सुनामी सामान्य प्राकृतिक आपदाओं में से नही हैं, लेकिन भयंकर तबाही ला सकती हैं. जानिए इनके पीछे की वैज्ञानिक कहानी.
जानकार कहते हैं कि सामान्य तौर पर रिक्टर पैमाने पर 6.5 की तीव्रता वाले भूकंप सुनामी की वजह बनते हैंतस्वीर: Pornchai Kittiwongsakul/AFP/Getty Images
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आमतौर पर समुद्र की गहराई में टेक्टॉनिक प्लेटों में हलचल होने की वजह से जो भूकंप पैदा होता है, उससे सुनामी आती है. पानी के भीतर अचानक हुई इन हरकतों से बहुत सारा पानी एक साथ तरंग के रूप में समुद्र के एक ओर से दूसरी ओर जाता है. ये लहरें बड़ी भले ना हों, लेकिन बेहद तेज गति से आगे बढ़ती हैं. तकरीबन 800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से.
ये तरंगें सैकड़ों किलोमीटर लंबी हो सकती हैं. यह भी मुमकिन है कि एक सुनामी लहर समुद्र के एक से दूसरे छोर तक पहुंचने में पूरा दिन लगा दे. किनारे पर पहुंचने की यह गति इस पर निर्भर करती है कि भूकंप समुद्र के नीचे कहां पर आया था.
सुनामी की वजह बनने वाली तरंगें इंसानी आंखों से दिखाई नहीं देतीं, जब तक वे समुद्र तट के नजदीक ना हों. धरती पर वे कई तरंगों की एक रेल सी बनाती हैं और पानी की एक बेहद ऊंची दीवार बनाती हुई आ सकती हैं. इसकी चपेट में इंसान, इमारतें, कारें और पेड़ सब आ सकते हैं.
सुनामी की वजह बनने वाली तरंगें इंसानी आंखों से दिखाई नहीं देतीं जब तक वे समुद्र तट के नजदीक ना होंतस्वीर: Hendra Ambalao/AP/dpa/picture alliance
वर्जीनिया टेक के भूविज्ञान विभाग में प्रोफेसर रॉबर्ट वाइस कहते हैं कि ये तरंगें तट तक लंबे अंतराल में पहुंच सकती हैं, जिसका अनुमान लगाना मुश्किल है. "इनके आने का पैटर्न काफी जटिल हो सकता है, क्योंकि तरंगें ही जटिल होती हैं. आप एक तालाब में दो पत्थर फेंकें और तरंगों का पैटर्न देखें. उनकी संख्या या उनके बीच दूरी का कुछ कहा नहीं जा सकता."
भूकंप, तूफान, सुनामी: 21वीं सदी की सबसे बड़ी आपदाएं
सीरिया और तुर्की में आए भूकंपों में मरने वालों की संख्या 21,000 पार कर चुकी है, जिससे ये भूकंप इस सदी की सबसे बड़ी आपदाओं में शामिल हो चुके हैं. यह हैं 21वीं सदी की सबसे बड़ी आपदाएं.
तस्वीर: Pornchai Kittiwongsakul/AFP/Getty Images
हिंद महासागर सुनामी
26 दिसंबर, 2004 को सुमात्रा के पास आए 9.15 तीव्रता के भूकंप ने एक ऐसी सुनामी को जन्म दिया जिसने इंडोनेशिया, थाईलैंड, भारत, श्रीलंका और इलाके के कई देशों में कम से कम 2,30,000 लोगों की जान ले ली. 43,000 लोग लापता हो गए और कई गांव, कई द्वीप तबाह हो गए.
तस्वीर: Pornchai Kittiwongsakul/AFP/Getty Images
हैती में भूकंप
13 जनवरी, 2010 को 7.0 तीव्रता के एक भूकंप ने हैती की राजधानी पोर्ट-ओ-प्रिंस को तबाह कर दिया. करीब 3,16,000 लोग मारे गए. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान था कि राजधानी और उसके आस-पास के इलाकों में 80,000 इमारतें ढह गईं.
तस्वीर: Juan Barreto/AFP/Getty Images
म्यांमार में चक्रवात
दो मई, 2008 को नरगिस चक्रवात ने म्यांमार के इरावडी डेल्टा और दक्षिणी यांगून में कहर बरपाया. 240 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवाओं की वजह से करीब 1,40,000 लोगों की जान चली गई. 24 लाख लोग बुरी तरह से प्रभावित हुए.
तस्वीर: IFRC/dpa/picture alliance
चीन में भूकंप
12 मई, 2008 को चीन के शिशुआं राज्य में आए 7.8 तीव्रता के भूकंप ने करीब 87,600 लोगों की जान ले ली.
तस्वीर: Shifang/dpa/picture alliance
पाकिस्तान में भूकंप
आठ अक्टूबर, 2005 को इस्लामाबाद से उत्तर पूर्व की तरफ आए 7.6 तीव्रता के भूकंप ने कम से कम 73,000 लोगों की जान ले ली. भूकंप का भारतीय कश्मीर में भी असर हुआ और वहां भी 1,244 लोग मारे गए.
तस्वीर: Farooq Naeem/AFP via Getty Images
ईरान में भूकंप
26 दिसंबर, 2003 को ईरान के दक्षिण पूर्वी राज्य केरमान में आए 6.6 तीव्रता के भूकंप ने बाम नाम के पूरे शहर को ही सपाट कर दिया. कम से कम 31,000 लोग मारे गए.
तस्वीर: Odd Andersen/AFP/Getty Images
जापान में भूकंप/सुनामी
11 मार्च, 2011 को उत्तरपूर्वी जापान में आए 9.0 तीव्रता के भूकंप और उससे जन्मी सुनामी ने करीब 15,690 लोगों की जान ले ली. इस भूकंप की वजह से 1986 में हुए चेर्नोबिल परमाणु हादसे के बाद दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु हादसा भी हुआ.
26 जनवरी, 2001 को गुजरात के भुज में आए 7.9 तीव्रता के भूकंप ने कम से कम 14,000 लोगों की जान ले ली. 1,50,000 से भी ज्यादा लोग घायल हो गए और लाखों लोग बेघर हो गए.
तस्वीर: Arko Datta/AFP/Getty Images
नेपाल में भूकंप
25 अप्रैल, 2015 को 7.8 तीव्रता के एक भूकंप ने नेपाल को हिला कर रख दिया. कम से कम 9,000 लोगों की जान चली गई और 80 लाख से भी ज्यादा लोग प्रभावित हुए.
तस्वीर: Philippe Lopez/AFP/Getty Images
इंडोनेशिया में भूकंप/सुनामी
28 सितंबर, 2018 को इंडोनेशिया के द्वीप सुलावेसी में आए 7.5 तीव्रता के भूकंप की वजह से समुद्र में 1.5 मीटर ऊंची लहरों वाली सुनामी आई, जिसने 4,300 से भी ज्यादा लोगों की जान ले ली.
तस्वीर: Dita Alangkara/AP Photo/picture alliance
हैती में भूकंप (2021)
14 अगस्त, 2021 को दक्षिणी हैती में आए 7.2 तीव्रता के भूकंप ने कम से कम 2,200 लोगों की जान ले ली और करीब 13,000 मकानों को नष्ट कर दिया.
तस्वीर: Orlando Barria/EFE/IMAGO
कटरीना तूफान
कटरीना तूफान का कहर अमेरिका के न्यू ऑर्लांस पर 29 अगस्त, 2005 को टूटा. शहर के अधिकांश हिस्से 4.57 मीटर पानी में डूब गए और करीब 1,800 लोग मारे गए. मरने वाले अधिकांश लोग लुसिआना राज्य में थे लेकिन पड़ोसी राज्य मिसिसिप्पी में भी तूफान का भारी असर हुआ था. (रॉयटर्स)
तस्वीर: Mario Tama/Getty Images
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रिक्टर वह स्केल है, जिस पर सीज्मोग्राफ की मदद से भूकंपों की तीव्रता का वर्गीकरण किया जाता है. रिक्टर स्केल पर 1 तीव्रता वाले भूकंप आम हैं और बिना असर डाले चले जाते हैं, जबकि 10 की तीव्रता वाले भूकंप दुर्लभ हैं, लेकिन जान-माल का भयंकर नुकसान पहुंचा सकते हैं.
कहां आती है सुनामी
सुनामी, पैसिफिक सागर में "रिंग ऑफ फायर" के इर्द-गिर्द काफी सामान्य तौर पर आती हैं. एक टेक्टॉनिक प्लेट, जहां ज्वालामुखियों और भूकंपों की लड़ी लगी रहती है. अमेरिका के नोआ (एनओएए) सुनामी प्रोग्राम के मुताबिक, पिछली सदी में जितनी सुनामी आईं, उनमें से 80 फीसदी वहीं पैदा हुईं.
ऐतिहासिक तौर पर सबसे विध्वंसकारी सुनामी 2004 में सुमात्रा और इंडोनेशिया में आई, जब9.1 तीव्रता वाले भूकंपने समुद्र तट को हिलाकर रख दिया. सुनामी लहरों की ऊंचाई 50 मीटर तक थी, जिनसे 5 किलोमीटर दूर तक तबाही हुई. इस आपदा में करीब 23,000 लोग मारे गए थे.
फिर साल 2011 में जापान में आया भूकंप और सुनामी भी भारी तबाही के लिए याद रखे जाते हैं. उस वक्त भी 9.0 तीव्रता वाले भूकंप से पैदा हुई सुनामी लहरों ने करीब 20,000 लोगों की जान ले ली थी. अटलांटिक महासागर, कैरीबियन सागर, भूमध्यसागर और हिंद महासागर में भी सुनामी आई हैं.
उपग्रह से ली तस्वीरों में जापान की तबाही
जापान में नए साल के दिन आए 7.6 तीव्रता के भूकंप में लगभग 62 लोगों की जान गई है. यह भूकंप कितना ताकतवर था, उपग्रह से ली गई इन तस्वीरों में दिखाई देता है.
तस्वीर: Maxar Technologies/Handout via REUTERS
भूकंप से तबाही
1 जनवरी को जापान के इशिकावा शहर के आसपास आए भूकंप ने इलाके को तहस-नहस कर दिया.
तस्वीर: Maxar Technologies/Handout via REUTERS
संवेदनशील क्षेत्र
जापान भूकंप के लिए अत्याधिक संवेदनशील क्षेत्र है क्योंकि यहां चार टेक्टोनिक प्लेट्स एक साथ मिलती हैं. इसलिए वहां अक्सर छोटे-छोटे भूकंप आते रहते हैं.
तस्वीर: Maxar Technologies/Handout via REUTERS
बड़ा भूकंप
इशिकावा में आया भूकंप 7.6 की तीव्रता का था जिसे बड़े भूकंप की श्रेणी में रखा जाता है. अब तक का सबसे तेज भूकंप 1960 में चिली में आया था जिसकी तीव्रता 9.6 थी.
तस्वीर: Maxar Technologies/Handout via REUTERS
सुनामी का खतरा
1 जनवरी को आए भूकंप के बाद लगभग 3 फुट ऊंची लहरें पैदा हुईं जिन्होंने तटीय इलाकों में सुनामी का खतरा पैदा कर दिया और काफी नुकसान किया. वाजिमा शहर में लहरों की ऊंचाई 4 फुट तक थी.
तस्वीर: Maxar Technologies/Handout via REUTERS
छोटे झटके जारी
1 जनवरी के बाद कम से कम 155 छोटे झटके महसूस किए गए मौसम विभाग का कहना है कि ऐसे झटके कई दिन तक आते रहेंगे.
तस्वीर: Maxar Technologies/Handout via REUTERS
भूकंप के बाद आग
भूकंप के बाद आग लगने की भी कई घटनाएं हुईं. वाजिमा शहर में आग से कई इमारतें तबाह हो गईं.
तस्वीर: Maxar Technologies/Handout via REUTERS
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क्या सुनामी का अनुमान लगा सकते हैं
सुनामी का एकदम सटीक ढंग से अनुमान लगा पाना मुमकिन नहीं है. वाइस कहते हैं, "इसमें दिक्कत यह है कि भूकंप, जो सुनामी का सामान्य कारण हैं, उनका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. ना ही यह कहना संभव है कि ऐसा कब, कहां, कितनी गहराई में और किस तीव्रता से होगा." हालांकि, वह कहते हैं कि भूकंप और तट से सुनामी लहरों के टकराने के बीच अंतर कम होता है.
"इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए तैयारी जरूरी है, लेकिन इस तरह की चीजों के लिए तैयार होना काफी मुश्किल है, जिसे लोग अपने पूरे जीवन में शायद एक-दो बार ही अनुभव करेंगे. ताकवर भूकंप और उसके बाद आने वाली सुनामी भले ही बार-बार आती हों, लेकिन किसी एक इलाके में उनका दो बार आना और उतनी ही तबाही फैलाना बेहद दुर्लभ है. यह समझना अहम है कि चेतावनी के साथ-साथ तैयारी भी जरूरी है. दोनों में से किसी एक से काम नहीं चलेगा."
अब तक के सबसे विनाशकारी भूकंप
भूकंप, सबसे जानलेवा प्राकृतिक आपदाओं में से एक हैं. पृथ्वी के भीतर होने वाली ये शक्तिशाली भूगर्भीय हलचल अब तक करोड़ों लोगों की जान ले चुकी है. एक नजर, अब तक के सबसे जानलेवा भूकंपों पर.
तस्वीर: Reuters
शांशी, 1556
चीन के शांशी प्रांत में 1556 में आए भूकंप को मानव इतिहास का सबसे जानलेवा भूकंप कहा जाता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक रिक्टर स्केल पर करीब 8 तीव्रता वाले उस भूकंप से कई जगहों पर जमीन फट गई. कई जगह भूस्खलन हुए. भूकंप ने 8,30,000 लोगों की जान ली.
तस्वीर: Reuters
तांगशान, 1976
चीन की राजधानी बीजिंग से करीब 100 किलोमीटर दूर तांगशान में आए भूकंप ने 2,55,000 लोगों की जान ली. गैर आधिकारिक रिपोर्टों के मुताबिक मृतकों की संख्या 6 लाख से ज्यादा थी. 7.5 तीव्रता वाले उस भूकंप ने बीजिंग तक अपना असर दिखाया.
तस्वीर: picture alliance / dpa
हिंद महासागर, 2004
दिसंबर 2004 को 9.1 तीव्रता वाले भूकंप ने इंडोनेशिया में खासी तबाही मचाई. भूकंप ने 23,000 परमाणु बमों के बराबर ऊर्जा निकाली. इससे उठी सुनामी लहरों ने भारत, श्रीलंका, थाइलैंड और इंडोनेशिया में जान माल को काफी नुकसान पहुंचाया. सबसे ज्यादा नुकसान इंडोनेशिया के सुमात्रा द्पीव में हुआ. कुल मिलाकर इस आपदा ने 2,27,898 लोगों की जान ली. 17 लाख लोग विस्थापित हुए.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo
अलेप्पो, 1138
ऐतिहासिक दस्तावेजों के मुताबिक सीरिया में आए उस भूकंप ने अलेप्पो को पूरी तरह झकझोर दिया. किले की दीवारें और चट्टानें जमींदोज हो गईं. अलेप्पो के आस पास के छोटे कस्बे भी पूरी तरह बर्बाद हो गए. अनुमान लगाया जाता है कि उस भूकंप ने 2,30,000 लोगों की जान ली.
तस्वीर: Reuters/Hosam Katan
हैती, 2010
रिक्टर पैमाने पर 7 तीव्रता वाले भूकंप ने 2,22,570 को अपना निवाला बनाया. एक लाख घर तबाह हुए. 13 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा. हैती आज भी पुर्नर्निमाण में जुटा है.
तस्वीर: A.Shelley/Getty Images
दमघान, 856
कभी दमघान ईरान की राजधानी हुआ करती थी. ऐतिहासिक दस्तावेजों के मुताबिक करीब 12 शताब्दी पहले दमघान शहर के नीचे से एक शक्तिशाली भूकंप उठा. भूकंप ने राजधानी और उसके आस पास के इलाकों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया. मृतकों की संख्या 2 लाख आंकी गई.
तस्वीर: Reuters
हैयुआन, 1920
चीन में आए करीब 7.8 तीव्रता वाले भूकंप के झटके हजारों किलोमीटर दूर नॉर्वे तक महसूस किये गए. भूकंप ने हैयुआन प्रांत में 2 लाख लोगों की जान ली. पड़ोसी प्रांत शीजी में भूस्खलन से एक बड़ा गांव दफन हो गया. लोगंदे और हुइनिंग जैसे बड़े शहरों के करीब सभी मकान ध्वस्त हो गए. भूकंप ने कुछ नदियों को रोक दिया और कुछ का रास्ता हमेशा के लिए बदल दिया.
तस्वीर: Reuters
अर्दाबिल, 893
ईरान में दमघान के भूकंप की सिहरन खत्म भी नहीं हुई थी कि 37 साल बाद एक और बड़ा भूकंप आया. इसने पश्चिमोत्तर ईरान के सबसे बड़े शहर अर्दाबिल को अपनी चपेट में लिया. करीब 1,50,000 लोग मारे गए. 1997 में एक बार इस इलाके में एक और शक्तिशाली भूकंप आया.
तस्वीर: AP Graphics
कांतो, 1923
7.9 तीव्रता वाले भूकंप ने टोक्यो और योकोहामा इलाके में भारी तबाही मचाई. पौने चार लाख से ज्यादा घरों को नुकसान पहुंचा. इसे ग्रेट टोक्यो अर्थक्वेक भी कहा जाता है. भूकंप के बाद चार मीटर ऊंची सुनामी लहरें आई. आपदा ने 1,43,000 लोगों की जान ली.
तस्वीर: Reuters
अस्गाबाद, 1948
पांच अक्टूबर 1948 को तुर्कमेनिस्तान का अस्गाबाद इलाका शक्तिशाली भूकंप की चपेट में आया. 7.3 तीव्रता वाले जलजले ने अस्गाबाद और उसके आस पास के गांवों को भारी नुकसान पहुंचाया. कई रेलगाड़ियां भी हादसे का शिकार हुईं. भूकंप ने 1,10,000 लोगों की जान ली.
तस्वीर: Siamak Ebrahimi
कश्मीर, 2005
भारत और पाकिस्तान के विवादित इलाके कश्मीर में 7.6 तीव्रता वाले भूकंप ने कम से कम 88 हजार लोगों की जान ली. सुबह सुबह आए इस भूकंप के झटके भारत, अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान और चीन तक महसूस किए गए. पाकिस्तान में करीब 87 हजार लोगों की मौत हुई. भारत में 1,350 लोग मारे गए.
तस्वीर: AFP/Getty Images/T. Mahmood
सिंचुआन, 2008
87,000 से ज्यादा लोगों की जान गई. करीब एक करोड़ लोग विस्थापित हुए. 7.9 तीव्रता वाले भूकंप ने 10,000 स्कूली बच्चों की भी जान ली. चीन सरकार के मुताबिक भूकंप से करीब 86 अरब डॉलर का नुकसान हुआ.
तस्वीर: Reuters
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ग्लोबल सुनामी वॉर्निंग सेंटरों में अपने सिस्टम के जरिए महासागरों का स्कैन किया जाता है, ताकि पता लगाया जा सके कि पानी के भीतर भूकंप कब आ सकते हैं. फिर स्थानीय प्रशासन चेतावनी जारी करके खतरे के प्रति आगाह करते हैं. लेकिन संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि ये सिस्टम सर्वव्यापी नहीं हैं. दुनिया के ज्यादातर देशों में इस तरह के सिस्टम भी नहीं हैं और ना ही उनसे जुड़ने के लिए कानूनी जरूरतें पूरी की गई हैं. सुनामी का असर पूरी दुनिया में एक सा नहीं है. गरीब देशों पर मार अक्सर ज्यादा ही पड़ती है.
कौन है जिसे भूकंप या सुनामी का पहले से पता चल जाता है