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फैक्ट चेक: कतर विश्व कप की तैयारी में कितने लोगों की जान गई?

यान वाल्टर
१८ नवम्बर २०२२

मानवाधिकार कार्यकर्ता, राजनीतिज्ञ, प्रशंसक और मीडिया फुटबॉल के इस टूर्नामेंट की तैयारियों के सिलसिले में हुईं 6500 मौतों की चर्चा कर रहे हैं. कुछ लोग यह संख्या 15 हजार तक बता रहे हैं. पर क्या यह संख्या सही है?

कतर वर्ल्ड कप की तैयारियों में कितने लोगों की मौत हुई
कतर वर्ल्ड कप आयोजन में मानवाधिकार को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैंतस्वीर: Gabriel Bouys/AFP/Getty Images

जब से कतर को 2022 के फुटबॉल विश्व कप की मेजबानी मिली है, तभी से वहां काम कर रहे विदेशी श्रमिकों के साथ होने वाले व्यवहार को लेकर बहस छिड़ी है. कई तरह के अनुमान सामने आए हैं जिनमें दावे किए गए हैं कि कतर में विश्व कप के आयोजन स्थलों में काम करते हुए कई श्रमिकों की मौत हो चुकी है. हालांकि मौतों की सही संख्या का पता लगाना बहुत कठिन है.

इस फैक्ट चेक के दौरान फीफा, कतर के अधिकारियों, मानवाधिकार संगठनों और मीडिया में प्रकाशित तथ्यों का अध्ययन किया गया, जिन्हें कुछ लोगों ने सही तथ्य बताया तो कुछ ने भ्रामक या फिर गलत. फैक्ट चेक करने वाले इस बात से वाकिफ हैं कि ये आंकड़ें सिर्फ इस बात को उजागर करते हैं कि कतर में काम करने वाले श्रमिक किन समस्याओं से रूबरू होते हैं, इससे उनकी एक झलक भर मिलती है.

दावा: "कतर में होने वाले वर्ल्ड ने 6,500 प्रवासी श्रमिकों की जान ले ली, बल्कि यह संख्या 15 हजार तक हो सकती है.”

डीडब्ल्यू फैक्ट चेक: गलत

कतर में विश्व कप की तैयारियों के दौरान 15,021 प्रवासी श्रमिकों की मौत का मामला तब चर्चा में आया, जब एमनेस्टी इंटरनेशनल रिपोर्ट 2021 प्रकाशित हुई. इस मामले में व्यापक रूप से 6,500 लोगों की मौत का मामला पहली बार तब प्रकाश में आया जब यह रिपोर्ट फरवरी 2021 में ' गार्डियन' में प्रकाशित हुई थी.

हालांकि इन रिपोर्टों के प्रकाशित होने के बाद इन आंकड़ों का प्रयोग कई बार अपने दावों की पुष्टि के लिए किया गया, लेकिन ना तो एमनेस्टी इंटरनेशनल और ना ही गार्डियन ने कभी यह दावा किया कि रिपोर्टों में जिन श्रमिकों की मौत का जिक्र किया गया है, उन सभी की मौत निर्माण स्थल पर हुई है या फिर विश्व कप से संबंधित कार्यों में लगे होने के कारण हुई है. दोनों ही आंकड़े अलग-अलग देशों के और अलग-अलग व्यवसायों में लगे उन लोगों की मौत का हवाला देते हैं, जिनकी मृत्यु पिछले एक दशक के दौरान कतर में हुई है.

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एमनेस्टी इंटरनेशनल ने 15,021 लोगों की मौत का जो आंकड़ा दिया है, वह कतर सरकार के आधिकारिक आंकड़ों से ही लिया गया है. इसमें उन विदेशी लोगों का जिक्र है जिनकी मौत 2010 से 2019 के बीच हुई. 2011 से 2020 के बीच यह आंकड़ा 15,799 है.

15 हजार मौतें हुईं लेकिन सब का संबंध विश्व कप से नहीं 

इनमें निर्माण स्थलों में लगे अकुशल श्रमिक, सुरक्षा गार्ड और माली जैसे लोग हैं, जो विश्व कप से संबंधित कार्यों में हो भी सकते हैं और नहीं भी हो सकते हैं. इनके अलावा विदेशी अध्यापक, डॉक्टर, इंजीनियर और व्यापार इत्यादि से जुड़े लोग भी शामिल हैं.
ज्यादातर लोग नेपाल और बांग्लादेश जैसे विकासशील देशों के थे, जबकि मरने वालों में कुछ अमीर देशों के लोग भी शामिल हैं. कतर के आधिकारिक आंकड़ों में इससे ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है.
गार्डियन  के लिए पत्रकार पीट पैटिसन और उनकी टीम ने 6,751 मृतकों के आंकड़े बांग्लादेश, भारत, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका की सरकारों के आधिकारिक आंकड़ों से जुटाए हैं, जहां के लोग कतर में बड़ी संख्या में अकुशल श्रमिकों के रूप में काम करते हैं.
कतर किसी भी आंकड़े से इनकार नहीं करता. वास्तव में गार्डियन की रिपोर्ट के जवाब में कतर की सरकार के संचार विभाग ने कहा है, "हालांकि हर एक मौत दुखद है, लेकिन इन समुदायों में मृत्यु दर इनकी डेमोग्राफी और जनसंख्या की अनुमानित सीमा के भीतर ही है.”

लेकिन क्या यह सही है?
दावा: "इन समुदायों में मृत्यु दर इनके डेमोग्राफी और जनसंख्या की अनुमानित सीमा के भीतर ही है.”
डीडब्ल्यू फैक्ट चेक: भ्रामक
कतर की सरकार के मुताबिक, बीस लाख लोगों की आबादी में हर साल 15 हजार लोगों की मौत होना एक औसत मृत्यु दर है.
सबसे पहले, विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, इसे कुछ इस तरह से कहा जाना चाहिए, कि यह मृत्यु दर प्रवासी श्रमिकों के अपने देशों की तुलना में कम है. वास्तव में, देखा जाए तो कतर में रहने वाले वहां के नागरिकों की मृत्यु दर भी वहां रह रहे प्रवासी श्रमिकों की मृत्यु दर की तुलना में कहीं ज्यादा है.
हालांकि, यह देखते हुए कि कतर में रहने वाले प्रवासी श्रमिक अपने देशों की सामान्य जनसंख्या का प्रतिनिधित्व नहीं करते, ऐसे आंकड़े भ्रामक हैं.

कतर के प्रवासी मजदूरों में भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल के नागरिकों की बड़ी संख्या हैतस्वीर: Igor Kralj/PIXSELL/picture alliance

कतर में रहने वाले प्रवासी श्रमिक यहां आते वक्त स्वस्थ होते हैं

उदाहरण के तौर पर, कतर में रहने वाले प्रवासी श्रमिकों में छोटे बच्चों और उम्रदराज लोगों के अनुपात की तुलना किसी भी अन्य देश की सामान्य आबादी से नहीं की जा सकती. यह जनसंख्या का वह समूह है जिसमें मृत्यु दर सर्वाधिक होती है.
इसी तरह, कतर में रहने वाले प्रवासी श्रमिक, चाहे वो किसी भी पेशे में हों, सामान्यतया स्वस्थ होते हैं क्योंकि कतर का वीजा उन्हें तभी मिलता है, जब उनके स्वास्थ्य की पूरी तरह से जांच-पड़ताल कर ली जाती है. किसी भी तरह के संक्रामक रोग, मसलन, एचआईवी, हिपैटाइटिस बी और सी, सिफिलिस या ट्यूबरक्लोसिस के मरीजों को वीजा नहीं दिया जाता.

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इन आंकड़ों में वे प्रवासी श्रमिक शामिल नहीं हैं, जिनकी मृत्यु अपने देश लौटने पर हुई. मसलन, नेपाल में पिछले 10 साल में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 20-50 साल की उम्र के पुरुषों में किडनी फेल होने के मामलों में काफी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. इनमें से ज्यादातर लोग मध्य पूर्व के देशों से लौटे थे.
इन लोगों के अध्ययन के आधार पर नेपाल में स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि खाड़ी देशों की जलवायु और पेयजल की कमी के बीच कठिन परिश्रम करना उनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालता है. पानी की गुणवत्ता भी ठीक नहीं होती.  
दावा: "विश्व कप स्टेडियम निर्माण स्थल पर पर सिर्फ तीन ऐसी मौतें हुई हैं, जो वहां काम पर लगे थे.”
डीडब्ल्यू फैक्ट चेक: भ्रामक
फीफा और कतर में विश्व कप आयोजन करने वाली समिति, दोनों इस बात पर जोर दे रहे हैं कि विश्व कप के आयोजन से संबंधित निर्माण स्थलों पर सीधे तौर पर काम करने वाले सिर्फ तीन श्रमिकों की मौत हुई है. फीफा और कतर की आधिकारिक परिभाषा के मुताबिक, ‘कार्य संबंधित मौतों' का मतलब उनसे है जिनकी मृत्यु सात नए बने स्टेडियम और उन प्रशिक्षण स्थलों पर काम करते वक्त हुई हो, जिन्हें कतर में पिछले दस साल में बनाया गया हो. जिन तीन लोगों की मौत की बात की जा रही है उनमें दो नेपाली हैं, जो अल वाकरा स्थित अल जनौब स्टेडियम में काम कर रहे थे. जबकि एक ब्रिटेन का रहने वाला था, जो अल रेयान स्थित खलीफा इंटरनेशनल स्टेडियम में काम कर रहा था.
विश्व कप से अलग ‘गैर कार्य संबंधित मौतों' से मतलब उनसे है, जिनकी मृत्यु निर्माण स्थल से सीधे संबंधित नहीं है. अधिकारियों के मुताबिक ऐसे 37 लोगों की मौत हुई है, जिनमें दो भारतीय और एक मिस्र का नागरिक था, जिनकी मौत 2019 में एक सड़क दुर्घटना में उस वक्त हो गई जब वो अपना काम खत्म करके घर को लौट रहे थे.
हालांकि, कतर को विश्व कप की मेजबानी देने के बाद वहां स्टेडियम के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी निर्माण कार्यों में उछाल आया है. टूर्नामेंट से संबंधित तमाम नई चीजों का निर्माण हुआ है, जिनमें सड़क, होटल, नया मेट्रो सिस्टम, एयरपोर्ट और उत्तरी दोहा के पास लुसेल में एक नया शहर शामिल हैं. वास्तव में, जब निर्माण कार्य अपने चरम पर था, उस वक्त भी फीफा का दावा था कि विश्व कप निर्माण स्थलों पर महज तीस हजार श्रमिक ही काम पर लगे हैं.
तीन मौतों की आधिकारिक स्वीकृति, मौतों की संख्या को कम कर दे रही है क्योंकि ये उन निर्माण स्थलों पर हुई हैं जो विश्व कप की वजह से हो रही हैं, अन्यथा उनका निर्माण ना होता. इससे उन हजारों प्रवासी श्रमिकों की मौत की भी सही जानकारी नहीं मिल रही है जिनकी मृत्यु दस्तावेजों में तो दर्ज है लेकिन वो काम के वक्त नहीं हुई बल्कि तब हुई जब वो काम खत्म करके अपने घरों को चले गए थे. और इन मौतों के कारणों पर ठीक से जानकारी भी नहीं मिल रही है.

कतर में मारे गये प्रवासी मजदूर का नेपाल में अंतिम संस्कारतस्वीर: Niranjan Shresth/AP/picture alliance
कितने प्रवासी मजदूरों की मौत हुई इसे लेकर कई तरह के आंकड़ें हैंतस्वीर: Hassan Ammar/AP/dpa/picture alliance

गार्डियन और एमनेस्टी इंटरनेशनल के शोध के मुताबिक, बाद में बांग्लादेश की सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के आधार पर कतर के डॉक्टरों ने करीब 70 फीसदी मौतों को ‘स्वाभाविक मौत' बता दिया जो कि हृदय या सांस की बीमारियों की वजह से हुईं.

हालांकि, महामारी विशेषज्ञों के मुताबिक, हृदय और सांस का रुक जाना मौत के कारण नहीं बल्कि परिणाम हैं. कार्डियक अरेस्ट की वजह से हार्ट अटैक या फिर कोई दूसरी समस्या हो सकती है, जबकि सांस रुकने की वजह एलर्जी या फिर कुछ और भी हो सकती है.

हालांकि ऐसा कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है. दरअसल, 2022 में जर्मन पब्लिक ब्रॉडकास्टर एआरडी की एक डॉक्युमेंट्री सिरीज में दिखाया गया था कि कतर के डॉक्टरों को मृत्यु प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया.

2014 से पहले कतर सरकार की ओर से कमीशन की गई एक स्वतंत्र रिपोर्ट में वैश्विक लॉ फर्म डीएलए पाइपर ने ऐसे कृत्य की आलोचना की थी और कड़ाईपूर्वक सिफारिश की कि सरकार को अस्वाभाविक या अचानक हुई मौत के मामलों में शव के पोस्टमॉर्टम की अनुमति दे. 2021 के आखिर में, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने भी दुर्घटना और मृत्यु के कारणों के बारे में पर्याप्त दस्तावेज नहीं रखने के लिए सरकार की आलोचना की थी.

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एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट के दौरान जिन विशेषज्ञों का साक्षात्कार किया, उनके मुताबिक, ‘अच्छे प्रबंधन वाले स्वास्थ्य तंत्र' में महज एक फीसदी मौतें ऐसी होती हैं जहां मृत्यु के कारणों को नजरअंदाज किया गया हो. इसके अलावा, चीर-फाड़ वाले शव परीक्षण की नौबत शायद ही कभी आती हो और करीब 85 फीसदी मामलों में, मृतक के परिजनों अथवा प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही के साथ शव परीक्षण कर लेना पर्याप्त होता है.

ह्यूमन राइट्स वॉच, एमनेस्टी और फेयरस्क्वॉयर जैसे मानवाधिकार संगठन अक्सर ऐसे गवाहों से बात करते हैं जिनकी रिपोर्ट बताती है कि हीट स्ट्रोक, थकान और यहां तक कि छोटी-मोटी बीमारी भी कई बार इलाज के अभाव में अचानक मौत का कारण बन जाती है.

निष्कर्ष रूप में, 2022 के विश्व कप से संबंधित मौतों की संख्या कई बातों पर निर्भर करती है. मसलन, श्रमिक कहां से आ रहे हैं, उनकी मौत कब और कैसे हुई और क्या उनकी मौत को कार्यस्थल पर हुई मौत के रूप में परिभाषित किया जा सकता है या नहीं. हालांकि, कतर के खुद के आधिकारिक आंकड़ों की विसंगतियों और कमियों के कारण कोई ठोस निष्कर्ष निकालना मुश्किल है और इसीलिए ये सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कतर के अधिकारी कोई विश्वसनीय जानकारी देने में क्यों असमर्थ हैं.

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