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इतने टैरिफ लगे होने के बावजूद अपना तेल कैसे बेच रहा है ईरान

शबनम फॉन हाइन
१९ अक्टूबर २०२५

तेहरान अब अपने कच्चे तेल की बिक्री के लिए गुप्त और अनौपचारिक रास्ता चुन रहा है. जिससे मिलने वाला ज्यादातर फायदा ईरान के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों और चीन को जाता है.

ईरान के सुप्रीम लीडर, अयातोल्लाह अली खामेनेई की फाइल फोटो
चीन, दुनिया में ईरानी तेल का सबसे बड़ा खरीददार है और वो इस तेल के बदले ईरान के बुनियादी ढांचे में निवेश करता है तस्वीर: Office of the Iranian Supreme Leader/WANA/REUTERS

संयुक्त राष्ट्र ने सितंबर के अंत में ईरान पर लगे प्रतिबंधों को फिर से लागू कर दिया. जिनको पहले 2015 के जेसीपीओए परमाणु समझौते के तहत निलंबित कर दिया गया था. यह कदम तब उठाया गया, जब इस समझौते के यूरोपीय हस्ताक्षरकर्ता, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने समझौते में शामिल "स्नैपबैक” तंत्र को सक्रिय कर दिया. यानी जेसीपीओए में एक ऐसी व्यवस्था थी, जिसके तहत अगर कोई देश समझौते का उल्लंघन करता है तो पहले से निलंबित प्रतिबंधों को तुरंत फिर से लागू किया जा सकता है.

नए प्रतिबंधों में ईरानी विदेशी संपत्तियों पर रोक, तेहरान के साथ हथियार सौदों पर रोक और ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर सीमित रोक इत्यादि शामिल हैं. ईरानी तेल मंत्री, मोहसेन पाकनेजाद ने कहा, "यह कोई नई बात नहीं है. दो साल से भी कम समय में, ईरान पर कुल 25 प्रतिबंध पैकेज और 470 से 480 नए दंडात्मक उपाय लगाए जा चुके हैं. यह ऐसा कोई नया प्रतिबंध नहीं है, जो हमें गंभीर रूप से प्रभावित कर सके.”

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ईरान पर दबाव

इनमें से कुछ नए प्रतिबंधों के निशाने पर ईरान का परमाणु कार्यक्रम है. 12 दिन तक चले इस्राएल-ईरान संघर्ष के बाद अमेरिका ने ईरान पर बमबारी की थी और राष्ट्रपति ट्रंप ने घोषणा की थी कि ईरान की परमाणु साइटें "नष्ट कर दी गई हैं.”

अब वॉशिंगटन तेहरान पर दबाव बनाना चाह रहा है ताकि वह अपनी परमाणु महत्वाकांक्षाओं को पूरी तरह छोड़ने के लिए मजबूर हो जाए. हालांकि, ईरानी उच्च अधिकारी अपने परमाणु कार्यक्रम को चलाने के लिए भारी मात्रा में पैसा डालने के लिए मजबूर हैं. खासकर कच्चे तेल के निर्यात से आने वाली आमदनी के जरिए.

ईरान की ऊर्जा और अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ, डालगा खतीनोग्लु ने डीडब्ल्यू को बताया, "संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के साथ-साथ अब ईरानी शिपिंग पर, ईरानी टैंकरों के ईंधन बेचने पर, सामान ले जाने वाले जहाजों पर और वित्तीय लेन-देन पर भी पाबंदियां लागू हो गई हैं. जिस कारण कानूनी तौर पर ईरानी तेल का निर्यात काफी मुश्किल हो गया है. चूंकि, बिक्री, परिवहन और भुगतान प्रक्रिया पर गंभीर प्रतिबंध लगा दिए गए हैं.” 

इन प्रतिबंधों से किसे फायदा

ईरानी शासन वर्षों से अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को चकमा देता रहा है. खासकर तेल व्यापार के लिए खुफिया वित्तीय और शिपिंग नेटवर्क बनाकर.

जुलाई के अंत में, अमेरिकी सरकार ने ईरानी तेल उद्योग से जुड़े 115 से अधिक व्यक्तियों, कंपनियों और जहाजों पर नए प्रतिबंध लगाए. अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि यह 2018 के बाद ईरान पर लगाए गए सबसे बड़े प्रतिबंधों का दौर है.

यह प्रतिबंध मुख्य रूप से तेहरान के बड़े अधिकारियों को निशाना बनाते हैं. खासकर मोहम्मद हुसैन शमखानी की कंपनियों को. जो कि सुप्रीम लीडर, अयातोल्लाह अली खामेनेई के करीबी सलाहकार अली शमखानी के बेटे हैं.

शमखानी परिवार ने अपनी राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल करके एक शिपिंग साम्राज्य खड़ा किया है. उनके पास कई टैंकर और कंटेनर जहाज हैं, जो ईरान और रूस से पेट्रोलियम उत्पाद और कई अन्य सामान दुनिया भर में लेकर जाते हैं.

स्कॉट बेसेंट ने जुलाई में कहा, "शमखानी परिवार का शिपिंग साम्राज्य दिखाता है कि कैसे ईरानी शासन के उच्च अधिकारी अपने पद का उपयोग करके ज्यादा से ज्यादा संपत्ति कमाते हैं और शासन के घातक व्यवहार को वित्तीय मदद देते हैं.”

हालांकि, केवल शमखानी परिवार का शिपिंग नेटवर्क ही ईरान के प्रतिबंधों को चकमा देने का एकमात्र रास्ता नहीं है. तेहरान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हमजा सफवी बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में अमेरिका को ईरान के आंतरिक संघर्ष के कारण ऐसे नेटवर्क्स का पता चला है. ईरान के आंतरिक सत्ता संघर्ष ने इन नेटवर्क्स को एक-दूसरे का पर्दाफाश करने पर मजबूर किया है. उनके अनुसार, "यह नेटवर्क्स एक-दूसरे के बारे में जानकारी देकर अरबों डॉलर का मुनाफा कमाते हैं.” 

तेल के बदले इंफ्रास्ट्रक्चर देता है चीन

केप्लर कंपनी के सीनियर एनालिस्ट हुमायूं फलकशाही ने डीडब्ल्यू को बताया, "केवल छह महीने पहले, ईरान अपने कच्चे तेल को ब्रेंट कीमतों के मुकाबले लगभग एक डॉलर सस्ते में बेच रहा था.”

उन्होंने आगे बताया, "यह डिस्काउंट तीन महीने पहले तीन डॉलर किया गया. और फिर यह बढ़कर 6.5 डॉलर तक पहुंच गया. फिलहाल ईरान अपने तेल को मध्य-पूर्व के मुकाबले आठ से दस डॉलर तक सस्ते में बेच रहा है.”

अमेरिका के कड़े प्रतिबंधों के बावजूद चीन अब भी ईरानी तेल आयात करता है. हालांकि, इन प्रतिबंधों के चलते ईरान को भुगतान करना लगभग असंभव है. लेकिन फिर भी चीन, ईरानी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है.

वॉल स्ट्रीट जर्नल ने 5 अक्टूबर को रिपोर्ट किया कि इसके लिए ईरान और चीन ने एक गुप्त बार्टर सिस्टम स्थापित किया है. जिसके तहत ईरानी तेल चीन भेजा जाता है और बदले में, चीन की सरकारी कंपनियां ईरान में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं बनाती हैं.

इस समझौते के तहत केवल साल 2024 में, चीन ने ईरान में तेल के भुगतान के तौर पर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए लगभग 8.4 बिलियन डॉलर खर्च किए हैं. 

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