ट्रांसजेंडरों का जीवन आसान बनाने से झिझक रहे हैं कई देश
२५ अक्टूबर २०२३
कुछ देशों ने ट्रांसजेंडर लोगों के लिए कानूनी रूप से अपना लिंग बदलना आसान बना दिया है, जबकि अन्य देशों विशेष ने ऐसे परिवर्तनों को प्रतिबंधित कर दिया है. इनमें रूस और पाकिस्तान जैसे देश शामिल हैं.
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इंटरनेशनल लेस्बियन एंड गे एसोसिएशन (आईएलजीए) के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र के 24 सदस्य देशों ने कानूनी तौर पर लोगों को आत्म-पहचान के आधार पर अपना लिंग बदलने की अनुमति दी है.
जबकि लगभग 40 अन्य देशों में कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रिया में वर्षों लग सकते हैं और इसमें मनोरोग निदान, हार्मोन उपचार, लिंग पुष्टिकरण सर्जरी या यहां तक कि नसबंदी जैसी आवश्यकताएं भी शामिल हो सकती हैं.
अर्जेंटीना ने 2012 से एक साधारण घोषणा के साथ राष्ट्रीय पहचान पत्र पर लिंग परिवर्तन की अनुमति देकर ट्रांसजेंडर अधिकारों पर मार्ग प्रशस्त किया है. इसके बाद कई लैटिन अमेरिकी देशों ने भी इसका अनुसरण किया है.
'गे कन्वर्जन थेरेपी' के शिकार
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यूरोपीय देशों की स्थिति
2014 में डेनमार्क पहला यूरोपीय देश था जिसने वयस्कों को बिना चिकित्सीय या मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन के लिंग परिवर्तन के लिए आवेदन करने की अनुमति दी थी, बेल्जियम, आयरलैंड, माल्टा, नॉर्वे, पुर्तगाल और हाल ही में स्पेन ने भी इसी तरह की सुविधा दी है.
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2017 से फ्रांस ने ट्रांसजेंडर लोगों को उपचार, सर्जरी या नसबंदी के बिना अपने आईडी दस्तावेजों पर अपनी स्थिति बदलने की अनुमति दी है, लेकिन उन्हें इसके लिए अदालत की मंजूरी लेनी होगी.
ट्रांसजेंडर अधिकारों के मुद्दे ने 2022 में स्कॉटलैंड में एक भयंकर विवाद को जन्म दिया, जहां संसद ने एक विधेयक पारित किया जिससे लोगों के लिए अपने लिंग की पहचान करना आसान हो गया. विधेयक को लंदन ने वीटो कर दिया था.
अगस्त 2023 में जर्मन कैबिनेट ने उन योजनाओं पर हस्ताक्षर किए जिसके तहत जर्मन नागरिक अपने स्थानीय रजिस्ट्री कार्यालय में एक साधारण आवेदन करके अपना नाम या कानूनी लिंग बदल सकते हैं. इस कानून को अभी भी संसद से मंजूरी मिलना बाकी है.
इस मामले में स्वीडन दुनिया के सबसे उदार देशों में से एक है, जो 1972 में वयस्कों के लिए शारीरिक और कानूनी लिंग परिवर्तन को अधिकृत करने वाला दुनिया का पहला देश था.
लेकिन पिछले साल स्वीडन ने सावधानी की आवश्यकता का हवाला देते हुए लिंग डिस्फोरिया से पीड़ित बच्चों, जैसे कि यौवन अवरोधक के लिए उपलब्ध हार्मोन थेरेपी को प्रतिबंधित करना शुरू कर दिया.
कुछ देशों में पहचान पाना मुश्किल
रूस ने जुलाई 2023 में "किसी व्यक्ति के लिंग को बदलने के उद्देश्य से चिकित्सा हस्तक्षेप" और "ऑपरेशन के बिना लिंग परिवर्तन के राज्य पंजीकरण" पर प्रतिबंध लगाने वाला नया कानून अपनाया. राष्ट्रपति पुतिन अपने भाषणों में लगातार ट्रांसजेंडर अधिकारों के खिलाफ आवाज उठाई है.
पाकिस्तान की धार्मिक न्यायपालिका ने इसी साल मई में फैसला सुनाया कि 2018 से ऐतिहासिक ट्रांसजेंडर कानूनी सुरक्षा गैर-इस्लामिक है और इसलिए अमान्य है. पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में एक अपील याचिका दायर की गई है.
क्वियर लोगों के लिए सबसे दोस्ताना ठिकाने
पूरी दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां क्वियर लोगों के अनुकूल नीतियां लागू हैं. पेश है यात्रा करने के लिए 2021 के स्पार्टेकस गे ट्रेवल सूचकांक पर आधारित ऐसे 10 सबसे अच्छे ठिकाने.
तस्वीर: Sofia Toscano/colprensa/dpa/picture alliance
कनाडा
कनाडा को दुनिया में सबसे ज्यादा क्वीर-फ्रेंडली गंतव्य माना जाता है. यहां 2005 में ही समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दे दी गई थी. देश में कई जाने माने एलजीबीटीक्यूआई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, जैसे जून में होने वाला टोरंटो प्राइड उत्सव और अगस्त में होने वाला फीएरते मोंट्रियल उत्सव.
तस्वीर: Nathan Denette/empics/picture alliance
माल्टा
भूमध्य सागर स्थित यह छोटा सा द्वीप एलजीबीटीक्यूआई समुदाय के संरक्षण के लिहाज से यूरोप का सबसे प्रगतिशील देश है. यहां 2004 में ही सेक्सुअल ओरिएंटेशन और लैंगिक पहचान के आधार पर भेदभाव को बैन कर दिया गया था. 2016 में माल्टा तथाकथित गे कन्वर्जन थेरेपी को अवैध घोषित करने वाला पहला यूरोपीय देश बन गया था.
तस्वीर: Mark Zammit Cordina/Photohot/picture alliance
पुर्तगाल
लिस्बन और पोर्तो पुर्तगाल के सबसे विविध और खुले विचारों वाले शहरों में से हैं. देश में समलैंगिक विवाह को 2010 से कानूनी मान्यता प्राप्त है. समलैंगिक जोड़ों को बच्चा गोद लेने के भी पूरे अधिकार प्राप्त हैं. हालांकि अभी भी ट्रांसजेंडर लोगों के संरक्षण और कन्वर्जन थेरेपी को अवैध घोषित करने के लिए कुछ कदम उठाए जाने बाकी हैं.
तस्वीर: Diogo Baptista/ZUMAPRESS/picture alliance
स्वीडन
स्वीडन को दुनिया के सबसे प्रगतिशील देशों में शुमार किया जाता है. देश में समलैंगिक वयस्कों के बीच यौन संबंधों को 75 साल पहले ही वैध घोषित कर दिया था. आज, देश में लिंग आधारित सर्वनामों की जगह जेंडर न्यूट्रल सर्वनाम "हेन" का व्यापक रूप से इस्तेमाल होता है.
तस्वीर: Iulianna Est/Zoonar/picture alliance
उरुग्वे
लैटिन अमेरिका के सबसे उदार देशों में से एक, उरुग्वे समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाले सबसे पहले देशों में से था. यहां समलैंगिक लोगों के बीच सहमति से होने वाले यौन संबंधों को 1934 में ही वैध घोषित कर दिया गया था. एलजीबीटीक्यूआई समुदाय के लोगों के संरक्षण के लिए 2004 में एक भेदभाव विरोधी कानून भी लाया गया.
तस्वीर: Daniel Ferreira-Leites Ciccarino/Zoonar/picture alliance
ऑस्ट्रेलिया
सुंदर समुद्र तट और बहुसांस्कृतिक शहरों के लिए जाने जाने के अलावा, ऑस्ट्रेलिया एक बेहद उदार देश भी है. देश में 1984 में ही लिंग, सेक्सुअल ओरिएंटेशन, लैंगिक पहचान या इंटरसेक्स दर्जे के आधार पर लोगों को भेदभाव से बचाने के लिए एक कानून पास कर दिया गया था. 2017 में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता भी दे दी गई थी.
तस्वीर: Subel Bhandari/dpa/picture alliance
जर्मनी
जर्मनी में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता 2017 में मिल गई थी और अब इंटरसेक्स लोग भी कानूनी रूप से खुद को इंटरसेक्स बता सकते हैं. कोलोन और बर्लिन को विशेष रूप से विविध और खुले विचारों वाले शहरों के रूप में जाना जाता है. हालांकि अभी भी देश में सच्चे रूप से एक क्वीर-फ्रेंडली समाज बनाने के लिए कई कदम उठाए जाने बाकी हैं.
तस्वीर: Christoph Hardt/Geisler-Fotopress/picture alliance
आइसलैंड
आर्कटिक सर्किल के पास स्थित इस कम आबादी वाले देश को एलजीबीटीक्यूआई समुदाय के लोगों के लिए काफी अनुकूल माना जाता है. यहां समलैंगिक विवाह को 2010 में कानूनी मान्यता दे दी गई थी. राजधानी रेक्याविक में 1999 से ही हल साल प्राइड उत्सव भी मनाया जाता है. यह सबसे सुरक्षित और सबसे उदार यात्रा गंतव्यों में से है.
तस्वीर: IBL Schweden/picture alliance
ताइवान
ताइवान को एलजीबीटीक्यूआई अधिकारों के लिहाज से एशिया का सबसे प्रगतिशील देश माना जाता है. देश में एक कड़ा भेदभाव विरोधी कानून लागू है और यहां ट्रांसजेंडरों के अधिकारों का भी संरक्षण किया जाता है. 2019 में यह समलैंगिक विवाह को वैधता देने वाला पहला एशियाई देश बन गया था.
तस्वीर: Ceng Shou Yi/NurPhoto/picture alliance
कोलंबिया
कोलंबिया की संस्कृति में कैथोलिक मान्यताएं और मर्दाना तौर तरीके गहरे समाए हुए हैं, फिर भी एलजीबीटीक्यूआई अधिकारों के हिसाब से इसे लैटिन अमेरिका के सबसे प्रगतिशील देशों में से एक माना जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में समलैंगिक विवाहों को वैध घोषित कर दिया था. 2020 में, सालाना वर्ल्ड ट्रेवल अवॉर्ड्स में कोलंबिया को दक्षिण अमेरिका का अग्रणी एलजीबीटीक्यूआई गंतव्य चुना गया (सोफी डेस्मंड).
तस्वीर: Sofia Toscano/colprensa/dpa/picture alliance
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पाकिस्तान में ट्रांसजेंडर समुदाय लंबे समय से अपने अधिकारों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं. 2012 में देश के सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर लोगों को "तीसरे जेंडर" के रूप में कानूनी मान्यता दी थी. उसके बाद 2018 में देश में ऐतिहासिक कानून के तहत उन्हें मतदान का अधिकार, रोजगार में बराबर अवसर का अधिकार और राष्ट्रीय पहचान पत्र पर अपना लिंग इंगित कराने का अधिकार मिला.
भारत में लंबे समय से समलैंगिक शादी को मान्यता देने की मांग कर रहा है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने समलैंगिक जोड़ों के शादी करने के अधिकार को मान्यता देने से इनकार कर दिया और कहा कि इस पर कानून बनाने का अधिकार संसद को है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में जरूर कहा था कि समलैंगिक जोड़े संयुक्त रूप से बच्चा गोद ले सकते हैं.
एए/सीके (एएफपी)
सेम-सेक्स मैरिज को वैधता देने वाले देश
सोवियत संघ से टूटने वाले देशों में एस्टोनिया, ऐसा पहला देश बना है, जिसने समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता दी है. वैध शादी केवल आदमी और औरत के बीच ही हो सकती है ऐसा ना मानने वाले देशों की तादाद लगातार बढ़ रही है.
तस्वीर: Boris Roessler/dpa/picture alliance
एस्टोनिया की पहल
20 जून 2023 को एस्टोनिया की संसद ने सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने वाला बिल पास किया. संसोधित कानून एक जनवरी 2024 से लागू होगा.
तस्वीर: Margus Ansu/Scanpix/IMAGO
क्यूबा में उठी लहर
क्यूबा की जनता ने सितंबर 2022 में रेफरेंडम के जरिए सेम-सेक्स मैरिज को हरी झंडी दिखाई. क्यूबा के नये फैमिली कोड के हिसाब से संतान की चाहत पूरी करने के लिए ऐसे जोड़े बिना पैसों का लेनदेन किये एक सरोगेट का सहारा ले सकते हैं.
तस्वीर: Ramon Espinosa/AP/picture alliance
स्लो था स्लोवेनिया
पूर्वी यूरोप के ज्यादातर देशों में इसकी अनुमति है. लेकिन दिसंबर 2015 में स्लोवेनिया ने जनमत संग्रह में गे मैरिज के खिलाफ फैसला लिया था. फिर जुलाई 2022 में देश की संवैधानिक अदालत के आदेश के बाद वहां भी इसे वैधता दी गई.
तस्वीर: Sieghart Mair/Zoonar/picture alliance
नये नये शामिल हुए
चिली और स्विट्जरलैंड में 2021 में इसे कानूनी मान्यता मिली. गे मैरिज और इससे जुड़े सरोगेसी, स्पर्म डोनेशन और नागरिकता जैसे सभी मामलों में सेम-सेक्स मैरिज को वैधता देने वाले कुछ आखिरी पश्चिमी यूरोपीय देशों में इसे गिना जा सकता है.
तस्वीर: Gaetan Bally/picture alliance
इंटरनेशनल कंवेन्शनों के कारण खुला रास्ता
कोस्टा रिका के सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में कहा कि अमेरिकन कन्वेंशन ऑन ह्यूमन राइट्स पर हस्ताक्षर करने के कारण देश में भी शादी के अधिकार में बराबरी होनी चाहिए. कोर्ट ने सरकार को 2020 तक का समय दिया और फिर यह लागू हो गया.
तस्वीर: Rob Francis/robertharding/picture alliance
संवैधानिक अदालतों की भूमिका
2019 में ही तीन देशों - ऑस्ट्रिया, ताइवान और इक्वाडोर - में संवैधानिक अदालतों के निर्देश और दखल के कारण गे और लेस्बियन जोड़ों को शादी के सूत्र में बंधने का अधिकार मिला. एशिया में ताइवान इसे वैधता देने वाला पहला देश बना.
तस्वीर: Reuters/T. Siu
एक नया जर्मनी
30 जून 2017 को जर्मन संसद में समलैंगिक शादियों को वैधता देने का प्रस्ताव पास हुआ और 2017 के आखिर से इसे लागू कर दिया गया. इस अहम कदम के पहले पांच सालों में ही 65,000 से अधिक ऐसी शादियां हुईं.
तस्वीर: Annette Riedl/dpa/picture alliance
अगुआ नीदरलैंड्स
अप्रैल 2001 में नीदरलैंड्स दुनिया का पहला देश बना, जहां गे और लेस्बियन जोड़ों को सिविल सेरेमनी में बंधने का अधिकार मिल गया. इसके बाद दर्जनों अन्य यूरोपीय देशों में भी इसे मान्यता मिली.
तस्वीर: Evert Elzinga/AFP/Getty Images
यूरोपीय देशों में प्रसार
नीदरलैंड्स के बाद यूरोप के अन्य देशों बेल्जियम, ब्रिटेन (उत्तरी आयरलैंड को छोड़कर), डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, आइसलैंड, आयरलैंड, लक्जेमबर्ग, नॉर्वे, पुर्तगाल, स्पेन और स्वीडन में भी सिविल सेरेमनी की अनुमति मिली.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
सिविल पार्टनरशिप
कुछ यूरोपीय देशों में समलैंगिक जोड़ों को सिविल पार्टनरशिप में रहने की व्यवस्था है. ये देश हैं ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया, साइप्रस, चेक रिपब्लिक, ग्रीस, हंगरी, इटली, माल्टा और स्विट्जरलैंड. 2014 में एस्टोनिया भी इस सूची में जुड़ा.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C.Mc/Naughton
पूर्वी यूरोप
बुल्गारिया, लात्विया, लिथुआनिया, पोलैंड, रोमेनिया और स्लोवाकिया जैसे पूर्वी यूरोप के देशों में समलैंगिक लोगों को शादी करने का हक मिला हुआ है. दिसंबर 2015 में स्लोवेनिया ने जनमत संग्रह में गे मैरिज के खिलाफ फैसला लिया.
तस्वीर: Reuters/S. Zivulovic
बच्चे गोद लेना
पश्चिमी यूरोप के 15 देशों में समलैंगिक जोड़े बच्चों को गोद ले सकते हैं, चाहे वे शादीशुदा हों या सिविल पार्टनरशिप में रह रहे हों. ऐसे देश हैं बेल्जियम, ब्रिटेन, डेनमार्क, फ्रांस, नीदरलैंड्स, स्पेन और स्वीडन. इसके अलावा फिनलैंड, जर्मनी और स्लोवेनिया में समलैंगिकों को अपने पार्टनर के बच्चों को गोद लेने का अधिकार देता है.
तस्वीर: Colourbox/Altopress/L. Mouton
उत्तरी अमेरिका में अगुआ
यहां सबसे पहले कनाडा ने समलैंगिक शादी और बच्चा गोद लेने को जून 2005 में ही मान्यता दे दी थी. अमेरिका में 2015 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गे मैरिज को देशव्यापी वैधता मिली.
तस्वीर: Getty Images
लैटिन अमेरिका में
पहला देश रहा मेक्सिको, जहां 2007 में सिविल यूनियन और 2008 में पूर्ण विवाह की अनुमति मिल गयी. अर्जेंटीना, ब्राजील, कोलंबिया और उरुग्वे में भी समलैंगिक शादियां कानूनी रूप से वैध हैं.
तस्वीर: Imago
अफ्रीका का हाल
अफ्रीकी महाद्वीप के 30 देशों में समलैंगिकता पर ही प्रतिबंध है. केवल दक्षिण अफ्रीका में ही समलैंगिक लोगों को शादी करने और बच्चे गोद लेने का अधिकार है. ऋतिका पाण्डेय (एएफपी)
तस्वीर: Johann Hattingh/AFP/Getty Images
किनसे हैं उम्मीदें
भारत में अब भी सेम-सेक्स मैरिज की अनुमति नहीं है लेकिन इसके समर्थन में कई आंदोलन चल रहे हैं. इसके अलावा चेक रिपब्लिक, अंडोरा, जापान, फिलिपींस और थाईलैंड में इसकी काफी मांग है.