यूरोपीय सीमाओं को सुरक्षित रखने में कैसे काम आएंगे पीटलैंड?
५ नवम्बर २०२५
साल 2022 की शुरुआत में यूक्रेनी सेना ने एक ऐसा कदम उठाया, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. उन्होंने कीव के उत्तर में बहने वाली इरपिन नदी पर बने अपने ही एक बांध को उड़ा दिया. जिसके कुछ ही समय में आसपास का सैकड़ों हेक्टेयर इलाका जलमग्न हो गया और कई खेत और गांव पूरी तरह पानी में डूब गए.
लेकिन यह पानी उनके लिए एक ढाल बन गया और यह नया दलदली इलाका रूसी सेना के लिए एक अभेद्य दीवार बन गया. जिसने उनकी रफ्तार रोक दी और राजधानी कीव को उनके कब्जे में आने से बचा लिया.
अब नाटो की पूर्वी सीमाओं पर स्थित दो देश यानी फिनलैंड और पोलैंड भी इस पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. रूसी हमले की आशंका के बीच वह सूखे हुए पीटलैंड यानी दलदल और कीचड़ से भरी जमीन को फिर से पानी से भरने की योजना बना रहे हैं. ताकि यह इलाका उनके लिए एक प्राकृतिक रक्षात्मक दीवार की तरह काम कर सके.
इन सब के बीच सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह तरीका जलवायु संरक्षण के लिए भी काफी मददगार साबित हो सकता है. देखा जाए तो पूरी पृथ्वी के कुल भू-भाग का केवल तीन प्रतिशत हिस्सा ही पीटलैंड्स से ढका है. लेकिन यह इतना सा हिस्सा अपने अंदर जंगलों से दोगुना अधिक कार्बन डाइऑक्साइड समाये हुए है. लेकिन समय के साथ यूरोपीय संघ के इस विशाल इलाकों में फैले दलदल को खेती के लिए सुखा दिया गया था.
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जिस कारण इस जमीन ने अपने कार्बन संचित करने की क्षमता खत्म हो दी. अब यूरोपीय संघ के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग सात फीसदी सूखी पीटभूमि और पुराने दलदली इलाकों से आता है. ऐसे में इन्हें फिर से बहाल करना संघ के जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने में मददगार साबित हो सकता है.
फिनलैंड की रक्षा क्षमता को कैसे बढ़ा सकते हैं पीटलैंड
इस समय फिनलैंड सरकार देश के पूर्वी हिस्से में यानी रूस की सीमा के पास ऐसे इलाकों की पहचान कर रही है, जहां सूखी जमीन को फिर से गीला किया जा सके. जिसमें खास ध्यान पीटलैंड, दलदली क्षेत्रों और सूखी लकड़ियों वाले जंगलों पर है, जो प्राकृतिक अवरोध की तरह काम कर सकते हैं.
फिनलैंड के पर्यावरण मंत्रालय ने डीडब्ल्यू को दिए एक लिखित बयान में कहा, "पुनर्स्थापित किए गए दलदल प्राकृतिक रुकावट का काम कर सकते हैं. जिससे सैन्य उपकरणों की आवाजाही सीमित हो सके और फिनलैंड की रक्षा क्षमता मजबूत हो सकती है.” इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए सरकार एक कार्यदल गठित कर रही है. यह दल सुरक्षा बढ़ाने के नजरिए से इलाके के पुनः प्राकृतिककरण की संभावनाओं का मूल्यांकन करेगा.
साथ ही, यह योजना जैव विविधता को मजबूती देने, उत्सर्जन को कम करने और हवा व पानी की गुणवत्ता सुधारने में भी मदद करेगी. इस योजना का मूल्यांकन करने वाले दल में रक्षा और कृषि मंत्रालय भी शामिल है. मंत्रालय ने आगे बताया कि पुनर्स्थापित किए गए यह क्षेत्र राष्ट्रीय सुरक्षा के अलावा, भविष्य में मनोरंजन और अवकाश के लिए भी उपयोग किए जा सकते हैं.
रक्षा के लिए दलदल का इस्तेमाल: सदियों पुरानी सोच
पीटलैंड, कीचड़ और दलदली इलाका पुराने समय से युद्ध और रक्षा रणनीतियों का अहम हिस्सा रहा है.
1500 के दशक में भी उत्तरी जर्मनी के किसानों ने अपने आसपास के दलदली इलाकों का इस्तेमाल करके डेनिश सेना को मात दी थी. इसी तरह, 1812 के रूसी अभियान के दौरान नेपोलियन बोनापार्ट की फ्रांसीसी सेना की हार में भी दलदलों ने अहम भूमिका निभाई थी. इतना ही नहीं, बल्कि प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भी जर्मनी और साथी देशों की सेनाओं के लिए दलदल और पीटलैंड बड़े अवरोध साबित हुए थे.
ग्राइफ्सवाल्ड विश्वविद्यालय और माइकल सुको फाउंडेशन के संयुक्त संगठन ग्राइफ्सवाल्ड मूर सेंटर की प्रमुख, फ्रांजिस्का टानेबेर्गर ने कहा, "कोई भी ऐसा सैन्य वाहन नहीं है, जो आसानी से गीली पीटलैंड से गुजर सके.”
केंद्र का अनुमान है कि लगभग 29 से 58.1 करोड़ डॉलर के निवेश से यूरोप की लगभग एक लाख हेक्टेयर पीटलैंड और दलदली जमीन को फिर से पुनर्जीवित और गीला किया जा सकता है. टानेबेर्गर के अनुसार, पीटलैंड सूखे और गर्म वर्षों में पानी को छानने और संचित करने का काम करती हैं. साथ ही, जलवायु को नुकसान पहुंचाने वाले कार्बन डाइऑक्साइड को भी बड़ी मात्रा में अपने भीतर कैद रखती है. अगर "हम इन्हें ऐसा करने दें, तो वह बिना किसी लागत के ऐसा कर सकती है.”
क्या है पोलैंड की 'ईस्ट शील्ड' पहल
पोलैंड भी बेलारूस और रूस की सीमा से लगी अपनी पूर्वी सीमा को मजबूत करना चाहता है. अपनी "ईस्ट शील्ड” परियोजना के तहत वह निगरानी तंत्र और बुनियादी ढांचे को विस्तारित कर संभावित हमले को रोकना चाहता है. साथ ही, भौतिक रुकावट का विकास कर रहा है. उसने 2028 तक इस परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य रखा है.
पोलैंड के रक्षा मंत्रालय ने डीडब्ल्यू को दिए एक लिखित बयान में कहा, "सीमा क्षेत्र का प्राकृतिक वातावरण ‘ईस्ट शील्ड' परियोजना के प्रयासों के लिए एक स्वाभाविक सहयोगी है.”
भविष्य के युद्धों के लिए तेजी से तैयार हो रहा है जर्मनी
इस परियोजना में पीटलैंड को फिर से गीला करना और सीमावर्ती इलाकों में फिर से जंगल लगाना इत्यादि शामिल है. मंत्रालय ने आगे कहा, "इस मामले में पर्यावरणीय और सुरक्षा संबंधी लक्ष्य एक-दूसरे को बढ़ावा देते हैं.” साथ ही, "जहां प्राकृतिक अवरोध पर्याप्त नहीं होंगे, वहां आवश्यक इंजीनियरिंग कार्य भी किए जाएंगे.”
नाटो के केंद्रीय देश के तौर पर जर्मनी की भूमिका
जर्मनी के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, वह फिलहाल रक्षा उद्देश्यों के तहत पीटलैंड को बहाल करने की कोई योजना नहीं बना रहा है. नाटो की रक्षा योजना में जर्मनी को "हब” (केंद्र) माना गया है यानी वह ऐसा देश है, जो गठबंधन की सेनाओं की आवाजाही के लिए महत्वपूर्ण रास्ते की तरह काम करता है.
मंत्रालय ने डीडब्ल्यू को बताया कि यह दलदल और पीटलैंड, दुश्मन और मित्र, दोनों ही सेनाओं की गति को सीधे तौर पर प्रभावित करता है. इसलिए, इन्हें रक्षा के लिहाज से फिर से गीला करना फायदे और नुकसान, दोनों का सौदा हो सकता है.रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, वर्तमान में जर्मन सेना के लिए इस कदम के नुकसान ज्यादा और फायदे कम है.