कौन हैं धुर-दक्षिणपंथी हाविएर मिलेई, जिन्हें मोदी ने दी बधाई
२१ नवम्बर २०२३
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्जेन्टीना में हैरतअंगेज रूप से चुनाव जीतने वाले हाविएर मिलेई को बधाई दी है. भारत के लिए अर्जेन्टीना एक अहम देश है.
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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाविएर मिलेई को चुनाव जीतने की बधाई दी है. खुद को ‘अराजकतावादी-पूंजीवादी‘ कहने वाले मिलेई ने देश की राजनीति में लंबे अरसे से कायम पेरोनिस्ट गठबंधन को हराकर चुनाव जीता है.
नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर अपने बधाई संदेश में कहा, "भारत और अर्जेन्टीना के रणनीतिक संबंधों को और विविध व विस्तृत बनाने की दिशा में आपके साथ मिलकर काम करने को लेकर उत्साहित हैं."
भारत और अर्जेन्टीना एक-दूसरे के अहम व्यापारिक साझीदार हैं. पिछले साल दोनों देशों के बीच 6.4 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था, जो अब तक का सबसे अधिक है. 2021 के मुकाबले यह 12 फीसदी ज्यादा था. भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक भारत अर्जेन्टीना का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है.
भारत इस दक्षिण अमेरिकी देश को खेती के लिए रसायन, कपड़े, दवाएं और मोटरबाइक निर्यात करता है, जो पिछले साल 1.84 अरब डॉलर पर पहुंच गया. अर्जेन्टीना ने भारत को 4.55 अरब डॉलर का निर्यात किया जिनमें खाद्य तेल, चमड़ा, दालें और रसायन शामिल थे.
कौन हैं खाविएर मिलेई
सिर्फ बीते दो साल में 53 साल के हाविएर मिलेई दक्षिण अमेरिका की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की राजनीति के चरम पर पहुंचे हैं. टीवी बहसों में शामिल होने वाले एक सनकी वक्ता की पहचान से राष्ट्रपति पद पर पहुंचने का उनका सफर बहुत से लोगों के लिए हैरतअंगेज रहा है.
अर्जेंटीना में सबसे बड़ा स्पाइडर मैन मेला
अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में एक हजार लोग एक साथ स्पाइडर मैन की पोशाक में नजर आए. मकसद था गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल होना.
तस्वीर: CRISTINA SILLE/REUTERS
एक हजार स्पाइडर मैन
अर्जेंटीना की राजधानी में एक प्रमुख स्मारक पर लगभग 1,000 लोग स्पाइडर मैन की पोशाक पहनकर जमा हुए. मकसद था एक ही सार्वजनिक कार्यक्रम में प्रसिद्ध मार्वल सुपरहीरो स्पाइडर मैन के कपड़े पहनकर जमा होना.
तस्वीर: CRISTINA SILLE/REUTERS
पिछला रिकॉर्ड
अर्जेंटीना की इंफ्लुएंसर उकी डायने ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया. उनका मकसद मलेशिया में जून में इसी तरह के कार्यक्रम में जमा हुए 685 लोगों के रिकॉर्ड को तोड़ना था.
तस्वीर: CRISTINA SILLE/REUTERS
तस्वीर और हस्ताक्षर
डायने ने बताया कि उन्होंने इस कार्यक्रम में मौजूद 700 प्रतिभागियों के हस्ताक्षर इकट्ठा किए. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में शामिल लोगों की संख्या एक हजार से अधिक है.
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स्पाइडर मैन के लिए दीवानगी
डायने ने कहा, "यह अविश्वसनीय है कि स्पाइडर मैन क्या कर सकता है! इससे मुझे बहुत खुशी मिलती है. स्थानीय भीड़ ने स्पाइडर मैन पोशाक को अपने रूप में अपना लिया है. कुछ लोग स्पाइडर मैन की पोशाक और मुखौटे के रंग से मेल खाते हुए लाल टाई और सूट पहने हुए नजर आए.
तस्वीर: CRISTINA SILLE/REUTERS
फुटबॉल प्रेमी और स्पाइडर मैन
कुछ लोग तो इस कार्यक्रम के लिए देश के झंडे के साथ पहुंचे थे. फुटबॉल प्रेमी भी मौजूद थे जिन्होंने फुटबॉल टीम की जर्सी पहन रखी थी.
तस्वीर: CRISTINA SILLE/REUTERS
सूट और टाई वाला स्पाइडर मैन
कार्यक्रम के लिए आए लोग अपने-अपने अंदाज में नजर आए. एक प्रतिभागी ने स्पाइडर मैन का मुखौटा पहना था और साथ में सूट और टाई पहनी थी.
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जब अर्जेन्टीना में चुनाव हुए, तब देश 40 फीसदी से ज्यादा गरीबी और 140 फीसदी महंगाई दरसे जूझ रहा था. दुनिया की सबसे अस्थिर अर्थव्यवस्थाओं में से एक अर्जन्टीना के लोगों के लिए बीते कुछ साल खासे मुश्किल रहे हैं.
मतदान से पहले 22 साल के छात्र ऑगस्टीन बालेटी ने कहा, "सब कुछ तो पहले से ही टूटा हुआ है. मिलेई नया कुछ नहीं तोड़ देंगे. पिछली सरकारों ने युवाओं को हताश कर दिया है.”
कई मुद्दों पर मिलेई के विचार अराजक माने जाते हैं. वह अबॉर्शन के विरोधी हैं, पोप के आलोचक हैं और जलवायु परिवर्तन के लिए इंसानी गतिविधियों को जिम्मेदार नहीं मानते. लेकिन विश्लेषक कहते हैं कि मिलेई की जीत में उनके अपने व्यक्तित्व से ज्यादा बड़ा योगदान इस बात का रहा है कि युवा मतदाताओं में यथास्थिति को लेकर खासा गुस्सा था.
राजधानी ब्यूनस एयर्स स्थित थिंकटैंक ईकॉनव्यूज में काम करने वाले अर्थशास्त्री आंद्रेस बोरेनश्टाइन कहते हैं कि अर्जेन्टीना के लोग "पुनोर्त्थान के लिए जुआ खेल रहे थे.”
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कम बुरे का चुनाव
ऐटलस इंटेल नामक चुनाव सर्वेक्षण संगठन में वरिष्ठ विश्लेषक मारियाना पेईनादो कहती हैं कि जिन सर्वेक्षणों में मिलेई की जीत का पूर्वानुमान जाहिर किया गया, उनमें यह भी दिखाया गया कि अधिकतर लोग असल में उनकी बंदूकों की उपलब्धता आसान बनाने या स्थानीय मुद्रा पीसोकी जगह अमेरिकी डॉलर को लाने जैसी नीतियों के विरुद्ध हैं.
मिलेई ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान अबॉर्शन पर एक जनमत संग्रह कराने का सुझाव दिया था लेकिन अधिकतर सर्वेक्षणों में दिखा कि लोग अबॉर्शन के समर्थक हैं. जिन मुद्दों पर उन्हें समर्थन मिला उनमें सरकारी खर्च घटाना भी एक था.
जीबीएओ स्ट्रैटिजीज नामक थिंक टैंक की आना इपाराग्वायर कहते हैं कि उनके आंकड़ों के मुताबिक आधे से ज्यादा देशवासियों को लगता है कि अगली पीढ़ी की आर्थिक हालत और खराब होगी. वह कहती हैं, "ये लोग मानते हैं कि किसी तरह का सामाजिक चढ़ाव नहीं है.”
पेरोनिस्ट सरकार के दौरान स्वास्थ्य और शिक्षा मुफ्त उपलब्ध थी लेकिन इपाराग्वायर के मुताबिक "उनकी स्थिति लगातार खराब हो रही थी.” सर्वेक्षणों में दिखा कि मतदान से पहले तक भी दस फीसदी मतदाता किसी फैसले पर नहीं पहुंच पा रहे थे और समाचार एजेंसी एएफपी को कई मतदाताओं ने कहा कि "वे दो बुरे विकल्पों में से कम बुरा विकल्प” चुन रहे हैं.
अर्जेंटीना, संसाधनों का खजाना
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वॉशिंगटन स्थित विल्सन सेंटर के अर्जेन्टीना प्रोजेक्ट के निदेशक बेन्जामिन गीडन कहते हैं, "मिलेई को वोट करने वाले ज्यादातर लोग उनकी ओर कम आकर्षक थे, (उनके प्रतिद्वन्द्वी सर्गियो) मासा से दूरी चाहते थे. मासा के वित्त मंत्री के तौर पर निराशाजनक प्रदर्शन ने बहुत से लोगों को संदेह में डाल दिया था कि वे राष्ट्रपति के रूप में बेहतर काम कर पाएंगे.”
स्वयंभू शेर, मिलेई
बिखरे बालों वाले मिलेई अक्सर खुद को शेर कहते हैं. उन्होंने अपनी एक रॉक स्टार जैसी छवि गढ़ी. उन्होंने अपने लिए एनकैप (अनार्किस्ट-कैपिटलिस्ट) जैसा विशेषण चुना और चुनावी सभाओं में वह चेन-सॉ लहराते नजर आए, जिसके जरिये वे सरकारी खर्च में कटौती का संदेश देते थे.
गीडन कहते हैं कि इस आदर्शनुमा अंदाज के जरिए उन्होंने एक नए तरह के नेतृत्व का संदेश दिया. उनकी सोशल मीडिया टीम युवाओं से भरी हुई थी. वह यूट्यूब और टिक-टॉक पर खूब सक्रिय थे. शायद यही वजह थी कि ऐटलस के एक सर्वेक्षण के मुताबिक 16 से 24 साल के मतदाताओं के बीच 68 फीसदी मिलेई के समर्थक थे.
सफेद सोने के ढेर पर बैठे हैं, मगर गरीबी ने पीछा नहीं छोड़ा
जीवाश्म ईंधन से छुटकारा पाने की कोशिशों से दुनियाभर में लिथियम का उत्पादन और कीमतें आसमान छू रही हैं. मगर इसका फायदा आसपास के स्थानीय निवासियों को शायद ही मिला है. वे अब भी गरीब हैं और जिंदगी संवरने का इंतजार कर रहे हैं.
तस्वीर: Martina Silva/AFP
लिथियम त्रिकोण
यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक अब तक धरती पर 8.9 करोड़ टन लिथियम भंडार का पता चला है. इसमें से 56 फीसदी दक्षिण अमेरिकी त्रिकोण में मौजूद है. इस त्रिकोण में चिली, अर्जेंटीना और बोलिविया का इलाका शामिल है. इलेक्ट्रिक कारों की बैटरी में इस्तेमाल होने की वजह से लिथियम की मांग काफी ज्यादा बढ़ गयी है. अब इसे व्हाइट गोल्ड कहा जा रहा है.
तस्वीर: Alzar Raldes/AFP
लिथियम उत्पादन का असर
लिथियम उत्पादन के साथ ही इलाके के भूजल पर इसके असर की चिंता बढ़ रही है, क्योंकि जल संसाधनों की स्थिति यहां पहले ही बहुत खराब है. बहुत सारे इलाके सूखे की तरफ बढ़ रहे हैं और इसका संकेत गिरते पेड़ों और फ्लेमिंगों की मौत के रूप में दिख रहा है.
तस्वीर: Martina Silva/AFP
स्थानीय लोगों को नहीं मिला फायदा
इलाके में लिथियम भंडारों का फायदा यहां रहने वाले लोगों तक अब तक पहुंचता नहीं दिखा है. अर्जेंटीना के सालिनास ग्रांदेस में रहने वाली वेरोनिका चावेज कहती हैं, "न तो हम लिथियम खाते हैं और न बैटरियां. हम पानी जरूर पीते हैं." इलाके में पोस्टर भी लगा है, "नो टू लिथियम, येस टू वाटर एंड लाइफ"
तस्वीर: Alzar Raldes/AFP
हर दिन लाखों लीटर पानी का इस्तेमाल
धरती से लिथियम निकालने वाले प्लांटों में प्रतिदिन लाखों लीटर पानी इस्तेमाल होता है. लिथियम का एक बड़ा निर्यातक है ऑस्ट्रेलिया. ऑस्ट्रेलिया में लिथियम चट्टान से निकाला जाता है और इसकी प्रक्रिया काफी अलग है.
तस्वीर: Martina Silva/AFP
नमक से निकलता है लिथियम
दक्षिण अमेरिका में लिथियम नमक से निकाला जाता है. इसके लिए धातु वाले नमक के पानी को जमीन के नीचे मौजूद खारे पानी की झीलों से निकाला जाता है. इसके बाद इसका पानी वाष्प बनाकर उड़ा दिया जाता है और नीचे धातु बच जाती है.
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एक चौथाई लिथियम चिली से आया
नवंबर 2020 में लिथियम की औसत कीमत 5,700 डॉलर प्रति टन थी, जो सितंबर 2022 में 60,500 प्रति टन तक जा पहुंची. लिथियम त्रिकोण का पश्चिमी हिस्सा चिली के अटाकामा डेजर्ट में है. 2021 में दुनियाभर में लिथियम के कुल उत्पादन का 26 फीसदी यहीं से आया. (तस्वीर सालिनास ग्रेंडेस की है)
तस्वीर: Martina Silva/AFP
लिथियम उत्पादन के लिए आदर्श जगह
चिली में लिथियम निकालने का काम 1984 में शुरू हुआ. कम बारिश और तेज सौर विकिरण के कारण यह आदर्श जगह है, जो वाष्पीकरण की प्रक्रिया को तेज कर देती है. हालांकि, चिली के तानाशाह शासक आगुस्तो पिनोचेट ने इस धातु को परमाणु बमों में इस्तेमाल की क्षमता के चलते रणनीतिक संसाधन घोषित कर दिया है.
तस्वीर: Oliver Llaneza Hesse/Construction Photography/Photosh/picture alliance
खुदाई की अनुमति नहीं
लिथियम की खुदाई के लिए कंपनियों को सरकार से मंजूरी नहीं मिल रही है. चिली की एसक्यूएम और अमेरिका की अल्बमार्ले को ही इसकी इजाजत है और उन्हें अपनी बिक्री का 40 फीसदी बतौर टैक्स देना होता है.
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अर्जेंटीना का लिथियम भंडार
अर्जेंटीना में जुजुय और पड़ोसी राज्य साल्टा और काटामार्का के साल्ट लेक इसे दुनिया में लिथियम का दूसरा सबसे बड़ा भंडार बनाते हैं. महज 3 प्रतिशत टैक्स की दर और खुदाई पर कम पाबंदियों के कारण अर्जेंटीना सिर्फ दो खदानों की बदौलत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा लिथियम उत्पादक बन गया है.
तस्वीर: Martina Silva/AFP
सबसे आगे जाने का सपना
अमेरिका, चीन, फ्रांस, दक्षिण कोरिया के साथ ही कई स्थानीय कंपनियां भी यहां दर्जनों नई परियोजनाओं में जुटी हुई हैं. इनके दम पर अर्जेंटीना का कहना है कि वह 2030 तक लिथियम के उत्पादन में चिली को पीछे छोड़ देगा.
तस्वीर: Martina Silva/AFP
"मुझे लिथियम नहीं चाहिए"
अर्जेंटीना के लिथियम वाले इलाके में स्ट्रीट फूड बेचने वाली 47 साल की बारबरा क्विपिलडोर नाराजगी के साथ कहती हैं, "मैं चाहती हूं कि वे हमें अकेले शांति से रहने के लिए छोड़ दें. मुझे लिथियम नहीं चाहिए. मेरी चिंता मेरे बच्चों का भविष्य है."
तस्वीर: Alzar Raldes/AFP
इतना लिथियम, फिर भी आधे से ज्यादा गरीब
जुजुय के उत्तर में करीब 300 किलोमीटर दूर है बोलिविया का उयुनी. यहां पर धरती की किसी भी जगह से ज्यादा यूरेनियम है. पूरी दुनिया का लगभग एक चौथाई. यह इलाका चांदी और टिन के लिहाज से भी काफी अमीर है, लेकिन यहां के आधे से ज्यादा लोग गरीबी में जी रहे हैं.
तस्वीर: Martina Silva/AFP
संसाधनों का राष्ट्रीयकरण
बोलिविया के वामपंथी पूर्व प्रधानमंत्री इवो मोरालेस ने हाइड्रोकार्बन और लिथियम जैसे दूसरे संसाधनों का राष्ट्रीयकरण करके शपथ ली कि धातुओं की वैश्विक कीमत वह तय करेगा. 2018 में इसे निजी क्षेत्रों के लिए खोला गया, लेकिन राष्ट्रीयकरण खत्म नहीं किया गया. इसीलिये निजी कंपनियां खुदाई शुरू नहीं कर सकीं.
तस्वीर: Pablo Cozzaglio/AFP/Getty Images
आम लोगों का फायदा?
बोलिविया इस धातु से फायदा उठाना चाहता तो है, लेकिन अब तक यह काम शुरू नहीं हुआ है. अब ये तीनों देश बैटरी और इलेक्ट्रिक कार बनाने के बारे में सोच रहे हैं, ताकि प्राकृतिक संसाधन से आधुनिक उद्योग खड़े किये जा सकें. बड़ा सवाल यह है कि जब धातु की खुदाई शुरू होगी, तब क्या उसका फायदा स्थानीय लोगों को मिलेगा.
तस्वीर: Pablo Cozzaglio/AFP/Getty Images
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बोरेनश्टाइन कहते हैं, "मिलेई इसलिए लोकप्रिय हो गए क्योंकि वह भावनाओं की बात करते हैं. वह टिकटॉक वाले व्यक्ति हैं.”
इपाराग्वायर कहती हैं कि यह "पारंपरिक मीडिया, सरकारी खर्च और बड़े-बड़े बिलबोर्डों के जरिये संवाद के पुराने अंदाज की नए मीडिया माध्यमों के जरिए युवा मतदाताओं से जुड़ने के बीच की लड़ाई थी.”