योग और प्राणायाम भारत में प्राचीन काल से प्रचलित हैं. अब दुनिया भर में इनके फायदों पर चर्चा हो रही है. जर्मनी में डॉक्टर एमआरआई कर समझना चाह रहे हैं कि प्राणायाम के दौरान दिमाग में क्या क्या होता है.
व्यायाम करने, ब्लडप्रेशर को नियंत्रण में रखने और दिमाग की कुछ खास तरह की ट्रेनिंग करके उम्र के बढ़ने पर भी दिमाग को चुस्त दुरुस्त रखा जा सकता है. देखिए दिमाग की ट्रेनिंग के तरीके.
उम्र ढलने पर भी दिमाग रहे तेज
व्यायाम करने, ब्लडप्रेशर को नियंत्रण में रखने और दिमाग की कुछ खास तरह की ट्रेनिंग करके उम्र के बढ़ने पर भी दिमाग को चुस्त दुरुस्त रखा जा सकता है. देखिए दिमाग की ट्रेनिंग के तरीके.
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खतरनाक बदलाव
वैज्ञानिक बताते हैं कि अल्जाइमर्स या इसके जैसी दूसरी डिमेंशिया वाली बीमारियां होने से दशकों पहले ही दिमाग में खतरनाक बदलाव आने लगते हैं. तभी लोगों के पास अपने दिमाग की सेहत सुधारने का मौका होता है.
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ब्लड प्रेशर का ख्याल
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजिंग के अनुसार तीन तरह के उपाय करके दिमाग की सेहत को दुरुस्त रखा जा सकता है. इनमें से पहला है अधेड़ उम्र आते आते ब्लड प्रेशर का खास ख्याल. हाई बीपी से हर हाल में बचना.
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विशेष ध्यान
हाई बीपी वालों को वैसे भी दिल की बीमारियों से बचने के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. साथ ही साथ हाइपरटेंशन की हालत में दिमागी बीमारियों के होने का खतरा भी बढ़ जाता है.
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दिमाग की सेहत
शारीरिक गतिविधि बढ़ाना जरूरी है. आमतौर पर समझा जाना चाहिए कि जो व्यायाम या गतिविधियां दिल की बीमारियों में काम आती हैं वे दिमाग की सेहत के लिए भी अच्छी होती हैं.
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ब्रेन एक्सरसाइज
कॉग्नीटिव ट्रेनिंग या ब्रेन एक्सरसाइज कहे जाने वाले खास तरह के ट्रेनिंग प्रोग्राम कर दिमाग में स्पर्श, गंध, पहचान, तर्क और याददाश्त को बेहतर बनाया जा सकता है.
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मदद के साक्ष्य
कई विशेषज्ञ इन ब्रेन एक्सरसाइज को ब्रेन गेम से अधिक नहीं मानते. उनका मानना है कि भले ही इससे तुरंत फायदा महसूस होता हो लेकिन बड़ी बीमारियों में इनसे बहुत अधिक मदद मिलते के साक्ष्य नहीं हैं.
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नयी भाषा
अब तक जिस चीज का सबसे अधिक फायदा साबित हुआ है वह है सामाजिक और सामूहिक गतिविधियों में शामिल होना. इसके अलावा नयी भाषा सीखने को कुछ सबसे प्रभावी दिमागी व्यायामों में से एक माना गया है.