स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहन, और सैन्य तकनीकी उपकरणों के लिए रेयर अर्थ बेहद जरूरी हैं. चीन ने इन खनिजों पर अपनी मजबूत पकड़ बना ली है और अब वह इनका इस्तेमाल रणनीतिक हथियार के तौर पर कर रहा है.
चीन की तरफ से नए प्रतिबंधों की घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की व्यक्तिगत मुलाकात से ठीक कुछ हफ्ते पहले की गई है.तस्वीर: Wang chun lyg/Imaginechina/picture alliance
विज्ञापन
इलेक्ट्रॉनिक, ऑटोमोटिव और रक्षा प्रणालियों के लिए रेयर अर्थ खनिज काफी जरूरी हैं. चीन ने इस पर अपनी मजबूत पकड़ बना ली है. यही पकड़ उसे व्यापार से जुड़ी बातचीत के दौरान अमेरिका पर काफी ज्यादा दबाव बनाने की स्थिति में बनाए हुए है. वैश्विक स्तर पर रेयर अर्थ के 60 फीसदी उत्पादन और 90 फीसदी रिफाइनिंग पर चीन का नियंत्रण है. इस वजह से, वह रेयर अर्थ खनिजों और परमानेंट मैग्नेट के निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर अपनी पकड़ को और मजबूत कर रहा है.
चीनी निर्यात पर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की ओर से लगाए गए ज्यादा शुल्कों के जवाब में चीन ने इन खनिजों के निर्यात पर जो प्रतिबंध लगाए थे, उनमें बाद में थोड़ी ढील दी गई थी. ऐसा इसलिए किया गया था, ताकि अमेरिका के साथ व्यापार से जुड़ी बातचीत को आगे बढ़ाया जा सके.
हालांकि, गुरुवार को चीन ने एक बार फिर से रेयर अर्थ खनिजों पर बड़े स्तर पर नए निर्यात प्रतिबंधों को लागू करने की घोषणा की. इसमें प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी पर लगे प्रतिबंधों का दायरा बढ़ाया गया. साथ ही, विदेशी रक्षा एवं सेमीकंडक्टर बनाने वाली कंपनियों को किए जाने वाले निर्यात को स्पष्ट रूप से सीमित कर दिया गया. यह कदम अमेरिकी विदेश प्रत्यक्ष उत्पाद नियम पर बीजिंग का पलटवार माना जा रहा है. दरअसल, अमेरिका ने अपने विदेश प्रत्यक्ष नियम के तहत तीसरे देशों से चीन को होने वाले चिप निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था.
विज्ञापन
शी और ट्रंप की मुलाकात के पहले चीन का मास्टरस्ट्रोक?
इसने एक बार फिर से अमेरिका की कमजोरियों को उजागर कर दिया. इसकी मुख्य वजह यह है कि अमेरिका के पास इन रेयर अर्थ खनिजों को अपने देश में रिफाइन करने की पर्याप्त क्षमता नहीं है.
बर्लिन स्थित सिनोलिटिक्स रिसर्च हाउस चीन की अर्थव्यवस्था और औद्योगिक नीतियों पर काम करती है. इसके मैनेजिंग पार्टनर योस्ट वुब्बेके ने डीडब्ल्यू को बताया, "पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था चीन से आने वाले इन चुम्बकों पर निर्भर करती है. अगर आप इनका निर्यात बंद कर देंगे, तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा.”
जब इससे पहले चीन ने इन खनिजों के निर्यात को लेकर प्रतिबंध लगाए थे, तो आपूर्ति श्रृंखला बुरी तरह चरमरा गई थी. अमेरिकी उद्योगों पर इसका गंभीर असर देखने को मिला था. जैसे, कार निर्माता कंपनी फोर्ड ने मई में घोषणा की थी कि रेयर अर्थ की आपूर्ति में कमी की वजह से उसे शिकागो में एसयूवी उत्पादन में कटौती करनी पड़ी है. ऑटो पार्ट्स आपूर्तिकर्ता एप्टिव और बोर्गवार्नर ने घोषणा की थी कि वे आपूर्ति की कमी से निपटने के लिए कम या बिना रेयर अर्थ वाले मोटर विकसित कर रहे हैं. चीनी गतिविधियों पर नजर रखने वाले ऑटोमोटिव सलाहकार माइकल ड्यूने ने जून में द न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया था कि चीन के प्रतिबंधों से ‘अमेरिका के ऑटोमोटिव असेंबली प्लांट ठप हो सकते हैं.'
चीन का शक्ति प्रदर्शन; मिलिट्री परेड में दिखाए ताकतवर हथियार
चीन ने 3 सितंबर को बीजिंग में एक विशाल सैन्य परेड का आयोजन किया. मौका था, द्वितीय विश्व युद्ध में जापान पर जीत की 80वीं वर्षगांठ. परेड में चीन ने अपने कई ताकतवर हथियार दिखाए.
तस्वीर: China Daily/Reuters
26 देशों के नेता शामिल हुए
चीन की इस सैन्य परेड में 26 देशों के नेता और विदेशी प्रतिनिधि शामिल हुए. इनमें सबसे ज्यादा चर्चा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की रही. इनके अलावा ईरान, अर्मेनिया, पाकिस्तान, नेपाल, अजरबाइजान, बेलारूस, इंडोनेशिया, मालदीव, मलेशिया और म्यांमार के नेता भी शामिल हुए.
तस्वीर: Sergei Bobylev/TASS/picture alliance
80 तोपों की सलामी
न्यूज एजेंसी एपी के मुताबिक, 80 तोपों की सलामी के साथ समारोह की शुरुआत हुई. इसके बाद चीन का राष्ट्रगान 'मार्च ऑफ द वॉलंटियर्स' बजाया गया. इसे जापानी सेना के आक्रमण के प्रतिरोध में साल 1935 में लिखा गया था. परेड से पहले जिनपिंग ने कार में सवार होकर सैन्य टुकड़ियों का निरीक्षण किया.
तस्वीर: Mu Yu/Xinhua/picture alliance
शी जिनपिंग ने क्या चेतावनी दी
शी जिनपिंग ने तियानमेन स्क्वायर पर 50 हजार से अधिक दर्शकों को संबोधित किया. उन्होंने दुनिया को चेतावनी देते हुए कहा कि मानवता एक ऐसी जगह पर खड़ी है, जहां उसे शांति और युद्ध एवं संवाद और संघर्ष में से किसी एक को चुनना है. उन्होंने कहा कि चीन के लोग हिंसा से नहीं डरते हैं, वे आत्मनिर्भर एवं मजबूत हैं.
तस्वीर: JADE GAO/AFP/Getty Images
साथ में आए जिनपिंग, पुतिन और किम जोंग
जिनपिंग, पुतिन और किम जोंग साथ ही परेड स्थल पर पहुंचे. इस दौरान वे आपस में मुस्कुराकर बातचीत करते दिखे. अन्य देशों के नेता उनके पीछे चल रहे थे. जानकारों के मुताबिक, इसके जरिए तीनों नेताओं ने अमेरिका द्वारा डाले जा रहे दबाव के जवाब में अपनी एकजुटता दिखाई है. उधर डॉनल्ड ट्रंप ने उनपर अमेरिका के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया है.
तस्वीर: Sergei Bobylev/TASS/picture alliance
कौनसे देश नहीं हुए शामिल
न्यूज एजेंसी एपी के मुताबिक अमेरिका, पश्चिमी यूरोप, जापान और भारत के नेता इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए. वहीं, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर जैसे देशों ने जूनियर स्तर के अधिकारियों को समारोह में शामिल होने के लिए भेजा. हालांकि, मेहमानों की सूची ने दिखाया कि ग्लोबल साउथ और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में चीन का प्रभाव बढ़ रहा है.
तस्वीर: Tingshu Wang/REUTERS
हथियारों का लगा मेला
सैन्य परेड में चीन ने अपने कई ताकतवर हथियार दुनिया को दिखाए. रॉयटर्स के मुताबिक, चीन ने पहली बार अपने परमाणु हथियारों की पूरी तिकड़ी प्रदर्शित की. इन्हें जमीन, समुद्र और आसमान में तैनात किया जा सकता है. परेड में अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल ‘डीएफ-5सी’ भी शामिल रही. इसकी रेंज 20,000 किलोमीटर है.
तस्वीर: Andy Wong/AP Photo/dpa/picture alliance
पानी के अंदर चलने वाला ड्रोन
चीन ने परेड में पानी के अंदर चलने वाला ड्रोन एजेएक्स002 भी दिखाया. यह एक लंबा और ट्यूब के आकार का ड्रोन है, जो एक पतली पनडुब्बी जैसा दिखता है. इसके अलावा हाइपरसोनिक मिसाइलें भी दिखाईं, जो समुद्र में जहाजों को तबाह कर सकती हैं. एक नई अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल ‘डीएफ-61’ का भी प्रदर्शन किया गया, जो लंबी दूरी तक परमाणु हथियार ले जा सकती है.
तस्वीर: Ng Han Guan/AP Photo/picture alliance
क्या संदेश देना चाहता है चीन
रॉयटर्स के मुताबिक, इस परेड के जरिए चीन ने अपनी सैन्य शक्ति और कूटनीतिक प्रभाव को दिखाने की कोशिश की है. चीन ने यह संदेश भी दिया है कि वह आसपास के समुद्री क्षेत्र में अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है. न्यूज एजेंसी एपी के मुताबिक, चीन अपनी ताकत दिखाकर वैश्विक मंच पर अधिक प्रभाव डालना चाहता है.
तस्वीर: Tingshu Wang/REUTERS
8 तस्वीरें1 | 8
अमेरिका में कम हो रहा रेयर अर्थ का भंडार
चीन स्थित अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स ने मई में एक सर्वे किया था. इसमें पाया गया कि 75 फीसदी अमेरिकी कंपनियों को आशंका है कि उनके रेयर अर्थ भंडार कुछ ही महीनों में खत्म हो जाएंगे. अमेरिकी उत्पादकों ने वाशिंगटन से प्रतिबंधों को समाप्त करने के लिए बातचीत करने का आग्रह किया. जून में लंदन में व्यापार वार्ता के दौरान चीन ने निर्यात लाइसेंस को तेजी से मंजूरी देने पर सहमति जताई. हालांकि, लंबित मामलों की संख्या अभी भी बहुत ज्यादा है. ऐसे में चीन की ओर से फिर से लगाए गए इन प्रतिबंधों से हाल के राहत प्रयासों पर पानी फिरने का खतरा है.
दरअसल, इससे ऐसा लग रहा है कि चीन रेयर अर्थ का इस्तेमाल भू-राजनीतिक हथियार के तौर पर कर रहा है और ऐसा उसने पहली बार नहीं किया है. 2010 में क्षेत्रीय विवाद होने पर, बीजिंग ने दो महीने के लिए जापान को इन खनिजों का निर्यात रोक दिया था. इस कदम से कीमतें अचानक बढ़ गई थीं और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में मौजूद खतरे उजागर हो गए थे.
न्यूयॉर्क स्थित सीईओ एडवाइजरी फर्म ‘टेनेओ' के प्रबंध निदेशक गैब्रियल विल्डाऊ ने चेतावनी दी कि चीन की निर्यात लाइसेंसिंग व्यवस्था स्थायी है. ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ ट्रंप के टैरिफ के जवाब में लगाया गया है. जून में अपने क्लाइंट को लिखे एक नोट में उन्होंने कहा था कि ‘आपूर्ति में कटौती का खतरा हमेशा बना रहेगा', जिससे अमेरिका पर दबाव बनाए रखने की चीन की मंशा का पता चलता है.
अमेरिकी सरकार के 'शटडाउन' होने का क्या मतलब है?
अमेरिकी सरकार का शटडाउन तब होता है जब कांग्रेस (अमेरिकी संसद) पूर्ण या आंशिक रूप से अपने वार्षिक बजट पर सहमत नहीं हो पाती है, जिससे कर्मचारियों और ठेकेदारों को भुगतान करने में बाधा आती है.
तस्वीर: Mark Schiefelbein/AP Photo/picture alliance
कौन सी सेवाएं रुकती हैं और कौन सी चलती रहती हैं?
शटडाउन होने पर सभी 'गैर-जरूरी' संघीय सरकारी एजेंसियां और कार्यक्रम बंद हो जाते हैं और उनके कर्मचारी फरलो (अनिवार्य अवकाश) पर भेज दिए जाते हैं. हालांकि, सभी शटडाउन एक जैसे नहीं होते हैं, लेकिन कुछ मूलभूत नियम हमेशा लागू होते हैं.
तस्वीर: Offenberg/Zoonar/picture alliance
आवश्यक सेवाएं जारी रहती हैं
अनिवार्य खर्च वाले कार्यक्रम और आवश्यक सेवाएं नहीं रुकती हैं. इसका मतलब है कि खुफिया सेवा, सक्रिय सैन्यकर्मी, अधिकांश सीमा सुरक्षा एजेंट, संघीय कानून प्रवर्तन एजेंट और एयर ट्रैफिक कंट्रोलर अपने काम पर बने रहते हैं.
तस्वीर: Hu Yousong/Xinhua/picture alliance
भुगतान जारी रहते हैं
सोशल सिक्योरिटी, मेडिकेयर और मेडिकेड जैसे भुगतान जारी रहते हैं क्योंकि इन्हें लंबी अवधि के लिए मंजूरी मिली होती है. डाक वितरण और फेडरल रिजर्व भी प्रभावित नहीं होते हैं क्योंकि उनकी फंडिंग का तरीका अलग है.
तस्वीर: Hu Yousong/Xinhua/picture alliance
कौन प्रभावित होता है?
संघीय कर्मचारी इस शटडाउन से सबसे पहले प्रभावित होते हैं.
तस्वीर: Anna Moneymaker/Getty Images/AFP
छुट्टी पर भेजे गए कर्मचारी
जिन्हें अनिवार्य अवकाश पर भेजा जाता है, उन्हें काम करने की अनुमति नहीं होती है और उन्हें इस दौरान वेतन नहीं मिलता है. हालांकि, सरकार के फिर से शुरू होने पर उन्हें पिछला पूरा वेतन मिलने की गारंटी होती है.
तस्वीर: Alex Wong/AFP/Getty Images
काम करने वाले कर्मचारी
आवश्यक सेवाओं में काम करने वाले कर्मचारियों को काम जारी रखना होता है, लेकिन उन्हें भी शटडाउन के दौरान वेतन नहीं मिलता है. उन्हें भी बाद में बकाया वेतन मिलता है.
तस्वीर: John Angelillo/UPI Photo/IMAGO
भुगतान प्राप्त करने वाले अधिकारी
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और कांग्रेस के सदस्य लगातार काम करते रहते हैं और उन्हें वेतन मिलता रहता है. यह शटडाउन नया नहीं है. पिछले राष्ट्रपतियों के कार्यकाल में भी ऐसा हो चुका है, जिसमें ट्रंप के पहले कार्यकाल का 35 दिनों का सबसे लंबा शटडाउन भी शामिल है.
तस्वीर: The White House/AP/dpa/picture alliance
7 तस्वीरें1 | 7
चीनी प्रतिबंधों से यूरोपीय उद्योग भी प्रभावित
सिर्फ अमेरिका ही रेयर अर्थ की कमी से प्रभावित नहीं हो रहा है, बल्कि यूरोपीय संघ भी अपने 98 फीसदी रेयर अर्थ मैग्नेट के लिए चीन पर निर्भर है. ये मैग्नेट गाड़ियों के पुर्जे, फाइटर जेट और मेडिकल इमेजिंग डिवाइस जैसे महत्वपूर्ण उपकरणों के लिए काफी जरूरी होते हैं.
यूरोपियन एसोसिएशन ऑफ ऑटोमोटिव सप्लायर्स ने जून में चेतावनी दी थी कि चीन के निर्यात प्रतिबंधों के कारण यह क्षेत्र ‘पहले से ही काफी रुकावटों का सामना कर रहा है. साथ ही, उसने आगे कहा कि इसके कारण ‘पूरे यूरोप में कई उत्पादन इकाइयां और संयंत्र बंद हो गए हैं. आने वाले हफ्तों में भंडार कम होने के कारण और भी ज्यादा असर पड़ने की आशंका है.'
इटैलियन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल पॉलिटिकल स्टडीज (आईएसपीआई) के रिसर्च फेलो अल्बर्टो प्रिना सेराई ने डीडब्ल्यू को बताया कि ब्रसेल्स को तुरंत ‘समय खरीदने' की जरूरत है, यानी जल्दबाजी से बचने और तैयारी के लिए समय लेने की जरूरत है.
उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा, "उत्पादन के बड़े पैमाने को देखते हुए हम पश्चिमी देश, चीन की बराबरी नहीं कर सकते. उनके पास खनन से लेकर अंतिम उत्पाद (चुंबक) तक की एक ऐसी सप्लाई चेन है जिसकी नकल करना बहुत मुश्किल है. कम समय में चीन से पूरी तरह अलग होना या संबंध तोड़ना ‘अकल्पनीय' है, लेकिन यूरोपीय संघ को बेहतर औद्योगिक रणनीति बनाकर इस आपसी निर्भरता को संभालना चाहिए.”
ग्रीनलैंड के खनिज भंडार भी लुभाते होंगे ट्रंप को
अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने हाल ही में ग्रीनलैंड पर नियंत्रण में दिलचस्पी दिखाई. डेनमार्क का यह अर्धस्वायत्त इलाका रणनीतिक ठिकाने के लिहाज से तो अहम है ही, साथ में खनिजों के भंडार से भी समृद्ध है.
तस्वीर: Ursula Gahwiler/robertharding/imago
ग्रीनलैंड में खनिजों का भंडार
2023 में एक सर्वेक्षण ने दिखाया था कि यूरोपीय आयोग जिन 34 खनिजों को अहम कच्चे माल का दर्जा देता है, उनमें से 25 ग्रीनलैंड में मौजूद हैं.
तस्वीर: Felipe Dana/AP/dpa/picture alliance
बहुत कम होती है खनिजों की खुदाई
पर्यावरणीय कारणों से ग्रीनलैंड में तेल और प्राकृतिक गैस निकालने पर प्रतिबंध है. दूसरी तरफ खनिजों को धरती से निकालने की प्रक्रिया लालफीताशाही और घरेलू समुदायों के विरोध में फंस कर रेंग रही है.
तस्वीर: Roberto Coletti
ग्रेफाइट
ग्रीनलैंड के द्वीप पर कई जगहों पर ग्रेफाइट और ग्रेफाइट चट्टानों के मिलने की जानकारी मिली है. ग्रीनरॉक नाम की कंपनी ने अमिस्टोक ग्रेफाइट प्रोजेक्ट को विकसित करने के लिए खुदाई का लाइसेंस मांगा है. प्राकृतिक ग्रेफाइट का इस्तेमाल ज्यादातर इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरी और लोहा बनाने में होता है.
तस्वीर: Anuary Mkama/DW
रेयर अर्थ मटीरियल
रेयर अर्थ मटीरियल इलेक्ट्रिक गाड़ियों के परमानेंट मैग्नेट और पवन चक्कियों में इस्तेमाल होता है. ग्रीनलैंड में इसके तीन सबसे बड़े भंडार दक्षिणी गार्दार प्रांत में हैं. रेयर अर्थ माइन विकसित कर रही कंपनियों में क्रिटिकल मेटल कॉर्प ने तानब्रीज के भंडार को खरीदा है. दूसरी ओर एनर्जी ट्रांजिशन मिनरल्स का कुआनरसुट प्रोजेक्ट कानूनी विवादों में घिरा है. तीसरी कंपनी है, नियो परफॉर्मेंस मटीरियल्स.
तस्वीर: Michael Nolan/robertharding/imago images
निकेल
ग्रीनलैंड में निकेल के भंडारों का कई जगहों पर पता चला है. पश्चिमी ग्रीनलैंड में एंग्लो अमेरिकन को पांच साल के लिए खुदाई का लाइसेंस 2019 में दिया गया था.
तस्वीर: Ulet Ifansasti/Getty Images
तांबा
मिनरल रिसोर्स अथॉरिटी के मुताबिक तांबे के ज्यादातर भंडारों की बहुत सीमित खुदाई हुई है. द्वीप के उत्तर पूर्व और मध्य पूर्व के इलाके तो खासतौर से इस लिहाज से अहम हैं. लंदन की 80 माइल डिस्को नुसुआक डिपॉजिट को विकसित करना चाहती है जहां तांबा, निकेल, प्लैटिनम और कोबाल्ट के भंडार हैं.
तस्वीर: G. Czepluch/picture alliance
सोना
सोने की सर्वाधिक संभावनाओं वाला इलाका सेर्मिलिगार्सुक फ्योर्ड है जो देश के दक्षिण में है. अमारोक मिनरल्स ने पिछले साल सोने की खुदाई कुजालेक म्युनिसिपैल्टी के माउंट नालुनाक में शुरू की थी.
तस्वीर: Pond5 Images/IMAGO
टंगस्टन
कई उद्योगों में इस्तेमाल होने वाली यह धातु ग्रीनलैंड में सबसे ज्यादा मध्य पूर्व और उत्तर पूर्व में पाई जाती है. हालांकि दक्षिण और पश्चिमी हिस्से में भी इसके भंडारों का पता चल चुका है.
तस्वीर: robertohunger/Depositphotos/Imago Images
जिंक
जिंक का भंडार ग्रीनलैंड में उत्तर की तरफ की भूगर्भिक संरचनाओं में है जो करीब 2,500 किलोमीटर में फैली हैं. कुछ कंपनियां सिट्रोनेन फ्योर्ड में जिंक और लेड की परियोजनाएं विकसित करना चाहती हैं. इसे जिंक के संसाधन का सबसे बड़ा अविकसित क्षेत्र माना जाता है.
तस्वीर: R. Koenig/blickwinkel/picture alliance
टिटैनियम-वैनेडियम
ग्रीनलैंड में टिटैनियम और वैनेडियम के भंडार दक्षिण-पश्चिम, पूर्व और दक्षिण में हैं. टिटैनियम का इस्तेमाल कारोबार, चिकित्सा और उद्योग में होता है जबकि वैनेडियम से खास तरह के स्टील अलॉय बनाए जाते हैं. औद्योगिक रूप से सबसे अहम वैनेडियम यौगिक, वैनेडियम पेनटॉक्साइड है. यह सल्फ्यूरिक एसिड बनाने में उत्प्रेरक का काम करता है.
तस्वीर: Yang Mujun/VCG//dpa/MAXPPP/picture alliance
हीरा
इस द्वीप पर हीरे का सबसे बड़ा भंडार पश्चिमी हिस्से में है. हालांकि हीरे की मौजूदगी दूसरे इलाकों में भी काफी अहम हो सकती है.
तस्वीर: FABRICE COFFRINI/AFP/Getty Images
लौह अयस्क
लौह अयस्क यानी कच्चे लोहे के भंडार दक्षिण पश्चिम ग्रीनलैंड के इसुआ में हैं. इसके अलावा मध्य पश्चिमी इलाके के इतिलियार्सुक और उत्तर पश्चिम ग्रीनलैंड के लाउगे कॉख किस्ट में भी कच्चे लोहे के भंडार हैं.
तस्वीर: Alexander Farnsworth/picture alliance
यूरेनियम
2021 में ग्रीनलैंड की वामपंथी इनुइट अटाक्वाटिगिट पार्टी ने यूरेनियम की खुदाई पर रोक लगा दी. वास्तव में कुआनरसुट रेयर अर्थ प्रोजेक्ट को ही रोक दिया गया, जिसमें बायप्रोडक्ट के तौर पर यूरेनियम निकलता था.
तस्वीर: Ursula Gahwiler/robertharding/imago
13 तस्वीरें1 | 13
यूरोपीय आयोग ने क्रिटिकल रॉ मैटेरियल्स एक्ट के तहत एक बड़ा लक्ष्य रखा है. 2030 तक यूरोपीय संघ के सदस्य देश घरेलू स्तर पर 7,000 टन चुम्बक का उत्पादन करेंगे. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कई खनन, रिफाइनिंग और रीसाइक्लिंग परियोजनाएं शुरू की गई हैं. इसी दिशा में, इस साल एस्टोनिया में एक विशाल रेयर अर्थ प्रोसेसिंग प्लांट शुरू हो गया है. दक्षिण-पश्चिमी फ्रांस में एक और बड़ी इकाई 2026 में चालू हो जाएगी.
मई में अपने चीनी समकक्ष के साथ बैठक के बाद, यूरोपीय संघ के व्यापार आयुक्त मारोस सेफकोविक ने चीन के प्रतिबंधों को यूरोप के ऑटो और औद्योगिक क्षेत्रों के लिए ‘बेहद विनाशकारी' बताया था. इसके बाद, चीन ने यूरोपीय संघ की कंपनियों को लाइसेंस देने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए एक ‘ग्रीन चैनल' का प्रस्ताव रखा था, लेकिन विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अनुमति में अभी भी 45 दिन तक का समय लग सकता है.
स्वीडन में मिला रेयर अर्थ का भंडार खेल ही बदल देगा!
05:51
This browser does not support the video element.
भारत ने घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए निर्यात में कटौती की
भारत के पास दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा रेयर अर्थ भंडार है. यह करीब 69 लाख मीट्रिक टन है. इसके बावजूद, यह वैश्विक आपूर्ति में 1 फीसदी से भी कम योगदान दे पाता है. दरअसल, भारत के पास इन खनिजों को उच्च तकनीक के क्षेत्र में इस्तेमाल लायक बनाने के लिए रिफाइनिंग की पर्याप्त क्षमता नहीं है. नतीजतन, भारत को भी चीनी निर्यात पर निर्भर रहना पड़ता है और उस पर भी प्रतिबंधों का असर पड़ा है.
हालांकि, भारत ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और मध्य एशियाई देशों के साथ समझौते किए हैं, ताकि वह आपूर्ति के लिए किसी एक देश पर निर्भर न रहे. लेकिन अब तक इस दिशा में काफी कम प्रगति हुई है.
जून में, नई दिल्ली ने सरकारी खनन कंपनी आईआरईएल को घरेलू स्तर पर निकाले गए खनिजों के निर्यात पर रोक लगाने का निर्देश दिया, जिसमें जापान को होने वाली आपूर्ति भी शामिल थी. यह फैसला भारत के उत्पादकों के लिए इन खनिजों की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए लिया गया. 2024 में, आईआरईएल ने अपने द्वारा खनन किए गए कुल 2,900 मीट्रिक टन रेयर अर्थ का एक-तिहाई हिस्सा जापानी प्रोसेसिंग फर्म के जरिए जापान को दिया था.
नरेन्द्र मोदी की रेयर अर्थ की मांग सुनेंगे शी जिनपिंग?
10:00
चीन के प्रतिबंधों से निपटने की तैयारी कर रहा जी7
चूंकि चीन के एकाधिकार को फिलहाल कोई चुनौती मिलने की संभावना नहीं है. इसलिए, जून में कनाडा में हुई जी7 नेताओं की बैठक में यह तय किया गया कि अगर भविष्य में रेयर अर्थ की कमी होती है, तो वे मिलकर उसका सामना करेंगे. उन्होंने यह भी वादा किया कि चीन जैसे जानबूझकर बाजार को प्रभावित करने वाले कदमों के खिलाफ संयुक्त रूप से कार्रवाई करेंगे. इन खनिजों के उत्पादन व आपूर्ति के स्रोतों को विविध बनाने की दिशा में काम करेंगे. वे आपूर्ति के लिए किसी एक देश पर निर्भर नहीं रहेंगे.
बेहतर और बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले इस समूह ने ‘जी7 क्रिटिकल मिनरल्स एक्शन प्लान' नामक दस्तावेज में यह घोषणा की. उन्होंने कहा, "हम अपनी अर्थव्यवस्थाओं के लिए इस खतरे के साथ-साथ, महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने के रास्ते में आने वाले अन्य खतरों की पहचान करेंगे. हम अपनी आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए एक साथ और जी7 से बाहर के साझेदारों के साथ भी काम करेंगे.”
आईएसपीआई की प्रिना सेराई ने डीडब्ल्यू को बताया कि जैसे-जैसे बेहतर तकनीकें सामने आएंगी, पश्चिमी देशों के लिए रेयर अर्थ तक पहुंच और भी अहम होती जाएगी. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मध्यम अवधि में ‘रोबोटिक्स और ह्यूमनाइड्स' (यानी मानव रूप वाले रोबोट) एक बड़ा और महत्वपूर्ण बाजार बन सकते हैं.
एल दोरादो का सोना: समृद्धि और शोक
वेनेजुएला के अल दोरादो में कई समुदाय सोना खोजने में जुटे रहते हैं. हिंसा और होड़ के बीच ये चमकीली धातु वहां मुद्रा सी बन चुकी है.
तस्वीर: Pedro Mattey/AFP
गोल्डन सिटी?
वेनेजुएला के बोलिवर राज्य का एल दोरादो शहर. दक्षिण अमेरिका में छुपा खजाना, ऐसी कई कहानियों को एल दोरादो से जोड़ा जाता है. ये कहानियां 16वीं शताब्दी में स्पेन के कब्जे के दौरान फैलाई गईं. हकीकत में आज भी यहां के 5,000 बाशिंदों में से ज्यादातर गरीब हैं.
तस्वीर: Hirsaid Gomez/AFP
रेत में सोने के टुकड़े
एल दोरादो की एक दुकान में सोने के टुकड़ों को तौला जा रहा है. सोने को लेकर भीषण मारामारी भले ही अब खत्म हो गई हो, लेकिन एल दोरादो के आस पास अब भी ऐसी कई खदानें हैं, जहां रेत और कीचड़ छानने पर सोना मिल जाता है.
तस्वीर: Pedro Mattey/AFP
एक ग्राम सोना यानी एक थैला खाना
एल दोरादो में कैश या कार्ड पेमेंट ना के बराबर होता है. यहां बाजार में ज्यादातर चीजों की कीमत, सोने के बदले तय है. दो मिलीग्राम सोने से मक्का के आटे का एक छोटा पैकेट खरीदा जा सकता है. एक ग्राम सोने से एक थैला भरकर, आटा, तेल, पास्ता, वनस्पति घी, कैचअप और दूध पावडर खरीदा जा सकता है.
तस्वीर: Pedro Mattey/AFP
एक कतरे के लिए भी कड़ी मेहनत
समाचार एजेंसी एएफपी से एक स्थानीय निवासी ने कहा, "सोना ऐसा है जैसे एक आशीर्वाद, इसके जरिए हम जो चाहें वो खरीद सकते हैं, लेकिन इसे पाने के लिए आपको बहुत मेहनत करनी पड़ती है."
तस्वीर: Pedro Mattey/AFP
जोखिम भरा काम
सोने की खदानों की तरफ नाव से जाते लोग. कई खदानें कच्ची हैं और उनके ढहने का खतरा लगातार बना रहता है. एल दोरादो की स्थापना 1895 में हुई. तब इसे एक सैन्य किले में बदल दिया गया. उस वक्त इस खनिज और तेल संपदा से समृद्ध इलाके के लिए ब्रिटेन और वेनेजुएला की बीच तीखा संघर्ष हुआ.
तस्वीर: Pedro Mattey/AFP
विषैला प्रभाव
रेत, कीचड़ और अन्य धातुओं से सोने को अलग करने के लिए खूब पारा इस्तेमाल किया जाता है. इस प्रक्रिया में पारा और साइनाइड जैसे रसायन पानी में घुल जाते हैं. यह इंसान, अन्य जीवों और पूरे इकोसिस्टम के लिए खतरा पैदा करते हैं.
तस्वीर: Pedro Mattey/AFP
आसान नहीं ये काम
सोने के शुद्ध करने के लिए उसे फूंकनी से पिघलाया जाता है. इस दौरान कई विषैली गैसें बाहर निकलती हैं. इस काम से जुड़े एक शख्स ने एएफपी से कहा कि पांच लोगों के परिवार को दिन भर की मेहनत के बाद एक ग्राम सोना मिलता है.
तस्वीर: Pedro Mattey/AFP
कैश की जगह सोना
अपनी मेहनत से हासिल किया गया सोना खनिक, एल दोरादो के डीलरों को बेच सकते हैं. ज्यादातर लोग, सोने को एक मुद्रा की तरह इस्तेमाल करते हैं. वेनेजुएला की मुद्रा बोलिविर इस साल अब तक 50 फीसदी गिरावट देख चुकी है. बोलिवर के मुकाबले सोने का दाम काफी स्थिर है.
तस्वीर: Pedro Mattey/AFP
वरदान भी, अभिशाप भी
सोने के साथ ही इस इलाके में हीरे, बॉक्साइट, कॉल्टन और लौह अयस्क के भी बड़े भंडार हैं. यह संपदा इलाके के लिए वरदान भी है और अभिशाप भी. ये प्राकृतिक संसाधन संगठित अपराध को आकर्षित करते हैं. ऐसे गुटों की आपसी रंजिश एल दोरादों में कई जानें लेती है.
तस्वीर: Hirsaid Gomez/AFP
9 तस्वीरें1 | 9
कई देश बढ़ा रहे हैं रेयर अर्थ का उत्पादन
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के मुताबिक, चीन के 44 मिलियन टन रेयर अर्थ भंडार के बाद, ब्राजील, भारत और ऑस्ट्रेलिया के पास सबसे ज्यादा भंडार हैं. यह कुल मिलाकर करीब 31.3 मिलियन टन है. हाल ही में कजाकिस्तान में करीब 20 मिलियन टन रेयर अर्थ भंडार की खोज की गई है.
रेयर अर्थ के खनन और प्रोसेसिंग में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया सबसे आगे हैं. जबकि, अन्य देशों की योजनाएं अभी भी अपने शुरुआती या मध्य चरणों में हैं. इन योजनाओं को हकीकत में बदलने के लिए पांच से दस साल का समय, पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करने और अरबों डॉलर के निवेश की जरूरत होगी.
भविष्य में रेयर अर्थ का एक और स्रोत ग्रीनलैंड हो सकता है. हालांकि, वहां का मौसम बहुत खराब रहता है. अमेरिका और यूरोपीय संघ पहले ही सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर कर चुके हैं. 2023 में दक्षिण ग्रीनलैंड में स्थित टैनब्रीज परियोजना को खनन उद्योग से जुड़े डेटा उपलब्ध कराने वाली कंपनी ‘माइनिंग इंटेलिजेंस' ने टॉप रेयर अर्थ प्रोजेक्ट का दर्जा दिया था, जहां लगभग 28.2 मिलियन टन खनिज होने का अनुमान लगाया गया है.
रेयर अर्थ पर चीन की मजबूत पकड़ ने चीन के कारण वह इनका इस्तेमाल रणनीतिक हथियार के तौर पर कर रहा है. तस्वीर: Xinhua/imago images
जब तक रेयर अर्थ की वैकल्पिक आपूर्ति बड़े पैमाने पर बढ़ नहीं जाती, तब तक चीन इस महत्वपूर्ण संसाधन का इस्तेमाल एक शक्तिशाली भू-राजनीतिक हथियार के रूप में करता रहेगा. साथ ही, वैश्विक उद्योगों और अन्य देशों पर अपना दबाव बनाए रखेगा.
वहीं, सिनोलिटिक्स के वुब्बेके को इस बात पर संदेह है कि शायद ही अन्य देश कभी भी रेयर अर्थ पर चीन के मजबूत पकड़ का मुकाबला कर पाएंगे. इसकी वजह यह है कि इस क्षेत्र में आगे होने के कारण चीन को जो भारी लाभ मिलता है, वह दूसरों के लिए एक बड़ी बाधा है.
वुब्बेके ने डीडब्ल्यू को बताया, "एक बार जब चीन निर्यात नियंत्रण हटा लेगा, तो कीमतें कम हो जाएंगी और आपूर्ति की स्थिति सुधर जाएगी. फिर, कोई भी चीन पर अत्यधिक निर्भरता के बारे में कभी बात नहीं करेगा, क्योंकि तब बात कीमतों पर होगी.” उन्होंने आगे कहा, "गैर-चीनी खदानों और रिफाइनरियों को इन कीमतों से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है और आमतौर पर वे ऐसा नहीं कर पाते हैं.”
त्योहारों में इकोनॉमी की रफ्तार के लिए भारत और चीन का प्लान