1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
प्रकृति और पर्यावरणसंयुक्त राज्य अमेरिका

जलवायु परिवर्तन की वजह से गंभीर हो रही आवास संकट की स्थिति

२५ अप्रैल २०२५

पूरी दुनिया में घरों की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं. जलवायु परिवर्तन की वजह से आने वाली आपदाएं इस स्थिति को और गंभीर बना रही हैं. ऐसे में हमारे पास क्या उपाय है?

हॉन्ग कॉन्ग में गगनचुंबी मीनारें
पूरी दुनिया में घरों की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं. जलवायु परिवर्तन की वजह से आने वाली आपदाएं इस स्थिति को और गंभीर बना रही हैं. ऐसे में हमारे पास क्या उपाय है?तस्वीर: Pond5 Images/IMAGO

इस साल की शुरुआत में लॉस एंजिल्स के जंगलों में भीषण आग लगी थी. हजारों घर जलकर खाक हो गए थे. इस आपदा के कुछ महीनों बाद, घर के लिए ज्यादा कीमत वसूलने के कारण कैलिफोर्निया के अधिकारियों ने मकान मालिकों पर सख्ती बरतना शुरू कर दिया है. हालांकि, यह कोई नया चलन नहीं है, बल्कि जलवायु परिवर्तन की वजह से हुई बड़ी तबाही से उबर रहे शहरों में घरों की कीमतों का तेजी से बढ़ना एक आम बात हो गई है.

यह चलन पूरी दुनिया में पहले से जारी आवास संकट को और बढ़ा रहा है. तेजी से बढ़ते शहरीकरण, निवेश कंपनियों के बीच प्रॉपर्टी खरीदने की होड़, महंगाई और आसमान छूती निर्माण लागत के कारण दुनिया भर में बहुत से लोगों के लिए घर खरीदना मुश्किल हो गया है.

सामाजिक नीति पर केंद्रित अमेरिकी थिंक टैंक ‘अर्बन इंस्टीट्यूट' में शोधकर्ता सारा मैकटार्नाघन कहती हैं, "यह कोई ग्रामीण या शहरी समस्या नहीं है और ना ही घर के मालिक या किराएदार से जुड़ी समस्या है. जिन इलाकों में घर की कीमतें और किराए आय की तुलना में काफी तेजी से बढ़ रहे हैं वहां सभी लोग इस समस्या को महसूस कर रहे हैं.”

यह ऐसी समस्या है जो किसी एक जगह तक सीमित नहीं है. दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते किराए वाले आधे शहर ग्लोबल साउथ यानी दक्षिणी गोलार्ध के देशों में हैं.

चरम मौसम की घटनाओं से बढ़ रही समस्या

चरम मौसम की घटनाएं औरप्राकृतिक आपदाएं, जैसे कि तूफान, बाढ़, जंगल की आग वगैरह इस समस्या को और ज्यादा बढ़ा रही हैं. इन घटनाओं के बढ़ने में इंसानी गतिविधियां भी काफी हद तक जिम्मेदार हैं. जैसे, जीवाश्म ईंधन के बढ़ते इस्तेमाल से चरम मौसम की घटनाएं और प्राकृतिक आपदाएं बढ़ती जा रही हैं.

ऐसी आपदाओं के कारण खतरे वाले इलाकों को लेकर लोगों का नजरिया बदल रहा है. मियामी जैसे तटीय शहरों में, तूफानों के डर से प्रॉपर्टी के सट्टेबाज अब समुद्र के किनारे वाली संपत्तियों से ध्यान हटा रहे हैं, क्योंकि बढ़ती गर्मीके कारण समुद्र का स्तर बढ़ रहा है.

नीदरलैंड्स में डेल्फ्ट यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में जलवायु से जुड़े आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ जैक टेलर ने कहा, "तटीय इलाकों में रहने वाले अमीर लोग अब ऊंचाई वाले इलाकों की ओर रुख कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें बाढ़ की चपेट में आने का डर सता रहा है. ऐसे में, निवेश के पैटर्न में हो रहा यह बदलाव कम आय वाले निवासियों को विस्थापित होने पर मजबूर कर रहा है.”

जंगलों की आग के बाद अब ग्रीस बाढ़ की ऐसी मार

02:05

This browser does not support the video element.

मियामी बीच जैसे इलाकों में समुद्र के किनारे की प्रॉपर्टी अभी भी लोगों को पसंद है, लेकिन लिटिल हैती जैसे कम आय वाले अंदरूनी इलाकों में कीमतें शहर के बाकी हिस्सों से ज्यादा तेजी से बढ़ रही हैं. मियामी के ऊंचे इलाके की प्रॉपर्टी की कीमत अमेरिका में सबसे तेजी से बढ़ रही है. विशेषज्ञ इसे ‘क्लाइमेट जेंट्रीफिकेशन' कहते हैं. जेंट्रीफिकेशन को दूसरे शब्दों में कहें, तो किसी पिछड़े हुए शहरी क्षेत्र में अमीर लोगों के आने से वहां की स्थिति बदलना.

टेलर ने कहा, "मैंने कुछ रियल एस्टेट डेवलपर्स से बात की. उन्होंने मुझे बताया कि वे लंबी अवधि के लिए प्रॉपर्टी खरीदते समय ऊंचाई के बारे में जरूर सोचते हैं. इसलिए, हम जानते हैं कि उन समुदायों पर विस्थापन का दबाव कुछ हद तकजलवायु परिवर्तन से जुड़ी चिंता की वजह से बढ़ रहा है.”

आपदा के बाद और भी महंगे हो जाते हैं घर

आपदाएं आने पर मौजूदा घरों को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचता है. इससे किराये के लिए उपलब्ध घरों में कमी आ सकती है. यह असर सिर्फ आपदा प्रभावित शहर तक ही सीमित नहीं रहता, बल्कि कभी-कभी दूसरे शहरों में भी इसका व्यापक असर देखने को मिलता है.

लॉस एंजिल्स के जंगलों में लगी भयावह आग की वजह से 16,000 से ज्यादा इमारतें जल गईं, जिनमें से कई रिहायशी घर थे. इससे तुरंत उस जगह पर असर पड़ा जो पहले से ही देश की सबसे महंगी जगहों में से एक थी और जहां घर मिलना मुश्किल था.

मैकटार्नाघन ने कहा, "हम अक्सर सोचते हैं कि जब आपदा के बाद घर वापस बन जाता है तो सब ठीक हो जाता है, लेकिन यह नहीं देखते कि क्या वे घर खरीदने लायक हैं यानी किफायती हैं या नहीं? क्या उनमें वही लोग रह रहे हैं जो पहले रह रहे थे?”

न्यू ऑरलियन्स में, 2005 में कैटरीना तूफान के बाद घरों की कीमतों में 33 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. इस तूफान के कारण 125 अरब डॉलर का नुकसान हुआ और 1,392 लोगों की मौत हो गई थी. 2017 में मारिया तूफान के बाद प्यूर्टो रिको में घरों की कीमत 22 फीसदी बढ़ गई थी.

जलवायु को बचाने के लिए पांच आइडिया

07:21

This browser does not support the video element.

मारिया हाल के अमेरिकी इतिहास में सबसे घातक तूफान है, जिसकी वजह से सिर्फ प्यूर्टो रिको में करीब 3,000 लोगों की जान गई और लगभग 90 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. जब दोबारा घरों को बनाया गया और इलाके को बसाया गया, तो आपदा के बाद कीमतें बहुत बढ़ गईं. इससे यह देखने को मिला कि जो लोग पहले वहां रह रहे थे उनमें से कई दूसरी जगहों पर चले गए.

बोझ लग रहा बीमा खर्च

दुनिया भर में 1.2 अरब लोग ऐसे इलाकों में रह रहे हैं जो जलवायु खतरे के प्रति बेहद संवेदनशील हैं. ऐसे लोगों के लिए बीमा का खर्च भी बढ़ता जा रहा है.

अमेरिका में, घरों के बीमा का सालाना औसत खर्च 2001 से 2021 के बीच लगभग तीन गुना बढ़कर 536 डॉलर से 1,411 डॉलर हो गया. इसका बड़ा कारण पृथ्वी के गर्म होने से जुड़ी आपदाओं का बढ़ता खतरा है. जर्मनी में बाढ़ की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. ऐसे में, अगले दशक में घर के बीमा का प्रीमियम दोगुना होने का अनुमान है. ऑस्ट्रेलिया में भी जंगल की आग और बाढ़ की घटनाएं अक्सर देखने को मिल रही हैं.

वहां 15 फीसदी परिवारों को ‘घर के बीमा का बोझ' महसूस होता है. इसका मतलब है कि वे अपनी साल भर की कमाई का चार हफ्ते से ज्यादा पैसा बीमा में देते हैं.

किफायती आवास उपलब्ध कराने का उपाय

मैकटार्नाघन का तर्क है कि ज्यादा घर बनने से आपदा के बाद अचानक बढ़ने वाली मांग से निपटने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि इससे आपदा से प्रभावित लोगों को ‘ज्यादा घर उपलब्ध होने' पर फायदा मिलेगा.

घरों की संख्या बढ़ाने से किराएदारों और घर खरीदारों के लिए ज्यादा विकल्प उपलब्ध होंगे. इससे घर से जुड़ी महंगाई की समस्या को हल करने में मदद मिलेगी. हालांकि, इन तमाम उपायों के बावजूद जलवायु परिवर्तन कुछ ऐसी अलग मुश्किलें लाता है जिन्हें सिर्फ ज्यादा घर बना देने से हल नहीं किया जा सकता.

मैकटार्नाघन ने कहा, "हमारे घरों के निर्माण के तरीके को बदलने की बहुत ज्यादा जरूरत है ताकि उनसे कार्बन कम निकले और वे जलवायु के खतरों के प्रति भी कमजोर ना हों.”

शहर को इस तरह से बसाने की योजना बनानी चाहिए कि घनी आबादी वाले घर कम खतरे वाली जगहों पर बनें. इसके अलावा, जलवायु को ध्यान में रखते हुए पुराने घरों को ठीक कराना, आपदाओं से बचाने में मदद कर सकता है. जैसे, आग से बचाने वाली छतें या तूफान वाले इलाकों में मजबूत दीवारें बनाना.

जैक टेलर का तर्क है कि हमारे घर को बाढ़ या तूफान से बचाना एक काम है. दूसरा काम यह है कि सभी लोगों को किफायती घर मिले. वहीं, जलवायु परिवर्तन की वजह से आने वाली आपदाएं भी लगातार बढ़ती जा रही हैं. ऐसे में हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि ये तीनों अलग-अलग काम हैं, बल्कि ये सभी एक ही बड़ी समस्या के अलग-अलग हिस्से हैं जिन्हें हमें मिलकर हल करना है.

उन्होंने कहा, "हमें यह साफ-साफ सोचना होगा कि हम कैसी दुनिया में जीना चाहते हैं. हमें क्या बचाना है और किसमें पैसा लगाना है? सुरक्षित और किफायती घर हमारे लिए कितना मायने रखते हैं? अगर हमें अपने तौर-तरीकों को बदलना है ताकि हम इन खतरों का सामना कर सकें, तो हमें इस बारे में विचार करना पड़ेगा.”

 

डेव ब्रैनेक

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें