कोविड-19 महामारी ने भारत में लाखों लोगों की जान ली. शायद ही कोई इस महामारी को अच्छा बताएगा, सिवाय भागलपुर की उस जर्जर इमारत के जिसे कुछ महीने पहले तक अस्पताल कहना भी मुश्किल लगता था. अब अस्पताल के अच्छे दिन आ गए हैं.
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पिछले साल भारत में जब कोरोना की पहली लहर कहर बरपा रही थी, तो बिहार के भागलपुर का जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल टूटती व्यवस्था के बोझ से चरमरा रहा था. देश के अन्य कई अस्पतालों की तरह इस अस्पताल में भी सुविधाओं के नाम पर कुछ उपलब्ध नहीं था.
वॉर्ड और आईसीयू मरीजों और उनके रिश्तेदारों से भरे पड़े थे. पुलिसकर्मी हथियार लेकर डॉक्टरों की सुरक्षा कर रहे थे कि कहीं हिंसा ना हो जाए. आठ सौ बिस्तर वाला यह अस्पताल कई लाख लोगों के लिए एकमात्र उम्मीद था, जिसका टूटना तय था.
उलटा हुआ असर
उस महामारी में फैली अव्यवस्था ने भागलपुर के इस अस्पताल के दिन पलट गए. उस वक्त सामने आई समस्याओं की ओर प्रशासन की नजर गई तो उन्हें हल करने पर ध्यान दिया गया. अब अस्पताल के पास अपने ऑक्सीजन जेनरेटर हैं, दर्जनों नई नर्सें भर्ती की गई हैं, आईसीयू में बिस्तरों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है और सैकड़ों अस्पतालों को पाइप के जरिए सीधे ऑक्सीजन उपलब्ध हो गई है. ये सब चीजें कई साल में पहली बार अस्पताल तक पहुंच पाई हैं.
वैक्सीन लगवाओ, लेडी के साथ आधा घंटा फ्री पाओ
ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में वेश्यालयों ने ग्राहकों के लिए एक स्कीम शुरू की है. वैक्सीन लगवाने पर अपनी पसंद की महिला के साथ आधा घंटा बिताने का मौका.
तस्वीर: Leonhard Foeger/REUTERS
वैक्सीन के लिए ऑफर
वियना में एक वेश्यालय ने लोगों को कोविड वैक्सीन लगवाने के लिए जागरूक करने का बीड़ा उठाया है. इसके लिए एक विशेष योजना चलाई गई है.
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जागरूकता और मार्किटिंग
फन पलास्ट नामक इस वेश्यालय को उम्मीद है कि उनकी इस पेशकश से शहर में वैक्सीनेशन को लेकर जागरूकता भी बढ़ेगी और उनके ग्राहक भी.
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फ्री वाउचर
वेश्यालय में ही टीका लगवाने की सुविधा है और बदले में अपनी पसंद की महिला के साथ सॉना क्लब में आधे घंटे की फ्री विजिट का वाउचर दिया जा रहा है.
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आधे रहे गए ग्राहक
फन पलास्ट का कहना है कि कोविड महामारी के दौरान उनके ग्राहक आधे रह गए हैं. उन्हें उम्मीद है कि मुफ्त वैक्सीन से लोग उनकी ओर आकर्षित होंगे.
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खस्ता है हालत
ऑस्ट्रिया में टीकाकरण की दर यूरोप के देशों के मुकाबले काफी खराब है. देश के 64 फीसदी लोगों ने ही पूरी खुराक ली है. पिछले दिनों देश में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़े हैं और एक साल में सबसे ऊपर पहुंच गए हैं.
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कड़ी पाबंदियां लागू
जिन लोगों ने कोविड का टीका नहीं लगवाया है उन पर कैफे, रेस्तरां, सैलून आदि में जाने की रोक है. होटल और सिनेमा आदि भी ऐसे लोगों के लिए बंद हैं.
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अस्पताल के अधिकारी कहते हैं कि पपड़ी बनकर झड़ चुका गुलाबी पेंट भी जल्दी ही हटा दिया जाएगा और दीवारों को नया रंग दे दिया जाएगा. 2,00 बिस्तर वाला नया अस्पताल जो कई साल पहले बनना शुरू हुआ था, अब तेजी से बनाया जा रहा है और अगले साल तक खत्म भी किया जा सकता है.
अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट असीम कुमार दास कहते हैं, "हमारे लिए तो कोविड वरदान साबित हुआ. हालांकि इसने मानवता को नष्ट किया, बहुत दर्द दिया, लेकिन हमारे अस्पताल को इसने बहुत बड़े बदलाव दिए हैं.”
दास बताते हैं कि सरकार के साथ मुख्य भवन में दो सौ अतिरिक्त बिस्तर जोड़ने पर बातचीत जारी है और साथ ही नए कर्मचारियों की भर्ती पर भी विचार हो रहा है क्योंकि पहले डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों की भारी किल्लत थी.
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पूरे देश में सुधरी हालत
सरकारी आंकड़े दिखाते हैं कि अब देश के अन्य हिस्सों में भी स्वास्थ्य सुविधाओं पर ध्यान दिया जा रहा है. कोरोनावायरस की दूसरी लहर के दौरान सबसे ज्यादा दिक्कत ऑक्सीजन की हुई. तमाम अस्पतालों में ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं थी जिस कारण बहुत से लोगों की जानें गईं.
अब केंद्र और राज्य सरकारों को देश के लगभग सभी जिलों में स्थित अस्पतालों को कम से कम एक ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए धन दिया गया है. कुछ महीनों के भीतर ही करीब चार हजार अस्पतालों में प्लांट शुरू हो चुके हैं. साथ ही सरकार ने कई नए अस्पताल बनाने व मौजूदा अस्पतालों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने का वादा भी किया है.
महंगाई से कराहते आम भारतीय
पेट्रोल, डीजल, खाने का तेल या फिर आटा, भारत में हर चीज की कीमत आसमान छू रही है. बेकाबू महंगाई से रोजमर्रा की चीजें भी अछूती नहीं है. कोविड काल में महंगाई जनता को जोर का झटका दे रही है.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
महंगा पेट्रोल
पेट्रोल का दाम करीब-करीब हर रोज बढ़ता जा रहा है. दाम बढ़ने से मिडिल क्लास परिवारों पर काफी बोझ पड़ रहा है. कई शहरों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर के स्तर को अर्से पहले ही पार कर चुका है.
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डीजल महंगा, माल ढुलाई महंगी
डीजल का दाम भी आसमान छूता जा रहा है. कई शहरों में डीजल तो 100 रुपये के पार जा चुका है, जिससे माल ढुलाई भी महंगी हो गई है. खेतों में सिंचाई के लिए भी डीजल का इस्तेमाल होता है.
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रसोई गैस
रसोई गैस पिछले चार महीनों में 90 रुपये के करीब महंगी हो चुकी है. फिलहाल दिल्ली और मुंबई में रसोई गैस सिलेंडर का दाम 899.50 रुपये है. वहीं कोलकाता में यह 926 रुपये है.
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सीएनजी भी महंगी
कभी किफायती मानी जाने वाली सीएनजी और पीएनजी अब महंगी होती जा रही है. अक्टूबर महीने में सीएनजी 4.56 रुपये प्रति किलो और पीएनजी 4.20 रुपये प्रति यूनिट तक महंगी हो चुकी है.
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खाने का तेल
सरसों का तेल 200 रुपये प्रति किलो के ऊपर जा चुका है. सरकार ने हाल ही में खाद्य तेलों पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी घटाई थी लेकिन इसका कीमत पर असर होता नहीं दिख रहा है.
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सब्जी और फल
बेमौसमी बारिश और माल ढुलाई दर में वृद्धि के कारण सब्जियों के दामों पर खासा असर पड़ा है. आलू, प्याज, टमाटर और हरी सब्जियां खुदरा बाजार में महंगी हो गई है. त्योहारों के मौसम में लोग इस महंगाई से खासे परेशान हैं.
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माचिस पर महंगाई की मार
14 साल के अंतराल के बाद माचिस की डिबिया महंगी होने वाली है. एक दिसंबर से इसकी कीमत एक रुपये से बढ़कर दो रुपये हो जाएगी. आखिरी बार 2007 में माचिस की कीमत में संशोधन हुआ था.
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केंद्रीय बैंक की चिंता
रिजर्व बैंक ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में उछाल से उत्पाद और सेवाओं के रिटेल दाम बढ़ने की चिंता जताई है. आरबीआई का कहना है कि महंगा पेट्रोल-डीजल यातायात और माल ढुलाई का बोझ बढ़ा रहा है.
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नौ अरब डॉलर की योजना है कि आने वाले कुछ साल में अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या को दोगुना किया जाएगा. अब हर एक हजार लोगों पर दो बिस्तर उपलब्ध कराने की योजना है.
बहुत से राज्य अपने स्वास्थ्य खर्च को दोगुना करने पर विचार कर रहे हैं. केंद्र सरकार का कहना है कि 2024-25 तक स्वास्थ्य पर खर्च को जीडीपी 2.5 प्रतिशत किए जाने की योजना है. फिलहाल यह 1.2 प्रतिशत है, जो दुनिया में सबसे कम खर्च वाले देशों में आता है.