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तेल-गैस वाले हीटिंग सिस्टम से कैसे पीछा छुड़ा रहा है जर्मनी

साबीने किनकार्त्ज
२५ अप्रैल २०२३

जर्मन सरकार जलवायु और ईंधन की ऊंची कीमत से बचने के लिए नये तरह के हीटिंग पंप लगवा रही है. यह हीटिंग पंप पर्यावरण के लिहाज से तो अच्छा है लेकिन आनन फानन में बनी योजना को लागू करने में काफी दिक्कत हो रही है.

जर्मनी में घर गर्म करने वाले हीटर बदले जा रहे हैं
हीटिंग पंप पर्यावरण के ज्यादा अनुकूल हैतस्वीर: Laura Ludwig/dpa/picture alliance

जब आप डिर्क येनिशेन से उनकी हीटिंग और सैनिटेशन कंपनी को मिले ऑर्डर के बारे में पूछें तो वह शेल्फ में लगी फाइलों की लंबी कतार की तरफ इशारा करते हैं. उनका दफ्तर जर्मन राजधानी बर्लिन में है.

येनिशेन बताते हैं, "ये वो सारे ऑर्डर हैं जो पिछले साल आये और जिन पर हम काम कर रहे हैं." इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि जो कोई भी अपने घर में हीट पंप लगवाना चाहता है उसे 9 महीने तक इंतजार करना होगा.

हीट पंप एक तरह से रेफ्रिजरेटर के उल्टी तरह से काम करते हैं. वे वातावरण में मौजूद गर्मी को खींच कर घर और पानी गर्म करते हैं इस प्रक्रिया में एक गैस बॉयलर की तुलना में सिर्फ एक चौथाई ऊर्जा लगती है. यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद येनशेन का कारोबार मोटे तौर पर सिर्फ इस हीटिंग सिस्टम को लगाना रह गया है.

वह बताते हैं, "2022 की शुरुआत से ही हर किसी को यह डर सताने लगा कि गैस नहीं होगी और इसलिए वे सभी हीटिंग पंप चाहते हैं."

येनिशेन ने 24 लोगों को काम पर रखा है. ये लोग हर साल 40 ऐसे सिस्टम और सोलर पैनल लगाते हैं. सोलर पैनल इस सिस्टम को और ज्यादा दक्ष बनाते हैं.

इंजीनियर डिर्क येनिशेन के पास ऑर्डर की भरमार हैतस्वीर: Sabine Kinkartz/DW

2045 तक क्लाइमेट न्यूट्रल हीटिंग

हीट पंप बिजली से चलते हैं. अगर इन्हें अक्षय ऊर्जा स्रोत से चलाया जाए तो यह हीटिंग सिस्टम एक तरह से क्लाइमेट न्यूट्रल हो जाएंगे. यही वजह है कि जर्मन सरकार इस सिस्टम को लगवाने पर 40 फीसदी की सब्सिडी दे रही है.

हालांकि सब्सिडी के बाद भी एक परिवार वाले घर के लिए इस सिस्टम को लगवाने का खर्च करीब 17,000 यूरो है. इसके साथ ही पुराने घरों में तो कुछ और चीजें नई लगवानी पड़ती हैं मसलन थर्मल इंसुलेशन, नयी खिड़कियां और दरवाजे.

घर में काम जितना जटिल होगा अक्षय ऊर्जा और ऊर्जा के नये सिस्टम पर खर्च उतना ज्यादा होगा, यानी तकरीबन 100,000 यूरो से ज्यादा.

दूसरी तरफ एक नया गैस हीटर महज 10,000 यूरो में खरीदा जा सकता है. येनिशेन कहते हैं, "पिछले साल जब यह तय हो गया कि जर्मनी के पास पर्याप्त गैस होगी और कीमतें नीचे जाएंगी तो बहुत से ग्राहकों ने कहा, "तो मेरे लिये यही बेहतर होगा कि मैं गैस हीटिंग सिस्टम लगवाऊं जो आसानी से उपलब्ध और सस्ता है."

हालांकि यह कोई नहीं जानता कि प्राकृतिक गैस की कीमतें भविष्य में क्या होंगी या फिर क्या आगे चल कर यह सस्ती होगी भी या नहीं. हालांकि एक बात तो तय है कि अगर यूरोपीय संघ अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करना चाहता है तो कार्बन डाइ ऑक्साइ़ड उत्सर्जन की कीमत बहुत बढ़ जाएगी."

जर्मनी में अब तक 12 लाख हीट पंप लगाये जा चुके हैं. इनमें से ज्यादातर नयी इमारतों में लगे हैं. हालांकि जर्मनी की आधी आबादी ऐसी इमारतों में रहती है जहां प्राकृतिक गैस जला कर गर्मी हासिल की जाती है. करीब एक चौथाई घरों में यह काम तेल से होता है.

कैसे काम करता है हीटिंग पंप

2024 से जीवाश्म ईंधन हीटिंग पर रोक 

थिंक टैंक अगोरा एनर्जीवेंडे के मुताबिक जर्मनी में ग्रीन हाउस गैसों के 1% उत्सर्जन के लिए इमारतें जिम्मेदार हैं.

अब यह तय हो चुका है कि आंकड़ा बदलने वाला है. जर्मन सरकार निर्माण क्षेत्र को 2015 तक क्लाइमेट न्यूट्रल बनााना चाहती है. सरकार ने इसके लिए नये कानून का प्रस्ताव तैयार किया है. इसमें सबसे अहम बिंदु है, 2024 से नये गैस और ऑयल हीटिंग सिस्टम पर रोक. अगले साल से सभी हीटिंग सिस्टम के लिए 65 फीसदी अक्षय ऊर्जा इस्तेमाल करना जरूरी होगा.

इस घोषणा के बाद बहुत से मकान मालिक सस्ते गैस और तेल वाले हीटिंग सिस्टम लगाने की कोशिश में हैं. येनिशेन बताते हैं, "खासतौर से बुजुर्ग ग्राहकों में तो इस समय ऑयल हीटर की भारी मांग है. मुझे नहीं लगा था कि यह संभव होगा."

बुजुर्गों के लिए समस्या

घर बनाना या अपार्टमेंट खरीदने का काम आमतौर पर जर्मनी में लोगों की रिटायरमेंट योजना में शामिल होता है. जब तक लोग रिटायर होते हैं आमतौर पर तब तक वो अपना कर्ज चुका लेते हैं. अब ऊर्जा बचाने वाली घर की मरम्मत उनका हिसाब बिगाड़ दे रही है. रिटायर होने के बाद आमतौर पर नया कर्ज नहीं मिलता और पेंशन इतनी ज्यादा नहीं है कि वो इस तरह के काम का खर्च उठा सकें.

ऐसे में सरकार 80 साल से ऊपर की उम्र वाले लोगों को जीवाश्म ईंधन से चलने वाले पंप टूटने के बाद हीट पंप लगाने की शर्त से छुटकारा देने की योजना बना रही है. हालांकि अनिश्चितता बनी हुई है. क्या यह छूट सचमुच मिलेगी? क्या यह योजना अदालतों के चक्कर काटती रहेगी? 79 साल के एक बुजुर्ग को लगता है कि यह योजना भेदभावपूर्ण है. 

कानून के प्रस्ताव का ज्यादातर हिस्सा अब भी स्पष्ट नहीं है और नये हीटिंग सिस्टम के लिए सब्सिडी के दिशानिर्देश भी जटिल हैं. ग्राहकों और उद्योग जगत को ज्यादा जानकारी की जरूरत है क्योंकि दिशानिर्देश लगातार बदल रहे हैं, बार बार नये नियम जोड़े जा रहे हैं.

नया हीटिंग पंप ज्यादा बढिया काम करता है लेकिन लगाने का खर्च ज्यादा हैतस्वीर: Udo Herrmann/CHROMORANGE/picture alliance

नया हीट पंप लगावाना तकनीकी रूप से गैस या ऑयल हीटिंग सिस्टम की तुलना में काफी अलग है. ना सिर्फ उन्हें लगाने में ज्यादा समय लगता है बल्कि तकनीकी विकास के साथ बने रहने के लिए लगातार ट्रेनिंग की भी जरूरत होती है. हीट पंप की मांग ज्यादा होने के कारण उनके सारे हिस्से हर समय उपलब्ध नहीं रहते इसलिए डिलीवरी में भी देरी हो रही है.

येनिशेन बताते हैं, "पहले असेंबलर थोक व्यापारी के पास जाता था और सारे हिस्से खरीद कर जहां लगाना है वहां ले जाता था. अब हमें हर चीज ऑर्डर करनी पड़ती है और उन्हें अपने पास जमा करना होता है. जब सारी चीजें आ जाती हैं तो हम ग्राहक से समय लेकर वहां जाते हैं और इसे फिट करते हैं."

कुशल कामगारों की कमी

येनिशेन का मानना है कि जर्मन सरकार की 2024 से हर साल 5 लाख हीट पंप पगाने की योजना वास्तविकता से परे है क्योंकि यहां ना तो उस तरह की पर्याप्त कंपनियां हैं और ना ही कुशल कामगार.

जर्मन सैनिटेशन, हीटिंग एंड एयर कंडिशनिंग एसोसिएशन के आकलन के मुताबिक फिलहाल जर्मनी में 60,000 कुशल कामगारों की कमी है. जर्मन कंफेडरेशन ऑफ स्किल्ड क्राफ्ट्स नये नियमों को लागू करने के लिए और ज्यादा समय मांग रहा है. येनिशेन का कहना है, "नेताओं को क्लाइमेट न्यूट्रल हीटिंग सिस्टम की ओर जाने की योजना 20 साल पहले शुरू करनी चाहिए थे लेकिन तब रूसी गैस सस्ती थी."

येनशेन अपनी कंपनी को लेकर आशावान हैं. उनका मानना है कि वह अपने परिवार की मदद से हर साल 40 से 60 पंप तक लगा सकते हैं. उनके दो बेटे पहले कोई और करियर अपनाना चाहते थे लेकिन अब उन्होंने पिता के कारोबार में दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी है. 

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