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विज्ञानयूक्रेन

कितनी खतरनाक है अमोनिया?

२२ मार्च २०२२

यूक्रेन के एक केमिकल प्लांट से अमोनिया गैस लीक हुई है. खेती के फर्टिलाइजर में इस्तेमाल होने वाली यह तेज गंध वाली गैस असल में हमारे लिए जहरीली है.

Deutschland Ammoniak in Koblenzer Brauerei ausgetreten
तस्वीर: Thomas Frey/dpa/picture alliance

यूक्रेन के नागरिक रक्षा विभाग ने बहुत जल्दी इस गैस लीक पर प्रतिक्रिया दी. यूक्रेन के पूर्वोत्तर के सुमी शहर में एक केमिकल प्लांट से अमोनिया लीक हो गई. प्रशासन ने स्थानीय लोगों से बंकरों और ग्राउंड फ्लोर अपार्टमेंट में शरण लेने को कहा.

अमोनिया जहरीली गैस है. यह एक गैस है, जो हवा से भारी होती है और हमारे वातावरण में ऊपर उठती जाती है. इसलिए भी अमोनिया गैस के हवा में मिल जाने की सूरत में निवासियों को नीचे हो जाने की सलाह दी जाती है. या तो लोगों को नीचे किसी अंडरग्राउंड लेवल पर चले जाना चाहिए या फिर कम से कम ऊपर की मंजिलों से ऊपर कर नीचे आ जाना चाहिए. ऐसा करने से इसकी संभावना कम हो जाएगी कि लोग अमोनिया को ना सूंघें.

रिपोर्टों से पता चला है कि रूसी बमबारी की चपेट में आकर यूक्रेन के केमिकल प्लांट को नुकसान हुआ. यहां फर्टिलाइजर बनाने के लिए सबसे जरूरी सामान अमोनिया रखा था. स्थानीय प्रशासन ने गैस के रिसाव को रोकने में कामयाबी पाई है.

अमोनिया क्या है?

अमोनिया एक केमिकल कंपाउंड है, जो नाइट्रोजन और हाइड्रोजन से मिलकर बनता है. यह विश्व में सबसे ज्यादा उत्पादित किए जाने वाले रसायनों में से एक है. हर साल 17 करोड़ टन अमोनिया पैदा होता है. इसका 80 फीसदी हिस्सा नाइट्रोजन फर्टिलाइजर बनाने में इस्तेमाल होता है.
यूक्रेन को यूरोप का अन्न का कटोरा कहा जाता है. यहां बहुत सारा अनाज उपजाया जाता है और उसमें उर्वरकों की भी भारी खपत होती है. देश की काली मिट्टी अनाज उगाने के लिए बहुत उपजाऊ मानी जाती है.

फर्टिलाइजर के रूप में सबसे ज्यादा होती है इस्तेमाल

अमोनिया का इस्तेमाल गंदी गैसों को साफ करने में भी होता है और फ्रिज में रेफ्रिजरेंट के रूप में भी. भविष्य में हाइड्रोजन फ्यूल को बढ़ावा देने में भी अमोनिया के इस्तेमाल का एक विकल्प है. अमोनिया में काफी ज्यादा मात्रा में हाइड्रोजन स्टोर होता है, जिसे रिलीज करने के लिए बाहर से ऊर्जा देने की जरूरत होती है.

कितनी जहरीली है?

आज तक अमोनिया का जहरीला असर होने के बहुत कम मामले सामने आए हैं. इसकी गंध ही इतनी तेज और खराब होती है कि इसके हवा में इसके घुले होने का पता चल जाता है. खेतों से उठने वाली ताजा फर्टिलाइजर या घोड़े के तबेलों से आने वाली गंध से तो आप परिचित होंगे.

कई बार बेहोश हो गए लोगों को होश में लाने के लिए पैरामेडिक उनके नाक के पास लाकर अमोनिया का घोल सुंघाते हैं. लेकिन अगर कोई बहुत ज्यादा अमोनिया सूंघ ले, तो वह उसके लिए जहरीला हो सकता है. आंखें, नाक और गले में जलन महसूस होती है और छींकने या खांसने जैसी महसूस होता है. इससे आंखों में पानी आ जाता है और सिर दर्द भी हो सकता है.

अगर मात्रा और भी ज्यादा हो, तो अमोनिया सूंघने वाले इंसान को सांस लेने में परेशानी और सीने में दर्द की शिकायत होती है. ऐसे में आराम दिलाने के लिए बहुत सारी ताजी हवा और भाप लेनी चाहिए.

कैसे बनाई जाती है अमोनिया?

यह प्रकृति में पाई तो जाती है, लेकिन बहुत कम मात्रा में. जहां कहीं भी पौधे और जानवरों का मल सड़ रहा होता है, वहां से यह गैस निकलती है.
इंसान के शरीर में अमोनिया बनता है और अमीनो एसिड (प्रोटीन के सबसे छोटे टुकड़े) को तोड़ने में काम आता है. यह खून में घुलकर लिवर तक पहुंचती है. लिवर में इसका स्तर बहुत ज्यादा न बढ़ जाए, इसके लिए शरीर में एक यूरिया चक्र चल रहा होता है. इससे अमोनिया बदल जाती है. पेशाब की तेज गंध इसी के कारण होती है.

पहले फर्टिलाइजर के लिए अमोनिया हासिल करने के लिए चूना पत्थर को अमोनियम क्लोराइड के साथ गर्म किया जाता था. बाद में अमोनिया का औद्योगिक स्तर पर उत्पादन होने लगा. इसे हेबर-बॉश प्रक्रिया कहते हैं, जिसमें नाइट्रोजन और हाइड्रोजन गैसों को साथ लाया जाता है. यह रिएक्शन बहुत ज्यादा दबाव और तापमान (450 डिग्री सेल्सियस) वाले माहौल में मेटल कैटेलिस्ट की मौजूदगी में कराया जाता है.

रसायनों के कारण सब्जियां भी जहरीली और यमुना भी

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