भारत सरकार एक नई योजना शुरू करने जा रही है जिसके तहत महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन उपलब्ध कराए जाएंगे. लेकिन आखिर स्वयं सहायता समूह इन ड्रोनों का करेंगे क्या? आइए जानते हैं.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को इस योजना को मंजूरी दे दी. 1,261 करोड़ रुपयों की इस योजना के तहत तीन सालों में महिलाओं के 15,000 स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को चुना जाएगा और उन्हें ड्रोन उपलब्ध कराए जाएंगे.
यह एक केंद्रीय योजना होगी और इसके तहत ड्रोन की कीमत का 80 प्रतिशत खर्च और एक्सेसरी आदि का आठ लाख रुपयों तक का खर्च केंद्र सरकार उठाएगी.
क्या ड्रोन बदलेंगे भारतीय किसानों की किस्मत
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यह जानकारी सरकार द्वारा जारी किए गए एक बयान में दी गई है. बयान में यह भी बताया गया कि बाकी कि धनराशि के लिए राष्ट्रीय कृषि फाइनेंसिंग सुविधा (एआईएफ) से लोन लिया जा सकता है. एआईएफ से इस लोन की ब्याज दर पर तीन प्रतिशत की छूट मिलेगी.
किस काम आएंगे ड्रोन
इन ड्रोनों का कृषि सेवाओं के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. एसएचजी उर्वरकों और कीटनाशकों के छिड़काव के लिए ड्रोन किसानों को किराए पर देंगे. उम्मीद की जा रही है कि इससे एसएचजी हर साल कम से कम एक लाख रुपये कमा सकेंगे. हर एसएचजी से एक सदस्य को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.
इस सदस्य को कम से कम 18 साल की उम्र का और योग्य होना अनिवार्य होगा. प्रशिक्षण 15 दिनों का होगा, जिसमें पांच दिनों तक ड्रोन पायलट प्रशिक्षण और 10 दिनों तक पोषक तत्त्व और कीटनाशक का उपयोग करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा.
इसके अलावा एक और सदस्य को ड्रोन टेक्नीशियन या सहायक बनने का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसके तहत बिजली के सामान की मरम्मत करना, उपकारों की फिटिंग करना और अन्य मशीनी काम सिखाया जाएगा.
ड्रोन के इस्तेमाल पर जोर
यह योजना ऐसे समय पर आई है जब कृषि में ड्रोनों के इस्तेमाल को बढ़ाया जा रहा है. कृषि क्षेत्र में ड्रोनों का इस्तेमाल फसलों का जायजा, मिट्टी का विश्लेषण, सिंचाई, उर्वरकों और कीटनाशकों के छिड़काव जैसे कई कामों के लिए किया जा सकता है.
लेकिन इस राह में कई रोड़े हैं और ड्रोनों की कीमत प्रमुख अड़चनों में से है. इस योजना की मदद से कम से कम इस मोर्चे पर तो लाभ मिल ही सकता है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय इस दिशा में पहले से कुछ और कदम भी उठा रहा है.
मंत्रालय के कृषि और किसान कल्याण विभाग के तहत काम करने वाले कई संस्थान 10 लाख तक की कीमत के ड्रोनों को खरीदने के लिए सहायता राशि दे रहे हैं. किसान संगठनों को खेतों में ड्रोन का प्रदर्शन करने के लिए ड्रोन की कीमत के 75 प्रतिशत के बराबर अनुदान भी दिया जाता है.
कभी विमान में नहीं चढ़ा, कूड़े से बना दिया विमान
नाइजीरिया के बोलाजी फताई ने अपनी जिंदगी में कभी विमान में सफर नहीं किया है. लेकिन यह कारण उन्हें एक रिमोट कंट्रोल मॉडल एयरक्राफ्ट बनाने से रोक नहीं पाया. देखिए, कैसा है फताई का यह कचरे से बना विमान.
तस्वीर: Seun Sanni/REUTERS
बोलाजी फताई का आसमान में ड्रीम प्लेन
नाइजीरिया के बोलाजी फताई जब सात साल के थे तब वे आसमान में विमान को उड़ता देख बहुत खुश हुआ करते थे. बचपन से ही उन्होंने कचरे के ढेर से चीजें इकट्ठा कर कुछ प्रोजेक्ट्स पर काम करना शुरू किया.
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कूड़े के ढेर से बना डाला विमान
उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए बहुत मेहनत की. कूड़े के ढेर से उन्होंने ऐसे सामान जुटाए जिससे एक रिमोट कंट्रोल मॉडल विमान तैयार हुआ.
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खिलौना नहीं, 'असली' विमान
नाइजीरिया के लागोस के एक गरीब इलाके के रहने वाले फताई ने अपने इस विमान को बनाने के लिए कचरे से छोटी-छोटी चीजों को निकालना शुरू किया और 21 साल की उम्र तक नहीं रुके.
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दोस्तों की मदद
फताई जानते थे कि कचरे से विमान के पुर्जे बनाने के लिए इस्तेमाल की जा सकने वाली सामग्री को इकट्ठा करने से सफलता नहीं मिलेगी. वह समझ गए थे कि हवाई जहाज बनाने से पहले एक मॉडल बनाना होगा तो वह मॉडल कौन बनाएगा? फताई के दो दोस्तों क्रिस चिनडू और दामिलारे अजावी ने वह जिम्मेदारी संभाली उनके बनाए मॉडल को पाकर फताई ने काम पूरा करने में देर नहीं लगाई.
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रिमोट से चलने वाला विमान
इस विमान को बनाने के लिए फताई ने कुछ चीजें कबाड़ से निकाली जबकि प्रोपेलर और रिमोट कंट्रोल को उन्होंने बाजार से खरीदा. उन्होंने विमान के पंख और पिछले हिस्से को स्टायरोफोम से बनाया और उसे टेप से जोड़ दिया.
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सपनों की ऊंची उड़ान
सात साल की उम्र में सपने देखने वाले बोलाजी फताई अब 21 साल के हो चुके हैं. करीब 14 साल बाद उनका सपना साकार हुआ है. जब उन्होंने अपना खुद का विमान आसमान में उड़ाया तो इलाके के लोगों ने भी हैरत से उसे देखा.
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फताई: भविष्य के एरोनॉटिकल इंजीनियर
बोलाजी फताई ने हवाई जहाज बनाने के अलावा एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनने का भी सपना देखा है, उस सपने को पूरा करने का अवसर अब करीब है. विमान बनाकर सबको चकित कर रहे इस युवा को एक टेक कंपनी ने इंटर्नशिप की पेशकश की है.
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देश के लिए कुछ करने की चाह
फताई कहते हैं, "जैसा कि हमारा देश एक विकासशील देश है, इसलिए मैं उन लोगों का हिस्सा बनने की उम्मीद करता हूं जो इस ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल करके देश को विकसित करेंगे."