कनाडा के फिल्मकार डेविड क्रोनेनबर्ग की नई फिल्म ‘क्राइम्स ऑफ द फ्यूचर’ को कान महोत्सव में दिखाया गया तो लोग डर के मारे सिनेमा छोड़कर भाग गए. क्रोनेनबर्ग कहते हैं कि उन्हें बड़ा मजा आया.
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डरावनी, हैरतअंगेज, परेशान कर देने वाली और सिहरन पैदा करने से लेकर घिन आने की हद तक हिला देने वाली फिल्में बनाने के लिए मशहूर फिल्मकार डेविड क्रोनेनबर्ग की नई फिल्म को जब कान फिल्म महोत्सव में दिखाया गया, तो बहुत से लोग थिएटर छोड़कर भाग निकले. साई-फाई यानी साइंस फिक्शन फिल्में बनाने वाले क्रोनेनबर्ग की नई फिल्म ‘क्राइम्स ऑफ द फ्यूचर’ ने लोगों को बहुत अलग तरह का अनुभव दिया.
‘क्राइम्स ऑफ द फ्यूचर’ में सेक्स के भविष्य पर बात की गई है. एक्टर क्रिस्टन स्टीवर्ट, ली सेडो और वीगो मॉर्टेन्सन के साथ मिलकर क्रोनेनबर्ग ने अपनी फिल्म में दिखाया है कि भविष्य में सेक्स किस तरह का रूप ले ले लेगा. लेकिन यह रूप देखना बहुत से दर्शकों के लिए भारी हो गया. कुछ तो इस हद तक सिहर उठे कि थिएटर ही छोड़ गए.
भविष्य की कहानी
फिल्म भविष्य में कभी घटती एक कहानी कहती है, जिसमें लोग यौन संतुष्टि के लिए तरह-तरह के तरीके खोजते हैं. 79 वर्षीय क्रोनेनबर्ग कई बेहद चर्चित हॉरर और साइंस फिक्शन फिल्मों के लिए जाने जाते हैं जिनमें द फ्लाई, क्रैश, एक्जिस्टेंज आदि शामिल हैं. ‘क्राइम्स ऑफ द फ्यूचर’ के बारे में वह कहते हैं कि मानव समाज में जिस तरह अर्थ को लेकर विचार बदल रहे हैं, उन्हीं को उन्होंने शारीरिक रूप में दिखाया है.
कान में ऐश्वर्या
ऐश्वर्या राय बच्चन भारत की इकलौती अभिनेत्री हैं, जो डेढ़ दशक से ज्यादा वक्त से कान फिल्म महोत्सव में शिरकत कर रही हैं. देखिए इस साल रेड कार्पेट पर उनकी मौजूदगी.
तस्वीर: Stephane MaheREUTERS
2022
2020 में कोविड की वजह से कान रद्द हो गया था. 2021 का आयोजन कोविड के साए में हुआ, लेकिन भारतीय कलाकार नहीं पहुंच पाए. अब 2022 में 75वें कान समारोह में पुरानी रंगत दिखी और दिखे भारतीय कलाकार. कान में 19वीं बार शिरकत कर रहीं ऐश्वर्या ने एक बार फिर अपनी खूबसूरती और लिबास से सुर्खियां बटोरीं. रेड कार्पेट से आईं उनकी तस्वीरें बताती हैं कि क्यों उनके प्रशंसक उन्हें 'क्वीन ऑफ रेड कार्पेट' कहते हैं.
तस्वीर: Stephane MaheREUTERS
2019
भारतीय अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन 72वें कान फिल्म महोत्सव में रेड कॉर्पेट पर कुछ इस अवतार में नजर आईं. पीले और हरे रंग के अपने फिशकट गाउन के साथ ऐश्वर्या ने कोई गहना नहीं पहना था. इस गाउन को डिजाइन किया है जॉं लुई साबाजी ने.
तस्वीर: picture-alliance/Xinhua/Zhang Cheng
2018
भारतीय अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन ने 71वें कान फिल्म महोत्सव में भी रेड कार्पेट पर अपने जलवे बिखेरे. इस साल वे 13 मई को सिंक और स्विम फिल्म की स्क्रीनिंग के लिए कान पहुंची.
तस्वीर: picture alliance/abaca
2017
कान में 70वें फिल्म महोत्सव के मौके पर ऐश्वर्या राय बच्चन हर दिन एक नये अवतार में नजर आयीं. 120 बीट्स पर मिनट फिल्म की स्क्रीनिंग के लिए वह इस साल लाल गाउन पहनकर रेड कार्पेट पर पहुंचीं. पूर्व ब्यूटी क्वीन ने कान फिल्म महोत्सव में 15 साल पहले बनी कल्ट फिल्म देवदास भी प्रेजेंट की.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Yesayants
2016
इस साल ऐश्वर्या राय 15वीं बार कान फिल्म महोत्सव में पहुंचीं. पहले दिन वे सुनहरे रंग का गाउन पहन कर रेड कार्पेट पर उतरीं. हर बार की तरह इस बार भी सब की नजरें उनके कपड़ों और मेकअप पर टिकीं थीं. ऐश्वर्या हर साल कम से कम चार अलग अलग लुक्स पेश करती हैं. इस साल अपने चौथे लुक में उन्होंने जामुनी रंग की लिपस्टिक लगा कर सब को हैरान कर दिया.
तस्वीर: Getty Images/I. Gavan
2015
ऐश्वर्या ने इस साल अपने चाहने वालों को पांच दिन तक इंतजार कराया. 13 मई को शुरू हुए कान फिल्म महोत्सव के रेड कार्पेट पर वे 17 तारीख को पहुंची. उनसे पहले कैटरीना को यहां देखा जा चुका था. ऐश्वर्या इस बार अपनी बेटी को साथ ले कर आई हैं और हॉलीवुड की हस्तियों के साथ अपनी सेल्फी ट्वीट कर रही हैं.
तस्वीर: Reuters/E. Gaillard
2014
इतने सालों से कान फिल्म महोत्सव में ऐश्वर्या की मौजूदगी में एक बात आम रही है. हर साल डिजाइनरों का ध्यान उनके कपड़ों पर रहा है. रेड कार्पेट पर इस साल ऐश्वर्या के सुनहरे लिबास ने सबका दिल जीत लिया.
तस्वीर: Reuters
2013
कान के रेड कार्पेट पर काला ऐश्वर्या का सबसे पसंदीदा रंग रहा है. हालांकि पूरे फेस्टिवल के दौरान वे कम से कम चार अलग अलग पोशाकों के साथ फोटोशूट कराती हैं, पर अक्सर इनमें से कोई एक ड्रेस काले रंग की होती है.
तस्वीर: ALBERTO PIZZOLI/AFP/GettyImages
2012
नई नई मां बनी ऐश्वर्या जब 2012 में कान पहुंची तो उनका बढ़ा हुआ वजन सुर्खियों में रहा. हालांकि इस काले ड्रेस की तारीफ भी हुई पर वजन की चर्चा में ड्रेस पीछे छूट गयी.
तस्वीर: ALBERTO PIZZOLI/AFP/GettyImages
2011
सफेद और गहरे नीले का कॉम्बिनेशन. यह ऐश्वर्या के उन चुनिंदा लिबासों में से एक है जिसे डिजाइनरों ने खूब पसंद किया. दस साल में ऐश स्टाइलिश होना सीख चुकी थीं.
तस्वीर: GUILLAUME BAPTISTE/AFP/Getty Images
2010
इस साल ऐश अपने पति अभिषेक के साथ कान पहुंचीं. सब्यसाची की डिजाइन की हुई साड़ी में कुछ लोगों ने उन्हें खूब पसंद किया, तो कुछ को यह खास नहीं लगा.
तस्वीर: ANNE-CHRISTINE POUJOULAT/AFP/Getty Images
2009
सफेद रंग के इस ऑफ शोल्डर गाउन को ऐश्वर्या की अब तक की सबसे बेहतरीन रेड कार्पेट परफॉर्मेंस माना गया है. रेड कार्पेट पर उन्होंने कोई चूक नहीं की.
तस्वीर: ANNE-CHRISTINE POUJOULAT/AFP/Getty Images
2008
ऐश्वर्या के चाहने वाले और आलोचक मानते हैं कि उनकी खूबसूरती सादगी में ही नजर आती है. इस हरे और सुनहरे ड्रेस में उनकी फिगर की काफी तारीफ हुई.
तस्वीर: FRED DUFOUR/AFP/Getty Images
2007
इस साल ऐश्वर्या और अभिषेक की शादी हुई और जैसी कि उम्मीद थी, ऐश अपने पति के साथ रेड कार्पेट पर पहुंचीं. हालांकि पहली बार कान के रेड कार्पेट पर अभिषेक थोड़े हैरान परेशान लगे.
तस्वीर: ANNE-CHRISTINE POUJOULAT/AFP/Getty Images
2006
गहरे नीले रंग की ड्रेस, सीधे बाल और गले में सांप जैसा दिखने वाला नेकलेस. फैशन के मामले में ऐश्वर्या अनुभवी हो गई थीं. उन्होंने इस साल आलोचकों के मुंह पर ताले लगा दिए.
तस्वीर: Getty Images
2005
इस साल ऐश्वर्या ने अंतरराष्ट्रीय डिजाइनरों का सहारा लिया. काले रंग की इस हॉट गुच्ची ड्रेस और इस से पहले सफेद रंग के अरमानी गाउन ने उन्हें फोटोग्राफरों का पसंदीदा बना दिया.
तस्वीर: PASCAL GUYOT/AFP/Getty Images
2004
नीता लूला का डिजाइन किया हुआ यह सिल्वर गाउन थोड़ा विवादास्पद रहा. अब तक नीता लूला ही ऐश की पसंदीदा डिजाइनर थीं. लेकिन इतनी आलोचना के बाद उन्हें मन बदलना पड़ा.
तस्वीर: Getty Images
2003
इसे ऐश्वर्या की अब तक की सबसे बुरी परफॉर्मेंस कहा गया. हरे रंग की यह साड़ी भी नीता लूला ने ही डिजाइन की थी. कोई भारतीय अभिनेत्री पहली बार कान की जूरी में थी, इसलिए सबकी नजरें ऐश पर थीं.
तस्वीर: Boris Horvat/AFP/Getty Images
2002
यह ऐश्वर्या का कान में पहला साल था. वह अपनी फिल्म देवदास के साथ यहां पहुंची थीं और इसलिए पूरी तरह भारतीय लिबास में थीं.
तस्वीर: Francois Guillot/AFP/Getty Images
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रेड कार्पेट पर मीडिया से बातचीत में क्रोनेनबर्ग ने कहा, “शरीर वास्तविकता है. मेरा हमेशा यही मंत्र रहा है, चाहे वह किसी भी रूप में हो. यौनिकता जीवन का बहुत अहम हिस्सा है क्योंकि इसमें हमेशा राजनीति, संस्कृति, विज्ञान और दर्शन का मिश्रण होता है. हम जानवरों की तरह सेक्स नहीं कर सकते क्योंकि यह बहुत जटिल होता है.”
हाल की जेम्स बॉन्ड फिल्मों में नजर आ चुकीं ली सीडो ने इस फिल्म में मॉर्टेन्सन के साथ अपना किरदार निभाया है जिसमें कलाकारों को भविष्य के इंसानों की भाव-भंगिमाएं दिखानी पड़ी हैं. भविष्य के ये इंसान ऐसे हैं कि अपने शरीर के विभाजन को नियंत्रित कर सकते हैं.
क्या है फिल्म?
फिल्म दिखाती है कि मॉर्टेन्सन का किरदार सॉल अपने ही अंदर नए अंग उगाता है ताकि अपने शरीरा का विकास कर सके. सॉल की जीवनसाथी कैप्रिस ने ऐसी तकनीक विकसित कर ली है जिसके जरिए वह बिना दर्द किए सॉल के शरीर में घुस सकती है. इस तरह वह सॉल के अंदर उग रहे नए अंगों को टैटू बनाकर उनकी खूबसूरती लोगों को दिखाती है.
क्रोनेनबर्ग कहते हैं, “लोग कहते हैं कि इस फिल्म में कोई सेक्स नहीं है लेकिन सर्जरी अगर नया सेक्स है तो फिल्म में बहुत सेक्स है. यह बस वैसा नहीं है जिसकी आप आमतौर पर उम्मीद करते हैं.”
फिल्म के तीसरे अहम किरदार टिमलिन को मशहूर एक्टर स्टीवर्ट ने निभाया है. टिमलिन नेशनल ऑर्गन रजिस्ट्री की एक जांचकर्ता है जो शारीरिक विकास को सीमाओं से बाहर जाने पर निगाह रखती है. वह सॉल और कैप्रिस की जांच करते करते उनसे प्यार कर बैठती है और फिर तिहरी लव स्टोरी शुरू हो जाती है.
63 वर्षीय मॉर्टेन्सन कहते हैं कि यह फिल्म एकदम ताजा किस्म का रोमांस है. क्रोनेनबर्ग के साथ ‘अ हिस्ट्री ऑफ वायलेंस’ और ‘ईस्टर्न प्रॉमिसेज’ जैसी सफल फिल्में कर चुके मॉर्टेन्सन की उनके निर्देशन में यह चौथी फिल्म है. फिल्म में उन्होंने अपना शरीर तो दिखाया ही है, साथ ही कृत्रिम अंग भी धारण किए हैं.
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डराने में मजा आता है
मॉर्टेन्सन बताते हैं कि क्रोनेनबर्ग ने उन्हें अपनी सीमाओं की हद जांचने के लिए पूरी तरह से आजाद छोड़ दिया था. वह कहते हैं, “सबसे बढ़कर तो हम दोस्त हैं. हमारे बीच एक भरोसा है, जिसके बूते पर नई चीजें आजमाने की जगह मिलती है. ऐसी चीजें जो असामान्य हैं और शायद मैं दूसरे निर्देशकों के साथ इतनी आसानी से ना कर पाऊं.”
फिल्म में हद से ज्यादा खुलेपन और सर्जरी के दृश्यों के बारे में मॉर्टेन्सन क्रोनेनबर्ग कहते हैं कि उनका मकसद दर्शकों को डराना नहं था लेकिन विवाद पैदा करके उन्हें वैसा ही मजा आया, जैसा 1996 में उनकी फिल्म क्रैश के साथ हुआ था, जिसमें लोग कार हादसों के जरिए खुद को यौन संतुष्टि पहुंचाते हैं.
क्रोनेनबर्ग ने कहा, “मैंने जब वह फिल्म दिखाई थी तो बहुत से लोग सिनेमा छोड़कर चले गए थे. एक आदमी उठता तो सीट के बंद होने की आवाज आती. फिर दो और उठते तो दो बार आवाज आती. और फिर एक साथ कई लोग उठकर चल देते तो भड़भड़भड़ की कई आवाजें आतीं. अब सिनेमा की सीटों में आवाज नहीं आती. यह बहुत निराशाजनक बात है.”
वीके/एए (एएफपी)
वो घर जहां जन्मी सत्यजीत रे की अमर रचनाएं
कोलकाता स्थित अपने जिस घर में सत्यजीत रे ने बरसों बिताए उसी घर में उनकी 101वीं जन्म तिथि मनाई गई. ये तस्वीरें हैं उन दीवारों, उस मेज और उस माहौल की जहां रे ने ऐसी कितनी ही रचनाओं को जन्म दिया जो अमर हो गईं.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
सत्यजीत रे धारणी
यह ऐतिहासिक मकान जिस जगह पर है उसे पहले बिशप लेफ्राय मार्ग कहा जाता था, लेकिन अब इसे सत्यजीत रे धारणी कहा जाता है. रे ने यहीं पर अपने जीवन के कई बरस बिताए और काम किया. यहीं कुर्सी पर बैठ कर कहानियां लिखीं, किरदारों के स्केच बनाए और नई नई फिल्मों की कल्पना की.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
रे का कार्यस्थल
यह वो कमरा है जहां रे काम करते थे. उनकी मेज पर हाथ रखे उन्हीं की कुर्सी पर बैठे हैं उनके पुत्र संदीप रे. मशहूर जासूस किरदार फेलुदा का जन्म इसी मेज पर हुआ था. संदीप अपनी पत्नी ललिता के साथ यहीं रहते हैं. वो भी एक जाने माने फिल्मकार हैं और अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
रे का कमरा
ये रे का कमरा है जहां उन्हें मिले पुरस्कारों के साथ साथ आज भी वो किताबें रखी हैं जिन्हें वो पढ़ते थे. इस साल पत्रकारों को कमरे तक जाने की अनुमति नहीं मिली. यह तस्वीर 2021 की है.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
जन्मस्थान
गरपार रोड स्थित इस मकान में रे का जन्म हुआ था और अपने जीवन के शुरुआती साल उन्होंने यहीं पर बिताए. उनके दादा उपेंद्रकिशोर रे यहीं से 'संदेश' नाम की पत्रिका निकाला करते थे. रे ने अपनी कई रचनाओं में इस मकान का जिक्र किया है. आज यहां अथेनियम संस्थान नाम का एक स्कूल है.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
तीन पीढ़ियों को श्रद्धांजलि
रे के घर में उनकी, उनके पिता सुकुमार रे की और उनके दादा उपेंद्रकिशोर रे की मूर्तियां लगी हैं. उपेंद्रकिशोर भी एक लेखक, चित्रकार और प्रकाशक थे. गरपार रोड स्थित वाले मकान में उन्होंने 'यू रे एंड संस' नाम से एक प्रिटिंग प्रेस की स्थापना की थी. रे के पिता सुकुमार रे भी एक लेखक और चित्रकार थे.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
जन्मतिथि समारोह
इस बार रे की जन्मतिथि पर उनके घर के नीचे एक मेज पर उनकी और उनकी पत्नी बिजोया की तस्वीरें सजाई गईं. रे के चाहने वाले वहां दिन भर आते रहे और तस्वीरों पर फूल, मालाएं अर्पण करते रहे.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
'फेलुदा' भी आए
इस तस्वीर में रे को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद संदीप रे के साथ खड़े हैं बांगला फिल्मों के अभिनेता सब्यसाची चक्रवर्ती. चक्रवर्ती ने संदीप की फिल्मों में 'फेलुदा' का किरदार निभाया है.