महीनों से धमकियां और नफरत झेल कर थक चुकी ऑस्ट्रिया की एक डॉक्टर ने हाल ही में आत्महत्या कर ली. इस नफरत के खिलाफ और उनकी याद में हजारों लोगों ने निकाला जुलूस.
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जर्मनी से सटे यूरोपीय देश ऑस्ट्रिया में सोमवार शाम हजारों लोगों ने इकट्ठे होकर जुलूस निकाला. कई महीनों से देश के कुछ लोगों की नफरत और धमकियों की शिकार बनी एक डॉक्टर की खुदखुशी के बाद लोगों ने ऐसी एकजुटता दिखाई.
कैसे बने इतने बुरे हालात?
ऑस्ट्रिया की डॉक्टर लीसा-मारिया केलेनमायर को कोरोना को फैलने से रोकने के लिए लगी पाबंदियों और टीके का विरोध करने वाले एक्टिविस्ट लगातार निशाना बना रहे थे. डॉक्टर को डराने धमकाने के लिए कई लोगों ने पहले तो उन्हें इंटरनेट पर भला बुरा कहा और फिर उनके क्लिनिक पहुंच कर भी सामने से जान की धमकी दी थी.
जान पर खतरे के चलते कुछ हफ्ते पहले ही उन्होंने अपनी क्लीनिक बंद कर दी थी. अपनी जेब से काफी बड़ी रकम वह सुरक्षा के नाम पर खर्च कर चुकी थीं. उन्होंने अपना डर जताते हुए कहा था कि पुलिस और प्रशासन उन्हें पर्याप्त सुरक्षा नहीं दे पा रहे हैं.
नेताओं के आह्वान का असर
सोमवार को राजधानी विएना के सेंट स्टीफेन्स कैथीड्रल के पास जुटे लोगों ने डॉक्टर की याद में मोमबत्तियां और फोन की लाइटें जलाकर शोक और शांति का संदेश दिया. बीते शुक्रवार वह अपने क्लीनिक में मृत पाई गई थीं.
ऑस्ट्रिया के कई बड़े नेताओं ने डॉक्टर की मौत पर शोक जताते हुए देशवासियों से एकजुट होने का आग्रह किया. राष्ट्रपति अलेक्जांडर फान डेय बेलेन ने कहा, "इस तरह डराने धमकाने और डर को हवा देने को यहीं रोकते हैं.” उन्होंने कहा कि नफरत और असहिष्णुता की ऑस्ट्रिया में कोई जगह नहीं होनी चाहिए.
आखिर चली ही गई जान
प्रशासन ने उनकी मौत की पुष्टि करते हुए इसे आत्महत्या बताया है. पोस्ट मॉर्टम का आदेश नहीं दिया गया. सरकारी वकील ने शव के साथ एक सुसाइड नोट मिलने की जानकारी दी है लेकिन उसमें क्या लिखा था यह बताने से इंकार किया.
कोविड टीका न लगवाने वालों पर कैसी-कैसी सख्तियां
कोविड-19 वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच विश्व के कई देशों में टीकाकरण को बढ़ावा देने के अलावा टीका ना लगवाने वालों पर कई तरह से कार्रवाई हो रही है.
कनाडा के क्यूबेक प्रांत में कोविड का टीका नहीं लगवाने वालों पर नया स्वास्थ्य कर लगेगा. क्यूबेक के प्रीमियर फ्रांस्वा लगू ने 11 जनवरी को यह घोषणा की. उन्होंने कहा कि टीका न लगवाने वालों के चलते प्रांतीय अस्पतालों पर बोझ बढ़ रहा है जिससे सभी नागरिकों आर्थिक बोझ बढ़ रहा है. जुर्माने की रकम 100 डॉलर से तो ऊपर ही होगी. वहीं किसी मेडिकल कारण से टीका न लगवाने वालों को इससे छूट मिलेगी.
तस्वीर: Paul Chiasson/The Canadian Press/empics/picture alliance
इंडोनेशिया
फरवरी 2021 में इंडोनेशिया ने कोविड वैक्सीन न लगवाने वालों पर कार्रवाई का एलान किया. राष्ट्रपति द्वारा जारी इस आदेश में दंड तय करने का अधिकार स्थानीय प्रशासन को दिया गया था. इसके बाद राजधानी जर्काता में प्रशासन ने बताया कि टीका न लगवाने वालों को स्थानीय मुद्रा में 50 लाख रुपये तक का जुर्माना देना होगा, या वे सरकार से मिलने वाली वेलफेयर राशि नहीं पा सकेंगे.
तस्वीर: Khalis Surry/picture alliance/AA
ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में जनवरी 2016 से 'नो जैब, नो पे' पॉलिसी लागू है. इसके मुताबिक, 19 साल तक के बच्चों को अनिवार्य टीके न लगने पर उनके परिवारों को दी जाने वाली सरकारी सहायता राशि रोक दी जाएगी. साथ ही, उन बच्चों के माता-पिता को टैक्स छूट भी नहीं मिलेगी. वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया स्टेट ने सर्विस सेक्टर में काम करने वालों के लिए टीका अनिवार्य बना दिया. नॉदर्न टैरेटरी में भी यह नियम लागू है.
तस्वीर: Sydney Low/Zuma/picture alliance
ऑस्ट्रिया
15 नवंबर, 2021 से यहां बिना टीका लगवाए गए लोगों पर सार्वजनिक जगहों के इस्तेमाल की पाबंदी लगा दी गई. रेस्तरां, बार, होटल समेत ज्यादातर सार्वजनिक जगहों के लिए यह नियम लागू किया गया, जिसका काफी विरोध भी हुआ. दिसंबर में लॉकडाउन खत्म होने के बाद वहां टीका न लगवाने वालों पर प्रतिबंध जारी रहे. फरवरी 2022 से यहां कोविड वैक्सीन अनिवार्य है.
नवंबर 2021 में ग्रीस ने एलान किया कि अब वहां भी कोविड वैक्सीन न लगाने वालों पर कार्रवाई होगी. इसके मुताबिक, 60 साल से अधिक उम्र के वे लोग, जो कोविड टीका नहीं लगवा रहे हैं, उन पर करीब 100 यूरो का जुर्माना लगाया जाएगा. यह नियम जनवरी 2022 के दूसरे पखवाड़े से लागू होना है.
इस बीच, स्थानीय मेडिकल एसोसिएशन ने बताया है कि उसने हाल ही में क्लीनिक को जारी रखने के तरीकों पर चर्चा की थी लेकिन फौरन कुछ हो ना सका. एसोसिएशन ने इस बात पर चिंता जताई कि देश भर में मेडिकल पेशेवरों के लिए इतना गुस्सा और नफरत है.
डॉक्टर केलेरमायर एक जनरल प्रैक्टिशनर थीं और अपने पेशे में लगातार खुल कर कोरोना के टीकों के फायदों की वकालत करती थीं. उनकी क्लिनिक ग्रामीण इलाके में थी. एक महीने पहले उन्होंने अपनी क्लिनिक बंद कर दी. इसके पहले करीब सात महीने उन्होंने धमकियों का सामना किया.
जुलाई के मध्य में डॉक्टर ने ट्विटर पर लिखा था कि अब वे अपनी क्लीनिक हमेशा के लिए बंद करने जा रही हैं. उनकी मौत पर देश के स्वास्थ्य मंत्री योहानेस राउख ने भी "गहरा झटका” लगने की बात कही और अपने ट्वीट में मामले की गहराई की ओर इशारा किया. उन्होंने लिखा, "उनके और उनके सहयोगियों को मिलने वाली धमकियां एक क्रूर सच्चाई थी.”
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टीके के खिलाफ लॉबी
जून में एक जर्मन आरोपी के ऊपर डॉक्टर को धमकी देने का मुकदमा चला था लेकिन मामले की सुनवाई बंद कर दी गई. इसके अलावा ऑस्ट्रिया में अज्ञात लोगों के खिलाफ पुलिस जांच जारी थी.
हाल ही में ऑस्ट्रिया में सभी वयस्कों के लिए कोरोना वायरस का टीका अनिवार्य करने की अपनी योजना रद्द कर दी है. यूरोप में सबसे कम टीका दर वाले देशों में ऑस्ट्रिया शामिल है. कोरोना महामारी का टीका आने के बाद से ही देश के अलग अलग हिस्सों में आम जनता ने सड़कों पर उतर कर अनिवार्य टीकाकरण और उसके पहले लॉकडाउन के खिलाफ भी अनगिनत बार विरोध प्रदर्शन किए.
आरपी/एनआर (डीपीए, रॉयटर्स, एपी)
सबसे रहने लायक शहरों की सूची में उथल पुथल
ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना एक बार फिर दुनिया का सबसे रहने लायक शहर बन गया है. द इकनॉमिस्ट की इस साल की रिपोर्ट के मुताबिक ये हैं दुनिया के सबसे ज्यादा रहने लायक शहर...
तस्वीर: AFP
विएना लौटा टॉप पर
ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना से यह स्थान छिन गया था और ऑकलैंड दुनिया का सबसे रहने लायक शहर बन गया था. कोरोना वायरस महामारी के कारण विएना 12वें नंबर पर चला गया था लेकिन विएना ने अपनी जगह वापस पा ली है. ऑकलैंड इस साल 34वें नंबर पर चला गया है.
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कीव शामिल नहीं
इस बार की सूची बनाते वक्त यूक्रेन की राजधानी कीव को शामिल नहीं किया गया क्योंकि वहां रहने लायक हालात ही नहीं है. आक्रामक रूस के शहर सेंट पीटर्सबर्ग की रैंकिंग भी गिर गई है.
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यूरोपीय शहर सबसे अच्छे
टॉप 10 में कई यूरोपीय शहरों ने जगह बनाई है. दूसरे नंबर पर डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन है. उसके बाद स्विट्जरलैंड के शहर ज्यूरिख का स्थान है. स्विस शहर जेनेवा छठे और जर्मनी का फ्रैंकफर्ट सातवें नंबर पर है. नीदरलैंड्स की राजधानी एम्सटर्डम नौवें नंबर पर है.
तस्वीर: ROBIN UTRECHT/picture alliance
कनाडा के तीन शहर टॉप 10 में
कनाडा अकेला ऐसा देश है जिसके तीन शहर टॉप 10 में हैं. कैलगरी तीसरे नंबर पर है. वैंकुवर पांचवें और टोरंटो आठवें नंबर पर रहा. जापान का ओसाका और ऑस्ट्रेलिया का मेलबर्न संयुक्त रूप से दसवें नंबर पर हैं.
तस्वीर: Kyaw Soe Oo/REUTERS
मशहूर शहरों में
ब्रिटेन की राजधानी लंदन 33वें नंबर पर है जबकि स्पेन के बार्सिलोना और मैड्रिड क्रमशः 35वें और
43वें नंबर पर हैं. इटली का मिलान 49वें और अमेरिका का न्यूयॉर्क 51वें नंबर पर रहा.
तस्वीर: Tim Ireland/Xinhua/picture alliance
एशियाई शहरों का नाम नहीं
सबसे अच्छे शहरों में एशियाई शहर बहुत पीछे छूट गए हैं. चीन की राजधानी बीजिंग 71वें नंबर पर रही है.
तस्वीर: Noel Celis/AFP
सबसे नीचे दमिश्क
युद्धग्रस्त सीरिया की राजधानी दमिश्क को सबसे कम रहने लायक शहर माना गया है.