदायों में रोजगार का स्तर बेहतर है. हिंदुओं की कुल आबादी का 97 फीसदी हिस्सा शहरों में रहता है जिसमें से 50 फीसदी अकेले राजधानी लंदन में रहते हैं. मुसलमान भी बड़ी संख्या में लंदन में रहते हैं लेकिन उनकी रिहाइश अंदरूनी इलाकों में ज्यादा है.
15 शादियों वाले राजा और 40 शादियों वाले संत
बहुविवाह यानी एक से ज्यादा लोगों के साथ शादी करने पर दुनिया के ज्यादातर देशों में रोक है लेकिन फिर भी इसे बर्दाश्त किया जाता है. आज भी दर्जन भर देशों यह कानूनी रूप से वैध है. 1-2 से लेकर 30 और 40 विवाह वाले लोग भी हैं.
तस्वीर: Frank Perry/AFP
केवल 2 फीसदी बहुविवाह परिवार
आंकड़ों की बात करें तो दुनिया की आबादी में केवल दो फीसदी परिवार ही बहुविवाह वाले परिवार हैं. ज्यादातर देशों में इसकी हिस्सेदारी महज 0.5 फीसदी है. ये आंकड़े 2019 में वाशिंगटन के पीयू रिसर्च सेंटर ने 130 देशों का सर्वेक्षण करने के बाद जुटाए.
तस्वीर: Guerchom Ndebo/AFP
औरतें भी करती हैं एक से ज्यादा मर्दों से शादी
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग और महिलाओं से भेदभाव के खिलाफ बनाई गई समिति ने इस पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है. बहुविवाह को ज्यादातर मर्दों का खेल बताया जाता है लेकिन यह सिर्फ मर्दों का खेल नहीं है.
तस्वीर: Menahem Kahana/AFP/Getty Images
बहुविवाह और बहुपति
मर्दों की एक से ज्यादा औरतों से शादी के किस्से बहुत हैं लेकिन औरतों के एक से ज्यादा मर्दों से शादी के उदाहरण भी हैं. कुछ जगहों पर एक मर्द कई बहनों से शादी करते हैं और इसी तरह कुछ जगहों पर एक औरत की कई भाइयों से भी शादी होती है. नेपाल में तो बकायदा इसकी एक परंपरा भी है.
तस्वीर: Neelima Vallangi & Deej Phillips
मध्यपूर्व और एशिया में वैध
बहुविवाह पर यूरोप सहित दुनिया के ज्यादातर देशों में रोक है. मध्यपूर्व, अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्सों में यह कानूनी रूप से वैध है. हालांकि कानूनी रूप से वैध होने के बावजूद यह बहुत आम नहीं है. यह तस्वीर जोहानिसबर्ग के रॉबर्ट चाउके की है जिनकी छह पत्नियां और 26 बच्चे हैं.
तस्वीर: Alexander Joe/AFP
अफ्रीकी देशों में ज्यादा होते हैं बहुविवाह
उप सहारा के अफ्रीकी देशों में यह सबसे ज्यादा दिखाई देता है. यहां की 11 फीसदी आबादी बहुविवाह वाले परिवारों में रहती है. इनमें भी पश्चिमी और मध्य अफ्रीका के देशों में यह सबसे ज्यादा है. बुर्किना फासो में 36, माली में 34, और गांबिया में 30 तो नाइजर में 29 फीसदी आबादी बहुविवाह वाले परिवारों की है.
तस्वीर: Rogan Ward/dpa/picture alliance
मुसलमानों में ज्यादा
अफ्रीका के ईसाईयों की तुलना में मुसलमानों में यह प्रथा ज्यादा आम है. इसके अलावा स्थानीय धर्मों को मानने वालों में भी इसका प्रचलन ज्यादा है. नाइजीरिया में प्रतिबंधित होने के बावजूद 12 उत्तरी राज्यों में यह धड़ल्ले से जारी है जहां शरिया या इस्लामिक कानून है.
तस्वीर: Guerchom Ndebo/AFP
रोक से भी नहीं बनी बात
गिनी बिसाउ और सेनेगल में 23 और टोगो में 17 फीसदी परिवार बहुविवाह वाले है. बहुविवाह पर रोक होने पर भी नाइजीरिया में 28 फीसदी तो गिनी में 26 फीसदी आबादी बहुविवाह परिवार वाली है. तस्वीर में नाइजीरिया के नेता अतीकू अबूबकर अपनी दो बीवियों के साथ चुनावी रैली में दिख रहे हैं.
तस्वीर: Luis Tato/AFP
चार औरतों से शादी
ज्यादातर पश्चिमी अफ्रीकी देश कुछ शर्तों के साथ चार औरतों से शादी करने की मंजूरी देते हैं. इनमें सभी औरतों के साथ समान व्यवहार की भी शर्त है. हालांकि व्यवहार में बहुविवाह करने वाले ज्यादातर मर्द दो बीवियां रखते हैं.
तस्वीर: Pascal Deloche/Godong/picture alliance
15 बीवियों वाले राजा
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जूमा जूलू परंपरावादी हैं. उनकी चार पत्नियां और 20 बच्चे हैं. एस्वातिनी (भूतपूर्व स्वाजिलैंड) के राजा एमस्वाती तृतीय ने 15 औरतों से शादी की है जिनमें से एक की मौत हो गई और उनके 25 से ज्यादा बच्चे हैं.
तस्वीर: Dmitry Feoktistov/TASS/picture alliance
इतिहास में बहुविवाह
बहुविवाह को ऐतिहासिक रूप से युद्धों के जमाने में बढ़ावा मिला. इसके जरिए विधवाओं और अनाथ बच्चों को सहारा मिलता था. हालाकि फिर भी यह प्रथा ज्यादातर मुस्लिम देशों में ही पनपती रही. अरब देशों में पहली बार 1956 में इस पर रोक लगी और ऐसा करने वाला देश था ट्यूनीशिया.
तस्वीर: Frank Perry/AFP
चार बीवियों की प्रथा
इस्लाम में चार बीवियां रखने की इजाजत है. हालांकि मिस्र के सर्वोच्च सुन्नी संस्थान के बड़े इमाम अहमद अल तायब इस प्रथा की आलोचना करते हैं और इसे "कुरान की गलत व्याख्या और पैगंबर की परंपरा" से निकली हुई बताते हैं. तायब इसे औरतों और बच्चों के साथ अन्याय मानते हैं.
तस्वीर: AFP
अमेरिका में बहुविवाह
यहूदी तोरा और क्रिश्चियन ओल्ड टेस्टामेंट में भी बहुविवाह के कई उदाहरण हैं लेकिन मध्ययुग में इस प्रथा को समाज ने खारिज कर दिया. अमेरिका के कट्टर ईसाई संप्रदाय मॉरमॉन को मानने वाले दसियों हजार लोग आज भी बहुविवाह की प्रथा चला रहे हैं. हालांकि उटा के मॉरमॉन समुदाय ने 1890 में इस पर रोक लगा दी.
तस्वीर: Gero Breloer/picture-alliance/dpa
30-40 बीवियां
मॉरमॉन धर्म के प्रवर्तक स्मिथ की 30-40 बीवियां थीं जिनमें से एक की उम्र तो महज 14 साल ही थी. 2014 में इस धर्म से जुड़े चर्च जीसस क्राइस्ट ऑफ लैटर डे सेंट्स ने इस जानकारी को सार्वजनिक किया था.
तस्वीर: picture alliance / AP Photo
हिंदुओं में बहुविवाह
हिंदू धर्म में बहुविवाह आम लोगों के लिए वर्जित है, हालांकि धार्मिक पुस्तकों में बताया गया है कि भगवान राम के पिता दशरथ की तीन पत्नियां और कृष्ण की 16,108 रानियां थीं. इसके अलावा महाभारत में अर्जुन की दो पत्नी और द्रौपदी के पांच पतियों का भी जिक्र मिलता है.
तस्वीर: Dibyangshu Sarkar/AFP/Getty Images
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लंदन से बाहर हिंदुओं की सबसे बड़ी संख्या लेस्टर शहर में केन्द्रित है. साल 2011 में हुई जनगणना में लेस्टर की कुल आबादी के करीब 16 फीसदी लोगों ने अपनी धार्मिक पहचान हिंदू बताई थी. मुसलमानों की सबसे ज्यादा संख्या वाला शहर बर्मिंघम है, जिसके बाद लंदन का स्थान है जबकि लेस्टर में मुसलमानों की आबादी 69,000 है और स्थानीय व्यवसायों में इस समुदाय की अच्छी भागीदारी है.
लेस्टर ब्रिटेन के आर्थिक रूप से बेहद सफल शहरों में से एक है जिसकी स्थानीय आर्थिक गतविधियों में छोटे और मझोले व्यवसायों की बड़ी भूमिका है. फिलहाल इस शहर में जो तनाव पैदा हुआ है यदि वो जारी रहता है तो शहर की आर्थिक सेहत पर भी असर पड़ने के आसार हैं.