एक को चुनना पड़ा तो चीन को चुनेगा दक्षिण-पूर्व एशिया
विवेक कुमार
१९ अप्रैल २०२४
एक ताजा अध्ययन कहता है कि अगर दक्षिण पूर्व एशियाई देशों को अमेरिका और चीन में किसी एक को चुनना पड़ा तो वे चीन के साथ जाएंगे.
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‘द स्टेट ऑफ साउथ ईस्ट एशिया 2024 सर्वे रिपोर्ट’ के ये निष्कर्ष दुनिया की बदलती धुरी की ओर बड़े संकेत देते हैं. आईएसईएएस-यूसुफ इशाक इंस्टिट्यूट के आसियान स्टडीज सेंटर का दक्षिण-पूर्व एशिया पर किया गया विस्तृत अध्ययन इस बात की ओर संकेत करता है कि क्षेत्र की धुरी अमेरिका से चीन की ओर झुक रही है.
दुनिया की दो सबसे बड़ी आर्थिक ताकतों अमेरिका और चीन के बीच जारी तनातनी का असर इस क्षेत्र के समीकरणोंको प्रभावित कर रहा है और इस्राएल-हमास युद्ध समेत तमाम भू-राजनीतिक कारक इसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं.
सर्वे का एक अहम निष्कर्ष यह है कि चीन इस क्षेत्र में सबसे प्रभावशाली आर्थिक और राजनीतिक ताकत है और अगर इन देशों को दोनों देशों में से किसी एक को चुनना पड़ा तो वे अमेरिका को नहीं बल्कि चीन को चुनेंगे. रिपोर्ट कहती है कि आसियान में चीन की रणनीतिक प्रासंगिकता अमेरिका से ज्यादा है. हालांकि दोनों के बीच अंतर बहुत ज्यादा नहीं है. अगर किसी एक देश की बात हो तो जापान आसियान के लिए सबसे ज्यादा भरोसेमंद वैश्विक ताकत है.
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चीन बनाम अमेरिका
यह रिपोर्ट 3 जनवरी से 23 फरवरी 2024 के बीच इंडोनेशिया, बर्मा, खमेर, थाईलैंड और वियतनाम में अकादमिक, उद्योग, सरकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं के कुल 1994 नुमाइंदों के बीच किए गए एक सर्वेक्षण पर आधारित है.
लगातार छठे साल किए गए इस सर्वे के 2024 संस्करण में लोगों से जिन मुद्दों पर सवाल पूछे गए थे उनमें इस्राएल-हमास युद्ध, रूस-यूक्रेन युद्ध, ताइवान की खाड़ी में जारी तनाव, आसियान की डिजिटल इकॉनमी और इस संगठन की प्रासंगिकता के अलावा अमेरिका और चीन की प्रतिद्वन्द्विता के दक्षिण पूर्व एशिया पर होने वाले असर आदि शामिल थे.
रिपोर्ट कहती है कि क्षेत्र के लोगों के लिए सबसे बड़ी चुनौती तेजी से बदलती भू-राजनीतिक और आर्थिक स्थितियां, बेरोजगारी और मंदी का डर है. इसके बाद जलवायु परिवर्तन और फिर अमेरिका व चीन के बीच बढ़ता तनाव है.
दुनिया का पहला साइबर क्राइम इंडेक्स
ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र विभाग के शोधकर्ताओं ने दुनिया का पहला साइबर क्राइम इंडेक्स तैयार किया है. इसमें भारत को खास जगह मिली है.
तस्वीर: Przemek Klos/Zoonar/picture alliance
साइबर क्राइम इंडेक्स
‘मैपिंग ग्लोबल जियोग्राफी ऑफ साइबर क्राइम विद द वर्ल्ड साइबर क्राइम इंडेक्स’ शीर्षक से जारी एक शोध में विशेषज्ञों ने बताया है कि कहां-कहां साइबर अपराध सबसे ज्यादा हो रहे हैं. इस सूची में 15 देशों के नाम हैं.
तस्वीर: Pond5 Images/IMAGO
सबसे ऊपर रूस
इंडेक्स में रूस को साइबर क्राइम का सबसे बड़ा गढ़ बताया गया है. 58.39 अंकों के साथ रूस में साइबर अपराधों की सबसे ज्यादा संभावना दर्ज की गई है.
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यूक्रेन और चीन
यूक्रेन इंडेक्स में दूसरे और चीन तीसरे नंबर पर है. रूस के साथ मिलकर ये दोनों देश साइबर क्राइम के सबसे बड़े अड्डे बताए गए हैं. यूक्रेन को 36.44 जबकि चीन को 27.86 अंक मिले.
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पहले छह देश सबसे ज्यादा खतरनाक
शोधकर्ताओं का कहना है कि सूची में शामिल रूस, यूक्रेन, चीन, अमेरिका, रोमानिया और नाइजीरिया ऐसे देश हैं, जो हर तरह के साइबर क्राइम की सूची में टॉप 10 में शामिल हैं.
तस्वीर: Przemek Klos/Zoonar/picture alliance
भारत दसवें नंबर पर
सूची में भारत दसवें नंबर पर है. उसे 6.13 अंक मिले हैं. विशेषज्ञों ने कहा कि भारत में तकनीकी साइबर अपराधों का खतरा तो ज्यादा नहीं है लेकिन वह स्कैम या धोखाधड़ी का केंद्र है.
तस्वीर: allOver-MEV/IMAGO
कम देशों में ज्यादा अपराध
सूची कहती है कि दुनिया के 15 देशों से साइबर अपराध होने का खतरा बाकी देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा है. लेकिन अन्य देश भी अछूते नहीं हैं. पहले 15 देश हैं – रूस, यूक्रेन, चीन, अमेरिका, रोमानिया, नाइजीरिया, उत्तर कोरिया, ब्रिटेन, ब्राजील, भारत, ईरान, बेलारूस, घाना, दक्षिण अफ्रीका और मोल्दोवा.
तस्वीर: Westlight/IMAGO/
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आधे से ज्यादा लोगों ने कहा कि इस्राएल-हमास युद्ध उनकी सबसे बड़ी चिंता है. उसके बाद लोगों ने दक्षिणी-चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता और दुनियाभर में जारी धोखाधड़ी पर चिंता जताई है.
संकेत बनाम असलियत
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस रिपोर्ट के सबसे अहम निष्कर्षों में चीन का प्रभाव है. थाईलैंड की थामसैट यूनिवर्सिटी में जर्मन-साउथ ईस्ट एशियन सेंटर ऑफ एक्सिलेंस फॉर पब्लिक पॉलिसी एंड गुड गवर्नेंस के रिसर्च फेलो डॉ. राहुल मिश्रा कहते हैं कि यह एक संकेत जरूर है लेकिन इससे यह नहीं समझना चाहिए क्षेत्र के रवैये में बहुत बड़ा बदलाव आया है.
अपने सहयोगी मलेशिया के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में इकनॉमिक्स विभाग के अध्यक्ष पीटर ब्रायन एम. वांग के साथ डिप्लोमैट पत्रिका के लिए लिखे एक लेख में डॉ. मिश्रा कहते हैं, "क्या यह सर्वे चीन की ओर असली झुकाव को दिखाता है? हम इससे सहमत नहीं हैं. लेकिन इसके बारे में आगे आने वाले सर्वेक्षणों में ही पता चल पाएगा. अभी इसमें बदलती अवधारणाओं का संकेत मिलता है, खासकर चीन व अमेरिका की ओर. लेकिन वैश्विक स्तर पर होने वाली घटनाओं के आधार पर इन अवधारणाओं में बदलाव होते रह सकते हैं.”
बेस्ट यूनिवर्सिटीः भारत ने चीन को पछाड़ा
दुनिया के सबसे बेहतरीन विश्वविद्यालयों की सूची में चीनी और भारतीय विश्विद्यालय तेजी से ऊपर की ओर चढ़ रहे हैं. ताजा टाइम्स हायर एजुकेशन यूनिवर्सिटी रैंकिंग में पहली बार चीनी विश्वविद्यालय टॉप 15 में पहुंच गये हैं.
तस्वीर: Jagadeesh_Nv/EPA/dpa/picture-alliance
टॉप यूनिवर्सिटीः चीन से आगे भारत
पहली बार टॉप 1,000 विश्वविद्यालयों में सबसे ज्यादा विश्वविद्यालयों के मामले में भारत चीन से आगे निकल गया है. इस बार उसके 91 संस्थान इस सूची में हैं, जबकि चीन के 86 संस्थान हैं. इस तरह अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के बाद भारत चौथे नंबर पर है. पिछले साल भारत छठे नंबर पर था.
तस्वीर: Manjunath Kiran/AFP/Getty Images
टॉप 15 में चीन
20 साल के टाइम्स यूनिवर्सिटी रैंकिंग के इतिहास में पहली बार चीन के दो विश्वविद्यालय टॉप 15 में पहुंच गये हैं. शिंगुआ यूनिवर्सिटी 12वें नंबर पर है जबकि पेकिंग यूनिवर्सिटी 14वें नंबर पर आ गयी है. पिछले साल ये 16वें और 17वें नंबर पर थे.
तस्वीर: Getty Images/AFP/W. Zhao
टॉप 100 में सात चीनी विश्वविद्यालय
चीनी विश्वविद्यालयों का स्तर तेजी से बढ़ता जा रहा है. इस साल टॉप 100 में सात यूनिवर्सिटी हैं. 2018 में सिर्फ दो चीनी विश्वविद्यालय टॉप 100 में थे. 2021 के मुकाबले टॉप 400 में चीनी विश्वविद्यालयों की संख्या दोगुनी यानी 30 हो गयी है.
तस्वीर: Stringer/dpa/HPIC/picture alliance
अब भी अमेरिका टॉप पर
टॉप यूनिवर्सिटियों के मामले में अब भी अमेरिका का कोई सानी नहीं है. टॉप 20 में 13 विश्वविद्यालय अमेरिका के हैं. स्टैन्फर्ड यूनिवर्सिटी दूसरे नंबर पर है जबकि मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी तीसरे नंबर पर है.
तस्वीर: Newscom/picture alliance
ऑक्सफर्ड फिर चैंपियन
ब्रिटेन की ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी लगातार आठवें साल दुनिया की सबसे बेहतरीन यूनिवर्सिटी बनी हुई है. टॉप 20 में ब्रिटेन के दो और शिक्षण संस्थान हैं. केंब्रिज यूनिवर्सिटी पांचवें नंबर पर है जबकि इंपीरियल कॉलेज लंदन आठवें नंबर पर.
टॉप विश्वविद्यालयों की सूची पर अमेरिका और ब्रिटेन का दशकों से काबिज प्रभुत्व धीरे-धीरे कम होता दिख रहा है. 2021 से टॉप 100 विश्वविद्यालयों इन दोनों महाशक्तियों की संख्या लगातार कम हुई है.
तस्वीर: Sergi Reboredo/IMAGO
टॉप 200 में भारत नहीं
दुनिया की टॉप 200 यूनिवर्सिटियों में एक भी भारतीय विश्वविद्यालय नहीं है. उसका सबसे अच्छा विश्वविद्यालय इंडियन इंस्टिट्यूय ऑफ साइंस, बेंगलुरू है, जो 201-250 की रैंकिंग में है.
तस्वीर: IANS
टॉप 200 में भारत नहीं
दुनिया की टॉप 200 यूनिवर्सिटियों में एक भी भारतीय विश्वविद्यालय नहीं है. उसका सबसे अच्छा विश्वविद्यालय इंडियन इंस्टिट्यूय ऑफ साइंस, बेंगलुरू है, जो 201-250 की रैंकिंग में है.
तस्वीर: Jagadeesh_Nv/EPA/dpa/picture-alliance
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सर्वेक्षण के मुताबिक 59.5 फीसदी लोगों ने चीन को इस क्षेत्र में सबसे प्रभावशाली आर्थिक ताकत माना है. 49.3 फीसदी लोग मानते हैं कि राजनीतिक और सामरिक मामलों में चीन सबसे ज्यादा प्रभावशाली है. लेकिन जैसा कि डॉ. मिश्रा इशारा करते हैं, अमेरिका का प्रभाव भी बढ़ा है. इस साल 14.3 फीसदी लोगों ने अमेरिका को सबसे ज्यादा प्रभावशाली आर्थिक ताकत माना जो पिछले साल के 10.5 फीसदी से ज्यादा है.
अमेरिका को राजनीतिक व सामरिक क्षेत्र में प्रभाव का बड़ा नुकसान देखने को मिला है. इस साल 25.8 फीसदी लोगों ने अमेरिका को सबसे प्रभावशाली माना जो पिछले साल के 31.9 फीसदी से बड़ी गिरावट है. चीन के पक्षधरों की संख्या 2023 के 41.5 फीसदी से बढ़कर 43.9 फीसदी हो गई है.