हांगकांग: पुलिस की गोली से घायल प्रदर्शनकारी पर मुकदमा चलेगा
३ अक्टूबर २०१९
कम्युनिस्ट चीन के 70वें स्थापना दिवस पर हांगकांग में हुए प्रदर्शनों में एक 18 वर्षीय स्कूली छात्र को पुलिस ने सीने पर गोली मारी थी. अस्पताल में इसे गिरफ्तार कर लिया गया और अब इस छात्र पर मुकदमा चलेगा.
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हांगकांग में 1 अक्टूबर को पुलिस ने एक प्रदर्शनकारी के सीने में गोली मार दी थी. अब इस प्रदर्शनकारी पर अब दो आरोपों के तहत मुकदमा चलाया जाएगा. घायल प्रदर्शनकारी की उम्र 18 साल है और वो एक विद्यार्थी हैं. उनका नाम चांग ची किन है. इस छात्र के ऊपर दंगा फैलाने और पुलिस अधिकारी पर हमला करने के आरोपों में मुकदमा चलाया जाएगा. दंगा फैलाने के आरोप में उसे अधिकतम 10 साल की सजा हो सकती है. 3 अक्टूबर को कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हो रही है. करीब 200 प्रदर्शनकारी चांग के समर्थन में अदालत में पहुंचे हैं. चांग हांगकांग प्रदर्शनों में पुलिस की हिंसा के शिकार पहले प्रदर्शनकारी हैं.
चांग ने एक पुलिस अधिकारी पर एक धातु की रॉड से हमला किया था. इसके जवाब में पुलिसकर्मी ने चांग को करीब से सीने में गोली मारी थी. बाद में उन्हें अस्पताल से गिरफ्तार कर लिया गया था. सरकार ने बताया कि चांग की सर्जरी हो गई है लेकिन उनकी हालत अभी स्थिर है. वो अभी अदालत की कार्यवाही में भाग नहीं ले सकेंगे. चांग के समर्थन में हांगकांग के करीब 4,500 नागरिकों ने हांगकांग की चीफ एक्सक्यूटिव कैरी लाम को एक पत्र लिखा. इस पत्र में प्रदर्शनों के दौरान सरकार और पुलिस द्वारा बच्चों के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों की जांच की मांग की.
इन लोगों ने कहा कि अगर लाम ने उनके खत का जवाब नहीं दिया तो वे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में अपील करेंगे. उन्होंने कहा, "हम सरकार और पुलिस द्वारा शक्तियों के गलत इस्तेमाल की निंदा करते हैं. हम हिरासत में लिए गए बच्चों के हाल और सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं." 1 अक्टूबर को कम्युनिस्ट चीन के स्थापना दिवस के मौके पर हांगकांग में आक्रामक चीन विरोधी प्रदर्शन हुए थे. चांग के गोली लगने के अगले दिन हजारों प्रदर्शनकारियों ने इस गोलीबारी के लिए पुलिस की जवाबदेही तय करने की मांग को लेकर रैली निकाली. ये प्रदर्शनकारी 18 सप्ताह से लगातार चल रहे प्रदर्शनों में पुलिस की जवाबदेही तय करने की मांग कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर हिंसक तरीके अपनाने का आरोप लगाया और स्वतंत्र जांच की मांग की.
चांग को गोली मारने के खिलाफ चांग के स्कूल में भी प्रदर्शन हुए. स्कूली बच्चों ने प्रदर्शनों और चांग को गोली मारने की तस्वीरें लगाईं और शांतिपूर्वक अपना विरोध दर्ज करवाया. चांग को गोली मारने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. पुलिस ने सरकार से 3 अक्टूबर को कर्फ्यू लगाने की मांग की है. साथ ही सरकार हांगकांग में एक कानून बनाने की कोशिश में है जिससे प्रदर्शन में शामिल होने वाले लोग चेहरे पर मास्क ना लगा सकें. हांगकांग में प्रदर्शनकारी चेहरे पर मास्क और हाथ में छाता लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.
हांगकांग में चल रहे विरोध प्रदर्शन दुनियाभर की मीडिया में छाए हुए हैं. हांगकांग में प्रदर्शनकारी चीन से अधिक स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं. हांगकांग में हो रहे प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि क्या है.
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अंग्रेजों का हांगकांग में आना
हांगकांग पहले एक किसानों और मछुआरों का द्वीप हुआ करता था. यहां पर चीन के क्विंग साम्राज्य का राज चलता था. 1841 में पहली बार ब्रिटिश सेनाओं और क्विंग साम्राज्य के बीच ओपिअम का प्रथम युद्ध हुआ. इसमें ब्रिटिश सेनाओं की जीत हुई और पहली बार हांगकांग के कुछ हिस्से पर ब्रिटेन का शासन शुरू हुआ.
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हांगकांग पर ब्रिटिश शासन
इसके बाद क्विंग साम्राज्य कमजोर होता गया. ब्रिटिश और मजबूत होते गए. क्विंग और ब्रिटिशों के बाद युद्ध और संधियां चलती रहीं. ब्रिटेन ने हांगकांग के अलग-अलग हिस्से जीत लिए. 1898 में हुई एक संधि के बाद वर्तमान हांगकांग को ब्रिटेन को 99 साल के लिए लीज पर दे दिया गया. हांगकांग पूरी तरह ब्रिटेन के अधिकार में आ गया.
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हांगकांग की विकास यात्रा
ब्रिटेन का राज शुरू होने के बाद हांगकांग में विकास के काम भी होने लगे. 1911 में हांगकांग यूनिवर्सिटी, 1924 में एयरपोर्ट बनने के बाद हांगकांग ने तेजी से विकास किया. हांगकांग जल्दी ही दुनिया की तेजी से विकसित हो रही जगहों में शामिल हो गया. 1949 में चीन में नई व्यवस्था लागू हो गई लेकिन हांगकांग पर ब्रिटिश शासन चलता रहा. हांगकांग में ब्रिटेन एक गवर्नर नियुक्त कर शासन चलाता था.
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चीन के हवाले हांगकांग
ब्रिटेन ने हांगकांग को 99 साल की लीज पर लिया था. ये लीज 1997 में खत्म होने वाली थी. ऐसे में 1979 में पहली बार हांगकांग के गवर्नर मूरे मैकलेहोसे ने 1997 के बाद इसके भविष्य के बारे में सवाल उठाया. 1984 में ब्रिटेन और चीन के बीच समझौता हुआ कि 1 जुलाई 1997 को ब्रिटेन हांगकांग को चीन के अधिकार में सौंप देगा. लेकिन हांगकांग को कुछ विशेषाधिकार दिए जाएंगे.
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एक देश, दो व्यवस्था
तत्कालीन चीनी राष्ट्रपति डेंग जियाओपिंग ने हांगकांग को स्वायत्तता देने के लिए एक देश, दो व्यवस्था की मांग स्वीकार की. ये व्यवस्था जुलाई, 2047 तक के लिए मान्य है. हांगकांग बेसिक लॉ नाम से अलग कानून बनाया गया. इसके मुताबिक हांगकांग में स्वतंत्र मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार होगा. यहां अलग संसद होगी जिसका निष्पक्ष चुनाव होगा. चीन की साम्यवादी व्यवस्था और नीतियां यहां लागू नहीं होती.
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जिनपिंग का एलान
2017 में हांगकांग की यात्रा पर गए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एलान किया कि 50 साल पूरे होने यानी जुलाई 2047 के बाद भी एक देश, दो व्यवस्था का कानून चलता रहेगा. हांगकांग की संसद के पूर्व राष्ट्रपति जास्पर त्सांग योक सिंग का मानना है कि हांगकांग बेसिक लॉ 2047 के बाद भी नहीं बदलेगा और यह व्यवस्था ऐसे ही चलती रहेगी.
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हांगकांग के नागरिकों को भरोसा नहीं
जिनपिंग के खुले एलान के बाद भी हांगकांग के निवासियों को इस बात पर भरोसा नहीं है. उनका मानना है कि 2047 के बाद हांगकांग में भी चीन जैसी व्यवस्था लागू हो जाएगी. ऐसे में उनकी स्वतंत्रता का अधिकार भी छिन जाएगा. हांगकांग में फिलहाल कैरी लाम की सरकार है जो चीन की समर्थक मानी जाती हैं. यही वजह है कि हांगकांग के लोगों का चीन पर शक बढ़ रहा है.
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प्रत्यर्पण कानून का विरोध
लाम ने हांगकांग की संसद में एक बिल पेश किया जिसके मुताबिक हांगकांग के लोग जो चीन में अगर कोई अपराध करेंगे तो उनका चीन को प्रत्यर्पण किया जा सकेगा. तब तक ऐसा नहीं था. इस बिल का हांगकांग में काफी विरोध हुआ. लाम ने इस बिल को ठंडे बस्ते में डाल दिया लेकिन प्रदर्शनकारियों ने इसे पूरी तरह खत्म करने की मांग की.
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प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई से भड़का आक्रोश
प्रत्यर्पण कानून का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने बल प्रयोग किया. उन पर आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियों का प्रयोग किया गया. कुछ लोग इसमें घायल हो गए. इससे प्रदर्शनकारी और भड़क गए. प्रदर्शनकारियों ने लाम के इस्तीफे और बल प्रयोग की जांच को लेकर प्रदर्शन शुरू कर दिया. पुलिस पर आरोप है कि लोगों को घायल करने के लिए बल प्रयोग किया गया.
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चुनाव से लेकर अलगाववाद तक
हांगकांग में कई प्रदर्शनकारी चीन से आजादी की मांग कर रहे हैं. हालांकि वहां की सभी राजनीतिक पार्टियां ऐसे प्रदर्शनकारियों से दूरी बना रही हैं. बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी हांगकांग में निष्पक्ष चुनावों की मांग कर रहे हैं. अब तक हांगकांग के नेता को एक चीन समर्थक समिति और चीन की सरकार द्वारा चुना जाता है. लाम भी इस तरीके से हांगकांग की नेता चुनी गई हैं.
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वर्तमान चुनाव का तरीका चीन के पक्ष में
हांगकांग की संसद में 70 सीटें हैं. इनमें से आधी सीटों पर चुनाव से प्रतिनिधि चुने जाते हैं. बची हुई आधी सीटों को फंक्शनल संसदीय क्षेत्र मानकर उन पर प्रतिनिधि मनोनीत किए जाते हैं. फिलहाल 43 सांसद चीन समर्थक हैं. ऐसे में इनका ही बहुमत है. हांगकांग बेसिक लॉ के मुताबिक संसद और उसका नेता स्वतंत्र रूप से चुना जाना चाहिए लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो सका है.
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चीन से क्या क्या अलग है हांगकांग में
चीन के पास हांगकांग के रक्षा और विदेश मामलों के ऊपर कानून बनाने का अधिकार है. इनके अलावा सभी मुद्दों पर हांगकांग के पास अपने कानून बनाने का अधिकार है. इसलिए हांगकांग को स्पेशल एडमिनिस्ट्रेटिव जोन कहा जाता है. हांगकांग की मुद्रा भी चीन से अलग है. चीन की मुद्रा युआन और हांगकांग की मुद्रा हांगकांग डॉलर है.
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चीन की सेना हांगकांग में नहीं आ सकती
चीन हांगकांग के रक्षा संबंधी मामलों पर कानून बनाने का अधिकार रखता है. हांगकांग बेसिक लॉ के अनुच्छेद 14 के मुताबिक चीन की सेना हांगकांग पर बाहरी हमले की स्थिति में रक्षा करेगी. चीन की सेना हांगकांग के आंतरिक मामलों में दखल नहीं दे सकती है. हाल में चल रहे प्रदर्शनों में चीन की सेना चीन सरकार के आदेश पर कानूनी रूप से दखल नहीं दे सकती है. हालांकि अगर हांगकांग सरकार मदद मांगे तो ऐसा हो सकता है.
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30 जून 2047 के बाद क्या होगा
हांगकांग का समाधान एक राजनीतिक समाधान हो सकता है. लेकिन यह समाधान चीन और हांगकांग दोनों को मान्य हो तभी संभव है. अगर दोनों तरफ के लोग किसी राजनीतिक समाधान पर राजी होते हैं तो 2047 के बाद भी वर्तमान व्यवस्था लागू रह सकती है. लेकिन हांगकांग में मौजूद चीन समर्थित सरकार कोई चीन समर्थक फैसला लेती है तो भविष्य अलग भी हो सकता है.