जर्मनी को पुतिन के खिलाफ भारत का साथ भी मिलने की उम्मीद
१ मार्च २०२२![Walter Lindner Botschafter Indien](https://static.dw.com/image/57358152_800.webp)
भारत में जर्मनी के राजदूत वॉल्टर लिंडनर ने 'द हिंदू' अखबार को दिए एक साक्षात्कार में ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि भले ही यूक्रेन भारत से दूर हो, "लेकिन अगर हम यूक्रेन के नागरिकों के खिलाफ हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन को बर्दाश्त करते हैं....तो यह दुनिया में और स्थानों तक भी फैल सकता है, हो सकता है भारत के काफी करीब भी."
लिंडनर ने आगे कहा, "अभी भी समय है, हम भारत को अपने विचार बता रहे हैं. अगर इस तरह का युद्ध को उकसावा एक नया नियम बन गया तो सबका नुकसान होगा और हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस बात को भारत में स्वीकारा जाएगा और संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्पष्टीकरण में या मत में या मतदान के स्वरूप में कुछ बदलाव आएगा."
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"सब एक ही नाव में सवार"
उन्होंने कहा कि जो रूस कर रहा है वो "यूरोप में शांति पर हमला है, हमारी आजादी पर हमला है, अंतरराष्ट्रीय कानून पर हमला है. यह नियमों पर आधारित शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर पूर्ण रूप से हमला है" और "अगर हमने पुतिन को इसके लिए माफ कर दिया तो हम सब भुगतेंगे."
लिंडनर के मुताबिक अंत में ये फैसले भारत को ही लेने हैं लेकिन उनका मानना है कि "हम सब एक ही नाव में सवार हैं. हम सीमाओं और एक देश की अखंडता और संप्रभुता का उल्लंघन न करने पर आधारित नियमों की अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का समर्थन कर रहे हैं. भारत इन सभी सिद्धांतों का समर्थन करता है."
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उन्होंने यह भी बताया कि सिर्फ जर्मनी ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों ने इस विषय पर भारत से बात की है. लिंडनर के इस बयान के दो ही दिन पहले भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बायरबॉक से फोन पर बात की थी.
भारत का एहतियाती रुख
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि रूस को लेकर अभी तक भारत की स्थिति का "समाधान नहीं निकला है" और इस पर अमेरिका भारत से "अभी भी बातचीत कर रहा है."
भारत ने अभी तक यूक्रेन युद्ध पर बेहद एहतियाती रुख अपनाया हुआ है. पिछले सप्ताह जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस की आलोचना करने के लिए एक प्रस्ताव पर मतदान हुआ तो भारत ने उस मतदान में हिस्सा ही नहीं लिया, जिसे रूस की मदद के रूप में देखा गया. रूस ने भी इसके बाद भारत की "स्वतंत्र और संतुलित स्थिति" की सराहना की.
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सोमवार को यूक्रेन युद्ध पर संयुक्त राष्ट्र की महासभा के विशेष आपात सत्र बुलाने पर सुरक्षा परिषद में मतदान हुआ और इस बार भी भारत ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. जर्मनी यूक्रेन युद्ध को "पुतिन के युद्ध" की संज्ञा तक दे चुका है. भारत का कहना है कि हिंसा तुरंत बंद होनी चाहिए और कूटनीति और बातचीत से समस्या को सुलझाना चाहिए.