एयर इंडिया हादसे का हवाई यात्रा पर पड़ा है भारी असर
२६ जून २०२५
एयर इंडिया हादसे के बाद दो हफ्ते बीत चुके हैं लेकिन भारत के विमानन क्षेत्र और उससे जुड़े लोगों पर उसका अभी भी गहरा असर है. हाल ही में आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि हादसे के बाद लोगों ने एयर इंडिया से उड़ानें बुक करना कम कर दिया. बुकिंग करीब 20 प्रतिशत गिर गई.
इंडियन एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स के मुताबिक हादसे के तुरंत बात कुल फ्लाइट बुकिंग 15-20 प्रतिशत गिर गई थी और 30-40 प्रतिशत बुक किए हुए टिकट भी रद्द कर दिए गए थे. संस्था के अध्यक्ष रवि गोसाईं ने बताया, "हमें विमान के किस्म को लेकर बड़े अजीब सवाल मिल रहे हैं. पहले यात्री इस बात की परवाह नहीं करते थे कि विमान किस किस्म का है. लोग ड्रीमलाइनरों के बारे में सुनना नहीं चाह रहे हैं."
लोगों के मन में डर बैठ गया है
साफ है कि बहुत से लोग लोग एयर इंडिया के विमानों में यात्रा करने से डरने लगे हैं. लंदन में रहने वाली भारतीय मार्केटिंग कंसलटेंट निधि भाटिया अहमदाबाद हादसे के एक दिन पहले ही एयर इंडिया बोइंग 777 विमान में मुंबई आई थीं.
25 साल की भाटिया ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "मैं बोइंग को ना चुनने के आधार पर अपने विकल्पों को फिल्टर कर रही हूं...मैंने बहुत ज्यादा डरी हुई हूं और फिर से किसी फ्लाइट में नहीं जाना चाहती हूं."
मुंबई की ट्रैवेल एजेंसी जया टूर्स के मुताबिक हादसे के बाद से लोग एयर इंडिया के साथ हवाई यात्रा करने से डरे हुए हैं और दूसरी उड़ानें बुक कर रहे हैं.
हादसे के बाद नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने एयर इंडिया के सभी बोइंग 787, 788 और 789 विमानों की विस्तृत सुरक्षा जांच का आदेश दिया था और वह जांच अभी चल ही रही है. इसकी वजह से कंपनी की उड़ानों पर भी असर पड़ा है.
कंपनी के ताजा बयान के मुताबिक इस तरह के कुल 33 विमानों में से 26 का निरीक्षण हो गया है और बाकियों का जल्द पूरा हो जाने की उम्मीद है. इन 26 विमानों को उड़ान सेवाओं के लिए तैयार पाया गया.
इस बीच मध्यपूर्व एशिया में चल रहे संघर्ष और दूसरे कारणों से भी कंपनी की कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानें प्रभावित हुईं और छह दिनों में 83 उड़ानें रद्द हुईं. कंपनी ने खुद भी अपने बड़े विमानों की उड़ान सेवाओं में 15 प्रतिशत की कटौती की घोषणा भी की है. यह कटौती कम से कम 15 जुलाई तक चलेगी.
इस बीच एयर इंडिया की कई डोमेस्टिक उड़ानों में तकनीकी खराबी की खबरें भी आईं, जिनकी वजह से कभी तो टेक ऑफ से पहले यात्रियों को उतार दिया गया या कभी विमान को वापस वहीं ले जाया गया जहां से वह उड़ा था.
मिल सकती है थेरेपी
दूसरी तरफ ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि कई लोगों के मन में हवाई यात्रा को लेकर गहरा डर बैठ गया है. कुछ कंपनियां ऐसे लोगों को थेरेपी देने का काम भी कर रही हैं. बेंगलुरु की ऐसी ही एक कंपनी 'कॉकपिट विस्टा' के मालिक दिनेश के ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि उनके थेरेपी कोर्स की मांग बहुत बढ़ गई है.
वो इस कोर्स में हवाई यात्रा को लेकर लोगों के डर को कम करने में उनकी मदद करते हैं. दिनेश ने बताया कि जहां एयर इंडिया हादसे से उनके पास उनके कोर्स के बारे में पूछताछ करने के लिए हर महीने औसतन 10 फोन आते थे, वहीं अभी तक उन्हें 100 से भी ज्यादा फोन आ चुके हैं.
भारतीय वायु सेना के पूर्व अधिकारी दिनेश इस कोर्स के लिए करीब 42,000 रुपये का शुल्क लेते हैं. उनके केंद्र में बोइंग और सेसना विमान के लिए एक सिम्युलेटर है जो लोगों को यह महसूस करने में मदद करता है कि टेकऑफ और लैंडिंग के समय कॉकपिट में कैसा लगता है. इससे उन्हें भरोसा दिलाने की कोशिश की जाती है कि उड़ान के दौरान हर कंपन और हर आवाज का मतलब खतरा नहीं होता है.
हालांकि आम तौर पर हवाई यात्रा को एक यात्रा के एक सुरक्षित साधन के रूप में देखा जाता है. टेक ऑफ के दौरान इस तरह के क्रैश बहुत की कम हुए हैं. अंतरराष्ट्रीय नागरिक विमानन संगठन के मुताबिक 2023 में हर 10 लाख डिपार्चर पर 1.87 हादसे हुए थे.