पिछले कुछ दिनों में कनाडा और अमेरिका के कुछ हिस्सों में पड़ रही भयानक गर्मी से सैकड़ों लोगों की जान जाने की आशंका जताई जा रही है. वैज्ञानिक समझने की कोशिश में हैं कि मौसम में ऐसा उबाल क्यों आया.
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उत्तर पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में तापमान बढ़ने से पश्चिमी कनाडा और अमेरिका के ऑरेगन व वॉशिंगटन राज्यों में गर्मी के सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं. ऑरेगन के अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि कम से कम 60 लोगों की जान इस गर्मी के कारण गई है. राज्य की सबसे बड़ी काउंटी मल्टनोमा में ही 45 लोग गर्मी की भेंट चढ़ चुके हैं.
ब्रिटिश कोलंबिया के कोरोनर विभाग की प्रमुख लीसा लापोएंटे ने कहा कि उनके दफ्तर को कम से कम 486 लोगों की अचानक और अनपेक्षित जान जाने की सूचना मिली है. ये मृत्यु बीते शुक्रवार और बुधवार के बीच ही हुई हैं. आमतौर पर राज्य में इतने समय में लगभग 165 लोगों की मौत होती है.
लापोएंटे ने एक बयान जारी कर कहा, "वैसे तो फिलहाल यह कहना जल्दबाजी होगी कि इनमें से कितनी मौतें गर्मी के कारण हुई होंगी, लेकिन ऐसा माना जाता है कि मरने वालों की संख्या में हुई यह बढ़ोतरी अत्यंत कठोर मौसम से संबंधित है.”
तस्वीरों मेंः अफ्रीका के मनोरम बीच पर बर्बादी का खतरा
अफ्रीका के एक मनोरम बीच पर बर्बादी का खतरा
अफ्रीका के सिएरा लियोन के मनोरम समुद्र तट पर एक बंदरगाह बनने जा रहा है. इसे सिएरा लियोन सरकार चीन से मिले 5.5 करोड़ डॉलर के निवेश पर बना रही है, लेकिन स्थानीय लोगों को अपनी जमीन और जीविका के खो जाने की चिंता है.
तस्वीर: Claudia Anthony/DW
निर्माण या संरक्षण?
सिएरा लियोन की सरकार समुद्र के तट पर बसे ब्लैक जॉनसन गांव के पास मछली पकड़ने की नावों का एक बंदरगाह बनाने जा रही है. व्हेल खाड़ी में लगभग 252 एकड़ जमीन इस परियोजना के लिए चिन्हित की गई है. लेकिन स्थानीय लोग और पर्यावरण एक्टिविस्ट इसका विरोध कर रहे हैं. उन्हें डर है कि इससे उन्हें वहां से हटा दिया जाएगा और मछलियों के प्रजनन का इलाका प्रदूषित होगा.
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जहां आती हैं व्हेल
समुद्र किनारे बसे गांव और इसके समुद्रतट पर्यावरण अनुकूल पर्यटन या ईकोटूरिज्म के लिए मशहूर हैं. यह जगह फ्रीटाउन प्रायद्वीप पर एक जंगल के करीब स्थित है और यूनेस्को ने इसे वैश्विक धरोहर स्थल के रूप में भी मान्यता दी है. यहां कई तरह की मछलियां, पौधे और स्तनधारी पाए जाते हैं. कभी कभी यहां व्हेल भी आती हैं.
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गांव वालों के भविष्य पर संकट
पर्यावरण अनुकूल पर्यटन से जुड़े उद्यमी टॉमी बांडेवा ब्लैक जॉनसन बीच पर 15 सालों से भी ज्यादा से सक्रिय हैं. वो कहते हैं कि वो समझ ही नहीं पा रहे हैं कि ईकोटूरिज्म के एक इलाके में मछली पकड़ने की नावों का बंदरगाह क्यों बनाया जा रहा है. वो बताते हैं कि यहां से हटने के लिए लोगों को सिर्फ मुआवजा दिया गया और पुनर्वास का कोई प्रस्ताव तक नहीं दिया गया. वो चिंतित हैं कि लोगों को जल्द ही यहां से जाना पड़ेगा.
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सुरक्षा के लिए बाड़
यहां खरीदे गए जमीन के टुकड़ों के नए मालिक काफी तेज गति से जमीन पर काम करवा रहे हैं. वो घर बनवाने से पहले बाड़ बनवा रहे हैं. ऐसा करके वो घुसपैठियों को बाहर रखना चाहते हैं, जिनमें निरीक्षण के लिए आने वाले सरकारी अधिकारी भी शामिल हैं. इस निर्माण के लिए सिएरा लियोन की सरकार चीन से मिले 5.5 करोड़ डॉलर के अनुदान का इस्तेमाल कर रही है.
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मछुआरों की आजीविका
स्थानीय मछुआरे बंदरगाह को लेकर चिंतित हैं. ये एक मछुआरे की बेटी हैं जो चिंतित हैं कि उनके पिता जैसे लोगों की आजीविका चली जाएगी और उनके परिवारों को संघर्ष करना पड़ेगा. पहले भी मछली पकड़ने के जालदार जहाजों ने मछुआरों की आजीविका भंग की है. सरकार का कहना है कि बंदरगाह से आजीविका के और मौके मिलेंगे और अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यात करने के लिए मछलियों का भंडार बढ़ेगा.
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पर्यावरण का नुकसान तय
अमूमन जब भी पर्यावरण पर असर डालने वाली किसी योजना की शुरुआत होती है तो पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) से अनुमति ली जाती है. लेकिन इस परियोजना के बारे में ईपीए को जानकारी तक नहीं दी गई. एजेंसी को कभी पर्यावरण पर असर के आकलन की रिपोर्ट भी नहीं दी गई जिससे वो निर्माण शुरू होने से पहले परियोजना पर विचार कर पाती.
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विश्व बैंक की ब्लैकलिस्ट पर
फ्रीटाउन के आस पास कुछ जगहों पर एक बंदरगाह बनाने की लिए उपयुक्त स्थानों का आकलन करने के बाद विश्व बैंक ने ब्लैक जॉनसन को ब्लैकलिस्ट कर दिया था. लेकिन मत्स्य पालन और समुद्री संसाधन मंत्रालय बीच को इस परियोजना के लिए उपयुक्त स्थान मानता है.
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आपदा बनाम निर्यात
स्थानीय लोग, संरक्षणकर्ता और अधिकार समूह इस बंदरगाह की परियोजना को एक "विनाशकारी मानवीय और पर्यावरणीय आपदा" मानते हैं. यहां सार्डिन, बैराकुडा और ग्रूपर जैसी मछलियां बड़ी मात्रा में मिलती हैं, जिन्हें स्थानीय मछुआरे पकड़ कर स्थानीय बाजार में बेचते हैं. इनसे स्थानीय बाजार की 70 प्रतिशत मांग पूरी हो जाती है.
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राष्ट्रपति से अपील
ब्लैक जॉनसन की मिट्टी वेस्टर्न एरिया पेनिनसुला नेशनल पार्क को घेरे हुए है, जहां डुइकर एंटीलोप और पैंगोलिन जैसे लुप्तप्राय जानवर पाए जाते हैं. संरक्षणकर्ताओं का कहना है कि इस औद्योगिक स्तर के बंदरगाह के बनने से मनोरम वर्षा-वन नष्ट हो जाएंगे. स्थानीय लोगों के साथ मिल कर उन्होंने राष्ट्रपति को एक चिट्ठी लिख कर उनसे मामले में हस्तक्षेप करने की और निर्माण को रोकने की अपील की है. - क्लॉडिया एंथनी
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अमेरिका के सिएटल की तरह कनाडा के वैंकूवर और ब्रिटिश कोलंबिया में भी बहुत से घरों में एयर कंडिशन नहीं होते. वैंकूवर के पुलिस सार्जेंट स्टीव ऐडिसन ने कहा, "वैंकूवर ने ऐसी गर्मी पहले कभी नहीं देखी. और अफसोस की बात है कि दर्जनों लोग इसके कारण मर रहे हैं.”
अमेरिका के वॉशिंगटन में अधिकारियों ने 20 से ज्यादा मौतों को गर्मी से जोड़ा है. और यह संख्या बढ़ने की आशंका है.
क्यों पड़ी गर्मी?
मौसमविज्ञानियों का कहना है कि उत्तर पश्चिम में उच्च दबाव का क्षेत्र बनने से गर्मी की यह लहर पैदा हुई है, लेकिन इसे खतरनाक हद तक ले जाने के लिए जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि भविष्य में ऐसे कठोर मौसमी हालात और ज्यादा देखने को मिलेंगे.
सिएटल, पोर्टलैंड और अन्य कई शहरों में तो तापमान के सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं. कई जगह तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा है. हालांकि पश्चिमी वॉशिंगटन, ऑरेगन और ब्रिटिश कोलंबिया में बुधवार के बाद तापमान में कमी आई है, कई अंदरूनी इलाके अब भी गर्मी की मार झेल रहे हैं.
क्या डायनासोर की तरह इंसान भी गायब हो जाएंगे?
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एनवायर्नमेंट कनाडा विभाग ने चेतावनी दी है कि अब दक्षिणी अल्बर्टा और सास्काचेवान में गर्मी बढ़ सकती है. अमेरिका में वॉशिंगटन के अलावा आइडहो और मोन्टाना में भी बहुत ज्यादा गर्मी की चेतावनी बनी हुई है. एनवायर्नमेंट कनाडा ने कहा, "अल्बर्टा में इस हफ्ते लंबी, खतरनाक और ऐतिहासिक गर्मी पड़ेगी.”
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जलवायु परिवर्तन के खतरे
ब्रेकथ्रू इंस्टीट्यूट में मौसम विशेषज्ञ जेके हाउसफादर के मुताबिक जलवायु परिवर्तन ना हुआ होता, तब भी प्रशांत उत्तरपश्चिम में गर्मी तो पड़ती, लेकिन वह इतनी भयानक न होती. उन्होंने बताया, "मौसम के लिए जलवायु स्टेरॉयड की तरह होता है. अगर कोई बेसबॉल या ओलंपिक खिलाड़ी स्टेरॉयड लेता है, तो कभी उनका प्रदर्शन अच्छा होगा, कभी खराब होगा. लेकिन उनके औसत प्रदर्शन में सुधार हो जाए. यही चीज जलवायु मौसम के साथ कर रही है. इसलिए ऐसे कठोर मौसमी दौर ज्यादा देखने को मिलेंगे.”
वैज्ञानिक गर्मी की इस लहर की सटीक वजहों का अध्ययन करने की योजना पर काम कर रहे हैं. वॉशिंगटन यूनिवर्सटी में मौसम विज्ञानी कैरिन बम्बाको कहती हैं कि इसकी कुछ जिम्मेदारी तो जलवायु परिवर्तन की बनती ही है. विशेषज्ञ कहते हैं कि आने वाले समय में इस तरह की गर्मी कब पड़ेगी, इसका अनुमान लगाना भी मुश्किल है. हाउसफादर कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण जो नुकसान हो चुका है, उसकी भरपाई भी मुश्किल है. वह कहते हैं, "दुर्भाग्य से, अगर हमारे पास कोई जादू की छड़ी होती जो हमारे कार्बन उत्सर्जन को जीरो कर देती, तो भी दुनिया दोबारा ठंडी नहीं होगी. अब हमें यह गर्मी झेलनी ही होगी. और इसलिए, हमें ऐसे कठोर मौसमों की आदत डालनी होगी.”