भारत के बारे में क्या सोचते हैं पड़ोसी देशों के लोग
विवेक कुमार
२९ अगस्त २०२४
दक्षिण एशिया में विभिन्न देशों के लोगों के एक-दूसरे के बारे में विचार जानने के लिए अमेरिका के प्यू रिसर्च सेंटर ने एक सर्वे किया. इस सर्वे के मुताबिक लोगों की राय आमतौर पर धर्म पर आधारित है.
विज्ञापन
दक्षिण एशिया में 5 जनवरी से 25 मार्च के बीच किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि दक्षिण एशियाई देशों के लोग अपने पड़ोसी देशों के प्रति आमतौर पर सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं. हालांकि, भारत और पाकिस्तान के प्रति लोगों के विचार धर्म, शिक्षा और राजनीतिक विचारधारा के आधार पर काफी अलग-अलग हैं. इस सर्वेक्षण में बांग्लादेश, भारत और श्रीलंका के वयस्कों से राय ली गई.
भारत के बारे में सकारात्मक
दक्षिण एशिया के सबसे बड़े देश भारत को उसके पड़ोसी देशों में मुख्यतः सकारात्मक नजरिए के साथ देखा जाता है. सर्वेक्षण के अनुसार, 65 फीसदी श्रीलंकाई और 57 फीसदी बांग्लादेशी भारत के प्रति सकारात्मक विचार रखते हैं. हालांकि, विभिन्न समूहों में यह समर्थन अलग-अलग हो सकता है.
सबसे भ्रष्ट देशः भारत की रैंकिंग गिरी
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने 2023 का करप्शन परसेप्शन इंडेक्स जारी किया है, जिसमें भ्रष्टाचार के बारे में राय पर 180 देशों की सूची बनाई गई है. देखिए, कौन सा देश है सबसे भ्रष्टः
तस्वीर: Adam Schultz/White House/Planet Pix/ZUMA Press/picture alliance
2023 करप्शन इंडेक्शन
भ्रष्टाचार पर निगरानी रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की 2023 की सूची में जीरो से 100 के बीच नंबर दिए गए हैं. दो तिहाई देशों के अंक 50 से कम रहे और औसत स्कोर मात्र 43 रहा.
तस्वीर: Rafael Henrique/ZUMA Wire/IMAGO
सबसे ईमानदार देश
यूरोपीय देशों को सबसे ज्यादा अंक मिले हैं. डेनमार्क (90) के अंक सबसे ज्यादा हैं. उसके बाद फिनलैंड (87) और फिर न्यूजीलैंड (85) का नंबर है.
तस्वीर: Jonathan NACKSTRAND/AFP/Getty Images
यूरोपीय देश सबसे ऊपर
पहले दस में आठ यूरोपीय देश हैं. डेनमार्क और फिनलैंड के अलावा नॉर्वे, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, नीदरलैंड्स, जर्मनी और लग्जमबर्ग का नंबर है.
तस्वीर: Yves Herman/REUTERS
सबसे भ्रष्ट देश
इस सूची में सबसे नीचे सोमालिया को रखा गया है जिसे सिर्फ 11 अंक मिले हैं. उसके बाद 13 अंकों के साथ वेनेजुएला, सीरिया और सूडान का स्थान है.
तस्वीर: Hassan Ali ELMI/AFP
एशियाई देश
सूची में पहले दस देशों में सिंगापुर एकमात्र एशियाई देश है, जो पांचवें नंबर पर है. हांग कांग को 14वां और जापान को 16वां नंबर मिला है.
तस्वीर: Dasril Roszandi/NurPhoto/picture alliance
भारत की रैंकिंग गिरी
2022 के मुकाबले भारत की रैंकिंग एक स्थान गिर गई है और वह 93वें नंबर पर आ गया है. उसे 100 में से मात्र 39 अंक मिले हैं. चीन की रैंकिंग भी तीन स्थान गिरी है और अब वह 76वें नंबर पर है. पाकिस्तान की रैंकिंग में दो स्थान का सुधार हुआ है और वह 133वें नंबर पर है.
तस्वीर: India's Press Information Bureau/REUTERS
अमेरिका
अमेरिका की स्थिति पिछले साल जैसी ही है और वह 24वें नंबर पर है. सूची में 28 देश ऐसे हैं जिनकी रैंकिंग में सुधार हुआ है जबकि 34 देशों की रैंकिंग नीचे गिरी है. दुनिया की 80 फीसदी आबादी ऐसे देशों में रह रही है जिनके अंक 43 के औसत से नीचे हैं.
तस्वीर: Adam Schultz/White House/Planet Pix/ZUMA Press/picture alliance
7 तस्वीरें1 | 7
बांग्लादेश में राजनीतिक विचारधारा भारत के प्रति विचारों को प्रभावित करती है. सर्वेक्षण के समय सत्तारूढ़ पार्टी बांग्लादेश अवामी लीग के समर्थक भारत के प्रति अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण रखते थे (71 फीसदी) जबकि गैर-समर्थकों में यह प्रतिशत कम (49 प्रतिशत) था. इसी महीने अवामी लीग की सरकार गिर गई थी और प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत में शरण लेनी पड़ी थी.
शिक्षा भी भारत के प्रति विचारों को प्रभावित करती है. बांग्लादेश और श्रीलंका दोनों में, उच्च शिक्षा प्राप्त लोग भारत के प्रति अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं. इसके अलावा, ये लोग किसी भी विषय पर राय बनाने की अधिक संभावना रखते हैं, चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक.
श्रीलंका के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण
श्रीलंका के प्रति विचारों के मामले में सर्वेक्षण से पता चलता है कि बांग्लादेशी और भारतीय आमतौर पर सकारात्मक हैं. इनमें 45 फीसदी बांग्लादेशी और 43 फीसदी भारतीय श्रीलंका के प्रति सकारात्मक विचार रखते हैं. हालांकि, दोनों देशों में बड़ी संख्या में लोग या तो इस सवाल का उत्तर नहीं दे पाए या अनिश्चित रहे, जो दिखाता है कि कुछ हद तक इस विषय पर जागरूकता की कमी या अनिच्छा हो सकती है.
2024 में फ्रांस का पासपोर्ट सबसे ताकतवर, कैसी है भारत की रैंकिंग
हेनली पासपोर्ट इंडेक्स ने साल 2024 के लिए पासपोर्ट रैंकिंग जारी कर दी है. इस लिस्ट में फ्रांस का पासपोर्ट सबसे ताकतवर है.
तस्वीर: Fotolia/Philippe Devanne
फ्रांस
हेनली पासपोर्ट इंडेक्स में फ्रांस के पासपोर्ट ने शीर्ष स्थान पाया है. फ्रांस के पासपोर्टधारक 194 देशों की वीजा फ्री यात्रा कर सकते हैं. किसी देश का पासपोर्ट कितना ताकतवर है उसको निर्धारित करने के लिए हेनली पासपोर्ट इंडेक्स वीजा फ्री यात्रा से तय करता है.
तस्वीर: Fotolia/Philippe Devanne
शीर्ष पर ये भी देश
हेनली पासपोर्ट इंडेक्स की ताजा लिस्ट के मुताबिक फ्रांस के साथ जर्मनी, इटली, जापान, सिंगापुर और स्पेन के पास दुनिया के सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट हैं. इन पांच देशों के पासपोर्टधारी 194 देशों की वीजा फ्री यात्रा कर सकते हैं.
तस्वीर: Inga Kjer/photothek/imago Images
दूसरे नंबर पर तीन देश
193 देशों में बिना वीजा यात्रा करने के साथ फिनलैंड, नीदरलैंड्स, दक्षिण कोरिया और स्वीडन के पासपोर्ट शामिल हैं.
इस रैंकिंग में भारत का पासपोर्ट एक स्थान नीचे खिसककर 85वें स्थान पर आ गया है. भारतीय पासपोर्ट के साथ लोग 62 देशों में वीजा फ्री एंट्री कर सकते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Dinodia Photo Library
भारत के ऊपर कौन
इस रैंकिंग में भारत के ऊपर दक्षिण अफ्रीका (55वें), मालदीव (58वें), सऊदी अरब (63वें), थाईलैंड (66वें), इंडोनेशिया (69वें) और उज्बेकिस्तान (84वें) जैसे देश हैं.
तस्वीर: Ishara S. Kodikara/AFP/Getty Images
भारत के पड़ोसी देश
भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान हेनली पासपोर्ट इंडेक्स की रैंकिंग में 106वें नंबर पर है, जबकि श्रीलंका 101वें नंबर पर, बांग्लादेश 102वें नंबर पर और नेपाल 103वें नंबर पर है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/O. Matthys
तीसरे स्थान पर कौन से देश
192 देशों में वीजा फ्री एंट्री के साथ यूनाइटेड किंग्डम, लग्जमबर्ग, आयरलैंड, डेनमार्क और ऑस्ट्रिया तीसरे स्थान पर है.
तस्वीर: Francois Mori/AP/picture alliance
अमेरिका का पासपोर्ट कितना ताकतवर
इस रैंकिंग में अमेरिकी पासपोर्ट भी ताकतवर बना हुआ है. वह इस बार छठे स्थान पर है.
तस्वीर: Valentyn Semonov/Zoonar/picture alliance
चीन की मजबूती
चीन का पासपोर्ट पिछले साल के मुकाबले इस साल दो अंकों की उछाल दर्ज करते हुए 64वें स्थान पर आ गया है.
तस्वीर: picture-alliance/Photononstop/P. Turpin
सबसे कमजोर पासपोर्ट
इस रैंकिंग में अफगानिस्तान का पासपोर्ट सबसे नीचे 109वें स्थान पर है. अफगानिस्तान के पासपोर्ट धारक सिर्फ 28 देशों में वीजा फ्री एंट्री कर सकते हैं.
तस्वीर: Jorge Silva/Reuters
10 तस्वीरें1 | 10
भारत में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के समर्थक (46 फीसदी) श्रीलंका के प्रति अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं जबकि गैर-समर्थकों में यह प्रतिशत कम (39 प्रतिशत) है. इसी प्रकार, बांग्लादेश में, पूर्व सत्ताधारी पार्टी अवामी लीग के समर्थक श्रीलंका के प्रति सकारात्मक राय रखते हैं.
शिक्षा एक बार फिर से विचारों को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारक है. उच्च शिक्षा प्राप्त बांग्लादेशी श्रीलंका के प्रति अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं (60 फीसदी) जबकि कम शिक्षा प्राप्त लोगों में यह प्रतिशत कम (42 प्रतिशत) है.
बांग्लादेश के प्रति मिला-जुला नजरिया
श्रीलंका और भारत दोनों में बांग्लादेश के प्रति सकारात्मक विचार अधिक हैं, लेकिन इन विचारों की तीव्रता अलग-अलग है. श्रीलंका में, 47 प्रतिशत लोग बांग्लादेश के प्रति सकारात्मक राय रखते हैं, जबकि भारत में यह आंकड़ा 35 प्रतिशत है. हालांकि, दोनों देशों में बड़ी संख्या में उत्तरदाताओं ने "पता नहीं" कहा या सवाल का जवाब नहीं दिया, खासकर भारत में, जहां अनिश्चितता का स्तर सकारात्मक या नकारात्मक विचार रखने वालों से अधिक है.
बांग्लादेश: शेख हसीना के हाथ से कैसे फिसल गई सत्ता
बांग्लादेश के इतिहास में सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को भीषण हिंसा और छात्रों के आंदोलन के कारण इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ना. आखिर कैसे सत्ता उनके हाथों से फिसल गई. उनके राजनीतिक सफर पर एक नजर.
तस्वीर: Lucivu Marin/AFP/Getty Images
शेख हसीना ने कैसे गंवाई सत्ता
5 अगस्त, 2024 को शेख हसीना ने बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और सेना के विमान में सवार होकर भारत पहुंच गईं. जुलाई की शुरूआत से ही बांग्लादेश में हजारों छात्र देश के अलग-अलग हिस्सों में मौजूदा कोटा सिस्टम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.
तस्वीर: Mohammad Ponir Hossain/REUTERS
कोटा सिस्टम का विरोध
साल 2018 तक बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में 56 फीसदी सीटों में कोटा लागू था. इसमें 30 प्रतिशत स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों और उनके बच्चों के लिए, 10 प्रतिशत महिलाओं, 10 फीसदी पिछड़े जिलों के लोगों, पांच फीसदी अल्पसंख्यकों और एक प्रतिशत कोटा विकलांगों के लिए था. इस तरह सभी भर्तियों में केवल 44 फीसदी सीटें ही बाकियों के लिए खाली थीं.
तस्वीर: Munir Uz Zaman/AFP/Getty Images
क्यों सड़कों पर आए छात्र
2018 में सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर कोटा सिस्टम को खत्म करने की घोषणा की. इसके अंतर्गत स्वतंत्रता सेनानियों और उनके परिवारजनों के लिए आरक्षित 30 फीसदी कोटा को भी खत्म करने की बात कही गई. इसके खिलाफ 2021 में हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई. 5 जून, 2024 को हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि वह संबंधित सर्कुलर को रद्द करे और स्वतंत्रता सेनानियों के लिए चले आ रहे 30 फीसदी कोटा को कायम रखे.
इसके बाद देश के कई हिस्सों में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा. 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 93 फीसदी नौकरियों में भर्तियां योग्यता के आधार पर की जाएं. कोर्ट ने कहा 1971 के आंदोलन में शामिल रहे सेनानियों के परिजनों को सिर्फ पांच फीसदी आरक्षण मिले.
तस्वीर: -/AFP/Getty Images
हिंसा और इस्तीफे की मांग
जुलाई से चल रहा छात्रों का आंदोलन सुप्रीम कोर्ट के फैसले से शांत नहीं हुआ और यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी रहा. छात्र संगठनों ने चार अगस्त को पूर्ण असहयोग आंदोलन शुरू करने की घोषणा की थी.
तस्वीर: Peerapon Boonyakiat/SOPA Images/IMAGO
हसीना के इस्तीफे के पहले क्या हुआ
4 अगस्त को हुई हिंसा में 94 लोग मारे गए. जिनमें 13 के करीब पुलिस वाले थे. सरकार ने प्रदर्शनों को रोकने के लिए सड़कों पर सेना को उतार दिया लेकिन छात्र पीछे नहीं हटे और हसीना के इस्तीफे की मांग की. 5 अगस्त को छात्र संगठनों ने ढाका में लॉन्ग मार्च का एलान किया. जब प्रदर्शनकारी पीएम आवास की ओर बढ़ने लगे तो हसीना ने सेना के विमान में सवार होकर देश छोड़ दिया.
तस्वीर: Mohammad Ponir Hossain/REUTERS
बांग्लादेश पर मजबूत पकड़
दक्षिण एशियाई देश बांग्लादेश में 76 साल की शेख हसीना दुनिया की सबसे लंबे समय तक सत्ता में रहने वालीं सरकार प्रमुख थीं. शेख हसीना पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बनी और 2008 में वापस लौटीं और 5 अगस्त, 2024 तक पद पर बनी रहीं.
तस्वीर: Indranil Mukherjee/AFP
हसीना पर आरोप
शेख हसीना पर सत्ता में 15 साल रहने के दौरान विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी, अभिव्यक्ति की आजादी पर दमन और असहमति पर दमन के आरोप लगे. उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे. लेकिन हसीना सरकार इन आरोपों को खारिज करती रही.
तस्वीर: Mohammad Ponir Hossain/REUTERS
विरासत में मिली राजनीति
शेख हसीना को राजनीति विरासत में मिली. उनके पिता शेख मुजीबुर्रहमान ने 1971 में पाकिस्तान से आजादी के लिए बांग्लादेश की लड़ाई का नेतृत्व किया था. 1975 में सैन्य तख्तापलट में उनके परिवार के अधिकांश लोगों के साथ उनकी हत्या कर दी गई थी. हसीना भाग्यशाली थीं कि उस समय वह यूरोप की यात्रा पर थीं. 1947 में दक्षिण-पश्चिमी बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) में जन्मी हसीना पांच बच्चों में सबसे बड़ी हैं.
तस्वीर: Mohammad Ponir Hossain/REUTERS
भारत में निर्वासित जीवन
शेख हसीना वर्षों तक भारत में निर्वासन में रहीं. फिर बांग्लादेश वापस चली गईं और अवामी लीग की प्रमुख चुनी गईं. उन्होंने 1973 में ढाका विश्वविद्यालय से बंगाली साहित्य में ग्रैजुएशन की और अपने पिता और उनके छात्र समर्थकों के बीच मध्यस्थ के रूप में राजनीतिक अनुभव हासिल किया.
तस्वीर: Saiful Islam Kallal/AP Photo/picture alliance
हसीना और आम चुनाव
शेख हसीना जनवरी, 2024 में लगातार चौथी बार चुनाव जीतीं. इस चुनाव का मुख्य विपक्षी दल और उनकी प्रतिद्वंद्वी बेगम खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने बहिष्कार किया था. इस चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगे.
तस्वीर: AFP
निरंकुश शासन के आरोप
बीएनपी और मानवाधिकार समूहों का कहना है कि हसीना की सरकार ने जनवरी, 2024 में हुए चुनाव से पहले 10,000 विपक्षी पार्टी कार्यकर्ताओं को झूठे आरोपों में गिरफ्तार किया था. इस चुनाव का विपक्ष ने बहिष्कार किया था. जैसे-जैसे समय बीतता गया, वह निरंकुश होती गईं और उनके शासन में राजनीतिक विरोधियों और कार्यकर्ताओं की सामूहिक गिरफ्तारी, जबरन गायब होना और न्यायेतर हत्याओं के आरोप लगे.
तस्वीर: Mohammad Ponir Hossain/REUTERS
शेख हसीना और खालिदा जिया के बीच संघर्ष
हसीना ने अपनी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बीएनपी की प्रमुख खालिदा जिया के साथ हाथ मिला लिया और लोकतंत्र के लिए एक विद्रोह का नेतृत्व किया, जिसने 1990 में सैन्य शासक हुसैन मोहम्मद इरशाद को सत्ता से उखाड़ फेंका. लेकिन जिया के साथ गठबंधन लंबे समय तक नहीं चला और दोनों महिलाओं के बीच तीखी प्रतिद्वंद्विता जारी रही.
तस्वीर: Getty Images/AFP/FARJANA K. GODHULY
कमजोर हो चुकीं खालिदा जिया
शेख हसीना और खालिदा जिया के बीच कई सालों से राजनीतिक संघर्ष चला आ रहा है. 78 साल की जिया दो बार प्रधानमंत्री रह चुकी हैं और फरवरी 2018 में भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद से जेल में हैं. उनकी तबीयत बिगड़ती जा रही है और 2019 में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने 5 अगस्त, 2024 को जिया को रिहा करने का आदेश दिया.
तस्वीर: A.M. Ahad/picture alliance/AP Photo
हसीना के भारत के साथ संबंध
भारत और बांग्लादेश के बीच बेहद मजबूत संबंध हैं. जब कभी भी बांग्लादेश को जरूरत पड़ी तो भारत उसके साथ खड़ा नजर आया. दोनों देशों के बीच पिछले 53 सालों से द्विपक्षीय संबंध हैं. 2023 में भारत में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत ने बांग्लादेश को विशेष अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया था. हसीना के पीएम रहते हुए दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ा है.
तस्वीर: Manish Swarup/AP/picture alliance
15 तस्वीरें1 | 15
यह अनिश्चितता विभिन्न कारणों से हो सकती है, जिनमें बांग्लादेश की क्षेत्रीय भूमिका के बारे में सीमित बातचीत या जागरूकता शामिल हो सकती है. सर्वेक्षण जुलाई में बांग्लादेशी पुलिस और छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच हुई घातक झड़पों से पहले किया गया था, जो इस जनमत को प्रभावित कर सकता था.
पाकिस्तान के बारे में क्या सोचते हैं भारतीय
सर्वेक्षण किए गए देशों में पाकिस्तान को सबसे कम सकारात्मक रूप से देखा जाता है, खासकर भारत में. 61 प्रतिशत भारतीय पाकिस्तान के प्रति नकारात्मक राय रखते हैं, जबकि केवल 12 फीसदी सकारात्मक राय रखते हैं. यह नकारात्मक दृष्टिकोण 2013 में इस प्रश्न को पहली बार पूछे जाने के बाद से लगातार बना हुआ है. 1947 में भारत के विभाजन से जन्मे ऐतिहासिक तनाव और वर्तमान भू-राजनीतिक मुद्दे दोनों देशों के संबंधों को तनावपूर्ण बनाए रखते हैं.
इसके विपरीत, श्रीलंकाई और बांग्लादेशियों के पाकिस्तान के प्रति विचार अधिक संतुलित हैं. श्रीलंका में 44 प्रतिशत और बांग्लादेश में 40 प्रतिशत लोग पाकिस्तान के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं. हालांकि, दोनों देशों में अल्पसंख्यक नकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं. श्रीलंका में 25 फीसदी और बांग्लादेश में 32 फीसदी मुसलमान पाकिस्तान के बारे में नकारात्मक सोच रखते हैं.
विज्ञापन
धर्म के आधार पर क्षेत्रीय विचार
सर्वे के मुताबिक धार्मिक आस्था यह निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कि दक्षिण एशियाई लोग अपने पड़ोसियों को कैसे देखते हैं. बांग्लादेश और श्रीलंका दोनों में, हिंदू अन्य धार्मिक समूहों की तुलना में भारत के प्रति अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं. उदाहरण के लिए, श्रीलंका में 80 फीसदी हिंदू भारत के प्रति सकारात्मक राय रखते हैं, जबकि बौद्धों, ईसाइयों और मुसलमानों में यह संख्या 70 प्रतिशत से कम है.
इसी तरह, बांग्लादेश और भारत में श्रीलंका के प्रति हिंदू, मुसलमानों की तुलना में अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं. बांग्लादेश में 62 फीसदी हिंदू श्रीलंका के प्रति सकारात्मक राय रखते हैं, जबकि 44 प्रतिशत मुसलमान ऐसा मानते हैं. यह धार्मिक अंतर सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान के साझा बंधनों को दर्शाते हैं, जो क्षेत्रीय दृष्टिकोण को आकार देते हैं.
दूसरी ओर, भारतीय मुसलमान पाकिस्तान के प्रति हिंदुओं की तुलना में कोई ना कोई राय रखते हैं. सर्वे में शामिल 22 फीसदी मुसलमानों ने अपनी राय जाहिर की, जबकि हिंदुओं में यह संख्या 11 फीसदी थी.