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राजनीतिहांगकांग

हांगकांग में 45 लोकतंत्र समर्थकों को सजा सुनाई गई

१९ नवम्बर २०२४

हांगकांग की एक अदालत ने मंगलवार को 45 लोगों को विध्वंस की गतिविधियों के लिए दोषी करार दिया. अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में इसकी आलोचना हो रही है. पश्चिमी देश इसे देश में राजनीतिक स्वतंत्रता के खत्म होने का सबूत बता रहे हैं.

2019 में हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद अदालत के बाहर मीडिया के सामने बेनी ताई
हांगकांग की अदालत ने 45 लोगों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत सजा सुनाई हैतस्वीर: PHILIP FONG/AFP

हांगकांग अदालत ने समूह के "मुख्य साजिशकर्ता" बेनी ताई को सबसे अधिक 10 साल के कैद की सजा सुनाई है. उनके साथ 44 दूसरे आरोपियों को दो महीने से लेकर चार साल तक की सजा सुनाई गई है. चीन ने 2020 में हांगकांग में एक नया सुरक्षा कानून लागू किया था.

बेनी ताई को इस कानून के तहत अब तक की सबसे बड़ी सजा सुनाई गई है. 2019 में हांगकांग में लोकतंत्र के समर्थन में बड़े प्रदर्शन शुरू हुए जिनमें कई बार हिंसा भी हुई. इन्हीं प्रदर्शनों को रोकने के लिए यह कानून लाया गया. इसके तहत उम्रकैद तक की सजा हो सकती है.

सजा पाने वाले लोग कौन हैं?

सभी 45 लोगों को विध्वंस का दोषी माना गया है. इन लोगों ने 2020 में एक अनौपचारिक चुनाव कराया था और उसके जरिए इनकी रणनीति लोकतंत्र समर्थक चुनावी बहुमत हासिल करने की थी. इस समूह में हांगकांग के कुछ अहम लोग भी शामिल हैं जो कभी वहां के विविध राजनीतिक विपक्ष का हिस्सा थे. इनमें से एक पूर्व छात्र नेता जोशुआ वोंग ने अदालत में सजा सुनाए जाने के बाद वहां से ले जाते वक्त चीख कर कहा, "मैं हांगकांग से प्यार करता हूं, विदा."

जिन लोगों को मंगलवार को सजा सुनाई गई उनमें जोशुआ वोंग भी हैंतस्वीर: Kin Cheung/dpa/picture alliance

मंगलवार को अदालत में सजा सुनाए जाने से पहले सुबह से ही 200 से ज्यादा लोग अंदर घुसने के लिए कतार में खड़े हो गए थे. भीतर 45 आरोपी कटघरे में मौजूद थे. इनमें से कई आरोपियों ने पहले 1,300 से ज्यादा दिन कैद में बिताए हैं. सजा सुनाए जाने के बाद बाहर आरोपियों में एक हेंड्रिक लुई की मां हाथों में एक तख्ती लेकर खड़ी थीं. उस तख्ती पर लिखा था, "सही लोग बचे रहेंगे, दुष्ट लोग खत्म होंगे." हांगकांग की मीडिया के एक वीडियो फुटेज में इस महिला को कुछ ही सेकंडों के भीतर पुलिस वैन में वहां ले जाए जाते देखा गया.

दूसरी सबसे लंबी सजा सात साल और 9 महीने की है जो युवा कार्यकर्ता ओवेन चॉव को मिली है. लोकतंत्र समर्थक नेता ओ नोक हिन, एंड्रयू चियु और बेन चुंग को आयोजक करार दिया गया, हालांकि उन्हें ताई के खिलाफ गवाही देने के बाद छोटी सजाएं मिली हैं. 68 साल के लेउंग क्वोक हुंग देश के आखिरी विपक्षी दल के सह-संस्थापक हैं. उन्हें छह साल 9 महीने की सजा सुनाई गई है.

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सजा की अंतरराष्ट्रीय आलोचना

हांगकांग में अमेरिकी कॉन्सुलेट की प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका इन सजाओं की "कड़ी निंदा" करता है. उधर चीन ने पश्चिमी देशों की आलोचना को, "कानून के शासन की भावना का घोर अपमान और उन्हें रौंदना" कहा है साथ ही किसी भी दखल के खिलाफ चेतावनी दी है.

सजा सुनाए जाते वक्त अदालत में भारी भीड़ जमा थीतस्वीर: Peter Parks/AFP/Getty Images

ताइवान के राष्ट्रपति कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है, "लोकतंत्र अपराध नहीं है." इसके साथ ही न्यायिक उपायों और अनुचित प्रक्रियाओं का राजनीतिक स्वतंत्रता को कम करने में इस्तेमाल करने" की बात कह कर इन सजाओं की निंदा की गई है. अंतरराष्ट्रीय संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि ये सजाएं दिखाती हैं, "कितनी तेजी से हांगकांग में नागरिक स्वतंत्रता और न्यायिक आजादी में भारी गिरावट आई है." बुधवार को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े एक और मुकदमे में सुनवाई होनी है. इसमें लोकतंत्र समर्थक मीडिया टाइकून जिमी लाई की गवाही होगी.

पूर्व डिस्ट्रिक्ट काउंसिलर लेटिसिया वोंग ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा कि उन्हें लगता है सजाएं, "लोगों को गलती स्वीकार करने और अपने साथियों के खिलाफ गवाही देने के लिए बढ़ावा दे रही थीं. जिन लोगों ने झुकने से इनकार किया, जाहिर है कि उन्हें भारी सजा मिली."

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लोकतंत्र के लिए आंदोलन

चीन और हांगकांग लगातार आलोचनाओं के खिलाफ कदम उठा रहे हैं. 2019 के प्रदर्शनों के बाद यहां सुरक्षा कानून को फिर से बहाल कर दिया गया. हांगकांग के सुरक्षा मंत्री क्रिस तांग ने मंगलवार की सजाओं के बारे में कहा, "ये अपराध की गंभीरता दिखाती हैं." हालांकि उन्होंने इसके साथ ही यह भी कहा कि सरकार अलग अलग लोगों की सजाओं पर अपील के बारे में विचार करेगी.

जनवरी 2021 में गिरफ्तारी के बाद 47 लोगों पर शुरुआत में आरोप लगाए गए. इनमें से 31 लोगों ने गलती मान ली और 16 लोगों ने पिछले साल 118 दिन चले मुकदमे का सामना किया गया. इसके बाद मई में 14 लोगों को दोषी ठहराया गया और 2 लोग बरी हो गए.

जुलाई 2020 में जो अनौपचारिक चुनाव कराए गए उनका मकसद सारी पार्टियों से लोकतंत्र समर्थक नेताओं की पहचान कर उनकी चुनावी संभावनाओं को बढ़ाना था. अगर बहुमत हासिल हो जाती तो सरकार पर 2019 के प्रदर्शनकारियों की मांग मानने के लिए दबाव बनाने की योजना थी. इसके लिए बजट को वीटो करने की धमकी देने का विचार था. जिन तीन जजों को सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत सुनवाई के लिए चुना था उनका कहना है कि इससे देश में संवैधानिक संकट पैदा होने की आशंका बन गई थी.

एनआर/आरपी (एएफपी)

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