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चीनी कंपनियों को कैसे टक्कर दे रहा है एक जर्मन स्टार्टअप

लाउरा काबेल्का
२९ मार्च २०२४

जर्मनी के बाजार में चीन के सस्ते सौर ऊर्जा उत्पादों की भरमार हो गई है. कई जर्मन कंपनियों को काम बंद करना पड़ रहा है. ऐसे में एक जर्मन स्टार्टअप सनमैक्स किस तरह चीनी कंपनियों का मुकाबला कर रहा है?

जर्मन स्टार्टअप सनमैक्स के सोलर पैनल
सनमैक्स के पैनल सूर्य की रोशनी से ज्यादा ऊर्जा पैदा करते हैं. यह उन्हें चाइनीज पैनलों के मुकाबले बढ़त दिला सकता है. तस्वीर: Sunmaxx

जर्मनी के ड्रेसडेन के पास मौजूद सनमैक्स के कारखाने में जाते ही पहली चीज जो ध्यान खींचती है, वह है इसका छोटा आकार. यह अभी काफी खाली नजर आता है. यहां एक असेंबली लाइन पर काम जारी है, जहां चमकदार सौलर पैनल को कन्वेयर बेल्ट पर और गुणवत्ता जांचने वाली मशीनों से गुजारा जा रहा है.

इन पैनल को सिर्फ सामने की तरफ से फिल्माया जा सकता है, जहां सोलर सेल लगी है और ऊपर कांच की परत है. इसके पीछे की तरफ क्या खास है, यह पूरी तरह से छिपाकर रखा गया है. सनमैक्स के सीईओ विल्हेम श्टाइन इस तकनीक के बारे में जानकारी देने में हिचकिचाते हैं. उन्हें चिंता है कि भले ही उन्होंने सनमैक्स की तकनीक को पेटेंट करा लिया है, लेकिन चीनी निर्माताओं को इसकी नकल करने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. वे पहले भी ऐसा कर चुके हैं.

जर्मनी अपने देश में आयात किए जाने वाले सौर उत्पादों का 90 फीसदी हिस्सा चीन से खरीदता है. चीन सोलर पैनल और उससे जुड़े अन्य उत्पादों, जैसे कि सिलिकॉन, इनगोट, वेफर्स और सेल वगैरह के निर्माण में भी दुनिया में सबसे आगे है. विशेषज्ञ जर्मनी की इस निर्भरता को देश के जलवायु लक्ष्यों के लिए बड़ी कमजोरी के रूप में देखते हैं. इनमें अक्षय स्रोतों से 80 फीसदी बिजली उत्पादन का लक्ष्य शामिल है.

फ्राउनहोफर इंस्टिट्यूट फॉर सोलर एनर्जी सिस्टम्स में फोटोवोल्टिक्स डिवीजन के प्रमुख रॉल्फ प्रीउ कहते हैं कि एक वक्त था, जब चीनी सौर उत्पादों की गुणवत्ता काफी खराब थी. अब इनका निर्माण तथाकथित गीगाफैक्ट्री, यानी बड़े-बड़े कारखानों में होता है और इनकी गुणवत्ता काफी बेहतर हो गई है. चीनी कंपनियां अपने इन उत्पादों को कम कीमतों में बेच रही हैं, जिससे यूरोप के बाजार इनसे भर चुके हैं.   

प्रीउ ने डीडब्ल्यू को बताया, "ये सस्ते चीनी सामान यूरोप के बाजार की कीमतों को बहुत नीचे गिरा रहे हैं. इस वजह से यूरोप में सौर उत्पाद बनाने वाली लगभग सभी कंपनियां अपना काम बंद करने पर मजबूर हो गई हैं." हालांकि, सनमैक्स के श्टाइन को उम्मीद है कि नई तकनीक की वजह से उनकी कंपनी अगले एक-दो साल में अपने प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़ देगी.

सनमैक्स के सौर पैनल किस तरह अलग हैं?

आमतौर पर, सोलर पैनल सूर्य की रोशनी का सिर्फ 20 फीसदी हिस्सा ही बिजली में बदल पाते हैं. बाकी 80 फीसदी ऊर्जा गर्मी के रूप में खत्म हो जाती है. यह गर्मी आसपास के वातावरण में चली जाती है या फिर सोलर पैनल को गर्म करती है. श्टाइन दावा करते हैं कि उनकी तकनीक से सूर्य की रोशनी के 80 फीसदी हिस्से का इस्तेमाल किया जाता है, यानी सूर्य की 80 फीसदी रोशनी ऊर्जा में बदल जाती है. ऐसा इसलिए संभव है क्योंकि ये पैनल बिजली बनाने के साथ-साथ 60 फीसदी ऊर्जा गर्मी के रूप में भी पैदा करते हैं. 

फोटोवोल्टिक-थर्मल (पीवीटी) सिस्टम के तौर पर सनमैक्स का पैनल न सिर्फ सूर्य की रोशनी को बिजली में परिवर्तित करता है, बल्कि अपनी थर्मल तकनीक की मदद से सौर गर्मी को भी कैप्चर करता है. श्टाइन ने डीडब्ल्यू को बताया, "गर्मी को प्रबंधित करने वाली यह थर्मल मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी पहले गाड़ियों में इस्तेमाल होती थी. अब हमने सोलर पैनल के साथ मिलाकर एक खास तकनीक बनाई है. यह तरीका और कहीं नहीं है, सिर्फ हमारे पास है."

सोलर पैनल इस तकनीक की मदद से सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करके बिजली और गर्मी पैदा करता है. इससे इमारतों को बिजली मिलती है और उनके लिए पानी गर्म किया जा सकता है. कंपनी का कहना है कि वह अब अपनी पेटेंट तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. मौजूदा समय में सनमैक्स की सालाना उत्पादन क्षमता 50 मेगावाट तक सीमित है. कंपनी अपने मौजूदा कारखाने में इसे बढ़ाकर 500 मेगावाट तक कर सकती है.

सनमैक्स जैसी सोलर पैनल बनाने वाली कंपनियां जर्मनी में बहुत कम होती जा रही हैं. तस्वीर: Sunmaxx

ऊंट के मुंह में जीरा

फ्राउनहोफर इंस्टिट्यूट फॉर सोलर एनर्जी सिस्टम्स के विशेषज्ञों का कहना है कि यूरोपीय सौर कंपनियां चीनी निर्माताओं के साथ प्रतिस्पर्धा करने में तभी सक्षम होंगी, जब वे बड़े पैमाने पर और लागत में कटौती के माध्यम से तीन गीगावाट से अधिक का उत्पादन कर सकें. प्रीउ ने सनमैक्स के पीवीटी सिस्टम को 'दिलचस्प तरीका' बताया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि "यह सौर ऊर्जा बाजार का एक छोटा हिस्सा है. हालांकि, इसमें आगे बढ़ने के बेहतर मौके हैं." प्रीउ का मुख्य सवाल यह है कि जर्मनी किस तरह अपने उस पुराने गौरव को वापस पा सकता है, जब वह सौर उद्योग का सबसे बड़ा खिलाड़ी हुआ करता था.

वह बताते हैं, "जर्मनी में सौर उद्योग तभी फल-फूल सकता है, जब हम बड़े पैमाने पर उत्पादन केंद्र और आपूर्ति शृंखला बना सकें. दुर्भाग्य से यह इस समय फल-फूल नहीं रहा है क्योंकि बड़े पैमाने पर उत्पादन केंद्र नहीं हैं." प्रीउ का कहना है कि पैनल और बैटरी के निर्माण के अलावा जर्मन कंपनियों को सोलर वेफर्स के उत्पादन पर भी ध्यान देना चाहिए क्योंकि देश की कंपनियां इसका निर्माण नहीं कर रही हैं और इसके लिए चीन पर काफी ज्यादा निर्भरता बढ़ गई है.

चीन पर निर्भरता कितनी खतरनाक है?

यूक्रेन पर रूस के हमले और रूस पर लगे प्रतिबंधों के बाद यह सबक मिला कि सस्ते रूसी ईंधन पर निर्भर रहना खतरनाक है. उसी तरह, कई विशेषज्ञ जर्मनी की चीनी सौर पैनलों पर निर्भरता को लेकर चिंतित हैं. हालांकि, जैक्स डेलर्स सेंटर के औद्योगिक नीति विशेषज्ञ और उप-निदेशक निल्स रेडेकर का कहना है कि जर्मनी की चीनी सौर उत्पादों पर निर्भरता की रूसी गैस पर निर्भरता से तुलना करना गलत है. रेडेकर का तर्क है, "अगर चीन के साथ संघर्ष चरम पर पहुंच जाता है, तो जर्मनी में सौर पैनल लगाने की योजनाओं में थोड़ी परेशानी जरूर आएगी, लेकिन ये खतरा रूसी गैस जितना बड़ा नहीं है."

यूरोपीय संघ के सोलर पैनलों के गोदाम फिलहाल पूरी तरह से भरे हुए हैं. विशेषज्ञों का अनुमान है कि इनका स्टॉक अगले डेढ़ साल तक यूरोपीय संघ की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. इससे जर्मनी को वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं को खोजने का समय मिल जाएगा, जिसमें घरेलू उत्पादन को बढ़ाना भी शामिल है. रेडेकर संभावित आपूर्तिकर्ताओं के रूप में अमेरिका और भारत की ओर इशारा करते हैं.

जर्मनी के सौर उद्योग का भविष्य

अमेरिका जैसे देश अपने 'इन्फ्लेशन रिडक्शन ऐक्ट' के जरिए जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए ग्रीन टेक्नोलॉजी पर काफी सब्सिडी दे रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ जर्मनी में सौर उत्पाद बनाने वाली कंपनियों और शोध करने वाले संस्थानों का कहना है कि उन्हें सरकारी मदद बहुत कम मिलती है.

सोलर पैनल बनाने वाली कंपनी मेयर बर्गर ने इस साल की शुरुआत में जर्मनी के फ्राइबुर्ग में अपना कारखाना बंद करने और अमेरिका में नया कारखाना लगाने की घोषणा की थी. इस तरह की कंपनियां जर्मन सरकार पर दबाव डाल रही हैं कि वह एक खास तरह का बोनस दे. इस बोनस को 'रेजिलिएंस बोनस' कहा जाता है. इस तरह के बोनस, यानी सरकारी मदद से जर्मनी में सोलर पैनल बनाने में आने वाली ज्यादा लागत को कम करने में मदद मिलेगी.

वहीं, आलोचकों का कहना है कि इस उद्योग को बचाने के लिए सब्सिडी देना कोई स्थायी समाधान नहीं है. दूसरी तरफ, सब्सिडी के समर्थक कहते हैं कि शुरुआत में मदद मिलने से जर्मनी में सौर पैनल बनाने का काम फिर से शुरू हो सकता है. जर्मन सोलर इंडस्ट्री एसोसिएशन के प्रबंध निदेशक कार्स्टन कोर्निग कहते हैं, "जर्मनी की सौर कंपनियों के लिए यह काफी ज्यादा मायने रखता है कि उनकी सरकार उन्हें शुरुआती दौर में सोलर पैनल बनाने के कारखानों के लिए सरकारी मदद देती है या नहीं. इस मदद से ही जर्मन कंपनियां दूसरे देशों की कंपनियों से मुकाबला कर पाएंगी."

सनमैक्स का कहना है कि चीनी सामानों पर सख्त आयात नियंत्रण लगाए जाने चाहिए क्योंकि ये अक्सर मानवाधिकारों के उल्लंघन से जुड़े होते हैं. साथ ही, इससे जर्मन कंपनियों को बराबरी का मौका मिल सकेगा. जबकि, जर्मनी में सीधे तौर पर चीनी उत्पादों पर टैरिफ लगाने की बात को लेकर थोड़ी झिझक है. ऐसा इसलिए कि करीब एक दशक पहले ऐसे ही टैरिफ लगाने से जर्मनी के सौर उद्योग को बड़ा नुकसान हुआ था.

जर्मनी की सरकार ने अभी तक यह फैसला नहीं किया है कि किस तरह से घरेलू सौर उद्योग को बचाया जाए. मेयर बर्गर जैसी कंपनियों के अलावा सोलरवाट और हेकर्ट जैसी सौर कंपनियों ने भी हाल ही में कहा है कि वे जर्मनी में उत्पादन केंद्रों को बंद या कम कर सकती हैं या यहां से बाहर भी जा सकती हैं.

सोलर फार्म के नीचे होने वाली बेहतरीन खेती

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कुछ कंपनियों को अभी भी बेहतरी की उम्मीद

बहुत से लोग मानते हैं कि जर्मनी का सौर उद्योग फिर से खत्म हो जाएगा, लेकिन कुछ कंपनियां अभी भी अपनी तकनीक पर यकीन रखती हैं और अपना काम बढ़ा रही हैं. सोलर पैनल के उत्पादन में सनमैक्स इसी तरह का एक उदाहरण है. ऑक्सफोर्ड पीवी, ब्रांडेनबुर्ग में उच्च-क्षमता वाली बैटरी का उत्पादन शुरू कर रहा है. अपनी पेरोवस्काइट-ऑन-सिलिकॉन टेंडेम सेल की मदद से कंपनी ने 28.6 फीसदी बिजली उत्पादन के साथ फोटोवोल्टिक सेल के लिए नया विश्व रिकॉर्ड बनाया है.

हालांकि, अभी भी यह कंपनी अपने चीनी प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले काफी छोटे स्तर पर काम कर रही है. ऑक्सफोर्ड पीवी के मुख्य वित्तीय अधिकारी फ्रैंक नोरोथ का कहना है, "अभी तो हर कोई सिर्फ कम दाम पर बेचने पर ध्यान दे रहा है. अगर बेहतर तकनीक आ जाए, तो लोग ज्यादा दाम देने के लिए भी तैयार हो सकते हैं."

फिलहाल, सनमैक्स और ऑक्सफोर्ड पीवी के लिए चीनी निर्माताओं के साथ मुकाबला करना मुश्किल है. पूरा उद्योग अभी भी आयात पर बहुत ज्यादा निर्भर है. इसके बावजूद ये कंपनियां अपनी नई और बेहतर तकनीक के सहारे जर्मनी के सौर उद्योग को फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रही हैं.

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