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केरल ने कैसे पाया कोरोना पर काबू?

आमिर अंसारी
६ मार्च २०२०

भारत में कोरोना वायरस के पहले तीन मामले केरल राज्य में सामने आए थे, लेकिन बाद में नए मामले नहीं आए. केरल ने एहतियात बरतते हुए इन मामलों को संभाला और राज्य में घबराहट का माहौल पैदा नहीं होने दिया.

Äthiopien Flughafen Addis Abeba | Sicherheitsmaßnahmen gegen Coronavirus
तस्वीर: Getty Images/L. Dray

चीन के वुहान से लौटे तीन मेडिकल छात्रों का केरल में कोरोना वायरस को लेकर इलाज हुआ है और वे अब अपने-अपने घर पर हैं. उनके अलग थलग किए जाने की अवधि पूरी हो चुकी है और वे अब कहीं भी आने जाने को स्वतंत्र हैं. यह सभी छात्र चीन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे और वहां से संक्रमण के साथ लौटे थे.

फरवरी की शुरुआत में ही केरल में कोरोना वायरस (कोविड-19) के पहले तीन मामले दर्ज किए गए थे, यह सभी मामले भारत के लिए भी पहले थे. चीन के वुहान प्रांत में ही कोविड-19 के शुरुआती मामले सामने आए थे और यह धीरे-धीरे चीन और उसकी सीमा के बाहर फैलता चला गया. केरल में तीन संक्रमित मरीजों का प्रोटोकॉल के तहत इलाज किया गया और करीब एक महीने बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई. आखिर सवाल यह है कि केरल ने प्रभावी और कुशल तरीके से कोविड-19 के मामले को कैसे संभाला. केरल में तीनों मरीजों का करीब एक महीने में इलाज किया गया, आइसोलेशन वार्ड में रखने के बाद इनका दो बार टेस्ट किया गया और दोनों ही बार नतीजे नेगेटिव पाए गए. इसके बाद इन्हें घर जाने दिया गया.

कोरोना वायरस के तीन मामलों के बाद केरल सरकार ने भारतीय मेडिकल रिसर्च काउंसिल और राष्ट्रीय महामारी संस्थान के प्रोटोकॉल का पालन किया और उसके बाद राज्य में घबराहट का माहौल नहीं बनने दिया. इसके लिए सरकार ने सक्रियता के साथ आम नागरिकों को वायरस के बारे में जानकारी दी और बताया कि क्या एहतियात बरतना है. राज्य सरकार ने इसके लिए संयम बरतते हुए लोगों को शिक्षित किया. शुरुआत स्कूलों से की गई. जागरुकता अभियान चलाने के लिए वॉलंटियरों का भी इस्तेमाल किया गया. इसके दौरान केरल प्रशासन ने अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की. जिला पुलिस अधिकारियों को सख्त हिदायत थी कि गलत सूचना फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें. प्रांत की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा का कहना है कि केरल ने स्थिति पर काबू पा लिया है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह पूरी तरह सुरक्षित है. इसलिए निगरानी बढ़ा दी गई है.

तस्वीर: AFP/Ministry of Civil Aviation

राज्य सरकार ने संक्रमण से बचाव के लिए बहुत पहले से ही जागरुकता अभियान की शुरुआत कर दी थी. शुरुआत जमीनी स्तर पर की गई, पंचायत से लेकर स्कूलों तक सभी लोगों को इस वायरस से निपटने की जानकारी दी गई. इसके अलावा अधिकारियों ने केरल से सटने वाले राज्यों की सीमा पर भी निगरानी रखी. नॉन कॉन्टैक्ट इंफ्रारेड थर्मोमीटर से लोगों के शरीर के तापमान की जांच की जा रही है. केरल के बहुत सारे लोग मध्य एशिया और दूसरे देशों में काम करते हैं. इसके अलावा वह विदेशी पर्यटकों में भी बहुत लोकप्रिय है. अधिकारियों ने एयरपोर्ट पर विदेश से आने वाले यात्रियों की भी सख्ती से जांच के आदेश दिए जिससे वायरस राज्य में दाखिल ना हो पाए. इस हफ्ते केरल में 411 लोग स्वास्थ्य अधिकारियों की निगरानी में थे.

विदेश से आने वाले यात्रियों की पूरी जानकारी लेने के अलावा उनसे अपने स्वास्थ्य के बारे में अधिकारियों को बताने को कहा जा रहा है. प्रभावित देशों से आने वाले यात्रियों को दूसरे रूम में ले जाकर शरीर का तापमान जांचा जाता है और उसके बाद ही उसे आगे जाने दिया जाता है. केरल सरकार ने जिला पुलिस प्रमुखों को सोशल मीडिया पर वायरस से जुड़ी फेक न्यूज साझा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं. जानकारों का कहना है कि केरल ने जिस तरह के तरीके अपनाए हैं वह सभी राज्यों के लिए गाइडलाइन बन सकते हैं.

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