धुर दक्षिणपंथी विदेशियों पर जर्मनी कैसे प्रतिबंध लगाता है?
२ फ़रवरी २०२४यूरोप में धुर दक्षिणपंथ का प्रमुख चेहरा बन चुके ऑस्ट्रिया के मार्टिन सेलनर ने सोमवार का दिन जर्मनी के कुछ प्रमुख राजनेताओं पर तंज कसते हुए बिताया और कहा कि उन्होंने जर्मन धरती से उन पर प्रतिबंध लगाने की उन नेताओं की योजना को खारिज कर दिया था. मार्टिन सेलनर ने इस दौरान जर्मन सीमा तक एक किराए की कार में अपनी दो घंटे की यात्रा की लाइव-स्ट्रीमिंग की और सीमा पार पासाऊ के बवेरियन शहर में कॉफी पीने की कसम खाई. इस लाइव स्ट्रीमिंग के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर नियमित वीडियो पोस्ट किए.
सड़क के किनारे मुट्ठी भर समर्थकों की मौजूदगी में उत्साहित मार्टिन सेलनर के इस स्टंट का समापन जर्मन पुलिस के साथ एक संक्षिप्त झड़प से हुआ. हालांकि बाद में पुलिस ने उन्हें बवेरिया में जाने दिया. सेलनर ने तुरंत एक और वीडियो शूट किया और जर्मनी की गृह मंत्री नैन्सी फेसर और जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स को व्यंग्यात्मक तरीके से धन्यवाद दिया.
35 वर्षीय सेलनर ने हाल ही में लोगों का ध्यान तब आकर्षित किया जब यह पता चला कि पिछले साल नवंबर में पॉट्सडैम में धुर दक्षिणपंथियों की एक सभा में वो एक प्रमुख वक्ता थे, जिसमें जर्मनी के धुर दक्षिणपंथी संगठन अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) के सदस्यों ने भी भाग लिया था. बैठक में, उन्होंने जर्मनी से विदेशियों को जबरन वापस भेजने करने के लिए एक ‘मास्टरप्लान' प्रस्तुत किया जिसमें अप्रवासी पृष्ठभूमि वाले जर्मन नागरिक भी शामिल थे.
मार्टिन सेलनर पिछले हफ्ते एक बार फिर उस वक्त सुर्खियों में आए जब सोशलिस्ट लेफ्ट पार्टी की फासीवाद-विरोधी प्रवक्ता मार्टिना रेनर ने सरकार से सवाल किया कि क्या वह सेलनर को जर्मनी में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगाने की सोच रही है? गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने संसद सदस्य से इस बात की पुष्टि की कि प्रतिबंध लगाने पर विचार किया जा रहा है. पॉट्सडैम शहर की स्थानीय सरकार भी तभी से कह रही है उसके यहां विदेशी नागरिकों का पंजीकरण करने वाले अधिकारी यह भी आकलन कर रहे थे कि क्या शहर में किसी तरह की सभा ‘सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा' है.
फासीवाद के खिलाफ कानूनी उपाय
उन पर संभावित प्रतिबंध का सभी प्रमुख दलों के राजनेताओं ने स्वागत किया है. सेंटर-राइट क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) के फिलिप एम्थोर ने समाचार एजेंसी डीपीए को बताया, "हमारे भली-भांति सुरक्षित लोकतंत्र में, हमें संवैधानिक आदेश के खिलाफ किसी भी आंदोलन को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए- खासकर, मार्टिन सेलनर जैसे विदेशी चरमपंथियों के आंदोलन को."
वामपंथी पार्टी की सांसद मार्टिना रेनर भी प्रतिबंध की पक्षधर हैं और इस हफ्ते सेलनर ने जो धमकी दी है, उससे वे बिल्कुल भी विचलित नहीं हैं. डीडब्ल्यू को भेजे ईमेल में उन्होंने बताया, "तथ्य यह है कि इसके बावजूद वह देश में प्रवेश करने में सक्षम था. ऐसी किसी जांच के खिलाफ उसने बात नहीं की, क्योंकि यदि परिणाम सकारात्मक रहा तो इस वजह से उसके दीर्घकालिक प्रवेश पर प्रतिबंध लग सकता है. हमें ऐसे किसी भी कानूनी उपाय को अनियंत्रित और अप्रयुक्त नहीं छोड़ना चाहिए जो नव-नाजियों और फासीवादियों को राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने से रोकता हो."
यूरोपीय संघ का स्वतंत्रता आंदोलन अधिनियम सदस्य देशों को ‘सार्वजनिक व्यवस्था या सुरक्षा' के आधार पर लोगों को प्रवेश से वंचित करने की अनुमति देता है. लेकिन, कानून यह भी कहता है, "ऐसा तभी किया जा सकता है जबकि सार्वजनिक व्यवस्था के लिए वह एक वास्तविक और पर्याप्त रूप से गंभीर खतरा हो और जो समाज के बुनियादी हितों को प्रभावित कर रहा हो."
रेनर का मानना है कि सेलनर के साथ इसी तरह के खतरे की आशंका है, "जर्मनी से लाखों लोगों के निर्वासन की योजना बनाने और लागू करने के लिए जर्मनी के संघीय गणराज्य के इलाके में बैठकों में भाग लेना मौलिक रूप से इन मौलिक हितों का उल्लंघन करता है."
लेकिन कील विश्वविद्यालय में पब्लिक लॉ के वरिष्ठ शोधकर्ता स्टीफन मार्टिनी नहीं मानते कि सेलनर को देश में आने से प्रतिबंधित करने के लिए पर्याप्त आधार हैं. वो कहते हैं, "यह इस बात पर निर्भर करेगा कि इन प्रवासन योजनाओं को कितना ठोस माना जाता है. क्या इसे जर्मनी में इस रूप में देखा जाएगा कि उनका यह बयान विध्वंसक गतिविधियों को भड़का रहा है? यदि हां, तो प्रतिबंध को उचित ठहराया जा सकता है, लेकिन यदि ऐसा माना जाता है कि उन्होंने केवल कुछ काल्पनिक स्थितियों का वर्णन किया है, तब उनके प्रवेश को शायद खतरनाक रूप में न देखा जाए."
यूरोपीय संघ में आवाजाही की स्वतंत्रता को निलंबित करना
कई दूसरे देश अतीत में सेलनर को खतरा मानते रहे हैं. यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों ने पिछले कुछ वर्षों में सेलनर को अपने देशों में प्रवेश से वंचित कर दिया है. अमेरिका में तो यह तब हुआ जब यह पता चला कि सेलनर सीधे तौर पर ऑस्ट्रेलियाई आतंकवादी ब्रेंटन टैरंट के संपर्क में थे जिसने मार्च 2019 में न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में एक मस्जिद में 51 मुसलमानों की हत्या कर दी थी. सेलनर के संगठन, आइडेंटिटेरियन्स को भी टैरंट से कुछ धन प्राप्त हुआ था.
लेकिन सेलनर जैसे यूरोपीय संघ के ऐसे नागरिकों के लिए, जिन्हें आवाजाही की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है, यूरोपीय संघ के देशों में प्रतिबंध करने के लिए मापदंड बेहद कड़े हैं. मार्टिनी के मुताबिक, "केवल यूरोपीय नियमों के कारण, जर्मनी बहुत सख्त है. व्यक्ति को अवश्य सुना जाना चाहिए, प्रतिबंध क्यों लगाया गया है इसका कारण स्पष्ट किया जाना चाहिए. जर्मनी में ऐसे मामलों में यानी कानूनी प्रतिबंध लगाने के मामले में नियम अन्य देशों की तुलना में बहुत ज्यादा कठोर हैं."
और प्रवेश प्रतिबंध लगाने के मानदंड भी अपेक्षाकृत सख्त हैं. मार्टिनी कहते हैं, "समाज के बुनियादी हित को खतरे में डालने जैसे आधार की जरूरत है- जैसे कि लोगों का शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व खतरे में आ रहा हो. भले ही व्यक्ति ने अतीत में कोई अपराध किया हो, फिर भी आपको यह जांचना होगा कि प्रतिबंध आनुपातिक होगा या नहीं."
फिर भी, यूरोपीय संघ में चरमपंथी आंदोलनकारियों पर प्रतिबंध असामान्य नहीं हैं- हालांकि वे आम तौर पर वास्तविक घटनाओं से जुड़े होते हैं. साल 2020 में, इस्लाम विरोधी कार्यकर्ता और डेनिश-स्वीडिश राजनेता रासमुस पैलुदान को जर्मनी ने प्रवेश देने से इनकार कर दिया था क्योंकि उन्होंने कोपेनहेगन में एक प्रदर्शन में कुरान की एक प्रति जलाई थी. उनका समूह बर्लिन के न्यूकोलन जिले में विरोध प्रदर्शन की योजना बना रहा था, जहां मुस्लिम समुदाय के बहुत से लोग रहते हैं.
इसी तरह, साल 2019 में, जर्मन राज्य नॉर्थ राइन वेल्टफालिया के अधिकारियों ने यह सुनिश्चित किया कि रूसी चरमपंथी डेनिस कपुस्टिन को पूरे शेंगेन क्षेत्र में प्रवेश से वंचित कर दिया गया, क्योंकि उन्होंने पूरे यूरोप में नव-नाजी समूहों के लिए मार्शल आर्ट जैसे कार्यक्रम आयोजित किए थे.
मार्टिनी का कहना है कि ऐसे मामलों में संघीय गृह मंत्रालय आमतौर पर जोखिमों की पड़ताल करता है और फिर पुलिस को आदेश जारी करता है. इसके अलावा सीमा नियंत्रण अधिकारियों के पास ऊपर से कोई आदेश न होने के बावजूद वे अपने विवेक का भी उपयोग कर सकते हैं.
डीडब्ल्यू से बातचीत में उन्होंने कहा, "सेलनर के मामले में, एक साक्षात्कार स्पष्ट रूप से सीमा पर किया गया था. उनसे पूछा गया कि जर्मनी में उनके प्रवास का क्या उद्देश्य था और फिर उन्हें मौके पर ही निर्णय लेना था- क्या जर्मनी में सार्वजनिक सुरक्षा को कोई खतरा है?"
संक्षेप में, यदि सेलनर ने सोमवार रात को उन्हें यह बताया होता कि वो कॉफी पीने के लिए जा रहे थे, और जैसा कि उन्होंने अपने साथियों को बताया भी था, तो ऐसी स्थिति में अधिकारियों को उन्हें प्रवेश देना ही पड़ता यानी उनके पास सेलनर को प्रवेश से इनकार करने का कोई आधार नहीं था.