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ड्रोन हमलों से निपटने के लिए क्या है जर्मनी की योजना?

नीना वैर्कहॉयजर
२० अक्टूबर २०२५

लंबे समय तक जर्मन सेना को लड़ाकू ड्रोन के बिना ही काम चलाना पड़ा. रूस के बढ़ते खतरे के बीच अब ड्रोन बहुत अहम हो गए हैं. इस तकनीक में जर्मनी पीछे है. देर से सही, लेकिन अब जर्मनी ड्रोन सुरक्षा की विस्तृत नीति बना रहा है.

सितंबर 2025 में रेड स्टॉर्म ब्रावो नाम के एक मिलिटरी एक्सरसाइज के दौरान ड्रोन डिफेंस से जुड़ा अभ्यास करता एक जर्मन सैनिक
हालिया हफ्तों में नाटो के कई सदस्य देशों के हवाई क्षेत्र में रूसी ड्रोन की घुसपैठ हुई. यूरोप में जल्द-से-जल्द ड्रोन सुरक्षा कवच बनाने की जरूरत पर जोर दिया जा रहा हैतस्वीर: Sven Eckelkamp/IMAGO

जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने हाल ही में स्वीकार किया, "ड्रोन से बचाव के मामले में हम वाकई पीछे हैं."

हालिया हफ्तों में नाटो के कई सदस्य देशों के हवाई क्षेत्र में रूसी ड्रोन की घुसपैठ के बाद अनिश्चितता का माहौल है. जर्मनी के ऊपर भी कथित तौर पर संदिग्ध रूसी ड्रोन देखे गए हैं. जर्मन टीवी चैनल 'जेडडीएफ' पर प्रसारित एक कार्यक्रम में पिस्टोरियस ने दर्शकों को आश्वस्त किया कि 'इस कमी को दूर करने की' हर संभव कोशिश की जा रही है.

जर्मनी के ऊपर भी संदिग्ध ड्रोन देखे गए. इसके कारण कई हवाई उड़ानों को रद्द करना पड़ा या रास्ता बदलना पड़ातस्वीर: Angelika Warmuth/REUTERS

रक्षा मंत्री के इस आश्वासन के बावजूद बार-बार यह सवाल सामने आ रहा है कि जर्मनी ड्रोन से बचाव के मामले में इतना कमजोर क्यों है?

जर्मनी के बुनियादी ढांचे पर लगातार कौन कर रहा है हमला

दरअसल, इसका एक कारण ड्रोन से बचाव के लिए जरूरी उपकरणों से जुड़ा हुआ है. हमलावर ड्रोन को लड़ाकू विमानों से मार गिराना एक विकल्प है. पोलैंड ने हाल में ऐसा किया भी है, लेकिन यह काफी खर्चीला है. इसके अलावा आबादी वाले इलाकों के ऊपर यह तरीका खतरनाक भी है.

इस काम के लिए, राइनमेटल का स्काईरेंजर एंटी-एयरक्राफ्ट टैंक ज्यादा बेहतर विकल्प हैं. इसे तेजी से तैनात किया जा सकता है और यह ड्रोन के झुंड का भी मुकाबला कर सकता है. बुंडेसवेयर, यानी जर्मन सेना  ने ऐसे 19 टैंकों का ऑर्डर दिया है. अनुमान है कि इनकी डिलिवरी 2027 तक हो पाएगी. हालांकि, सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि इससे ज्यादा टैंकों की जरूरत है.

कोपेनहेगन और ओस्लो हवाई अड्डों के पास दिखे संदिग्ध ड्रोन, रूसी गतिविधि से इनकार नहीं

गेपार्ड एंटी-एयरक्राफ्ट टैंक, स्काईरेंजर से पहले वाला मॉडल था. बुंडेसवेयर ने वर्षों पहले इसे सेवा से हटा दिया था. बाद में ये यूक्रेनी सेना को दे दिया गया. यह टैंक रूसी ड्रोन हमलों से बचाव करने में बेहद असरदार साबित हुआ है.

जैमर के अलावा ड्रोन से भी ड्रोन हमलों का बचाव किया जा सकता है. बुंडेसवेयर को हाल ही में जर्मनी में बने इंटरसेप्टर ड्रोन मिले हैं, जो दुश्मन के ड्रोन को जाल में जकड़ लेते हैं.

हमलावर ड्रोन को लड़ाकू विमानों से मार गिराना एक विकल्प है, लेकिन यह बहुत खर्चीला साधन हैतस्वीर: Thibaud Moritz/AFP/Getty Images

'यूरोपियन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस' में ड्रोन संबंधी मामलों की विशेषज्ञ उलरिके फ्रैंके ने डीडब्ल्यू को बताया, "हमें एक बहु-स्तरीय रक्षा प्रणाली विकसित करनी होगी, जो ड्रोन को मार गिराने या निष्क्रिय करने के लिए कई तरह के विकल्प दे सके. इसमें इलेक्ट्रॉनिक जवाबी उपाय, काइनेटिक डिवाइस (गोली या मिसाइल) और साथ ही, नेट लॉन्चर जैसे कम तकनीक वाले समाधान शामिल होने चाहिए."

देश के अंदर ड्रोन गिराने की जिम्मेदारी किसकी?

जर्मनी के सामने ड्रोन से बचाव की दिशा में एक और चुनौती है, जिम्मेदारियों का बंटवारा. फिलहाल, ड्रोन के खतरे का मुकाबला करने की जिम्मेदारी बुंडेसवेयर और जर्मनी के 16 राज्यों की पुलिस के बीच बंटी हुई है.

लड़ाकू विमानों या बड़े ड्रोन जैसे बाहरी हमलों से बचाव सेना के अधिकार क्षेत्र में आता है. अगर सैन्य ठिकानों पर ड्रोन दिखाई देते हैं, तो बुंडेसवेयर को कार्रवाई करने का भी अधिकार है.

रूसी मिसाइलों और ड्रोनों में पश्चिम के पुर्जे

अन्य सभी मामलों में ड्रोन से बचाव की जिम्मेदारी पुलिस की होती है. देश की आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस की है. उदाहरण के लिए, अगर कोई ड्रोन किसी जर्मन हवाई अड्डे या औद्योगिक संयंत्र की जासूसी कर रहा है, तो जर्मन सेना को नहीं बुलाया जा सकता.

पुलिस के पास ड्रोन से बचाव के साधन हैं, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती यह है कि जहां ड्रोन देखा गया, वहां उन साधनों को जल्द-से-जल्द कैसे पहुंचाया जाए. सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि समूचे जर्मनी के लिए एक बड़ा 'ड्रोन रक्षा कवच' बनाना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है.

ड्रोन टेक्नॉलजी बहुत तेजी से विकसित हो रही है. ऐसे में हथियारों की खरीद का पारंपरिक तरीका, यानी उन्हें खरीदकर लंबे समय तक इस्तेमाल करने के लिए स्टोर करना नुकसानदायक साबित हो सकता हैतस्वीर: Emmanuele Contini/NurPhoto/picture alliance

लड़ाकू ड्रोन खरीदने की योजना

सेना और पुलिस की जिम्मेदारियों का बंटवारा एक लंबी प्रक्रिया के तहत हुआ है और यह संविधान में निहित है. हालांकि, मौजूदा खतरों को देखते हुए अब जर्मन सेना को ड्रोन से बचाव के लिए और ज्यादा अधिकार दिए जाएंगे.

जर्मनी के गृह मंत्री अलेक्जांडर दोबरिंट सेना को पुलिस की सहायता करने की अनुमति देने की योजना बना रहे हैं. इस अनुमति के बाद जरूरत के वक्त सेना ड्रोन को मार गिराएगी. वायु सुरक्षा अधिनियम में भी इसी हिसाब से संशोधन किया जाएगा. दोबरिंट, केंद्र और राज्य सरकारों के काम में तालमेल बैठाने के लिए एक नया ड्रोन रक्षा केंद्र बनाने का भी प्रस्ताव दे रहे हैं.

रूसी ड्रोन हमलों का मुकाबला कैसे कर सकते हैं पोलैंड, यूक्रेन, और नाटो

जर्मन सेना न सिर्फ ड्रोन से सुरक्षा के लिए खुद को बेहतर बनाने की कोशिश कर रही है, बल्कि खुद को ड्रोन से लैस भी कर रही है. जर्मन सेना के इंस्पेक्टर जनरल कार्स्टन ब्रॉयर ने हाल ही में घोषणा की कि जर्मन सेना इस साल के अंत में हथियारों से लैस ड्रोन के साथ अपना पहला लाइव-फायर अभ्यास करेगी.

इससे पहले मार्च 2025 में जर्मनी ने सैनिकों के लिए तथाकथित कामीकाजे ड्रोन खरीदने का फैसला किया. ये ऐसे एयरक्राफ्ट होते हैं, जो वारहेड से लैस होते हैं और लक्ष्य पर गिरते ही फट जाते हैं. यह जर्मनी के लिए बिल्कुल नया है.

जर्मन सशस्त्र बलों ने ड्रोन की तैनाती और उनसे बचाव पर प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया हैतस्वीर: ARMIN WEIGEL/AFP via Getty Images

यूक्रेन युद्ध से सबक

फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद यह बात स्पष्ट हो गई कि अब ड्रोन के बिना युद्ध करना संभव नहीं है. वहां लाखों ड्रोन तैनात किए जा रहे हैं. युद्ध के मैदान में, सबसे आगे के मोर्चों पर विस्फोटकों से भरे छोटे कामीकाजे ड्रोन महंगे सैन्य उपकरणों को नष्ट कर रहे हैं.

जासूसी ड्रोन का इतने बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है कि दुश्मन की कोई भी गतिविधि अब छिपी नहीं रहती. इस 'पारदर्शी युद्धक्षेत्र' ने लड़ाई के स्वरूप को पूरी तरह से बदल दिया है.

ड्रोन विश्लेषक उलरिके फ्रैंके ने यूक्रेन युद्ध से सबक लेने की सलाह दी. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि नाटो देशों को यूक्रेन से यह सीखना होगा कि ड्रोन को किस तरह कम समय में बनाते हैं, तैनात करते हैं और उनमें बदलाव करते हैं."

पोलैंड में घुसे रूसी ड्रोनों से हरकत में आया नाटो

विशेषज्ञों के अनुसार, जर्मन सेना को इन बदलावों के साथ तालमेल बैठाना होगा. राजनीतिक चिंताओं के कारण लंबे समय तक सेना ने हमलावर ड्रोन खरीदने से परहेज किया. आलोचकों को यह डर था कि मानव रहित और दूर से नियंत्रित होने वाले विमान सैन्य बल के इस्तेमाल को आसान बना सकते हैं. साथ ही, कई ड्रोन में ऑटोमैटिक फंक्शन को लेकर भी बहुत संदेह बना हुआ था.

यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद यह स्थिति बदलने लगी. साल 2022 में सरकार ने पहली बार जर्मन सेना को ड्रोन वाले हथियार से लैस करने का फैसला किया. इसके तहत सरकार ने इस्राएल में बने, विमान के आकार के पांच हेरॉन टीपी ड्रोन के लिए गाइडेड मिसाइलों का ऑर्डर दिया. इससे पहले जर्मन सेना सिर्फ बिना हथियार वाले जासूसी ड्रोन का इस्तेमाल करती थी.

कामीकाजे ड्रोन की खरीद का फैसला इस साल की शुरुआत में लिया गया. रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की कि यह फैसला 'जर्मन सशस्त्र सेनाओं के लिए एक नए युग की शुरुआत' है. इन छोटे, एक बार इस्तेमाल होने वाले ड्रोन को 'लोइटरिंग म्यूनिशन' के नाम से जाना जाता है. इसका मतलब है कि ड्रोन हमला करने से पहले लक्ष्य के ऊपर मंडराते हैं और फिर सीधे नीचे उतरकर विस्फोट करते हैं.

कामीकाजे ड्रोन को 'गोला-बारूद' की श्रेणी में रखने के पीछे बहुत व्यावहारिक वजहें हैं. मसलन, गोला-बारूद को इस्तेमाल करने के बाद वह समाप्त हो जाता है.

दूसरी ओर, एक बड़े ड्रोन को मानव रहित हवाई वाहन माना जाता है. हवाई वाहनों पर उड़ान सुरक्षा और कार्मिक प्रमाणन संबंधी काफी सख्त तकनीकी नियम लागू होते हैं. नए वर्गीकरण से इन नियमों को दरकिनार किया जा सकता है. यानी, कामीकाजे ड्रोन को गोला-बारूद मानने की वजह से उसके लिए इन सख्त नियमों का पालन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

बड़ी सेना वाली ताकतों को सिर के बल खड़ा कर देने वाले ड्रोन

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तेजी से बढ़ता इनोवेशन और हथियारों की खरीद

जर्मन सशस्त्र बलों ने ड्रोन की तैनाती और उनसे बचाव पर प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया है. अब इसे एक "सामान्य कौशल" माना जाता है, जिसमें हर सैनिक को महारत हासिल करनी चाहिए. इस उद्देश्य को पूरा करने और मौजूदा जरूरतों के लिए तय संख्या में ड्रोन खरीदे जा रहे हैं.

जर्मन सेना यह नहीं चाहती कि हजारों ड्रोन भंडार में जमा करके रखे जाएं. ड्रोन सेक्टर में तकनीक बहुत तेजी से विकसित हो रही है. ऐसे में हथियारों की खरीद का पारंपरिक तरीका, यानी कि लंबी अवधि की योजना और लंबे समय तक इस्तेमाल करने के लिए स्टोर रखना, इस मामले में नुकसानदायक साबित हो सकता है.

इन पक्षों को ध्यान में रखकर निर्माताओं के साथ नए समझौते किए जा रहे हैं, ताकि वे जरूरत पड़ने पर सबसे नए मॉडल वाले ड्रोन बड़ी संख्या में तुरंत उपलब्ध करा सकें.

जर्मन एआई स्टार्ट-अप अब पहली पसंद हैं. इनमें 2021 में बनी म्यूनिख स्थित कंपनी 'हेलसिंग' भी शामिल है, जो यूक्रेन के लिए पहले ही कई हजार लड़ाकू ड्रोन बना चुकी है.

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