हमास-इस्राएल जंगः क्या हैं युद्धों के अंतरराष्ट्रीय कानून
१८ अक्टूबर २०२३
गाजा पट्टी में एक अस्पताल पर हुए हमले में सैकड़ों लोगों की मौत हो गयी है. यह हमला युद्ध अपराधों की श्रेणी में आ सकता है. क्या हैं युद्धों के कानून, जानिए.
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बुधवार को गाजा पट्टी में एक अस्पताल पर हुए मिसाइल हमले में सैकड़ों लोगों की मौत की दुनियाभर में आलोचना हो रही है. अमेरिका ने इस हमले की जांच के भी आदेश दिये हैं. इस्राएल का कहना है कि उसने अस्पताल को निशाना नहीं बनाया और यह हमास के अपने रॉकेट के गलत दिशा में जाने से हुआ है. हमास ने इससे इनकार किया है.
जिसने भी अस्पताल पर हमला किया है, उस पर अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत युद्ध अपराध का आरोप लग सकता है. युद्ध अपराध एक संगीन आरोप है, जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय कानून काम करता है.
पिछले हफ्ते से जारी युद्ध मेंहमास और इस्राएल दोनों पर ही अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करने के आरोप लगे हैं. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि वह दोनों ही पक्षों के उल्लंघनों की जांच कर रहा है.
युद्ध अपराध कानून की जांच और उसे लागू करना बेहद जटिल काम है और अक्सर युद्धों के बाद इन अपराधों की जांच और अपराधियों को कठघरे में लाना मुश्किल हो जाता है.
क्या हैं युद्धों के नियम?
युद्धों पर कई तरह के नियम लागू होते हैं जो अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) और संयुक्त राष्ट्र चार्टर आदि में बताये गये हैं. इनके तहत देशों को अपनी रक्षा करने का अधिकार तो है लेकिन किसी देश पर हमला करने का अधिकार नहीं होता.
इसके अलावा जंग के मैदान में सैनिकों को व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए जेनेवा कन्वेंशन के तहत कुछ नियम बनाये गये हैं. ये नियम द्वीतीय विश्व युद्ध के बाद बनाये गये थे जिन पर लगभग हर सदस्य देश ने सहमति जतायी है.
जेनेवा कन्वेंशन के तहत घायलों और कैदियों के साथ मानवीय व्यवहार का नियम है. हत्याओं, यातनाओं और अपहरण आदि पर प्रतिबंध है. इसके अलावा अपमानजनक व्यवहार पर भी रोक लगायी गयी है. विरोधी सेनाओं के बीमारों और घायलों के इलाज का भी नियम है.
जापानी युद्ध अपराधी जिनका होता है सम्मान
जापान के यासुकूनी टेंपल में द्वितीय विश्वयुद्ध के 14 युद्ध अपराधियों की समाधि है. उन्हें शहीद का सम्मान दिया जाता है. चीन के साथ जापान के विवाद का यह भी एक कारण है. कौन हैं ये अपराधी और उन पर क्या आरोप हैं?
तस्वीर: Keystone/Getty Images
हिदेकी तोयो
हिदेकी तोयो 1941 से 1944 तक जापान का प्रधानमंत्री और सेना का सर्वोच्च कमांडर था. उस पर 40 लाख चीनियों की हत्या और युद्धबंदियों पर रासायनिक परीक्षण करवाने का आरोप है. 1945 में जापान के समर्पण के बाद उसने आत्महत्या करने की कोशिश की, लेकिन बच गया. उसने अपना अपराध कबूल किया और दिसंबर 1948 में उसे फांसी पर चढ़ा दिया गया.
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केंजी दोइहारा
चीन विशेषज्ञ दोइहारा ने अपना करियर 1912 में बीजिंग में खुफिया एजेंट के तौर पर शुरू किया. सरकारी चीनी के अलावा चीन की कई बोलियां फर्राटे से बोलने वाले दोइहारा ने 1932 में चीन के अंतिम सम्राट पूयी के साथ मंचूरिया में अंतिम साम्राज्य बनाया. यह जापानी नियंत्रण वाली कठपुतली सरकार थी. 1940 में उसने पर्ल हार्बर पर हमले का समर्थन किया. 1948 में उसे फांसी दे दी गई.
तस्वीर: Gemeinfrei/Unbekannt
इवाने मात्सुई
मात्सुई को 1937 के नानजिंग जनसंहार के लिए जिम्मेदार ठहराया गया जिसमें एक हफ्ते के अंदर 300,000 लोग मारे गए थे. इतिहासकारों का मानना है कि जनसंहार का फैसला शाही महल में लिया गया था. लेकिन सम्राट पर कभी मुकदमा नहीं चलाया गया. युद्ध अपराधों की जांच करने वाले न्यायाधिकरण ने मात्सुई को बी क्लास का युद्ध अपराधी करार दिया. उसे 1948 में फांसी दे दी गई.
तस्वीर: Gemeinfrei
किमूरा हाइतारो
पूर्वी चीन में हाइतारो ने 1939 में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सेना के साथ बर्बर युद्ध का नेतृत्व किया. उसने एक यातना शिविर बनवाया जिसमें हजारों बंदी मारे गए. 1944 में उसे बर्मा में जापानी सैनिकों का मुख्य कमांडर नियुक्त किया गया. बर्मा और थाइलैंड के बीच 415 किलोमीटर लंबी रेललाइन बनाने में हाइतारो ने युद्धबंदियों का इस्तेमाल किया. करीब 13,000 बंदी मारे गए. 1948 में उसे फांसी दे दी गई.
तस्वीर: Gemeinfrei
कोकी हिरोता
फरवरी 1937 तक कोकी हिरोता जापान के प्रधानमंत्री थे. बाद में उन्हें विदेशमंत्री बना दिया गया. उस पर नानजिंग जनसंहार को बर्दाश्त करने और उसे रोकने की कोशिश नहीं करने के आरोप में मुकदमा चलाया गया. हिरोता जापान का एकमात्र असैनिक राजनीतिज्ञ था जिसे द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान किए गए अपराधों के कारण फांसी की सजा दी गई.
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साइशीरो इतागाकी
18 सितंबर 1931 को इतागाकी ने चीन के पूर्वोत्तर में मंचूरिया की एक रेललाइन पर बम हमले का नाटक करवाया. इस घटना का इस्तेमाल जापान ने चीन के खिलाफ युद्ध की घोषणा करने के लिए किया. बाद में इतागाकी ने उत्तरी कोरिया, इंडोनेशिया और मलेशिया में युद्ध का नेतृत्व किया. 1945 में उसने सिंगापुर में आत्मसमर्पण कर दिया. उसे युद्ध फैलाने के आरोप में फांसी की सजा दी गई.
तस्वीर: Gemeinfrei
अकीरा मूतो
एशिया में युद्ध भड़कने के बाद मूतो ने चीन में जापानी सेना की ओर से लड़ाई लड़ी. उसे नानजिंग के जनसंहार के अलावा और कई बर्बर अत्याचारों का जिम्मेदार पाया गया. युद्ध अपराध न्यायाधिकरण के अनुसार मूतो ने यातना दी, हत्याएं की और युद्धबंदियों को भूखा रखा.
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योसूके मात्सुओका
उसके नेतृत्व में जापान ने उस समय के विश्व संगठन की सदस्यता इसलिए छोड़ दी कि कुछ सदस्य देश जापान को चीन के खिलाफ युद्ध के लिए जिम्मेदार मानते थे. देश के विदेश मंत्री (1940-41) के रूप में मात्सुओका ने नाजी जर्मनी और फासिस्ट इटली के साथ समझौता कर युद्ध में धुरी बनाई. अदालत में सजा पाने से पहले 1946 में उसकी टीबी से मृत्यु हो गई.
तस्वीर: Gemeinfrei/Japanese book Ningen Matsuoka no Zenbo
हीरानुमा कीचीरो
जनवरी से अगस्त 1939 के बीच कीचीरो जापान का प्रधानमंत्री था. इस अवधि में जापान ने जर्मनी और इटली के साथ दोस्ती बढ़ाई. बाद में कीचीरो सम्राट हीरोहीतो का अंतरंग सलाहकार बन गया. उसे न्यायाधिकरण ने उम्रकैद की सजा दी. उसे 1952 में रिहा किया गया लेकिन उसी साल उसकी मृत्यु हो गई.
तस्वीर: Hulton Archive/Getty Images
कोइसो कुनियाकी
कुनियाकी जुलाई 1944 से अप्रैल 1945 के बीच जापान का प्रधानमंत्री था. उसने चीन और उत्तरी कोरिया में युद्ध में हिस्सा लिया था. न्यायाधिकरण ने माना कि वह सेना के अत्याचारों में शामिल नहीं था, लेकिन फिर भी उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई क्योंकि उसके पास सेना के अत्याचारों को रोकने की संभावना थी. कुनियाकी की कैद में मौत हो गई.
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तोगो शिगेनोरी
शिगेनोरी ने जर्मन भाषा और साहित्य की पढ़ाई की थी और जर्मन महिला से शादी की थी. उसे 1937 में बर्लिन में जापान का राजदूत नियुक्त किया गया. 1941 से 1945 के बीच वह दो बार देश का विदेशमंत्री रहा. अपने दूसरे कार्यकाल में उसने जापान से आत्मसमर्पण करने की सलाह दी और युद्ध की राजनीतिक जिम्मेदारी ली. उसे 20 साल कैद की सजा मिली और कैद में ही उसकी मौत हो गई.
तस्वीर: Gemeinfrei
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ये नियम पूर्णकालिक युद्ध से लेकर छोटे विवादों तक पर लागू होते हैं. यानी जंग दो देशों के बीच हो रही है, जैसे कि रूस और यूक्रेन या फिर कोई पक्ष राष्ट्र ना हो, जैसे कि हमास, तब भी ये नियम लागू होते हैं.
रोम स्टैच्यू और इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के तहत जिन गतिविधियों को युद्ध अपराधों के तहत लाया गया है, उनमें नागरिकों, नागरिक ठिकानों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर जानबूझ कर किये गये हमले, असैन्य संपत्ति का नुकसान, यौन हिंसा और गैरकानूनी निर्वासन आदि शामिल हैं.
इसके अलावा कुछ खास तरह के हथियारों के इस्तेमाल पर भी पाबंदी है, जिनमें जैविक और रासायनिक हथियार शामिल हैं. हालांकि इन संधियों पर कई देशों ने दस्तखत नहीं किये हैं.
क्या हमास ने युद्ध अपराध किये?
हमास ने इस्राएली कस्बों और शहरों पर हजारों रॉकेट दागे हैं. साथ ही 7 अक्तूबर को उसने इस्राएली सीमा में सैकड़ों बंदूकधारी भेजे जिन्होंने नागरिक ठिकानों पर हमले किये और सैकड़ों आम लोगों की जान ली. इनमें बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हैं जिन्हें उनके घरों में ही मार दिया गया.
गजा पट्टी में कैसे जलते हैं चूल्हे
गजा पट्टी में बिजली और गैस की किल्लत के कारण लोग रोटी नहीं सेंक पा रहे हैं. इसलिए वे लकड़ी से जलने वाले चूल्हों पर निर्भर हैं.
तस्वीर: Ibraheem Abu Mustafa/REUTERS
कहां सेंकें रोटी!
गजा पट्टी के राफा में बिजली कटौती आम बात है और सब लोग गैस चूल्हा खरीद नहीं सकते. इससे दिक्कत यह होती है कि रोटी कहां सेंकी जाए.
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जल रहा है चूल्हा
ऐसे लोगों के लिए राहत है कि सामी ओदेह का चूल्हा जल रहा है. वे लोग अपना आटा और अन्य खाना पकने के लिए उन्हीं के पास भेजते हैं.
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बिजली मुश्किल है
सामी ओदेह के ग्राहक कहते हैं कि कोयला और लकड़ियां मिलना, बिजली का इंतजार करने या गैस चूल्हा खरीदने से ज्यादा आसान है.
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चाहिए 500 मेगावाट
मिस्र और इस्राएल के बीच एक पतली सी पट्टी पर रहने वाले 23 लाख लोगों के लिए यही जीने का तरीका है. इतने लोगों को गर्मी में रोजाना लगभग 500 मेगावाट बिजली चाहिए.
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सप्लाई 180 मेगावाट
लेकिन इस्राएल से उन्हें 120 मेगावाट बिजली ही मिलती है. 60 मेगावाट एक स्थानीय संयंत्र से सप्लाई होती है.
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उद्योगों पर भी असर
इसका असर उद्योग-धंधों पर भी पड़ता है. बिजली कटौती के दौरान वे सोलर पैनलों पर निर्भर रहते हैं और रोटी सेंकने के लिए सामी ओदेह जैसे लोगों के चूल्हे पर.
तस्वीर: Ibraheem Abu Mustafa/REUTERS
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इस्राएल का कहना है कि हमास के हमलों में कम से कम 1,400 लोगों की जान गयी और 199 का अपहरण कर लिया गया. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में कानून पढ़ाने वाले हेम अब्राहम कहते हैं कि अपराधों के सबूत स्पष्ट हैं.
उन्होंने कहा, "उन्होंने आम नागरिकों को उनके घरों में घुसकर मारा. लोगों को अगवा किया और बंधक बना लिया. ये चीजें साफ तौर पर युद्ध अपराध हैं.”
एमनेस्टी इंटरनेशनल फ्रांस के अंतरराष्ट्रीय न्याय आयोग में वकील जीन सल्जर कहती हैं कि जेनेवा कन्वेंशन में साफ तौर पर कहा गया है कि आम नागरिकों को कभी बंधक नहीं बनाया जाना चाहिए और अगर ऐसा किया जाता है तो यह युद्ध अपराध माना जा सकता है.
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इस्राएल की कार्रवाई कानून का उल्लंघन?
इस्राएली सेना ने गजा पर ताबड़-तोड़ हवाई हमले किये हैं. वहां खाने-पीने की चीजों, ईंधन और बिजली जैसी सुविधाएं रोक दी हैं औरलोगों को पट्टीके उत्तरी इलाके को खाली करने को कहा है.
गाजा अधिकारियों के मुताबिक बमबारी में अब तक 2,800 लोगों की जान जा चुकी है जबकि 11,000 लोग घायल हुए हैं. आलोचकों का कहना है कि इस्राएल गजा में रहने वाले 20 लाख लोगों को सजा दे रहा है.
दुनियाभर में इस्राएल-हमास युद्ध की गूंज
इस्राएल और हमास के बीच 7 अक्टूबर को शुरू हुए युद्ध की गूंज दुनियाभर में सुनायी दे रही है. कई पश्चिमी देशों ने इस्राएल के समर्थन में बयान दिये हैं.
तस्वीर: Mahmud Hams/AFP
बर्लिन में इस्राएली झंडा
बर्लिन का मशहूर ब्रांडेनबुर्ग गेट इस्राएली झंडे के रंग में रोशन किया गया. ऐसा प्रशासन ने हमास के हमले के बाद इस्राएली लोगों के प्रति समर्थन जताने के लिए किया.
तस्वीर: Fabian Sommer/dpa/picture alliance
तुर्की में फलस्तीन समर्थन
तुर्की के शहर इस्तांबुल में 7 अक्टूबर को लोगों ने इस्राएल पर हमास के हमले का समर्थन करते हुए जुलूस निकाला.
तस्वीर: Khalil Hamra/AP/picture alliance
अमेरिका में आमने-सामने
इस्राएल और हमास के समर्थक अमेरिका के न्यूयॉर्क में टाइम्स स्क्वेयर पर एक साथ पहुंच गये. दोनों के बीच झड़प रोकने के लिए पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी.
तस्वीर: Jorge Estrellado/dpa/picture alliance
मिस्र में पर्यटकों का कत्ल
8 अक्टूबर को मिस्र में एक पुलिसकर्मी ने दो इस्राएली और एक मिस्री नागरिक की हत्या कर दी. मीडिया के मुताबिक जवान ने अपने निजी हथियार से पर्यटकों पर गोलियां दागीं.
तस्वीर: AFP/Getty Images
सैकड़ों की मौत
7 अक्टूबर को हमास के सैनिक इस्राएल में घुस गये और सड़कों पर गोलीबारी शुरू कर दी. इस्राएली मीडिया संस्थानों के मुताबिक हमास के हमलों में अब तक इस्राएल में 600 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.
तस्वीर: Mahmud Hams/AFP
इस्राएल के हमले
इस्राएल ने गजा में कई जगहों पर हमले किये हैं. फलीस्तीनी प्रशासन के मुताबिक इस्राएल के हमलों में अब तक 313 फलीस्तीनी मारे जा चुके हैं. वहां घायलों की संख्या दो हजार से ज्यादा है.
तस्वीर: Hatem Moussa/AP/picture alliance
सबसे बड़ा हमला
50 साल पहले चौथा इस्राएल-अरब युद्ध लड़ चुके इस्राएली पूर्व सैनिकों के मुताबिक, सात अक्टूबर 2023 को हुआ हमला, 1973 के हमले से भी ज्यादा ताकतवर था.
तस्वीर: Mahmud Hams/AFP
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जेनेवा स्थित अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस ने कहा है कि लाखों लोगों को अपने घरों से चले जाने को कहना और "उनके खाने-पीने व बिजली की सप्लाई अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों” के खिलाफ है.
इस्राएल की सेना का दावा है कि वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन कर रही है और सिर्फ उग्रवादियों को खत्म करने के लिए ही हमले कर रही है, जो खुद को आम नागरिकों के बीच छिपाये हुए हैं.
ह्यूमन राइट्स वॉच ने आरोप लगाया है कि इस्राएल ने हमलों में सफेद फासफोरस का इस्तेमाल किया है. यह तत्व प्रतिबंधित नहीं है लेकिन घनी आबादी वाले इलाकों में इसका इस्तेमाल निंदनीय माना जाता है. इस्राएली सेना ने इन तत्वों का इस्तेमाल करने से इनकार किया है.