ऑटोरिक्शा 'एंबुलेंस' चालक दे रहा मुफ्त में ऑक्सीजन
५ मई २०२१
जब भोपाल के रिक्शा चालक मोहम्मद जावेद खान ने कोरोना के मरीजों को उनके परिजनों द्वारा अपने कंधे पर उठाकर अस्पताल ले जाते देखा, तो उन्होंने मदद करने का फैसला किया. पत्नी के गहने बेच दिए और ऑटोरिक्शा को 'एंबुलेंस' बना डाला.
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जावेद खान के ऑटोरिक्शा में कोरोना के मरीजों के लिए ऑक्सीजन का सिलेंडर लगा है. उसमें ऑक्सीमीटर है, जिससे खून में ऑक्सीजन का स्तर देखा जा सकता है और अन्य मेडिकल उपकरण लगे हैं. कोरोना वायरस के मामलों की बढ़ती संख्या के कारण भारत में मेडिकल स्टाफ और अस्पताल दबाव में हैं. ऐसे में जावेद खान जैसे लोग लोगों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं. जावेद खान कहते हैं, "कोविड-19 का गंभीर मरीज बिना ऑक्सीजन सपोर्ट के अस्पताल नहीं लाया जा सकता है. इसलिए मैंने सोचा ऑटोरिक्शा को एंबुलेंस में क्यों ना बदल डालूं." वे कहते हैं कि यह छोटा कदम है लेकिन इससे लोगों की जान बचाई जा सकती है.
जावेद खान कहते हैं, "मैं देखता हूं कि युवा मरीज भी ऑक्सीजन के बिना तड़पते है. एंबुलेंस वाले अपनी सेवा देने के लिए पांच से दस हजार रुपये वसूल रहे हैं. एक गरीब परिवार इतने पैसे कहां से ला सकता है?" एक बार, लॉकडाउन के दौरान जावेद को पुलिस ने आपातकालीन पास नहीं होने के कारण रोक लिया था. लेकिन सोशल मीडिया पर हंगामे के बाद पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया और उन्हें विशेष पास दिया.
जावेद को एक व्यक्ति ने ऑक्सीजन का सिलेंडर दान किया है जबकि एक और एक शख्स ने ऑक्सीमीटर दिया है. एक डॉक्टर ने जावेद को सिखाया कि कैसे ऑक्सीजन सिलेंडर और ऑक्सीमीटर का इस्तेमाल करके मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाए. जावेद बताते हैं कि कई लोग उनकी मदद के लिए आगे आए हैं और उन्हें महामारी के खत्म होने तक इसी तरह से काम करने का अनुरोध किया है. जावेद कहते, "यह इतने सारे लोगों की मदद के बिना संभव नहीं है और मैं उन्हें धन्यवाद कहता हूं. मैं अकेले अपने दम पर ऐसा नहीं कर सकता था."
एए/सीके (एएफपी)
कहीं मदद, कहीं मुनाफाखोरी: त्रासदी के दो चेहरे
भारत में कोरोना की ताजा लहर ने भयावह स्थिति उत्पन्न कर दी है. सरकारी तंत्र नाकाम हो चुका है और आम लोग सरकार की जगह मददगार नागरिकों के भरोसे हैं. ऐसे में त्रासदी में मुनाफाखोरी के अवसर ढूंढने वालों की भी कमी नहीं है.
तस्वीर: ADNAN ABIDI/REUTERS
हाहाकार
कोरोना की ताजा लहर ने पूरे देश पर कहर बरपा दिया है. रोजाना संक्रमण के 3,00,000 से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं और रोज 3,000 से ज्यादा कोविड मरीजों की मौत हो जा रही है. दवाओं, अस्पतालों में बिस्तर और यहां तक कि ऑक्सीजन की भी भारी कमी हो गई है. अस्पतालों में भर्ती मरीज कोविड-19 से तो मर ही रहे थे, अब वो ऑक्सीजन की कमी से भी मर रहे हैं.
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
नाकाम तंत्र
चारों ओर फैले इस हाहाकार ने देश में सरकारी तंत्र के खोखलेपन और महामारी से लड़ने की तैयारों में कमी को उजागर कर दिया है. हालत ऐसे हो चले हैं कि आम लोगों के अलावा अस्पतालों को ऑक्सीजन हासिल करने के लिए सोशल मीडिया पर एसओएस संदेश डालने पड़ रहे हैं.
तस्वीर: Raj K Raj/Hindustan Times/imago images
सोशल मीडिया बना हेल्पलाइन
सरकारी तंत्र की विफलता को देखते हुए कुछ लोग आगे बढ़ कर जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं. लोग सोशल मीडिया पर अपनी जरूरत डाल रहे हैं और मदद करने वाले किसी तक दवा पहुंचा रहे हैं, किसी तक ऑक्सीजन और किसी तक प्लाज्मा. इनके व्यक्तिगत नेटवर्क से अस्पतालों में रिक्त बिस्तरों की जानकारी भी मिल रही है. इनमें कुछ राजनीतिक कार्यकर्ता हैं, कुछ सामाजिक कार्यकर्ता, कुछ फिल्मी सितारे तो कुछ धर्मार्थ संगठन.
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
ऑक्सीजन लंगर
सबसे भयावह कमी है ऑक्सीजन की. ऐसे में कुछ लोगों और कुछ धर्मार्थ संगठनों ने ऑक्सीजन मुहैया करवाने का बीड़ा उठाया है. कुछ लोग घरों तक भी ऑक्सीजन सिलिंडर और ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर पहुंचा दे रहे हैं, तो कुछ ने सार्वजनिक स्थलों पर ऑक्सीजन देने का इंतजाम किया है. यह महामारी के लिहाज से खतरनाक भी है, लेकिन लोग इस तरह की सेवाएं लेने को लाचार हैं.
लेकिन इस विकट परिस्थिति में भी मानव स्वभाव के दो चेहरे सामने आए हैं. एक तरफ अपनी जान जोखिम में डाल कर दूसरों की मदद करने वाले लोग हैं, तो दूसरी तरफ ऐसे भी हैं जिन्हें इस त्रासदी में भी जमाखोरी और मुनाफाखोरी सूझ रही है. आवश्यक दवाओं की कालाबाजारी हो रही है और उन्हें 10 गुना दाम पर बेचा जा रहा है. कई मामले ऐसे ही सामने आए हैं जहां लोगों ने दवा का 10 गुना दाम भी वसूल लिया और दवा भी नकली दे दी.
मानवीय त्रासदी में भी लोग अमानवीय व्यवहार से बाज नहीं आ रहे हैं. एम्बुलेंस सेवाओं में भी ठगी के कई मामले सामने आए हैं, जहां मरीजों या उनके परिवार वालों से चंद किलोमीटर के कई हजार रुपए वसूले गए हैं.
तस्वीर: Altaf Qadri/AP Photo/picture alliance
ऑक्सीजन "डकैती"
ऐसे भी मामले सामने आए हैं जहां ठगों ने ऑक्सीजन के लिए दर दर भटकते लोगों को ऑक्सीजन सिलिंडर बता कर आग बुझाने वाले यंत्र बेच दिए. पुलिस इन मामलों में सख्ती से पेश आ रही है और ऐसे लोगों के अवैध धंधों का भंडाफोड़ कर उन्हें हिरासत में ले रही है.