1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

पुतिन के युद्ध ने रूस के व्यापार मॉडल को किया ध्वस्त

आंद्रे गुरकोव
३० दिसम्बर २०२२

यूक्रेन युद्ध की वजह से रूस अपने सबसे बड़े विदेशी निवेशक और ऊर्जा उत्पादों के मुख्य खरीदार यूरोप से हाथ धो बैठा है. आखिर क्या हुआ कि साल 2022 में रूस का आर्थिक भाग्य पूरी तरह से बदल गया.

रूसी राष्ट्रपति
व्लादिमीर पुतिनतस्वीर: Mikhail Klimentyev/Sputnik/Kremlin/AP Photo/picture alliance

रूस की सरकारी ऊर्जा कंपनियों गासप्रोम और रोजनेफ्ट ने साल 2022 में बहुत अच्छी शुरुआत की थी. जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की नई गठबंधन सरकार ने गैस आधारित कई नए बिजली संयंत्रों की घोषणा की थी ताकि परमाणु और कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को धीरे-धीरे बंद किया जा सके. रूस के सरकारी बजट में सबसे बड़ी भागीदार ये दोनों कंपनियां जर्मनी की इस घोषणा का लाभ उठाने को एकदम तैयार थीं.

गासप्रोम को बड़े पैमाने पर जर्मनी में होने वाली गैस आपूर्ति की देखरेख करनी थी. जर्मनी पहले से ही रूस के प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा खरीदार था और पाइपलाइन से होने वाले उसके गैस निर्यात का एक चौथाई हिस्सा खरीदता था. यही नहीं, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ में जर्मनी के कुछ साथी देशों के विरोध के बावजूद नवनिर्मित नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन को चालू करने के लिए जर्मनी में संभावनाएं बनी हुई थीं. 

रूस को छोड़कर भागते लोग

01:41

This browser does not support the video element.

दूसरी ओर, रोजनेफ्ट कंपनी जर्मनी की एक प्रमुख तेल रिफाइनरी का मालिकाना हक लगभग पूरी तरह से लेने को तैयार थी. ब्रांडेनबुर्ग प्रांत के श्वैट शहर में मौजूद यह रिफाइनरी राजधानी बर्लिन के अलावा विकसित हो रहे नये हवाई अड्डे और पूर्वी जर्मनी के एक बड़े हिस्से को पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति करती थी.  इस सौदे को अंतिम रूप दिये जाने का इंतजार जरूर हो रहा था लेकिन इसमें कोई खास अड़चन नहीं थी.

बिखड़ा गासप्रोम और रोसनेफ्ट का जर्मन कारोबा

साल 2022 का अंत आते आते गासप्रोम से जर्मनी को मिलने वाली गैस की आपूर्ति पूरी तरह बंद हो गई है और जर्मनी ने इससे जुड़ी सहायक कंपनी गासप्रोम गर्मानिया का उसकी प्राकृतिक गैस भंडारण सुविधा के साथ राष्ट्रीयकरण कर लिया है. और साथ ही, नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन परियोजना को दफन कर दिया गया है. इन सभी घटनाओं के पीछे एक ही कारण है, और वह है रूस का यूक्रेन पर हमला.

हमले के बाद से ही जर्मनी ने ऊर्जा के मामले में रूस पर अपनी निर्भरता कम करते हुए वैकल्पिक रास्ते तलाशने शुरू कर दिए. दो लिक्विफाइड नेचुरल गैस टर्मिनल पहले ही शुरू हो चुके हैं, और अगले साल ठंड के मौसम तक कम से कम छह नए टर्मिनल चलने लगेंगे.

श्वेट रिफाइनरी पर से रोजनेफ्ट का नियंत्रण खत्म हो चुका है और अब वो जर्मन स्टेट ट्रस्टीशिप के अधीन है और इस आशंका का सामना कर रही है कि कहीं उसका मालिकाना हक उससे छिन न जाए. रिफाइनरी की योजना है कि यूरोपीय संघ के तेल प्रतिबंध के तहत 31 दिसंबर से रूसी तेल का शोधन बंद कर दिया जाएगा. भविष्य में, कजाखस्तान समेत कुछ अन्य तेल आपूर्ति करने वाले देशों पर भरोसा करने लगेगा.

पश्चिमी देशों के पाबंदियां लगाने से रूस का क्या बिगड़ा?

01:56

This browser does not support the video element.

महज दस महीनों में गासप्रोम और रोजनेफ्ट के जर्मनी में संचालित हो रहे काम बंद हो चुके हैं. आकर्षक जर्मन बाजार को खोना, शायद रूस के यूरोप केंद्रित आर्थिक मॉडल के ताबूत में आखिरी कील है.  

रूसी व्यापार यूरोप की ओर बढ़ रहा था

रूस लंबे समय से अपने मुख्य उत्पादों, मसलन कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद, प्राकृतिक गैस, कोयला और धातु का निर्यात मुख्य रूप से यूरोप को ही करता था, वो भी विशेषतौर पर यूरोपीय संघ के देशों को. बदले में, यूरोप ने रूसी अर्थव्यवस्था को आधुनिक बनाने में मददगार मशीन और अन्य उपकरण प्रदान किए और रूसियों ने यूरोप की विलासिता सामग्री को लपक लिया.

यूरोप को प्राथमिकता देने वाला फैसला सिर्फ भूगोल के आधार पर ही नहीं लिया गया था बल्कि इस मामले में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों की भी निर्णायक भूमिका थी. 18वीं शताब्दी की शुरुआत में जार पीटर प्रथम के शासन काल से ही रूस खुद को भी यूरोप का एक अभिन्न अंग मानता रहा है और यूरोपीय देशों को अपना पसंदीदा व्यापारिक सहयोगी मानता रहा है.

रूस की लगभग सभी निर्यात करने वाली गैस पाइपलाइन, तेल पाइलाइन्, रेलवे लाइन, हाईवे और हवाई मार्ग यूरोप की ओर उन्मुख थे. बाल्टिक सागर, बैरेंट्स और काला सागर में बंदरगाहों पर तेल, कोयला और कंटेनर टर्मिनलों का आधुनिकीकरण भी यूरोप के साथ जारी व्यापार पर निर्भर था.

यूरोप के लिए नॉर्वे बन सकता है संकटमोचक

04:41

This browser does not support the video element.

यूरोपीय देश रूस में सबसे बड़े विदेशी निवेशक बन गए और पूंजी, तकनीक और अन्य चीजें लेकर यहां आए. इस वजह से तेल और गैस क्षेत्र, ऊर्जा उत्पादन, कार निर्माण और खाद्य सामग्री इत्यादि क्षेत्रों को काफी फायदा हुआ. अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भी रूस में व्यापक स्तर पर निवेश किया लेकिन अमेरिका रूस के लिए कभी यूरोप जैसा निर्यात बाजार नहीं रहा.

यूरोपीय संघ के बाजार खोने का बड़ा नुकसान 

साल 2023 आने वाला है और रूस के यूरोपीय संघ से संबंध संकट में हैं. यूरोप के मध्य भाग में युद्ध की घोषणा करके राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अच्छे-भले चल रहे उस व्यापार मॉडल को अचानक नष्ट कर दिया है जिसे बनाने में उन्होंने खुद इतनी मेहनत की थी.

तमाम यूरोपीय कंपनियां पूरी तरह से रूस से जा चुकी हैं, जबकि अन्य ने अपना निवेश रोक दिया है. इन कंपनियों ने ऐसा रूस पर लगे यूरोपीय और अमरीकी प्रतिबंधों के कारण किया है क्योंकि कंपनियों को भी अपनी ब्रांड छवि बचानी है. युद्ध की वजह से रूस में व्यापारिक परिस्थितियां नष्ट हो चुकी हैं.

हालांकि, युद्ध से रूस के निर्यात बाजार का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. सबसे बड़ा झटका समुद्र के रास्ते रूस से तेल की डिलिवरी पर यूरोपीय संघ के प्रतिबंध के कारण लगा. 5 दिसंबर से यह प्रतिबंध प्रभावी हुआ है जो कि कुछ महीनों तक पूरी तरह महसूस नहीं होगा. 

अगस्त में, ब्रसेल्स ने रूस के कोयला उद्योग को यूरोपीय बाजार से बाहर कर दिया. अभी कुछ समय पहले तक, यूरोपीय संघ के देश रूस के कुल कोयला निर्यात का करीब आधा हिस्सा खरीदते थे. फरवरी में, रूस के तेल उत्पादों पर प्राइस कैप लगने की उम्मीद है और यदि ऐसा हुआ तो यह रूस के लिए एक और बड़ा झटका होगा.

जर्मनी चीन पर से अपनी निर्भरता घटाने में इतना विवश क्यों है?

02:17

This browser does not support the video element.

इस बीच, गासप्रोम को यूरोप की तुलना में क्रेमलिन के कारण ज्यादा नुकसान हुआ है क्योंकि पुतिन ने इस बात पर जोर दिया है कि रूसी गैस की कीमत रूबल में अदा करनी होगी. गर्मियों में, फर्म की नॉर्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन से जर्मनी को भेजी जाने वाली गैस की डिलिवरी को काफी कर दिया गया और फिर अगस्त में पूरी तरह से बंद ही कर दिया गया. ऐसा यह सोच कर किया गया कि इससे यूरोप में ठंड के दौरान गर्मी के इंतजाम में दिक्कत होगी.

दो जर्मन कंपनियां तो गासप्रोम पर गैस की आपूर्कोति नहीं करने को लेकर अनुबंध की शर्तों को तोड़ने के आरोप में मुकदमा करने की तैयारी कर रही हैं. अरबों डॉलर के अनुमानित नुकसान के निपटारे में जरा भी देरी एक और बड़ी बाधा बनकर खड़ी हो सकती है. यह बाधा न सिर्फ राजनीतिक होगी बल्कि रूसी पाइपलाइन गैस को वापस जर्मनी भेजने में भी दिक्कतें आ सकती हैं.

रूस के पास समय, पैसे और प्रशिक्षित मजदूरों की कमी

यूरोप को जाने वाली रूसी गैस में कमी की वजह से रूस का गैस बाजार गहरे संकट में आ गया है. हालांकि रूस अपने तेल और कोयले के निर्यात को एशिया की ओर मोड़ सकता है लेकिन दिक्कत यह है कि रूस की सभी गैस पाइपलाइन पश्चिम की ओर जाती हैं और उन्हें एकाएक पूर्व की ओर नहीं मोड़ा जा सकता है.

मोल्दोवा पर भी रूस की नजर?

06:01

This browser does not support the video element.

हालांकि क्रेमलिन यह कह सकता है कि वह एशिया के लिए नई पाइपलाइन बनाएगा लेकिन रूस के पास इस वक्त समय, धन और प्रशिक्षित मजदूरों की बहुत कमी है. युद्ध की वजह से रूस का वित्तीय भंडार तेजी से खर्च हो रहा है और देश के ज्यादातर सक्षम युवा या तो युद्ध के मोर्चे पर तैनात हैं या फिर मर चुके हैं.

आने वाले दिनों में रूस अपने यूरोप-केंद्रित व्यापार मॉडल के विकल्प को तेजी से ढूंढ़ने के लिए संघर्ष करेगा और रूसी जनता इस पीड़ा को झेलने को विवश होगी.

 

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें