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एमनेस्टी: लाखों लोगों की जासूसी कर रहा है पाकिस्तान

आमिर अंसारी रॉयटर्स
१२ सितम्बर २०२५

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है पाकिस्तान अपने लाखों लोगों के फोन टैप कर रहा है. उसका दावा है कि चीनी निर्मित इंटरनेट फायरवॉल का इस्तेमाल कर सोशल मीडिया को सेंसर किया जा रहा है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल का पाकिस्तान सरकार पर जासूसी का आरोप
एमनेस्टी इंटरनेशनल का पाकिस्तान सरकार पर जासूसी का आरोपतस्वीर: McPHOTO/blickwinkel/picture alliance

एमनेस्टी ने कहा है कि पाकिस्तान में जिस तरह से लोगों की निगरानी की जा रही है, वह चीन के बाहर किसी भी देश में सख्त सरकारी निगरानी के सबसे बड़े और व्यापक उदाहरणों में से एक है.

मानवाधिकार निगरानी संस्था ने कहा कि पाकिस्तान का बढ़ता निगरानी नेटवर्क चीनी और पश्चिमी देशों, दोनों प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके बनाया गया है और असहमति तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर व्यापक कार्रवाई को बढ़ावा दे रहा है.

पाकिस्तान में मीडिया और राजनीति पहले से ही कई तरह के प्रतिबंधों का सामना करती रही है. हाल के वर्षों में इनकी आजादी और सीमित हो गई है. खासकर 2022 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ सेना के संबंध तनावपूर्ण हो गए थे. कुछ घटनाओं के बाद इमरान खान को जेल में डाल दिया गया और उनकी पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया.

रिपोर्ट: दुनियाभर के अधिकांश देशों में कमजोर हो रहा लोकतंत्र

40 लाख मोबाइल फोन की एक साथ जासूसी!

एमनेस्टी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियां ​​गुप्त रूप से एक समय में कम से कम 40 लाख मोबाइल फोन की निगरानी कर सकती है. यह एक खास तंत्र की मदद से किया जाता है जिसे लॉफुल इंटरसेप्ट मैनेजमेंट सिस्टम या लिम्स कहा जाता है. इसके साथ ही एक इंटरनेट फायरवॉल WMS 2.0 इंटरनेट ट्रैफिक की जांच करता है, और एक समय में 20 से ज्यादा सेशन को ब्लॉक करने में सक्षम है. दोनों सिस्टम साथ मिलकर काम करते हैं.

लिम्स खुफिया एजेंसियों को कॉल्स या मैसेज को टैप करने में मदद करता है, जबकि WMS 2.0 देशभर में वेबसाइटों या सोशल मीडिया साइटों को धीमा या पूरी तरह ब्लॉक कर देता है.

एमनेस्टी टेक्नोलॉजिस्ट जुर्रे वान बर्ग ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि निगरानी में रखे गए फोनों की संख्या और भी अधिक हो सकती है, क्योंकि सभी चार प्रमुख मोबाइल ऑपरेटरों को लिम्स से जुड़ने का आदेश दिया गया है.

फोन के साथ-साथ सोशल मीडिया की निगरानी का भी आरोप तस्वीर: Yui Mok/empics/picture alliance

फोन टैपिंग का मकसद क्या

रिपोर्ट में कहा गया है, "बड़े पैमाने पर निगरानी से समाज में भय का माहौल पैदा होता है, जिससे लोग ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही माध्यमों से अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने से कतराने लगते हैं."

एमनेस्टी ने 2024 में इस्लामाबाद हाई कोर्ट में दायर मामले का भी हवाला दिया, जिसे पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी ने दायर किया था, उन्होंने निजी कॉल ऑनलाइन लीक होने के खिलाफ यह याचिका दायर की थी.

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अदालत में, पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय और खुफिया एजेंसियों ने फोन टैपिंग करने या ऐसा करने की क्षमता रखने से इनकार किया था. हालांकि दूरसंचार नियामक ने स्वीकार किया कि उसने पहले ही फोन कंपनियों को इस्तेमाल के लिए लिम्स लगाने का आदेश दिया है. एमनेस्टी की रिपोर्ट पर प्रौद्योगिकी, आंतरिक, सूचना मंत्रालयों और दूरसंचार नियामक ने रॉयटर्स के सवालों का जवाब नहीं दिया.

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा इंटरनेट फायरवॉल WMS 2.0 इंटरनेट ट्रैफिक की जांच करता है, और एक समय में 20 से ज्यादा सेशन को ब्लॉक करने में सक्षम हैतस्वीर: Andre M. Chang/ZUMAPRESS.com/picture alliance

एमनेस्टी ने कहा है कि पाकिस्तान वर्तमान में लगभग 6,50,000 वेब लिंक्स को ब्लॉक कर रहा है और यूट्यूब, फेसबुक और एक्स जैसे प्लेटफॉर्म तक पहुंच को सीमित कर रहा है.

इस तरह के नियंत्रण का सबसे अधिक असर उग्रवाद प्रभावित बलूचिस्तान प्रांत पर पड़ा है, जहां कई जिलों में सालों से इंटरनेट ब्लैकआउट की स्थिति बनी हुई है. इस प्रांत के मानवाधिकार समूह सेना पर बलूच और पश्तून कार्यकर्ताओं के लापता होने और उनकी हत्या का आरोप लगाते हैं, हालांकि सेना इन आरोपों से इनकार करती आई है.

फोन में जासूसी सॉफ्टवेयर से भारत कितना सावधान

एमनेस्टी ने कहा कि उसने लाइसेंसिंग समझौतों, व्यापार डेटा, लीक हुई तकनीकी फाइलों और फायरवॉल सप्लायर को बीजिंग स्थित सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों से जोड़ने वाले चीनी रिकॉर्ड की भी समीक्षा की है.

आमिर अंसारी डीडब्ल्यू के दिल्ली स्टूडियो में कार्यरत विदेशी संवाददाता.
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